RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
मैं उसी रात अपने काम के लिए निकल गया ये जानते हुए कि जो रास्ता मैं इकतियार कर रहा हूँ सिवाय मौत और गुनाह के उसमें कुछ नही लिखा मुझे अपनी क़ौम से निकाल दिया जाएगा कि मैं एक शैतान से दुआ माँग रहा हूँ....लेकिन कहते है ना जुनून इंसान के अंदर शैतान ही पैदा करता है...उस रात काफ़ी सन्नाटा था...आँखो से आँसू गिर रहे थे और मैं फावड़े से ज़मीन खोद रहा था....मेरी बाजी को यहीं दफ़नाया गया था....कुछ देर में ही बाजी का जिस्म मेरे सामने था जो एकदम सफेद सा पड़ चुका था आँखे मुन्दि हुई टांका लगा हुआ था उस खूबसूरत चेहरे की गर्दन के आस पास किस बेरहेमी से उसका आक्सिडेंट हुआ था....मैने रोते हुए अपनी बाजी की लाश को बाहों में उठाया और जैसे तैसे बाहर निकाला इससे पहले कोई मुझे देख ले मुझे यहाँ से निकलना था
जल्द ही गाड़ी को मैं घर ले आया मैने पहले से ही शहर से दूर इस वीराने में एक घर ले लिया था हालाँकि ये मेरे ऑफीस से दूर था लेकिन मुझे अपना काम यही अंजाम देना था इस सुनसान वातावरण में....मैने बाजी की लाश को उठाया और उसे ज़मीन पे रख दिया दरवाजा खिड़की सब बंद कर लिए बाजी के बदन से निहायती बदबू आ रही थी लाश अभी सड़ी नही थी क्यूंकी महेज़ 12 दिनों के अंदर ही मैं उन्हें ले आया था वापिस ज़मीन से दोबारा खोदके....अमल शुरू किया चारो ओर मोमबत्तिया जलाई जैसा जैसा आमाली ने बताया था सबकुछ करने लगा और फिर धीरे धीरे मोमबत्तीी की लौ मेरे पढ़ते उस मंत्रो से फडफडाने लगी कहीं खिड़की से हवा अंदर आ रही थी और मोमबति के बनते चक्र के बीच बाजी का बेशुध कपड़े से लिपटा जिस्म पड़ा हुआ था मानो जैसे अभी गहरी नींद से जाग जाएगी मेरी निगाह बाजी की लाश पे थी और होंठ मंत्रो का जाप कर रहे थे
धीरे धीरे मोमबत्ती की लौ फड़ फड़ा रही थी...और फिर एकदम से हो हो करती हवाओं का शोर अंदर आने लगा.....मेरे मंत्रो का जाप कमरे में ही गुंज़्ने लगा....और अचानक परदा हिलने लगा..मुझे कुछ ध्यान नही था सिर्फ़ मंत्रो को पढ़ता रहा मैने सिर्फ़ एक तौलिया ओढ़ रखा था और जिस्म नापाक जैसा आमाली ने बताया था किताब का पन्ना अपने आप हवा से फड़ फड़ा रहा था पलट रहा था जिसपे उंगली रखके मैं आगे पढ़ता रहा....अचानक मोमबत्ती की लौ बुझने लगी...लेकिन मैं पढ़ता रहा आख़िर कुछ देर में सबकुछ थम सा गया मानो जैसे एक तूफान आके गया हो..लेकिन इस बीच ना बाजी के शरीर में कुछ हरक़त हुई और ना ही मुझे कुछ ऐसा महसूस हुआ....मैने बाजी के करीब आके रोटी निगाहो से उनके चेहरे पे उंगलिया चलाई....फिर अपने आखरी रिचुयल को फॉलो करने के लिए उठ खड़ा हुआ
मैं जानता था मुझे क्या करना है? मैने फ्रिज से एक मग भरा बकरे का ताज़ा ताज़ा खून निकाला जिसे कैसे हासिल करके मैं लाया था मैं ही जानता हूँ कसाइयो ने मुझे कितनी अज़ीब निगाहो से देखा ये मैं ही जानता हूँ...एक जान को पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता था मैने बाजी से लिपटी चादर को उतार दिया...और उनका नंगा जिस्म मेरी आँखो के सामने था
"मुझे मांफ करना बाजी अगर मैं आपके साथ कुछ गुनाह कर रहा हूँ तो ये सब आपको पाने के लिए ही तो है"......मैने धीरे से बाजी की लाश को कहा और धीरे धीरे मग का खून उनके उपर डालने लगा....जल्द ही वो खून से तरबतर भीग गयी उनका बदन एकदम लाल हो गया मैं मत्रो को पढ़ता हुआ खुद को भी ताज़े खून से नहलाने लगा चारो ओर एक अज़ीब सी महेक थी....मैं काँपते हुए ज़ोर ज़ोर से पिसाचिनी का नाम लेने लगा...."लिलित्ता लियिलिताया"....उसके बाद उसे बुलाने का आखरी वो 4 मन्त्र जिसे पढ़ते ही जैसे पूरा बदन सिहर उठा कभी एकदम से कप्कपाती ठंड महसूस होती और कभी एकदम सख़्त गर्मी
पूरा कमरे अंधेरे में डूब गया मोमबत्तिया भुज चुकी थी खून से तरबतर बाजी का जिस्म चक्र के अंदर वैसे ही लेटा हुआ था...मेरे सामने एक अज़ीब सी औरत खड़ी थी जिस देख कर मैं घबरा गया लेकिन घबराने से काम नही बनने वाला था क्यूंकी मेरा एक ग़लत कदम मुझे मौत के घाट उतार देता..वो मुस्कुरा रही थी उस जैसी अज़ीब सी औरत बिना कपड़ों के एकदम नंगी मेरे सामने खड़ी थी मैने कभी आजतक नही देखा था क्या ये आँखो का धोखा था? मैने धीरे धीरे अपनी बात कहना शुरू किया "म्म..एररी बी.हाँ मुझे वापिस चाहिए मुझे मेरी बेहन लौटा दो मैं उसे जीता देखना चाहता हूँ प्लज़्ज़्ज़ प्लज़्ज़्ज़"....मैं मिन्नत करते हुए उसके आगे झुक गया था आँसू फुट फुट के बह रहे थे और उसकी ठहाका लगाती आवाज़ मानो जैसे कितनी डायन एक साथ ठहाका लगाके मेरी दुखिपने पे हँस रही हो लेकिन उसने कुछ और नही कहा बस चुपचाप ठहाका लगाती रही
उसके बाद मुझे कुछ याद नही कि मेरे साथ क्या हुआ क्यूंकी मैं मिन्नत करते करते बेहोश हो गया था...जब होश आया तो सुबह के 4 बज चुके थे..मैं वैसे ही खून में लथपथ पड़ा हुआ था जब दूसरी ओर निगाह की तो देखा तो चौंक उठा मेरी बेहन करवट बदले दूसरी ओर सो रही है...य..ए कैसे हो सकता है? मैं बाजी के पास आया और उनके जिस्म पे हाथ फेरा उसका शरीर एकदम ठंडा था लेकिन उसका चेहरा अज़ीब सा हो गया था मैने फ़ौरन उसकी नब्ज़ को चेक किया लेकिन कुछ महसूस नही हुआ...मैने उसे झिन्झोडा जगाया "बाजी उठो बाजी उठो प्ल्ज़्ज़ बाजी आँखो खोलो".......लेकिन सब बेकार तो फिर वो सब क्या था महेज़ एक सपना? मैं अपने आप पे गुस्सा कर रहा था चीख रहा था चिल्ला रहा था अपनी बेबसी और नाकामयाबी पे खुद ही के हाथ के पास रखा वेस फोड़ दिया मेरे हाथो से खून बहने लगा मुझे दर्द हुआ था मैने फ़ौरन उठके बाजी की लाश को उठाया और उसे बाथरूम में जाके सॉफ किया उसे टेबल के उपर लिटा दिया कुछ देर तक चुपचाप हाथ से बहते खून को पकड़े उसके ओर सख़्त निगाहों से देखने लगा कि अब क्या करूँ?
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