RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
नहियीईईईईई…एक तेज़ चीख निकली और ड्रॅक्यूला का शरीर धीरे धीरे धुए में तब्दील होने लगा और कुछ ही पलों में उसकी हड्डिया चटकने लगी और उसकी अबतक की जीवित लाश जल के राख होने लगी.…ड्रॅक्यूला अपनी बेदर्द मौत को महसूस करता हुआ मारा गया….और लाश की बजाय रह गया वहाँ चारो ओर एक काला निशान
“हवववववववववववव”…….भेड़िए ने एक बहुत ज़ोर की आवाज़ निकाली और इस बार गाओं के सभी लोग उस दृश्य को देखने लगे…धूप की रोशनी में भेड़िए का जिस्म जलने लगा और जल्द ही उसके पूरे बदन से धुआ निकलने लगा और जल्द ही वो इंसान में तब्दील होता चला आया उसने फ़ौरन छलाँग लगा दी
और ठीक उसी पल वो ज़मीन पे कूदके गिर पड़ा…उसके पूरे जिस्म से धुआ निकलने लगा “आए खुदा इस बात का मैं पहला गवाह हूँ”…….चार्ल्स ने खुदा का शुक्रिया अदा किया और आसिफ़ की ओर देखा जो निढाल होके बदहवास उठ खड़ा हुआ….उसने आसमान की तरफ देखा और उस निकलते सूरज की आगे अपने हाथ फैलाए “या अल्लहह तूने मुझे मांफ किया है शायद ये तेरा ही करिश्मा था जो आज मुझे मेरी बाजी वापिस मिली और शायद मैं इस शाप से आज़ाद हो गया वरना मैं भी जलकर राख हो जाता मैं तेरे आगे अपने गुनाहो के लिए तेहदिल से मँफी माँगता हूँ”……आसिफ़ ने घुटनों के बल बैठके अपने हाथ सूरज की ओर उठाए और अपनी आँखे बंद कर ली उसकी मुस्कान में जीत की खुशी थी और खंडहर की जर्जर इमारत अपने आप एक एक करके ढहते हुए तबाह हो गयी
चार्ल्स जीत की खुशी में अपने आँसू पोछ रहा था ड्रॅक्यूला का अंत हो चुका था और उसके पिशाचो का भी गाओं वाले आसिफ़ को देख कर सहम उठे थे पर अब उनकी नज़रों में भी आसिफ़ किसी फरिश्ते से कम नही था उनके लिए शीबा जो कपड़ा ओढ़े हुए अपने भाई की जीत पे खुश हो रही थी आख़िरकार उसके भाई ने एक बार फिर अपनी बाजी को दोजख जाने से वापिस खींच लिया था
अगले दिन काफ़ी ज़ोरो से बरफबारी हुई थी....पिछली रात जब मैने राजा स्किवोच और उसके पिशाचो का ख़ात्मा किया उसी ही पल गाओं वालो की निगाहो में मैं किसी फरिश्ते से उन्हे कम ना लगा...आजतक उस बस्ती पे हो रहे ज़ुल्म का ख़ात्मा आज जाके हुआ...राजा स्किवोच उर्फ ड्रॅक्यूला का आतंक अब थम चुका था....और यही नही अल्लाह के फ़ज़ल से सूरज की रोशनी के बावजूद भी मैं बचा रहा...लेकिन मुझे महसूस हो सकता था कि मेरे अपने जिस्म से कुछ भारीपन मानो उतर सा गया था...शाप से मैं आज़ाद था...अब मैं कोई दरिन्दा बनने वाला नही था लिलिता का शाप टूट चुका था...शायद अल्लाह ने मुझे मांफ कर दिया था..पूरे रात जश्न मनाया गया था जिसमें मैं और बाजी शरीक हुए हालाँकि उनकी निगाहो में बाजी एक मात्र पिशाच बची हुई थी पर उन्हें ख़ौफ़ नही सताया कि वो उन्हें कोई नुकसान पहुचाएगी...रात कब कैसे ढली थी मालूम नही? पर वो चैन और खामोशी की रात थी काले साए इस इलाक़े से दूर दूर तक हट चुके थे...अब वो जंगल महेज़ सिर्फ़ एक जंगल ही लग रहा था खून पीते पिशाच और शैतानी भेड़ियों का आतंक ख़तम हो चुका था जिस बात का हरपल ये लोग फिकर किया करते थे...लेकिन अब उनके फरिश्ते को विदा लेनी थी मुझे अब बाजी के साथ एक नयी ज़िंदगी तलाशने अपने लिए जाना था
"हम तुम्हारा यह अहसान ज़िंदगी भर नही भूलेंगे".......चार्ल्स और बस्ती के लोग बरफ बारी के वक़्त सड़क पर खड़े हमे विदा करने आए थे...
"ऐसा नही है ये सब सिर्फ़ आपकी बदौलत हुआ".......मैने मुस्कुरा के चार्ल्स के हाथ पे हाथ रखा....
"तुम जिस नेक इरादे से आए थे वो तो ईश्वर की इच्छा से तुम्हें मिल गया तुम्हारी बाजी सच में ये मुहब्बत मौत से भी बढ़कर है खून के प्यास से भी बढ़कर जो एक दरिंदे को एक इंसान से यूँ जोड़ देता है"............चार्ल्स ने शीबा बाजी की ओर देखा जिन्होने मुस्कुरा के नज़रें झुका ली
मैं : शायद लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि आपने और इन बस्तीवालो ने हमारी इतनी मदद की अब ना तो कोई साया इस बस्ती पे गुज़रेगा और ना ही कभी कोई क़बर से पिशाच निकलेगा बस दुख है कि कुछ अपनो को छोड़ने जा रहा हूँ कूछो को खोया सिर्फ़ अपनी बाजी को लेके ही यहाँ से जा रहा हूँ (दुख लूसी के लिए था जो मुझे बेहद याद आ रही थी इन्ही हाथो से मैने उसे ख़तम कर डाला था जिस बात का बेहद अफ़सोस था)
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