RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
"आओ तुम्हें कुछ दिखाती हूँ..वैसे तो मालिक के कहे बिना हम उनके कमरे में नही जा सकते पर हम उन्हें देख ज़रूर सकते है"........हम दोनो एक बंद कोठरी में गये....जिसकी दीवार का एक पत्थर खिसका हुआ था...."लो देखो".....मुझे अंधेरे में कुछ दिख नही रहा था....फिर मैने अपने अंदर की आत्मा को जगाना शुरू किया भेड़िया मुझपे हावी होने लगा थोड़ा सा...और जल्द ही मुझे ख्याल आया कि मैं अंधेरे में अपनी चमकदार आँखो की वजह से देख सकता हूँ....मैने सॉफ देखा...बाजी अपने गाउन और वेश भूषा में कोट और ढका पॉश कपड़े पहने स्किवोच से बात कर रही है फिर दोनो एक दूसरे का गहरा चुंबन लेने लगे और उस अंधेरे कमरे में ही घूमते हुए अपने कॉफिन में जाके एक दूसरे दूसरे के साथ लेट गये और कॉफिन को बंद कर लिया
"हमारे मालिक लगता है मालकिन को बहुत ज़्यादा चाहने लगे है तभी तो एक सेकेंड भी उन्हें अपने से दूर नही करते"...........
मैं मुस्कुराया और लूसी की ओर देखने लगा...लूसी की नज़रों में एक प्यास थी जिन्सी प्यास...अब तो हमारे पास पूरी रात बाकी थी फिर किसका इंतेज़ार....मैने उसे इन्सिस्ट किया कि क्या मैं बाजी और राजा स्किवोच की चुदाई देख सकता हूँ...तो उसने कहा ये मुमकिन नही क्यूंकी ये राजा पे डिपेंड करता है कि वो हमारे सामने खुल्लम खुल्ला मालकिन को चोदे....वैसे तो वो दोनो हमारे सामने आमतौर पे एक दूसरे के जिस्मो पे हाथ फैरना और चुंबन लेना ही ज़्यादातर करते है
मैने कहा कोई बात नही तुम मेरे कमरे में रात को आ जाना.....लूसी मेरी आग्या का पालन करते हुए चली गई...मैं भी उस बंद कोठरी से बाहर निकल आया...इस घुटन भरे खामोश क़िले में भला कौन रह सकता था.....चाँद पूरी तरीके से बड़ा होके सॉफ साफ दिख रहा था मैं अपने शाही बरामदे में खड़ा बाहर की खामोश सुनसान अंधेरी वादियो की ओर देखने लगा....इतना सबकुछ बदल जाएगा कभी सोचा नही था....इतने में किसी का हाथ मुझे अपने कंधे पे महसूस हुआ और मैं फॅट से पलटके उस साए की ओर देखने लगा
रात का साए में क़िला चाँदनी रात की रोशनी से रोशनदान था...अचानक उस हाथ ने मुझे पीछे पलटने और चौकन्ना होने पे मज़बूर कर दिया...जैसे ही मैं पीछे मुड़ा...एक हवा का झोंका मेरे चेहरे से लगा सामने वही मैली नाइट गाउन जैसी पोशाक में लूसी मेरी ओर प्यार भरी नज़रो से देख रही थी...."तुम डर गये क्या?"......
मैं मुस्कुराया "न्न्न..नहिी तो बस ऐसा लगा जैसे कोई मुझपे हमला करने वाला है"........लूसी हँसने लगी उसके नुकीले दाँत चमक रहे थे मानो जैसे वहीं ख़तरनाक दाँतों को वो मेरे गले में बस कुछ देर में ही धसाने वाली थी...
"ह्म्म्मम आमतौर पे अगर यहाँ तुम्हारी जगह कोई आम इंसान होता तो शायद यहाँ के मुलाज़िमो की भेट ज़रूर चढ़ता इंसानी खून के लिए सब तरस रहे है".......लूसी की ये बात मुझे हड़बड़ा सी गयी
मैं : मतलब..अब ये कैसे मुमकिन है? राजा स्किवोच ने कहा था कि तुम लोग इंसानो का शिकार नही करते
लूसी : स..स्ष धीरे कहो इस क़िले में आँखे और कान दोनो खुली रखा करो अगर मालिक का आगाह डोल गया तो बहुत नाराज़ होंगे मुझपे
मैं : ठीक है (मैं सच में इस क़िले में आके भी मेहमान नवाज़ी और खातिरदारी के बावजूद बाजी के लिए दुखी था कि हम दोनो ने एक दूसरे के साथ हमेशा रहने की कसम खाई थी फिर ये अचानक बाजी को इतना प्यार इस पिशाचों के राजा के उपर कैसे आने लगा और लूसी की हड़बड़ाहट ऐसे डरा रही थी मानो जैसे मैं सच्चाई के कोसो दूर हूँ और वो मुझसे छुपाने के डर से ऐसे बर्ताव कर रही हो)
लूसी के चेहरे पे अब एक कातिल मुस्कान थी और उसने मुझे अपने साथ बाजी और मालिक के बीच होने वाले संबंध को दिखाने गुप्त रूप से ले जाने लगी....हालाकी मुलाज़िम रात को ज़्यादा क़िले के अंदर बाहर का गश्त लगाते थे लेकिन एक यही मौका था जब दोनो अपने अपनी क़ब्र से बाहर निकलके एक दूसरे के साथ संबंध बनाते है....वो रात बेहद भयंकर थी...जल्द ही हम राजा स्किवोच के कमरे के बाहर खड़े थे अंदर मोमबतियो की उज्ज्वल रोशनी जल रही थी....पर ये फीकी रोशनी थी इन पिशाचों को अंधेरा बेहद पसंद है...और ये आग भी इनकी बनाई मायावी है...हम फिर वहीं बंद कोठरी के अंदर आए बाहर के एक छेद से चाँदनी रात की रोशनी दाखिल हो रही थी अंदर.....लूसी ने फिर से उस पत्थर को हटा दिया...अब कमरे के अंदर का मंज़र सॉफ था
"ओह्ह्ह मेरी जान तुम्हारे इस संगमरमर जैसे जिस्म को मैं पीना चाहता हूँ इसे मेरे आगोश में डाल दो मेरे बदन को चुमो"........उत्तेजक बातों से राजा शीबा बाजी के गाउन पर से ही उनके फितो को खोल चुका था अब धीरे धीरे उसने बाजी के गाउन के उपरी सिरे को फाड़ना शुरू कर दिया....बाजी मानो जैसे उसके आगोश में मूर्ति बनके खड़ी थी...राजा की आँखो में वासना को देख कर ना जाने क्यू मुझे खराब सा लगा?.....फिर उसने बाजी के कपड़ों को एक ही बार में ऐसा दोनो तरफ से फाड़ डाला..कि गाउन अपने आप बाजी के जिस्म से उतरते हुए टाँगो में आके फस गया.....लूसी तो बस मेरे कंधे को सहला रही थी उसे इन सब में लुफ्त उठाने का शायद शौक था....मैने अपने मन को दबाया अब बाजी किसी की बीवी बन चुकी थी...और उनके शौहर का उनपे पूरा हक़ था....
जल्द ही दोनो के होंठ एक दूसरे से टकराए और फिर एक दूसरे की ज़बान से ज़बान लड़ाने लगे.....लपलपाति ज़ुबान से राजा शीबा बाजी के होंठो को चाटने लगा उनकी ज़ीब को मुँह में भरके चूसने लगा...बाजी की आँखे मुंदी हुई थी....फिर कुछ देर बाद उसने धीरे धीरे बाजी के सख़्त निपल्स को अपने मज़बूत हाथो मे क़ैद किया और उसे दबाने लगा...इतने देर में राजा का चेहरा एकदम भयंकर सा होने लगा उसके दाँत उसकी आँखें उसका ख़ौफफनाक वो चेहरा इस्श्ह्ह शायद अल्लाह ने लानत का तौक इस इब्लीस के बेटे को पहनाया हो....उस शैतान राजा ने मेरी बाजी की नाभि पे ज़बान डाली और उसे कुरेदने लगा बाजी राजा का सर पकड़े अपनी नाभि में उसके मुँह को दबाने लगी...मेरी बाजी की जवानी का वो बहुत बारीक़ी से लुफ्त उठा रहा था...और फिर धीरे धीरे उसके हाथ बाजी के जाँघो से होते हुए झान्टो दार चूत के बीच आए और उसने बाजी की पाँव रोटी जैसी मखमल मुलायम रशभरी चूत को दाने सहित दबाया...."आहह उम्म्म आहह"........बाजी सिसकती रही और दो उंगली डालके बीच बीच में चूत को दबाते हुए राजा उसे अपनी सफेद निगाहो से घूर्र रहा था बाजी अपने पिशाची रूप में थी....दो मृत इंसान एक दूसरे के साथ संभोग कर रहे थे....अपनी बाजी को ऐसा लुफ्त उठाते देख मुझे ना जाने क्यू गुस्सा आने लगा? फिर कुछ देर बाद देखा कि उसने बाजी को लिटा दिया और उनके टाँगो के बीच आके उनकी टाँगों को फैलाने लगा बाजी ने खुद सख्ती से उनके मुँह को पीछे किया लेकिन वो माना नही उसने अपनी गीली ज़ुबान बाजी की चूत के मुँह पे चलानी शुरू कर दी
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