RE: non veg story रंडी खाना
मैं करीब रात 9 बजे घर आया,मुझे 8 बजे ही काजल का मेसेज मिल गया था की वो आज घर नही आ रही है,,,आजकल काजल मुझे पहले से ही मेसेज कर देती है,उसने मुझसे बहुत सी बाते छुपानी छोड़ दी है,लेकिन जो वो छुपती है मैंने उसे पूछना भी बंद कर दिया,मेरे लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट अब ये सब जल्द से जल्द खत्म कर एक आरामदायक जिंदगी जीना था,मैं एक नार्मल सा इंसान हु जो की जिंदगी की ज्यादा उथल पुथल को सह नही पाता,मुझे शांति चाहिए थी,मुझे एक आम जीवन जीना था ,लेकिन अब वो पूरी तरह से संभव नही रहा,
मैं उन मर्दो में नही हु जो की अपनी बीबी को अपना गुलाम समझते है और किसी और मर्द से साथ कल्पना भी नही कर सकते ,ना मैं ऐसे मर्दो में शामिल हु जो की अपनी बीबी के गुलाम है और उसे किसी दूसरे मर्दो के साथ देखकर उत्तेजित हो जाते है जिसे हम CUCKOLD कहते है...मैं दोनो ही तरह का नही हु ना ही दोनो के बीच का ही हु …
मैं अपनी बीबी से अपने परिवार से बेपनाह प्यार करता हु ,लेकिन मैं उनका गुलाम नही हु,मैं अपनी बीबी या बहनों को किसी मर्द के साथ नही देख सकता लेकिन अगर वो मजबूर हो या अपनी इच्छा से किसी कारण से ये कर रहे हो तो मैं उनके विरोध में भी नही जा सकता…..शायद इसी लिए मैं इतना परेशान था,अगर मैं दोनो में से एक होता तो मेरे लिए ये सब सहन करना ज्यादा मुश्किल नही था,मैं या तो काजल को मार चुका होता या तलाक दे चुका होता,या उसकी चुदाई देख कर हिला रहा होता,लेकिन मैं इनमें से कुछ भी नही कर रहा था……
घर में मेरा स्वागत हमेशा की तरह मेरी बहनों ने बड़े प्यार से किया ,जब उन्हें पता चला की आज काजल नही आ रही है तो दोनो के चहरे खिल गए …
“मतलब आज हम आपके साथ सोएंगे..”मेरी प्यारी पूर्वी ने बड़े चहक के कहा
“तुम मेरे साथ क्यो मैं तुम्हारे साथ सो जाता हु “
“मतलब “पूर्वी को मेरी बात समझ नही आयी थी
“मलतब मेरी बहना रानी की मैं तुम्हारे कमरे में सो जाता हु “
मेरे इस बात से दोनो ने एक दूसरे को देखा,जैसे की कोई शॉक लग गया हो ..
“नही नही भइया हम आपके ही कमरे में सोएंगे “निशा ने जल्दी से कहा,उसके चहरे में एक डर साफ झलक रहा था,मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई थी,क्योकि काजल ने मुझे कुछ ऐसा पहले ही बता दिया था जिसके कारण ये मुझे अपने कमरे से दूर ही रखना चाह रही थी ,लेकिन काजल ने ये भी कहा था की अगर मैं सब कुछ ठीक करना चाहता हु तो मुझे अपने इमोशन पर काबू करना होगा ,मैंने कुछ दिनों की प्रेक्टिस से अपने चहरे का भाव बदलने और उसे छुपाने की थोड़ी खूबी तो हासिल कर ही ली थी ,जिसका उपयोग मैं आज रश्मि के सामने करके आया था,
“क्या हुआ “मैंने जोर दिया
“वो क्या है भइया हमारे कमरे का बिस्तर बहुत छोटा है 3 लोग कैसे आएंगे,,और समान भी इधर उधर पड़ा हुआ है आप देखोगे तो डाटोगे …”
पूर्वी ने जल्दी जल्दी से कहा ,
वाह रे मेरी प्यारी बहना ,कितने सफाई से झूट बोल रहे हो ,उनके इस झूट में भी मुझे बड़ा प्यार आया और आंखों में आंसू ही आ जाते लेकिन मैंने खुद को सम्हाल लिया,मेरी मासूम सी पूर्वी को ना जाने क्या क्या सहना पड़ रहा था ,वो किसी को बचाने के लिए कितने आराम से झूट बोल रही थी ,लेकिन उसकी आंखे ……..
वो अभी भी उतनी ही मासूम थी और उसकी आंखों अब भी सच बोल रही थी ,उसकी आंखों में डर और झूट से आयी हुई ग्लानि साफ साफ झलक रही थी ,लेकिन मैंने उन्हें कुछ भी नही कहा…
“ओके चलो ठीक है तैयार होकर मेरे कमरे में आ जाओ “
“जी भइया दोनो ही एक साथ खड़े हो गए “
मैं अपने कमरे में सोया हुआ आने वाले भविष्य की संभावनाएं तलाश रहा था की दोनो परिया मेरे कमरे में दाखिल हुई..
दोनो के ऊपर काजल का प्रभाव साफ साफ झलक रहा था ,उनके ये कपड़े काजल की ही पसंद के थे ,लेकिन काजल इन्हें मुझे या पता नही किसे किसे उत्तेजित करने के लिए पहना करती थी ,वो कपड़े मेरी बहने मेरे साथ सोने के लिए ही पहन कर आ जाती थी …
मुझे इस बात पर हँसी भी आयी और उनके हुस्न को देखकर मैं उनपर मोहित भी हो गया,खासकर पूर्वी के लिए मेरे दिल में बहुत ही प्यार उमड़ जाता था,नई नई कली की तरह उनखिली हुई मेरी पूर्वी मासूमियत और चंचलता से भरी हुई थी,और मेरे लिए उसका असीम प्यार उसकी आंखों से ही झलक जाता था,वही निशा उसके अपेक्षा जिस्म से कही ज्यादा भरी हुई थी ,और किसी भी मर्द की पहली पसंद निशा ही होती लेकिन निशा में वो मासूमियत नही थी जो की पूर्वी के हर एक अदा से झलकती थी..
हमेशा की तरह ही दोनो मेरे आजु बाजू आकर लेट गए और पूर्वी ने मुझे अपनी बांहो में कस लिया ,उसकी कोमलता और कोमल स्तन और उसका चहरा मेरे सीने में आ धसे ..वही निशा का चहरा मेरे चहरे के पास ही था वो मुझे ही देख रही थी,वो मुझसे ऐसे सटी हुई थी की उसके स्तन मेरे कोहनियों से लग रहे थे,मैं भी उसपर जोर दे देता ,वो अपने बांहो को मेरे गले से लपेट ली ,वो मेरे ऊपर आना चाहती ही लेकिन वँहा पहले से ही पूर्वी का राज था,उसका मेरे ऊपर अधिकार पूर्वी के बाद ही आता था...वो इंतजार करने लगी की कब पूर्वी नींद में चली जाय,और उसे उसके कमरे में छोड़ कर आया जाय..
उसके चहरे में पूर्वी के लिए थोड़े गुस्से का भाव आ गया ,जिसे मैं आसानी से पढ़ सकता था,जिससे मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई..
“वो छोटी है रे “
मैंने उसके कानो में कहा
“तो क्या हमेशा आपके ऊपर चढ़ जाती है ,मुझे जगह ही नही मिलता “
उसने रूठने वाले स्वर में कहा ,
“तो क्या हुआ बेचारी जल्दी सो भी तो जाती है,फिर तो तू ही पूरी रात मेरे ऊपर चढ़े रहना “
मुझे अपनी ही बात पर हँसी आ गई क्योकि हम ये क्या बोल रहे थे..
“हम्म इसीलिए तो इसे कुछ नही बोलती “निशा ने मेरे गालो में एक किस करते हुए कहा …..
ना जाने ऐसे ही मेरी नींद कब लग गई ,शायद मैं आज इतना चला था की थक चुका था,नींद टूटी किसी कोमल होठो के अहसास से जो की मेरे होठो को छू रहा था,उस होठ का गीलापन मेरे होठो से मिल रहा था,मैंने हल्के से ही आंखे खोली,ये निशा थी जो मुझे सोता हुआ पाकर मेरे होठो को हल्के हल्के चूम रही थी ,उसने पूर्वी को उसके कमरे में रुला दिया था,मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही रहा लेकिन फिर मैंने अपना हाथ उसके कमर से लपेट लिया..
वो ऐसे हड़बड़ाई जैसे की उसकी चोरी पकड़ी गई हो
“क्या हुआ मेरी जान ,क्या कर रही हो “
मैंने निशा को छेड़ा
“सॉरी भइया “वो झेप सी गई
मैंने अपना हाथ उसके कमर के नीचे रखा मुझे उसके सुडौल गोल गोल नितम्भो का आभास हो रहा था,उसकी नाइटी थी ही इतनी झीनी सी की मुझे उसकी पेंटी के इलास्टिक तक का पता चल रहा था ,मेरे इस हरकत से वो भी थोड़ी मचली,उसने मुझसे दूर हटने की बजाय और मुझसे चिपक गई………
उसका सर मेरे गालो के पास था,जबकि उसकी कमर मेरे कमर के ऊपर, उसके बड़े मुलायम वक्ष मेरे सीने से दबे हुए थे, उसके शरीर की गर्मी मेरे बदन में घुलने लगी थी….
मैं बिना किसी रोक टोक के उसके नितम्भो को सहला रहा था, वो हल्की आई आहों के साथ मुझसे और सटने की कोसिस कर रही थी,या शायद मेरे सीने से अपने वक्षो को सहला रही थी, उसकी इस हरकत से मेरे लिंग में भी एक हरकत आ गई,
मैं अपनी सगी छोटी बहन के साथ था, और मेरा लिंग अकड़कर उसके जांघो के बीच रगड़ खा रहा था…
ना जमाने की ना ही इस पवित्र रिश्ते की कोई भी परवाह मेरे मन मे बची थी, अब हम दोनो बस जिस्म रह गए थे,एक लड़की और एक लड़के का जिस्म,जो मिलन को बेकाबू होने लगे थे…
मेरे हाथो का दबाव उसके नितम्भोपर और भी जोरो से बढ़ता जा रहा था ,मैं उसे मसल ही रहा था, वो भी बेकाबू हो रही थी, उसकी सांस उखड़ने लगी थी, वो अपने गालो को मेरे दाढ़ी के कारण थोड़े खुरदुरे गालो में रगड़ने लगी थी,शायद उससे उसे कोई दर्द सा उठा और वो अपने चहरे को मेरे चेहरे के पास लायी…
उसकी आंखें थोड़ी बंद सी हो गई थी,बिखरे बाल ,अध खुली आंखे और माथे में आया पसीना ...वो पूरी तरह से वासना के गिरफ्त में मतवाली हो चुकी थी..
हमारी आंखे मिली और साथ ही होठ भी मिल गए…
इसबार मैंने उन्हें चूसने में कोई कमी नहीं दिखाई,जब मेरे और निशा के होठो ने एक दूजे के थूक से खुद को मिला लिया था,और उस गीलेपन से उठाने वाले आनन्द में हम दोनो ही मगन हो गए थे ठीक उसी समय निशा के जांघो के बीच मेरा तना हुआ लिंग भरपूर मालिस कर रहा था,और उसकी नाइटी उसके कमर से ऊपर हो चुकी थी जिससे मेरे हाथ सीधे उसके नितम्भो को उसकी पेंटी के ऊपर से ही पूरी तरह से महसूस कर पा रहे थे,वही उसकी पैंटी के आगे के भाग जो अपने में उसकी कोमल योनि को छुपाए हुए थे,वो गिला होकर मेरे निकट को सामने से गीला कर रहा था……
हवस….हवस ,वासना ,काम ये आग ही ऐसी है जो सभी मर्यादाओ और रिस्तो को भुला देती है,निशा मेरी छोटी बहन ,वही निशा जिसे मैंने बचपन से खिलाया था,अपने बांहो में उठाया था,एक बाप के रूप में जिसकी मैं परवरिश कर रहा था,जो मुझे अपना भगवान मानती थी,जिसके लिए मैं ही सबकुछ था,वही निशा मेरे नीचे थी और मैं एक मर्द बना हुआ उसके स्त्री के जिस्म को मसले जा रहा था,और वो भी इसके आनद में डूब रही थी ,मर्यादाओ को बचाने एक दीवार हमारे बीच थी जो कपड़ो के रूप में थी,हमारे अंतःवस्त्रों के रुप में थी,मेरे हाथ अब उनतक भी पहुचने लगे थे,मैं उस इलास्टिक को अपने उंगलियों से फंसाकर उसे नीचे करने की कोशिस कर रहा था ,वो भी उसके कमर को छोड़कर नीचे होने लगे थे,उसके नितम्भ अब पूरी तरह से आजाद थे,उसकी कोमल गोलाइया मेरे हाथो में सामने लगे थे,मैं उन्हें उसे भी नीचे कर रहा था,जिससे उसके सामने का भाग भी नंगा होने लगा,उसके योनि के बालो का अहसास मुझे होने लगा था,
“भइया ऊह “वो मचलने लगी शायद उसे भी पता था की इस तूफान का क्या अंत होने वाला है,सभी मर्यादाओ का अंत,और दो नंगे जिस्मो का मिलन जो की सिर्फ जिस्म होंगे ,बिना रिस्तो के किसी बंधन के,उसकी पेंटी कमर से उतर कर जांघो तक पहुच गई थी और उसने थोड़ी मेहनत करके उसे अपने पैरो से नीचे उतार दिया,लेकिन अभी भी मैं निकर में ही था,जिसे उतारने की शुरूवार निशा ने ही की,वो मेरे निकर के दोनो छोरो को पकड़कर उसे नीचे खिंचने लगी और आहिस्ता आहिस्ता मेरे जिस्म में बस एक अंडरवियर ही बच गया था,जिसमे से मेरा कड़ा लिंग उसके नंगे यानी में रगड़ खा रहा था और उसे और भी उत्तेजित कर रहा था,मेरे अंडरवियर का आगे का भाग उसके कामरस और मेरे प्रिकम से बुरी तरह से गीला हो चुका था….
इधर हमारे होठो में एक दूसरे के होठो से मानो जंग ही छेड़ दी थी ,जैसे जैसे हमारे कपड़े उतरे थे वैसे वैसे ही हम और उत्तेजित होकर एक दूसरे पर आक्रामक रूप से टूट पड़े थे,बस एक आखरी दीवार हमारे सामने थी जिसका भी कोई भरोषा नही की वो कब हट जाए,..
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