Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
01-24-2019, 11:52 PM,
#6
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
Part 5

संध्या के जिस्म से निकलती आग ने मेरे अंदर की आग को और बढ़ा दिया जिसकी वजह से अब मेरा लौड़ा एक अंगडाई लेकर पूरे जोश से मेरी शलवार में अकड़ चुका था |

“भाईईईईई यह क्याआआआअ कर रहें हैं आप मेरे साथ” मेरे इस अचानक हमले से संध्या एकदम बोख्लाते हुए बोली और उसने अपने आप को मेरी बाहों के शिकंजे से छुड़ाने की कोशिश भी की मगर मैंने उसे अपनी बाहों से निकलने का मौक़ा नही दिया |

“मैं तुम्हारे साथ भी वो सब कुछ करना चाहता हूँ, जो तुम मुझे ज़ाकिया के साथ करता हुआ देख चुकी हो संध्या” यह कहने के साथ ही अपनी बहन संध्या के जिस्म के गिर्द कसते हुए मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के इतने करीब ले आया कि हम दोनो के मुँह से निकलने वाली गरम साँसें अब एक दूसरे की साँसों से टकराने लगी थीं |

“नहींईईई नहींईईईईई, मैं आपकी बहन हूँ और हमारे दरमियाँ यह सब सही नही है भाईईईईईईईईईई” मेरी बात सुनते ही संध्या बोली और उसने मेरी बाहों की ग्रिफ्त से निकलने की एक बार फिर से कोशिश की |

मगर संध्या के जिस्म के गिर्द मेरी बाहों का घेरा तंग होने की बजाए अब तंग होता गया जिसकी वजह से मेरी बहन के मोटे गुंदाज मुम्मे मेरी चौड़ी छाती में धंसते चले गए |

यह मेरी ज़िंदगी में पहला मौक़ा था जब मैं अपनी बहन संध्या को इतने करीब से देख और टच कर रहा था और अब अपनी बहन के नरम मुम्मों के लम्स और उसकी चूत की प्यास की वजह से मैं इस वक़्त “अभी नही तो कभी नही” वाली सुरते हाल में फंस चूका था जिसकी वजह से मेरे लिए अब पीछे हटना एक नामुमकिन सी बात हो गई थी |

यही बात ज़ेहन में लेकर मैंने अपने मुँह को थोड़ा और आगे बढ़ाया और एकदम से अपनी सग़ी बहन के नरम और मुलायम होंठों को पहली बार हल्के से चूम लिया |

मेरे होंठों के अपने होंठों से छूते ही मेरी बहन संध्या ने इस अचानक हल्ले से बुखला कर शरम के मारे ना सिर्फ़ अपनी आँखें फौरन बंद कर लीं बल्कि अपने भाई के लबों का लम्स पहली बार अपने जवान कंवारे होंठो पर महसूस करते ही शरम के मारे संध्या के जिस्म में कंपकंपहाट सी होने लगी |

“भाईईईईईईईईईई क्यों तंग कर रहे हो, जानेएएएए दो ना मुझे” मेरी बेशर्म हरकत को रोकने में नाकाम होने के बावजूद संध्या ने एक बार फिर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश की मगर पहले की निस्बत अबकी बार उसकी मज़मत में ज्यादा ज़ोर नही था |

“हाईईईईईईईई लगता है कि मेरे लबों की गरमी ने मेरी बहन की जवानी में भी आग लगानी शुरू कर दी है” पहली बार यूँ अपनी सग़ी बहन के लबों की चुम्मी लेने के बाद उसकी ढीली पड़ती मज़मत को महसूस करते हुए मेरा हौसला और बढ़ता चला गया |

इसके साथ ही मैंने अपने होंठों को संध्या के होंठो से अलग करते हुए अपने गरम होंठो को अपनी बहन के मोटे गालों पर रख दिया |

“नाआआआआ करो..ओ... नाआआ... भाईईईईईईई” मेरी गरम ज़ुबान को अपने गोरे गालों पर चलता महसूस करके संध्या ने एक बार मेरी मिन्नत की |

मगर अपनी बहन की बात अनसुनी करते हुए मैं संध्या के फूले हुए सॉफ्ट गालों पर हल्के हल्के अपनी ज़ुबान घुमाता हुआ अपना मुँह अपनी बहन के कान के नज़दीक लाया और फिर अपनी बहन के कान में आहिस्ता से सरगोशी की “तुम बहुत ही खुबसूरत हो संध्याआआआआ, शायद तुम्हें यकीन ना आए, मगर मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ मेरी जान” 

यह कहते हुए मैं संध्या के दाएं कान को अपने मुँह में भरा और अपनी बहन के कान की लौ के ऊपर अपनी गरम ज़ुबान फेरने लगा |

“ओह नहींईईईईईईईईई” मेरी गरम ज़ुबान के मज़े से बेहाल होते हुए मेरी बहन सिसकी मगर उसने अपनी आँखें बदस्तूर बंद ही रखीं |

“संध्या की बंद आँखों और उसके चेहरे को देख यूँ लगता है कि जैसे मेरी बहन इस वक़्त किसी गहरी सोच में है, बेशक़ संध्या मेरी बहन है लेकिन उससे पहले वो एक जवान लड़की भी है, एक लड़की की हैसियत से अपनी सहेली ज़ाकिया की तरह शायद वो मेरे साथ सब कुछ करना तो चाह रही हो, मगर बहन होने के नाते उसे अपने ही भाई से यह सब करते हुए शरम भी महसूस हो रही है शायद” अपनी बाहों मैं क़ैद अपनी छोटी बहन संध्या को अपनी बंद आँखों से किसी सोच में डूबा देख कर मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया | 

अब एक तरफ मेरी बाहों में जकड़ी संध्या अपनी बंद आँखों के साथ अपनी सोच में मगन थी मगर दूसरी तरफ अपनी बहन के जिस्म की हरक़त और उसके चेहरे की तासुरात से मैं यह अंदाज़ा लगा सकता था कि अपनी बहन संध्या के साथ की जाने वाली मेरी छेड़खानी अब आहिस्ता आहिस्ता अपना कमाल दिखाने लगी है |

इसीलिए संध्या के चेहरे के तासुरात पड़ते हुए मैंने अपना काम जारी रखा और फिर अपने हाथों को संध्या की कमर से आहिस्ता आहिस्ता नीचे लाते हुए मैंने अपनी बहन की चौड़ी गांड की पहाड़ियों को पहली बार अपने हाथों में दवोच लिया |

“ओह क्याआआआअ मज़ेदार जिस्म है तुम्हारा मेरी बहन” |

अपनी बहन की गांड को अपने हाथों में कसते हुए मैंने संध्या के जिस्म को ज़ोर से अपनी तरफ खिंचा तो मेरी शलवार में खड़ा हुआ मेरा लौड़ा मेरी बहन की गुंदाज राणों में से सरकता हुआ पहली बार शलवार के ऊपर से ही मेरी बहन की कंवारी चूत से जा टकराया |

“ओह” भाई के सख्त लौड़े की अपनी बहन की मुलायम कंवारी चूत पर पहली दस्तक होते ही, हम दोनो बहन भाई के मुँह से सिसकीयाँ निकल पडीं तो साथ ही मज़े के मारे संध्या ने अपनी टांगों को आपस में जकड़ लिया जिसकी वजह से मेरा लौड़ा अब उसकी गुंदाज राणों में फंस कर रह गया |

“हाईईईईईईईईईईई मज़ेएएएऐ.... दारररर” अपने लौड़े को पहली बार यूँ अपनी सग़ी बहन की राणों में फंसा हुआ महसूस करते ही मैंने अपने जिस्म को थोड़ा से पीछे करते हुए फिर हल्का सा झटका दिया |

तो शलवार के अंदर से मेरा लौड़ा एक बार फिर मेरी बहन की गोश्त भरी राणों में सरकता हुआ दुबारा उसकी चूत से टच हो गया |

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़..... भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई... जाननननननननन” अपनी कुंवारी चूत के साथ अपने ही सगे भाई के गरम और सख्त लौड़े के लम्स को महसूस करते ही संध्या के सब्र का पैमाना भी टूट गया और फिर खुद सपुर्दगी के आलम में अपनी बाहों को मेरी गरदन के गिर्द कसते हुए मेरी बहन चिल्ला उठी और जोश के मारे संध्या ने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेते हुए गरम जोशी से मेरे लबों को चुसना शुरू कर दिया |

“ओह मेरे होंठो और लौड़े की गरमी की बदौलत मेरी बहन की कंवारी चूत भी मचल ही गई आख़िर” अपनी बहन संध्या को अपने जिन्सी जज़्बात के हाथों मजबूर हो कर मुझे यूँ दीवाना वार चाटते हुए देख कर मेरा दिल और लौड़ा दोनो बाग़ बाग़ हो गए | 

अब एक तरफ संध्या मस्त हो कर मेरे होंठो को चूसने लगी तो दूसरी तरफ मैं भी उसकी गरम जोशी का जवाब देते हुए दीवाना वार अपनी बहन के होंठों का रस पीने लगा |

अपनी बहन के वजूद पर जवानी की गरमी का असर देखते हुए मुझे और जोश आया और इसी जोश में इजाफा करते हुए मैंने संध्या के जिस्म को ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठा और फिर संध्या के मुँह में जुबां डाल कर उसकी जीभ चूसते हुए मैंने संध्या की कमीज़ के ऊपर से उसके गोल गोल मुम्मे को अपने हाथ में थामा तो बहन के मुम्मों की मोटाई की वजह से मुझे यूँ लगा जैसे मैंने अपने हाथ में कोई कद्दू पकड़ लिया हो |

अपनी बहन की जवान कुंवारी छाती को पहली बार अपने हाथ में लेते हुए मैंने संध्या के मोटे मुम्मे को जोश से मसला तो दर्द और स्वाद की मिली जुली कैफ़ियत से संध्या के मुँह से आवाज़ निकली “उच, ओह” |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ आज ज़िन्दगी में पहली बार एक मर्द मेरी बहन की जवान छातियों को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा रहा है, और वो मर्द कोई और नही बल्कि खुद उस का अपना सगा भाई है” अपनी बहन के गुंदाज मुम्मे को अपनी मुट्ठी में लेकर प्यार से आहिस्ता आहिस्ता मसलते हुए मेरे दिमाग में यह ख्याल आया तो मेरे लौड़े की गरमी और बढ़ने लगी |

कमीज़ के ऊपर से संध्या के मुम्मे को मसलने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था |

इसलिए किस्सिंग के साथ साथ मैं अपनी बहन के जवान और भारी मुम्मों को अपने हाथों में लेकर काफ़ी देर तक दबाता और मसलता रहा और मेरे हाथों के स्वाद से संध्या के मुँह से सिसकीयाँ निकलती रहीं “ओह हाईईईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफ्फ़” |

फिर कुछ देर अपनी बहन के होंठों को चूसते और उसके मोटे मुम्मों से खेलने के बाद मैं संध्या की कमर से अपना एक हाथ हटा कर संध्या की शलवार पर लाया और फिर अपने हाथ को शलवार के ऊपर से ही अपनी बहन की फूली हुई कुंवारी चूत पर रख दिया |

शलवार के ऊपर से अपनी बहन की चूत पर हाथ रखते ही मुझे महसूस हुआ कि अपनी जिन्सी हवस की आग में जलने की वजह से इस वक़्त मेरी बहन की कुंवारी चूत पानी पानी हो रही थी और गीलेपन की वजह से संध्या की शलवार का अगला हिस्सा भी काफ़ी गिला हो चुका था |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई” यूँ ही मेरे हाथ ने अपनी बहन की अनछुई चूत को टच किया तो लज्ज़त के मारे संध्या के मुँह से सिसकीयाँ सी फूटने लगीं और जोश में आकर वो मेरे लबों को अपने दांतों से काटने लगी |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईई क्यायययययययययया मुलायम फुद्दी है तुम्हारी” शलवार पहने होने के बावजूद अपनी बहन की सॉफ्टनेस का मुझे भी खूब अंदाज़ा हो गया इसलिए संध्या की शलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को आहिस्ता आहिस्ता मसलते हुए मैंने कहा |

इसी दौरान मैंने संध्या का हाथ पकड़ा और उसे ला कर शलवार में तने हुए अपने मोटे सख्त लौड़े पर रख दिया |

“कैसा है मेरा लौड़ा संध्या” अपने तने हुए लौड़े को अपनी सग़ी बहन के हाथ में पहली बार देते हुए मैंने संध्या से सरगोशी के अंदाज़ में सवाल किया |

“ओह भाईईईईईईईईईई ऐसी गंदीईईईईईई बातें तो ना करोओ ना प्लीज़” संध्या ने शलवार में खड़े मेरे लौड़े से एकदम अपना हाथ अलग करते हुए जवाब दिया |

“हाईईईईईईई अब अपने आपको ऐसी गंदी बातें सुनने का आदि कर लो, क्योंकि आज के बाद मैंने ऐसी कई गंदी बातें तुमसे करनी भी हैं और तुम्हारे मुँह से सुननी भी हैं मेरी जान” संध्या की बात का जवाब देते मैं बोला और फिर अपनी बहन की शलवार के नाड़े को पकड़कर झटके से खीँच दिया |

जिसकी वजह से मेरी बहन संध्या की शलवार उसकी कमर से ढ़ीली होकर कमरे के फ़र्श पर जा गिरी |

आज अपने ही हाथ से अपनी बहन की शलवार का नाड़ा खोल कर उसे नंगा करने के बाद मैंने एक बार फिर संध्या का हाथ पकड़ कर उसे दुवारा अपने लौड़े पर रखा और साथ ही अपने हाथ से अपनी बहन की चिकनी गुंदाज राणों को अपनी मुट्ठी में दबोच कर मसलना शुरू कर दिया |

“ओह भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई जाननननननननननन” अपनी सॉफ्ट गुंदाज राण पर पहली बार अपने जवान सगे भाई के हाथों की गर्मी महसूस करते ही संध्या ने मज़े से चिल्लाते हुए मेरे कहे बगैर ही जोश से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिफ्त में लिया और साथ ही नीचे से अपनी टांगें मेरे हाथ के लिए और खोल दीं |

अपनी बहन की इस मेहरबानी से खुश होते हुए मैंने संध्या की गुंदाज राणों पर हाथ फ़ेरते हुए हाथ को आहिस्ता आहिस्ता ऊपर ले जाकर अपने हाथ को दुवारा से अपनी बहन की नंगी चूत पर रख दिया |

“ओह लगता है तुमने मुझसे चुद्वाने के लिए ही, आज ही अपनी फुद्दी की ताज़ा ताज़ा सफ़ाई की है शायददददद...” अपनी बहन की बिना वालों वाली मखमली चूत पर पहली बार अपना हाथ फ़ेरते हुए मैं मज़े से बोला और फिर संध्या की पानी पानी होती चूत पर हाथ फ़ेरते हुए मैं अपनी उंगली को अपनी बहन की चूत के कुंवारी लबों पर आहिस्ता आहिस्ता फैरने लगा |

यूँ ही मेरी हाथ की उंगलियाँ अपनी बहन की चूत के लबों पर चलीं तो मेरी उँगलियों के मज़े से बेहाल होकर संध्या का जिस्म काँप उठा और वो सिसकियाँ भरते हुए मुझ से चिपकती चली गई |

“क्यायाआआआ तुम वाकियाआआआअ ही छुप छुप कर मेरी और ज़ाकिया की चुदाई का नज़ारा करती रही हो संध्या” अपनी बहन की चूत को अपने हाथ से हल्के हल्के मसलते हुए मैंने संध्या से पूछा |

“हाआाआआं भाईईईईईईईईईईईईईई” मेरे हाथ की लज्ज़त से मदहोश होते हुए संध्या ने जवाब दिया |

“तो अपनी सहेली की चूत में मेरा लौड़ा जाता देख कर क्या तुम्हारी चूत भी गरम होती थी संध्या” अपनी बहन की बात सुनकर मैंने जोश में अपने हाथ से उसकी चूत ज़ोर से मसलते हुए फिर सवाल किया |

“ओह... जीईईईईईई... भाईईईईईईईईईईईईईईई” मेरे हाथ के स्वाद से संध्या और गरम होते हुए बोली |

“तो फिर मेरी और ज़ाकिया की चुदाई देखने के दौरान तुम कया सोचा करती थी मेरी जान” अपनी बहन का जवाब सुनते ही मैंने उससे एक और सवाल पूछ लिया |

“प्लीज़ ऐसे सवाल ना करें ना मुझसे भाई” मेरे इस सवाल का डाइरेक्ट जवाब देने की बजाए संध्या ने बात टलने की कोशिश की |

“बताओ ना, मैं तुम्हारे मुँह से यह बात जानना चाहता हूँ मेरी जान” अपनी बहन की चूत के छोल्ले पर अपनी उंगली फ़ेरते हुए मैंने संध्या से दुबारा वही सवाल पूछा |

“ऑश ज़ाकिया की चुदाई देख कर मेरा दिल चाहता था, कि उसकी जगह मैं अपनी टांगें खोलकर आपके सामने लेट जाऊं, और ज़ाकिया की तरह मैं भी आपसे अपनी चूत को चुद्वा लूँ.... भाईईईईईईई” अपनी फुद्दी पर चलने वाले मेरे हाथ की गर्मी से बेहाल होते हुए संध्या ने दिल में छुपी ख्वाहिश का पहली बार अपनी ज़ुबान से इज़हार कर लिया |

इसके साथ ही संध्या ने अपने हाथ में पकड़े मेरे लौड़े की शलवार के ऊपर से ही बेशर्मी के साथ मुट्ठ लगाना शुरू कर दी |
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