RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
हाववववववव हावववव.....कुत्तो की रोने की आवाज़ें आ रही थी...जब उपर उठके आया तो चारो ओर एकदम गहरा अंधेरा और सन्नाटा छाया हुआ था...रात मे झींघुर की आवाज़ आ रही थी इन खामोश वादियो में रास्ते पे जो भेड़िया देखा वो गायब था तो क्या ये मेरा वेहेम था....मैने गाड़ी को स्टार्ट करनी चाही लेकिन गाड़ी का एंजिन शायद बंद हो चुका था .....मैं उपर उठके आया और गाड़ी के टाइयर के सहारे पीठ किए ज़मीन पे बैठ गया..."या अल्लहह ये क्या हो रहा है मेरे साथ? क्यू मैं शैतान बन रहा हूँ?".......मेरे अंदर गुस्से की आग दहेकने लगी थी आँखे फिर से जलने लगी..और मैं उठ खड़ा हुआ ये क्या? ये मेरे पूरे बदन में फिरसे खुजली हो रही है...मैने अपने पूरे कपड़ों को जैसे तैसे उतार फैंका...उतारते ही मेरे पूरे बदन के बाल अपने आप बढ़ने लगे...मैं ख़ौफ्फ से चिल्ला उठा दाँतों में फिर ऐंठन सी होने लगी...सर भारी होने लगा...."आहह आहह आहह"..........मैं दहाड़ते हुए ज़मीन पे घुटनो के बल बैठ गया कुत्ते ज़ोरो से रो रहे थे.....मेरे हाथो के नाख़ून बढ़ने लगे मैं किसी जानवर में तब्दील हो रहा था...."हावववववववववव".........वो पूर्णिमा की रात थी जब चाँद बादलो से हटके मेरे सामने आया मैं उठके ना जाने क्यू भेड़िया की तरहा रोने लगा....मेरी आवाज़ से भेड़ियों की भी कहीं कहीं से रोने की गूँज़ सुनाई दे रही थी
धीरे धीरे मेरा पूरा शरीर ऐंठने लगा और मैं कब वहाँ से जंगलों के बीचो बीच से दौड़ता हुआ किसी साए की तरह भागा मुझे कुछ मालूम नही...."तुमने वो आवाज़ सुनी?"......पोलिसेवाले ने अपनी गाड़ी से बाहर झाँकते हुए उस आवाज़ को सुना
"हां आजकल शहर में भी ऐसे क़िस्से देखने को मिल रहे है कुछ साल पहले भी एक आदमी को किसी ने बुरी तरीके से मारा था सूत्रो के मुताबिक कोई जानवर था जंगली जानवर"........"ह्म हो सकता है ये वही हो".....दोनो ने आपस में चर्चा किया
दोनो ने अपनी अपनी गन निकाल ली थी और जंगल के इलाक़े में टॉर्च मार रहे थे....सुनसान रात दूर दूर से कहीं क्सिी जानवर की रोने की आवाज़....उन्हें दहशत भी दिला रही थी.."मैं जाके देखता हूँ तू यही ठहर"........एक पोलीस वाला उतरके झाड़ियों के अंदर से होता हुआ उस आवाज़ पे गौर करते हुए जाने लगा "संभाल्ल्ल के"....पीछे से पोलीस वाला हिदायत देते हुए ज़ोर से बोला...धीरे धीरे घास पे ही उसे अपनी आवाज़ सुनाई देने लगी....गन उसके करीब ही थी...अचानक कोई साया एक ओर से दूसरी ओर काफ़ी ज़ोर से दिखता हुआ उसे महसूस हुआ वो चौंक उठा....वो उस साए के पीछे दौड़ा अचानक फिर एक साया उसके पीछे से गायब हो गया झडियो में "उफ़फ्फ़ हे भगवांन ये तो कोई!"....वो जान चुका था ये कोई बहुत ही तेज़ जानवर था और बहुत ही बड़ा उसके आकार से उसे पता लग गया "ज़रूर ये कोई जंगली जानवर है कोई शेर".........उसने अपने दोस्त को ना बुलाके खुद ही इस मामले को हॅंडल करना शुरू किया और उस पुराने तालाब के पास आया....पानी चाँद की रोशनी में उज्ज्वल था....धीरे धीरे वो तालाब के करीब गया वहाँ एक साया था जिसकी गर्दन पानी में थी
पोलीस वाले ने अपनी टॉर्च जलाई और जैसे उस ओर नज़र दौड़ाई एक भयंकर जंगली भेड़िया ज़ुबान पानी पे फिराते हुए चाट रहा था...उसकी निगाह पोलीस वाले की ओर आई उसकी आँखे जो इतनी देहेक्ति आग जैसी सुर्ख भूरी थी उसे देखते ही वो टॉर्च उसके हाथ से छूट गयी उसने चीख कर एक बार उस जानवर के उपर फाइयर एकि ढ़चह आआआआअहह....इस आवाज़ को सुन वो गाड़ी के सामने खड़ा उसका दोस्त दूसरा पोलीस वाला भी धीरे धीरे जंगल के पास आया "शेखावत शेखावत".......वो उसे आवाज़ लगाते हुए उसी पुराने तालाब के करीब आया हाथ में गन थी जो काँप रही थी....जब वो उस ओर आया उसने देखा कि एक लाश लाहुलुहान एक ओर पड़ी हुई है....जिसकी गर्दन से खून बह के तालाब के पानी में जाके बह रहा है.....पोलीस वाला जैसे ही सहम्ते हुए मुँह पे हाथ रखके दूसरी ओर पलटा ही था उस पैड के उपर बैठा वो 6 फुट का भेड़िया अपने नुकीले दांतो से उसको ही घूर्र रहा था...."आआआआआअहह".......उस भेड़िया ने उसके उपर छलाँग लगाई उसके गले पे अपने नुकीले दाँत की पाकड़ बैठा दी...उस अंधेरी वादियो में एक बार बहुत ज़ोर से वो आवाज़ गूँज़ी थी और फिर सुनाई दी एक भेड़िए के आवाज़ हवववववववव....एक पत्थर के उपर इंसान से बने भेड़िए मे तब्दील आसिफ़ की वो आवाज़ गूँज़ी थी...
उसके बाद कब वो भेड़िया झाड़ियों में से ही गुम होके घर लौटा पता नही...अपनी लॅंप की रोशनी को कम करके आयने के करीब खड़ी शीबा अपने भाई का इंतेज़ार कर रही थी उसने सॉफ गौर किया कि आसिफ़ के फटे कपड़ों में आसिफ़ खून से लथपथ सीडियो से उपर दाखिल हुया.....जैसे ही दरवाजा खुला शीबा उसकी तरफ देखी उसके पूरे बदन पे लगे खून को सूंघते हुए उसकी ओर अज़ीब निगाहो से देखने लगी...."ये सब क्या हुआ?"......शीबा की खून से तलब जाग तो रही थी लेकिन उसे अपने भाई का यह हाल देख बेहद सवाल थे
आसिफ़ वही बैठके रोने लगा..."ये सब क्या हो रहा है? क्यउउू कर रहा हूँ मैंन्न्न् मैने जो किया गलात्त्ट"........आसिफ़ रोने लगा उसके चेहरे के आँसुओ को पोंछती हुई शीबा की आँखो में भी खून के आँसू घुलने लगे "धीरे धीरे ये दरिंदगी बढ़ती जाएगी मेरी शीबा बाजी मैं भी एक दरिन्दा बन जाउन्गा और बन गया हूँ दो खून किए मैने ये मैने क्या किया? ये कैसी तलब है बाजीी".......
बाजी ने मुझे उठाया और मेरे बदन पे लगे हर खून के कतरे को अपनी उंगलियो पे लेके चाटने लगी उसमें इंसान का स्वाद था...."आओ तुम डरो नही ऐसा होता है कभी कभी हमे अपने असल रूप के साथ ज़िंदगी बितानी पड़ती है आओ".........उसके बाद बाजी मुझे नहलाने ले गयी बाजी ने मेरे पूरे बदन को पानी से सॉफ किया मेरे बाल को झड्ते देख बदन से उसे भी महसूस हुआ कि मैं क्या बन चुका हूँ?.....जैसे ही मेरा गुस्सा शांत होता है मैं वो दरिन्दा नही रहता और ...बाजी ने कहा की अब हमे दुनिया की नज़रों से कहीं दूर चले जाना चाहिए....पर मुझे वक़्त चाहिए था ताकि मैं इस नये रूप को काबू कर पाता इसका कोई तोड़ नही था झेलना तो हर कीमत पे था इसे...मैं नहा कर कब बिस्तर पे आके पस्त होके सो गया बाजी की बाहों में पता नही...बाजी भी फ़िकरमंद थी उन्हें भी एक डर सता रहा था
धीरे धीरे मुझे अपनी मालूमत का आहेसस हुआ मैं क्या बन चुका हूँ?...आमाली की बातों को गौर करते हुए जब नेट पे सर्च किया तो पाया कि लिलिता का असल गुलाम एक भेड़िया होता है..जो उसका सारा काम करता है उसकी क़ैद में रहता है....तो इसका मतलब जो कामयाबी मैने हासिल की उसके बाद ही मुझे ये रूप एक शाप के तौर पे दिया गया या यूँ कह लूँ खुदा का यह मुझपे कहेर था....मैं अपनी सज़ा को कबुल करने के लिए राज़ी था....बाजी हर बात का ध्यान रखती कि मुझे सख़्त गुस्सा ना आए....मैने धीरे धीरे अपने इस नायाब रूप पे काबू करना शुरू कर दिया ये मुस्किल ज़रूर था पर अगर मुहब्बत साथ हो तो हर जंग आसान है....उधर पोलीस भी अपने कर्मचारियो की मौत से आग बाबूला हो उठी पूरे शहर में जंगली जानवर की तालश होने लगी जो गये रात को लोगो का खून पीता है और उन्हें बेरहमी से मार देता है अब ये शहर सेफ नही था हम दोनो के लिए शक कभी भी हम पर आ सकता था
एक रात बाजी ने मुझे उठाया "चलो शिकार पे चलना है"..........हम अपने खाने के लिए एक नया रास्ता इकतियार कर चुके थे गये रात को जंगल में शिकार करने के लिए...हम दोनो बाहर निकल आए....लेकिन हम नही जानते थे कि पोलीस ने भी अपनी ख़ुफ़िया पोलीस को हमे पकड़ने के लिए लगाया था....जनवरो के खून पे ही हम सर्वाइव कर सकते थे एक यही रास्ता था....यक़ीनन इससे हमारी प्यास तो भुजती थी पर एक यही रास्ता था...अचानक एक हिरण दिखा और बाजी अपनी लप्लपाती ज़ुबान के साथ उसके पीछे दौड़ी...उसकी इतनी तेज़ी थी कि पालक झपकते वो हिरण के बिल्कुल नज़दीक जा रही थी.....अचानक मुझे कुछ आभास हुआ और मैं चिल्ला उठा "बाजीीीइ रकूओ"........
"शूट फाइयर"..........झाड़ियो में छुपे हमारे लिए जो जाल पोलीस ने बिछाया था उसमें फस गये थे हम......धड़ध धढ़ करके आर्मी के 4 जवान पोलीस कर्मी के साथ बाजी की ओर गोली चलाने लगे....बाजी जल्दी से एक पैड पे चढ़के छुप गयी उसके नुकीले दाँत बाहर निकल आए मेरा गुस्सा दहक उठा
"आआहह".......मैं उन लोगो की ओर बढ़ा उन लोगो ने मुझे घैर लिया था...बाजी हमला करना चाहती थी उनका सवर का बाँध टूट रहा था..."कौन हो तुम लोग? कहाँ से आए हो?".......वो लोग मुझे ऐसी निगाहो से देख रहे थे मानो मैं उन्हें कोई पागल नज़र आ रहा था...हमारा राज़ खुल गया था....अचानक कहीं दूर चाँदनी रात की रोशनी मुझपे पड़ी "जीना चाहते हो भाग जाओ".........
एक पोलीस वाला हंस के मेरे पास आया "साले हमे डरा रहा है पोलीस को"....उसने आगे आकें मुझे थप्पड़ मारा ही था कि बाजी एकदम से हवा की भाती उड़के उसके करीब आई और पलक झपकते ही उसे सबकी निगाहो से उड़ा ले गयी..."आआआआअहह"......एक चीख गूँज़ी....मैं जानता था बाजी उसके गले की नस फाड़के उसका ताज़ा खून पी चुकी थी
"हववववववववव"........मेरी इस अज़ीब हरक़त को देख वो पोलीस वाले और आर्मी के जवान थर्र थर्र काँपते हुए पीछे होने लगे
उसके सामने ही मेरी आँखे और शरीर तब्दील होने लगा....वो लोग बस कांपें जा रहे थे..."गनीमत चाहते तो भागगग जाऊओ".....मेरी घूंटति आवाज़ भारी होने लगी और मैं किसी भेड़िए की तरह घुर्राने लगा....जल्द ही उनके सामने एक भेड़िया था "फाइयर".....उन लोगों ने शूट करना चाहा...पर मैं उन पर हमला कर चुका था...किसी का हाथ चीर के उखाड़ दिया तो किसी के गले से ही उसकी गर्दन को अपने दांतो में क़ैद कर लिया ..."भागूऊ भागगूव".........वो लोग अब तक अपनी गाडियो तक पहुच भी पाते सामने बाजी उनके खड़ी थी....एक पिसाच को देख कर वो लोग बहुत डर चुके थे और उसके बाद फिर कितनी बेरहेमी मौत से बाजी ने उन्हें मारा नही पता बस चीखें गूँज़ रही थी....इंसानो ने शैतानो को बुलावा भेजा था....जल्द ही चारो ओर कटी लाषे थी....बाजी मेरे इस नायाब रूप को देख कर मुस्कुराइ और उसने मुझे अपने गले लगा लिया...
भेड़िया उसका मुँह चाटने लगा उसके चेहरे पे अपना मुँह रगड़ने लगा...बाजी उसके बालों से खेलने लगी "चलो हमारा शिकार हमे मिल गया है जल्दी से कहीं खंडहर में आज रात बिता लेते है चलो मेरे साथ"........ना जाने बाजी मुझे कहाँ ले जा रही थी और मैं उनके पीछे पीछे ऊन्ही की तरह तेज़ी में दौड़ते हुए जंगल के किस ओर से निकलके दूसरी ओर दौड़ा.....जल्द ही हम एक पुराने से खंडहर के सामने थे जो यहाँ का पुराना कब्रिस्तान था....बाजी मेरे पंजो को पकड़के अपने साथ उस खंडहर में ले आई.....बिजलिया कडकने लगी और चारो ओर बारिश झमा झम शुरू हो गई...हूओ हो करती हवाओ का शोर गूँज रहा था बाजी को ये आधी रात के वक़्त की बारिश बहुत पसंद थी कब्रिस्तान में एकदम वीरानी छाई थी....क़बरो के बीच से चलते हुए हम कब खंडहर के अंदर दाखिल हुए पता नही चला
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