non veg story रंडी खाना
01-23-2019, 12:55 PM,
#32
RE: non veg story रंडी खाना
“देख मेरी आंखों में मैं तो दुनिया में सबसे ज्यादा तुझसे ही प्यार करता हु ..फिर ये गलत कैसे हुआ मेरी बहन ...क्या तू भूल गई उस दिन को अगर काजल नही आती तो हम एक ही हो जाते ….है ना “
मेरी बात से वो बहुत ही शांत हो गई थी लेकिन अब भी उसके हाथ चाकू पर मजबूती से बंधे हुए थे ..
वो एक सोच में पड़ गई थी जिसने मुझे एक मौका दिया ..
“अगर तुझे मेरी बात पर यकीन नही तो मेरे कमरे में चल ,मैं तुझे पूर्वी और काजल से भी ज्यादा प्यार करता हु ,मैं तुझे सब से ज्यादा प्यार करता हु “
मैं एक उमंग में बोल गया ,मैंने अपने बात में पूरी तरह से फिलिंग भरी क्योकि मैं नही चाहता था की उसे मेरे झूट का पता चले ,
“सच्ची ..”उसकी आवाज में एक अद्भुत भोलापन था 
“आप झूट तो नही बोल रहे हो “
वो धीरे से बोली 
“पागल मेरी बात तुझे झूट लग रही है ..मेरे गले से लग के देख ..आ मेरे पास आ “
वो अब भी झिझक रही थी ,मैं उसके पास नही जा रहा था क्योकि वो हड़बड़ाहट में कोई गलत कदम भी उठा सकती थी ..
“आना ...अपने भाई पर तुझे भरोषा नही है ,मैं तो सोचता था की तुम मुझे बहुत प्यार करती हो लेकिन तुम्हे तो मुझपर भरोषा ही नही है …”मैंने रूठने की एक्टिंग की 
“और जब भरोषा ही नही है तो छोड़ो मैं जा रहा हु “
ये बोलते हुए मेरे दिल की धड़कने भी रुक गई थी क्योकि मैं वँहा से नही जाना चाहता था लेकिन निशा को ये बोलना पड़ा ,अगर वो कोई प्रतिक्रिया नही करती तो मेरे लिए सचमे एक मुसीबत खड़ी हो जाती ..मैं थोड़ा मुड़ने को हुआ 
“नही …”
निशा की आवाज ने मुझे हिम्मत दी मैं झट से उसकी ओर हुआ 
“नही मैं आपके ऊपर भरोषा करती हु भइया “
उसके आंसू सुख चुके थे वो अभी अभी नार्मल कंडीसन में नही आयी थी और मुझे अभी उसे नार्मल नही करना था अभी तो मुझे उसके हाथ से वो चाकू छुड़वाना था 
“तो आ मेरे गले लग जा ,वरना मैं चला “
वो मेरे आंखों में देखने लगी जैसे मुझे नाप रही हो …
“सच में तू मुझसे प्यार वयार नही करती ,सब दिखावा है तेरा “
मैं हल्के गुस्से में बोला ताकि उसके दिल में बात लगे और वो तुरंत कुछ ऐसा करे जिससे मुझे मौका मिल जाए ,
“नही भइया मैं आपसे बहुत प्यार करती हु “
वो मेरी ओर बड़ी और मैने उसे खीचकर अपने सीने के लगा लिया ,जैसे एक ज्वालामुखी फटा हो वो जोरो से रोने लगी ,मुझसे लिपटे हुए उसके आंसुओ से मेरे कपड़े भीगने लगे थे मैंने उसे अपने सीने से ऐसे कसा था जैसे मैं उसे अपने अंदर समाना चाहता था ,मैं जानता था की उसके लिए रोना कितना जरूरी था,,,मैंने उसके हाथो से वो चाकू निकाल कर दूर रख दिया और उसे जकड़कर बस वही बैठ गया ,उसका रोना बंद नही हुआ लेकिन उसने मेरे गालो में चुम्बनों की बरसात ही कर दी ,उसके थूक से मेरा पूरा चहरा गीला हो गया था,वो मुझे पागलो की तरह चूम रही थी ..
“I LOVE YOU BHAIYA ...I LOVE YOU BHAIYA..I LOVE YOU BHAIYA,....I LOVE YOU BHAIYA...I LOVE YOU BHAIYA...I LOVE YOU BHAIYA ...I LOVE YOU BHAIYA..I LOVE YOU BHAIYA,....I LOVE YOU BHAIYA...I LOVE YOU BHAIYA “ 
वो बोलते हुए थक भी नही रही थी और मुझे चूमे जा रही थी उसके मुह से बस एक ही बात निकल रही थी ,मैंने तो जैसे उसके सामने खुद को सिलेंडर ही कर दिया था ,जब वो रुकी तो मैंने फिर से उसे जोरो से जकड़ा ,मैं उसे उठाकर अपने कमरे में ले गया और बिस्तर में डाल दिया ,उसके आंखों में अब भी आंसू थे ,मैं उसके बाजू में सोया और उसे जकड़ लिया ,वो फिर से मुझे चूमने लगी ..
“भइया क्या आप सच कह रहे हो सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते हो …”
मैं मुस्कुराया 
“कैसे साबित करू ,इतना भी यकीन नही है अपने भइया पर “
वो मुझसे लिपट गई 
“नही भइया मैं बस आपको खोना नही चाहती “
“दुनिया की कोई ऐसी ताकत है क्या जो मुझे मेरी बहन से जुदा कर दे ...और तुझे काजल और पूर्वी से क्या डर है ,क्या तुझे लगता है की उनके कारण मैं तुझसे अलग हो जाऊंगा ,अरे पागल तू मेरी है और मैं तेरा हु,तूने ऐसा सोच भी कैसे लिया की काजल और पूर्वी तुझे मुझसे अलग कर देंगे ,,,क्या तुझे मेरे प्यार में विस्वास ही नही है “
ना जाने कब मैं एक्टिंग करते करते सच बोलने लगा था,मेरी हर बात मानो मेरे दिल से आ रही थी और मेरे आंखों का वो आंसू भी झूठा नही था जो अभी अभी मेरे आंखों से गिरा था …
“मुझे माफ कर दो भइया मैं आपको समझ ही नही पाई “
मैंने उसे फिर से जकड़ लिया ,वो सुबकते हुए ही मेरे सीने में समाई हुई सोने लगी थी ,वो मानसिक थकान उसके ऊपर हावी हो गया था और वो धीरे धीरे नींद के आगोश में जा रही थी ...मेरे दिल में आया की मैं उसके होठो को चूम लू लेकिन आज वो सही समय नही था ,मुझे अपनी बहन की बेहद ही फिक्र हो रही थी ,जिस तरह की मानसिक स्थिति उसकी थी वो प्यार से ज्यादा पागलपन बन चुका था ,मुझे पहले अपने प्यार के बल में ही उसे सही करना था और मैं इसके लिए कुछ भी करने को तैयार था……...

“हद हुई है, अब हुई है, जीने मरने दीजिये,..
.छोड़कर दुनिया मुझे वैरागी बनने दीजिए,
घूम आया हुआ फ़क़त दुनिया की सारी भीड़ में ,भीड़ ही मैं बन न जाऊ , कुछ अपना सा करने दीजिये ………”
दिल से निकली एक शायरी जो ना जाने क्यो दिल के किसी कोने से निकल आयी ,
निधि अब भी मेरी बात को ध्यान से सुन रही थी ,उसने हाथ से अपना चहरा ठिका रखा था और उसकी निगाहे मुझे ही देख रही थी ,हम टेबल में बैठे हुए थे मेरे सामने नाश्ता लगा हुआ था लेकिन मेरे अंदर के कुछ निकलने को बेताब हो रहा था,पूर्वी और निशा दिनों ही मेरी बातो को ध्यान से सुन रहे थे…
“भइया आप क्यो बैरागी बनोगे ?/”
पूर्वी का स्वाभाविक सा प्रश्न था,
“बस कुछ अब सो जाना चाहता हु ,सब कुछ छोड़कर ..”
“ऐसा क्यो बोल रहे हो “निशा चौकी 
“क्या बोल रहा हु”
“क्या छोड़ना चाहते हो आप ,अपनी जिम्मेदारियां ??
या हमे ..”
उससे पहले की निशा की आंखों में आंसू आ जाए मैं हँस पड़ा ..
“पागल हो तुम लोग तुम्हे क्यो छोड़ने लगा मैं ,मैं तो सोच रहा था की काम बहुत हो गया,क्यो ना कही छुट्टी मनाने चले ..”
देखते ही देखते मेरी दोनो परियों के चहरे खिल गए ,
“वाओ भइया यकीन नही होता की आप ऐसा बोल रहे हो “पूर्वी बोल पड़ी 
“क्यो ?? क्यो यकीन नही होता “मैं चौका 
“अरे आप तो वर्कोहोलिक(जिसे काम का नशा हो ) हो,मुझे लगा था की आप कभी छुट्टी नही लेते “पूर्वी फिर से बोल पड़ी लेकिन इस बार उसके होठो में मुस्कान थी ,
“तो डिसाइड करो की कहा जाना है मैं शाम को मिलता हु “
दोनो ही खुस हो गए …

“जगह तो अच्छी है लेकिन तुम जानते हो की मैं नही जा पाऊंगी “
काजल ने फोन में ही अपनी मजबूरी जाता दी ,मैं जानता था की वो नही जा पाएगी ...इसीलिए तो ये प्लान किया था ..
“ओके जान लेकिन मैं बहनों को प्रोमिश कर चुका हु “
“ठीक है जानू ,आप सब चले जाओ 3 दिनों की ही तो बात है,ऐसे भी अभी मेरे पास बहुत सा काम है”
काजल ने एक गहरी सांस छोड़ी जैसे सच में काम से बहुत थक गई हो……


“तो तुम तैयार हो क्या सोचा तुमने “
मैं रश्मि के केबिन में बैठा था ,
“मेरा जवाब हा है ,”
मेरे जवाब से वो सुबह के फूलो की तरह से खिल गई 
“थैंक्स देव “वो उठी और मेरे गले से लग गई ,पहली बात मैं उसके इतने पास था ,उसके बदन से आते हुए खुसबू ने मुझे बहुत शुकुन पहुचाया और मैं उसे एक अपनत्व का अहसास दिलाने हल्के से जकड़ लिया,ऐसा लग ही नही रहा था की वो मेरी बॉस है बल्कि ये लग रहा था की वो मेरी दोस्त है ,
“तो पेकिंग करना शुरू करो “
वो उछलते हुए बोली जैसे की बच्ची हो 
“डोंट वरी वो आज ही हो जाएगा और कल से 3 दिनों के लिए मैं केशरगढ़ में “
वो बहुत ही खुस लग रही थी ,
“जानते हो ना तुम्हे किससे मिलना है …तुम उनसे मिल चुके हो “
उसने मुझे याद दिलाया 
“हा जानता हु,डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवादवाले ...उर्फ डॉ चुतिया से……. “
रश्मि का चहरा खिल चुका था ………...
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