Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
01-24-2019, 11:51 PM,
#2
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
Part 2

ज़ाकिया के कमरे से बाहर निकलते ही मैंने शलवार में खड़े हुए लौड़े को हाथ में थामा और ख़ुशी से झूमते हुए कहा “ले भाई तेरी तो सुन ली गई है यार”|

मेरा लौड़ा इस वक़्त पत्थर की तरह सख्त हो चूका था इसलिए मेरे लिए सब्र करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था |

थोड़ी देर बाद जब कमरे की खिड़की से मैंने ज़ाकिया को मेरी बहन संध्या के साथ घर वापिस जाता देखा तो मैंने फ़ोरन दरवाज़े को कुण्डी लगाई और अपनी शलवार उतार कर ज़ाकिया के नाम की मुट्ठ लगाने लगा |

दूसरे दिन मैं सुबह ही सुबह ज़ाकिया के इंतज़ार में बैठ गया |

मुझे यकीन था कि ज़ाकिया आएगी जरुर मगर इसके साथ मेरा अंदाज़ा यह भी था कि वो मेरी बहन संध्या के घर वापिस जाने के बाद ही मेरे पास आएगी |

लेकिन जब मैंने ज़ाकिया को संध्या के साथ ही आते देखा तो मुझे बहुत की मायूसी हुई और मेरा खड़ा लौड़ा मूत्र की झाग की तरह बैठ गया |

मैंने संध्या के हाथ से खाने के बर्तन लिए और अपनी चारपाई पर खामोशी के साथ बैठ कर खाना खाने में मशरूफ हो गया |

जबकि ज़ाकिया मेरी बहन संध्या के साथ दूसरी चारपाई पर बैठ कर गपशप करने लगी |

अभी मेरा खाना ख़तम होने में थोड़ी ही देर बाकी बची थी कि इतने में संध्या चारपाई से उठी और बोली ”भाई मुझे एक बहुत जरूरी काम याद आ गया है, इसलिए मुझे फ़ोरन ही जाना पड़ेगा, वैसे तो मेरी वापसी 10, 15 मिनिट्स में हो जाएगी, मगर आप फ़िक्र ना करें, आपके खाने के बाद ज़ाकिया बर्तनों को संभाल लेगी” | इतना कहते ही संध्या एकदम चारपाई से उठकर बाहर की तरफ चल पड़ी और जाते जाते वो कमरे के दरवाज़े को अपने पीछे से बंद करती हुई बाहर निकल गई | 

अपनी बहन को यूँ अचानक कमरे से बाहर जाता देखकर मुझे बहुत हैरत हुई और मैंने फौरन ज़ाक्या की तरफ देखा तो वो मेरी ही तरफ देखते हुए मुस्कारने लगी |

“यह क्यों इस तरह अचानक उठ कर बाहर चली गई है, क्या बताया है तुमने संध्या को” ज़ाकिया के चेहरे पर मुस्कराहट देखकर मेरा माथा ठनका और मैंने फौरन उस से पूछा |

“मैं ने कुछ नही बताया उसे, बस इतना ही कहा है कि मैंने तुमसे तन्हाई में कोई जरूरी बात करनी है, तुम जानते हो कि संध्या और मैं बहुत अच्छी सहेलियाँ है” ज़ाकिया ने मेरी बात का जवाब दिया |

“ज़ाकिया ने मेरी बहन को असल बात यक़ीनन नही बताई होगी” | ज़ाकिया के जवाब सुनते ही मैंने अपने आपसे कहा और यह बात सोचकर मेरे दिल को इत्मीनान सा हो गया |
वैसे भी असल बात यह थी कि ज़ाकिया को एक बार फिर अपने साथ कमरे में अकेला पा कर मेरे लौड़े में इतनी गर्मी चड़ गई थी कि अब मेरे दिमाग में फुद्दी लेने के इलावा किसी और बात की सोच ही खत्म हो चुकी थी | 

अभी मैं अपनी सोच में ही गुम था कि इतने में ज़ाकिया अपनी चारपाई से उठी और मेरे करीब आने लगी |

हालांकि मुझे शिद्दत से आज एक चूत की तलब हो रही थी और शायद ज़ाकिया को एक लौड़े की प्यास थी |

मगर इसके बावजूद ज़ाकिया को यूँ अपनी तरफ आते देखकर ना जाने क्यों तो मेरी सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गई और कल के मुकाबले आज मैं खुद घबरा गया |

“क्या बात है तुम इतने परेशान क्यों हो गए हो एकदम” | ज़ाकिया ने चारपाई पर मेरे करीब आकर बैठते हुए पूछा |

ज़ाकिया को यूँ अपने पास बैठा देखकर मुझे इतनी घबराहट हुई कि मैं उसे कोई जवाब नही दे पा रहा था |

“तुम कल मुझ से मेरे शोहर के बारे में पूछ रहे थे ना, तो मैं तुम्हें यह बताना चाहती हूँ कि मैं अपने शोहर को बहुत मिस कर रही हूँ अफ़ताब” ज़ाकिया ने अपने मुँह को मेरे मुँह के नज़दीक करते हुए सरगोशी की और फिर एकदम अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया | 

ज़ाकिया के होंठो को अपने होंठों से चिपकते हुए महसूस करते ही मुझे होश आया तो मैं भी ज़ाकिया के गुंदाज जिस्म को अपनी बाहों में कसते हुए उसके लबों को चूमने लगा |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईई मुझे अपने शोहर की शिद्दत से तलब हो रही है, क्या तुम मेरे शोहर की कमी को पूरा करोगे अफ़ताब” मेरी गरमजोशी को देखते हुए ज़ाकिया गरम हो गयी और उसने अपना मुँह खोल कर अपनी ज़ुबान को मेरी ज़ुबान से टकराने के दौरान मुझ से सवाल किया |

“हाँ मैंने कल भी यही कहा था कि अगर तुम मुझे मौका दो तो मैं तुम्हें तुम्हारे शोहर की कमी महसूस नही होने दूंगा मेरी जान” यह कहते हुए मैंने ज़ाकिया के होंठों पर अपने होंठों का दबाव बढ़ाते हुए उसे चारपाई पर लेटा दिया |

इसके साथ ही मैंने ज़ाकिया की मोटी गांड की पहाड़ियों पर हाथ रखते हुए उसके जिस्म को अपनी तरफ खिंचा तो उसकी चूत मेरी शलवार में अकड़े हुए मेरी लौड़े से टकरा गई |

“हाईईईईईईईईईईई क्याआआआआआ गरम और सख्त लौड़ा है तुम्हराआआआआआआ” मेरे सख्त लौड़े को यूँ अपनी प्यासी चूत से टकराते हुए महसूस कर ज़ाकिया के मुँह से सिसकी फूटी |

इधर यूँ ही हमारी क़िस्सिग का सिलसिला तेज़ हुआ तो इसके साथ ही ज़ाकिया ने अपने एक हाथ को नीचे किया और उसने मेरे सख्त लौड़े को श्लवार के ऊपर से अपनी ग्रिफ्त में लेकर किस्सिंग के दौरान ही मेरे लौड़े की मुट्ठ लगाना शुरू कर दी |

“हाआआआआआआआ” आज इतने अरसे बाद अपने तने हुए लौड़े पर किसी औरत के नर्म नाजुक हाथ महसूस करते ही मेरे मुँह से भी सिसकी निकली और मेरा लौड़ा और सख्त हो गया |

अब मैंने भी ज़ाकिया के हाथ के मज़े से होते हुए अपने हाथ को निचे ले जाकर शलवार के ऊपर से ही ज़ाकिया की गरम चूत को अपनी मुट्ठी में दबोचा तो स्वाद के मारे वो भी अपने मुँह से “ओह हाईईईईईईईईईईई” की आवाज़ें निकालने लगी |

थोड़ी देर ज़ाकिया के होंठो को चूमने और उसकी चूत को अपने हाथ से रगड़ने के बाद मैंने उसकी शलवार का नाडा खोलकर पहले उस की शलवार और फिर साथ ही उस की कमीज़ भी उतार कर चारपाई पर फैंक दी और फिर मैं ज़ाकिया से थोड़ा अलग हो कर उसके जिस्म का दीदार करने लगा |

अब कमरे में ज़ाकिया सिर्फ़ अपने ब्रेज़ियर में मेरे सामने अधनंगी पड़ी थी और मैं उसकी हल्के वालों वाली चूत और उसके ब्रेज़ियर में से छलकते अधनंगे मुम्मों का दीदार करते हुए अपने होंठों पर अपनी ज़ुबान फेर रहा था |

“अब सारा दिन यूँ ही मेरे जिस्म को ताड़ते ही रहोगे या मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल कर मेरी फुद्दी की आग को ठंडा भी करोगे” मुझे यूँ बुत बन कर प्यासी नजरों से अपनी तरफ देखती हुए पाकर ज़ाकिया बैचेनी से बोली और उसके साथ ही उस ने अपने हाथों को पीछे ले जाकर अपनी ब्रेज़ियर की हुक भी खोल दी तो उसके मोटे जवान मुम्मे पहली बार मेरी नजरों के सामने नंगे हो गए |

“चुदाई का तो अपना मज़ा होता ही है मगर किसी प्यासी औरत के जवान खुबसूरत जिस्म को ताड़ने का भी अलग ही स्वाद है मेरी जान, वैसे फ़िक्र ना करो आज तुम्हारी चूत चोदे बिना तुम्हे यहाँ से जाने नही दूंगा मैं” ज़ाकिया की बात का जवाब देते हुए मैंने अपने कपड़े उतारे और खुद भी ज़ाकिया के सामने पूरा नंगा हो गया | 

“उफफफफफफफ्फ़ तुम्हारा लौड़ा तो मेरे शोहर से भी थोड़ा मोटा और लंबा है अफ़ताब, हाईईईईईई तुम्हारी बीवी बहुत क़िस्मत वाली होगी जिसे इतना सेहतमंद और जवान लौड़ा ज़िन्दगी भर नसीब होगा” अपनी शलवार कमीज़ उतार कर मैं यूँ ही नंगा हुआ तो मेरे लौड़े को देखकर ज़ाकिया की आँखों में एक चमक आई और वो सिसकरते हुए बोल पड़ी | 

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैं आगे बढ़ा और मैंने ज़ाकिया के मोटे मुम्मों को पहली बार अपने हाथ में थाम कर प्यार से उसका मम्मा दबाते हुए एक बार फिर से ज़ाकिया के लबों का रस पीने लगा | 

मैं ने ज़ाकिया के मम्मे दबाते हुए उसके पिंक निप्पल अपने हाथों से मसलते हुए उन्हें अपनी उँगलियों में लेकर खींचा तो वो मेरे हाथ के मज़े से बेहाल होते हुए सिसकियाँ लेते हुए बोली “आअहह आहह दबाओ मेरे मुम्मम्म्मे... आहह... अफ़ताब मेरे मुम्मम्म्मे को चूसूओ” | 

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैंने फौरन अमल किया और ज़ाकिया का एक मम्मा पकड़कर उस को पागलों की तरह चूसने लग गया और साथ ही साथ उसके दूसरे मम्मे को भी अपने हाथ से दबाने लग गया और मेरे मुम्मा चूसाई के दौरान ज़ाकिया अपनी आँखें बंद करके सिसकियाँ लेती रही |

ज़ाकिया के मुम्मों को चूसते हुए मैं अपने एक हाथ से उस की फुद्दी को छुआ तो मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरी छेड़छाड की वजह से ज़ाकिया की फुद्दी पानी पानी हो रही थी |

मेरा हाथ चूत से लगते ही ज़ाकिया तो जैसे पागल हो गई और वो मेरे सर को वालों से पकड़ कर अपने मम्मों पर ज़ोर से दबाते हुए बोली “आहह बहुत मज़ा आ रहा है, मेरी चूत में अपनी उंगली डालल्ल्ल्ल्ल्लो अफ़ताब” |

ज़ाकिया की यह फरमाइश सुनते ही मैंने अपने हाथ की उंगली उस की फुद्दी में डाली और उस की फुद्दी को अपने उंगली से चोदने लगा |

अब मैं ज़ाकिया के मम्मे को चूस भी रहा था और साथ साथ ज़ाकिया की फुददी में फिंगरिंग कर रहा था और ज़ाकिया मज़े से चला रही थी “ऊऊऊओह उफफफफफफफफफफफ्फ़, हाईईईईईईई” |

ज़ाकिया की चूत में अपनी उंगली डाल कर अब मैं अपनी उंगली को गोल गोल घूमाने लगा था कि इतने में उसने मेरी हाथ को दोनो टाँगों में ज़ोर से दबाया और लंबा सा साँस ले कर अपनी आँखें बंद करते हुए ऐसे चुप हो गई जैसे उस की साँस ही रुक गई हो |

ज़ाकिया की यह हालत देख कर एक बार तो मैं भी घबरा गया | मगर जब मैंने देखा कि वो अपने होंठ दाँतों में दबा रही है तो मैं समझ गया कि उस को मेरी ऊँगली से अपनी चूत चुदवाते हुए मज़ा आ रहा है | 

कुछ देर बाद ज़ाकिया के मुम्मे से मुँह हटा कर मैं चारपाई से उठ कर ज़मीन पर बैठ गया |

ज़मीन पर बैठते ही मैं ने चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की टांगों को अपने हाथों से चौड़ा किया और एकदम से अपने मुँह को आगे करते हुए अपनी गरम ज़ुबान को चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की पानी छोडती चूत के लबों के दरमियाँ रख दिया |

“ओह यह कियआआआ मज़ा दिया है तुम ने मुझे” अपनी चूत से मेरी गरम ज़ुबान लगते ही ज़ाकिया तडप कर एकदम चारपाई से उछली |

इसके साथ उसने अपने हाथ से मेरे मूँह को हटाते हुए अपनी टाँगों को भींचने की कोशिश की |

लेकिन मैंने उसके दोनो हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए और अपने मुँह को ज़ोर से उस की चूत पर प्रेस करते हुए अपनी ज़ुबान उस की चूत के अंदर डाल दी |

ज़ाकिया की गरम फुद्दी मुझे पागल कर रही थी | इसलिए अब मैं चारपाई से नीचे ज़मीन पर बैठ कर चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की चूत को मज़े ले ले कर चाटने मैं मसरूफ़ हो गया |

मेरी ज़ुबान के मज़े से बेहाल होते हुए अब ज़ाकिया ने मुझे सिर से पकड़ा हुआ था और मैं बहुत मज़े से ज़ाकिया की फुददी चूस रहा था |

जबकि ज़ाकिया चारपाई से ऊपर उछल उछल कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर ज़ोर ज़ोर से मारते हुए सिसकियाँ निकाल रही थी “आआआ, हाए, हहियीईई” |

थोड़ी ही देर की चूत चटाई के बाद ज़ाकिया का जिस्म ज़ोर ज़ोर से काँपने लगा और उसकी चूत से पानी का एक झरना बहता हुआ पूरा का पूरा मेरे मूँह में उतर गया और वो फारिग हो गई |

ज़ाकिया को अपने मुँह के मज़े से फारिग करवाते ही मैं एकदम ज़मीन से उठकर चारपाई के साथ खड़ा हुआ और बोला ”अब मैं नीचे लेटता हूँ और तुम मेरे ऊपर बैठ कर मेरे लौड़े को अपनी फुद्दी में डालो”

ज़ाकिया से यह बात कह कर मैं चारपाई पर लेट गया तो मेरा लौड़ा तन कर ऊपर छत की तरफ देखने लगा |

मेरी बात पर अमल करते हुए ज़ाकिया मेरे ऊपर चढ़ गई और फिर अपने जिस्म को ढीला छोड़ते हुए नीचे को हुई तो नीचे से मेरा तना हुआ लौड़ा आहिस्ता आहिस्ता ज़ाकिया की गरम चूत में समाने लगा |

“हाईईईईईईईईईई क्याआ मज़ेदार लौड़ा है तुम्हारा, उउफफफ्फ़ क्या बताऊं कितना मज़ा आ रहा हाईईईईईईई मुझे”

सिसकियाँ लेती ज़ाकिया आहिस्ता आहिस्ता मेरे लौड़े पर बैठ गई तो मेरा लौड़ा उसकी फुद्दी में पूरे का पूरा समा गया |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ किय्आआआआ गरम और तंग चूत है तुम्हारीईईईईईईईईईईईईईईईईईई” इतने महीनो बाद मेरे लौड़े को भी जब एक गरम चूत का स्वाद मिला तो मज़े के मारे मैं भी सिसका उठा |

मेरे लौड़े को अपनी चूत में लेते ही, हवस के मारे ज़ाकिया इतनी गरम हुई कि अब वो मेरे लौड़े पर बैठ कर तेज़ी के साथ ऊपर नीचे होने लगी और अपनी चूत को पागलों की तरह मेरे तने हुए लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारने लगी |

जिस की वजह से उसके मोटे बड़े मुम्मे हवा में इधर उधर उछलने लगे |

ज़ाकिया के इस जोश और उसके हवा में उछलते मुम्मे देख कर मुझे भी जोश आया और मैंने भी उसके बड़े मुम्मों को अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए अपनी गांड को चारपाई से उठा उठा कर नीचे से उस की चूत में अपना लौड़ा घुसाना शुरू कर दिया |

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैं आगे बढ़ा और मैंने ज़ाकिया के मोटे मुम्मों को पहली बार अपने हाथ में थाम कर प्यार से उसका मम्मा दबाते हुए एक बार फिर से ज़ाकिया के लबों का रस पीने लगा | 

मैंने ज़ाकिया के मम्मे दबाते हुए उसके पिंक निप्पल अपने हाथों से मसलते हुए उन्हें अपनी उँगलियों में लेकर खींचा तो वो मेरे हाथ के मज़े से बेहाल होते हुए सिसकियाँ लेते हुए बोली “आअहह आहह दबाओ मेरे मुम्मम्म्मे... आहह... अफ़ताब मेरे मुम्मम्म्मे को चूसूओ” | 

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैंने फौरन अमल किया और ज़ाकिया का एक मम्मा पकड़कर उस को पागलों की तरह चूसने लग गया और साथ ही साथ उसके दूसरे मम्मे को भी अपने हाथ से दबाने लग गया और मेरे मुम्मा चूसाई के दौरान ज़ाकिया अपनी आँखें बंद करके सिसकियाँ लेती रही |

ज़ाकिया के मुम्मों को चूसते हुए मैं अपने एक हाथ से उस की फुद्दी को छुआ तो मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरी छेड़छाड की वजह से ज़ाकिया की फुद्दी पानी पानी हो रही थी |

मेरा हाथ चूत से लगते ही ज़ाकिया तो जैसे पागल हो गई और वो मेरे सर को वालों से पकड़ कर अपने मम्मों पर ज़ोर से दबाते हुए बोली “आहह बहुत मज़ा आ रहा है, मेरी चूत में अपनी उंगली डालल्ल्ल्ल्ल्लो अफ़ताब” |

ज़ाकिया की यह फरमाइश सुनते ही मैंने अपने हाथ की उंगली उस की फुद्दी में डाली और उसकी फुद्दी को अपने उंगली से चोदने लगा |

अब मैं ज़ाकिया के मम्मे को चूस भी रहा था और साथ साथ ज़ाकिया की फुददी में फिंगरिंग कर रहा था और ज़ाकिया मज़े से चिल्ला रही थी “ऊऊऊओह उफफफफफफफफफफफ्फ़, हाईईईईईईई” |

ज़ाकिया की चूत में अपनी उंगली डाल कर अब मैं अपनी उंगली को गोल गोल घूमाने लगा था कि इतने में उसने मेरी हाथ को दोनो टाँगों में ज़ोर से दबाया और लंबा सा साँस ले कर अपनी आँखें बंद करते हुए ऐसे चुप हो गई जैसे उसकी साँस ही रुक गई हो |

ज़ाकिया की यह हालत देख कर एक बार तो मैं भी घबरा गया | मगर जब मैंने देखा कि वो अपने होंठ दाँतों में दबा रही है तो मैं समझ गया कि उसको मेरी ऊँगली से अपनी चूत चुदवाते हुए मज़ा आ रहा है | 

कुछ देर बाद ज़ाकिया के मुम्मे से मुँह हटा कर मैं चारपाई से उठ कर ज़मीन पर बैठ गया |

ज़मीन पर बैठते ही मैं ने चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की टांगों को अपने हाथों से चौड़ा किया और एकदम से अपने मुँह को आगे करते हुए अपनी गरम ज़ुबान को चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की पानी छोडती चूत के लबों के दरमियाँ रख दिया |

“ओह यह कियआआआ मज़ा दिया है तुमने मुझे” अपनी चूत से मेरी गरम ज़ुबान लगते ही ज़ाकिया तडप कर एकदम चारपाई से उछली |

इसके साथ उसने अपने हाथ से मेरे मूँह को हटाते हुए अपनी टाँगों को भींचने की कोशिश की |

लेकिन मैंने उसके दोनो हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए और अपने मुँह को ज़ोर से उसकी चूत पर प्रेस करते हुए अपनी ज़ुबान उसकी चूत के अंदर डाल दी |

ज़ाकिया की गरम फुद्दी मुझे पागल कर रही थी | इसलिए अब मैं चारपाई से नीचे ज़मीन पर बैठ कर चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की चूत को मज़े ले ले कर चाटने में मसरूफ़ हो गया |

मेरी ज़ुबान के मज़े से बेहाल होते हुए अब ज़ाकिया ने मुझे सिर से पकड़ा हुआ था और मैं बहुत मज़े से ज़ाकिया की फुददी चूस रहा था |

जबकि ज़ाकिया चारपाई से ऊपर उछल उछल कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर ज़ोर ज़ोर से मारते हुए सिसकियाँ निकाल रही थी “आआआ, हाए, हहियीईई” |

थोड़ी ही देर की चूत चटाई के बाद ज़ाकिया का जिस्म ज़ोर ज़ोर से काँपने लगा और उसकी चूत से पानी का एक झरना बहता हुआ पूरा का पूरा मेरे मूँह में उतर गया और वो फारिग हो गई |

ज़ाकिया को अपने मुँह के मज़े से फारिग करवाते ही मैं एकदम ज़मीन से उठकर चारपाई के साथ खड़ा हुआ और बोला ”अब मैं नीचे लेटता हूँ और तुम मेरे ऊपर बैठ कर मेरे लौड़े को अपनी फुद्दी में डालो”

ज़ाकिया से यह बात कह कर मैं चारपाई पर लेट गया तो मेरा लौड़ा तन कर ऊपर छत की तरफ देखने लगा |

मेरी बात पर अमल करते हुए ज़ाकिया मेरे ऊपर चढ़ गई और फिर अपने जिस्म को ढीला छोड़ते हुए नीचे को हुई तो नीचे से मेरा तना हुआ लौड़ा आहिस्ता आहिस्ता ज़ाकिया की गरम चूत में समाने लगा |

“हाईईईईईईईईईई क्याआ मज़ेदार लौड़ा है तुम्हारा, उउफफफ्फ़ क्या बताऊं कितना मज़ा आ रहा हाईईईईईईई मुझे”

सिसकियाँ लेती ज़ाकिया आहिस्ता आहिस्ता मेरे लौड़े पर बैठ गई तो मेरा लौड़ा उसकी फुद्दी में पूरे का पूरा समा गया |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ कियआआआआ गरम और तंग चूत है तुम्हारीईईईईईईईईईईईईईईईईईई” इतने महीनो बाद मेरे लौड़े को भी जब एक गरम चूत का स्वाद मिला तो मज़े के मारे मैं भी सिसका उठा |

मेरे लौड़े को अपनी चूत में लेते ही, हवस के मारे ज़ाकिया इतनी गरम हुई कि अब वो मेरे लौड़े पर बैठ कर तेज़ी के साथ ऊपर नीचे होने लगी और अपनी चूत को पागलों की तरह मेरे तने हुए लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारने लगी |

जिसकी वजह से उसके मोटे बड़े मुम्मे हवा में इधर उधर उछलने लगे |

ज़ाकिया के इस जोश और उसके हवा में उछलते मुम्मे देखकर मुझे भी जोश आया और मैंने भी उसके बड़े मुम्मों को अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए अपनी गांड को चारपाई से उठा उठा कर नीचे से उस की चूत में अपना लौड़ा घुसाना शुरू कर दिया |

अब कमरे में आलम यह था कि ज़ाकिया मेरे लौड़े पर बैठ कर ज़ोरदार तरीके से ऊपर नीचे हो रही थी |

जबकि मैं अपनी गांड को उठा उठा कर नीचे से अपनी बहन की सहेली की ज़ोरदार तरीके से चुदाई कर रहा था |

ज़ाकिया की मोटी गांड के मेरे टांगों से टकराने और नीचे से मेरा लौड़ा भी ज़ोरदार तरीके से उसकी फुद्दी में घुसने की वजह से “थप थप” की आवाज़ें कमरे में गूंज गूंज कर हम दोनो के जोश में इज़ाफा कर रही थीं |

थोड़ी देर ज़ाकिया को इस तरीके से चोदने के बाद मैं बोला “अब तुम नीचे लेटो और मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ कर तुम्हारी फुद्दी को चोदुंगा मेरी जान” |
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