Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:26 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
एम और एच थे वो अपने को रोक नहीं पाए थे उसे छूने से बड़े ही नजाकत और धीरे से हाथ फेरा था उन्होंने एक एहसास भर ले पाए थे कामया की कोमलता का एक बड़ा ही सुखद और सुख दाईं एहसास कामया और उन लोगों के अंदर समा गया था कामया गुरुजी की आगोश में ही उन लोगों से मिलकर गुरुजी के पास सट कर बैठ गई थी मंदिरा और रूपसा भी उनके पास खड़ी होकर सामने बैठे उन गुरुओं को अपने हुश्न का जलवा बिखेर रही थी और उन गुरुओं की हालत देखने लायक थी एक हवस से भरी हुई दृष्टि उन महिलाओं पर डाली किसी तरह से अपने आपको संभाले हुए बैठे थे लगता था कि अगर जरा भी मौका मिले तो चीर फाड़ कर रख दे अभी इन तीनों को 

गुरुजी- तो धरम के ठेकेदारो यह है हमारी सखी जो कि कल से आप लोगों की सेवा में इस देश को अपना दर्शन देगी और आज आप लोगों के लिए यह सिर्फ़ कामया है पर कल से आप लोगों को यही सभी आदेश और मार्ग दर्शन देगी बस आपलोग इनका साथ देते रहिए और इस अश्राम की उन्नति के लिए जो भी करेंगे वो इन्हें मान्य होगा हाँ और एक बात आज के बाद से जो भी आपकी इच्छा या फिर डिमँड होगी वो भी कामया देवी ही पूरा करेंगी और आपलोगों को इनसे ही मिलना होगा हम तो भाई कल से परदेसी हो जाएँगे हिहिहीः 

कहते हुए अपने पास बैठी हुई कामया के शरीर पर अपना हाथ को घुमा लिया था उसके पीठ और फिर थोड़ा सा पास खींचते हुए उसकी छाती पर भी 

क्राइ- गुरुजी वो तो ठीक है पर हम पर भी थोड़ा दया कीजिए प्लीज वी आर आल्सो इन लाइन 

गुरुजी- हाहाहा क्यों नहीं क्राइ यू पीपल आर कोल्ड हियर फार हविंग फन आंड वी आल नो वाइ वी आर हियर फार प्लीज वेट लेट्स हव डिनर दॅन वी आल कन टुगेदर हव और मीटिंग वी आर हविंग आल नाइट डियर सो डान’त गेट उत्तेजित सेव इट फार दा लेटर हिहिहीः 

एस- अरे सर जी बहुत हो गया अब तो हमें भी थोड़ा सा मौका दीजिए क्यों भाई लोग 

बाकी के लोगों ने भी सर का साथ दिया था और एक साथ चल दिए थे हाँ… हाँ… 

गुरुजी ने इशारे से रूपसा और मंदिरा को आगे बढ़ने को कहा और मंदिरा और रूपसा इठलाती हुई उन लोगों के पास पहुँच गई थी और जाकर उनके सामने खड़ी हो गई थी एस और क्रिस तो साथ बैठे थे एक झटके से रूपसा को अपने पास खींच लिया था और अपने बीच में बिठा लिया था और अपने हाथ उसके शरीर पर घुमाने लगे थे एक मादक हँसी उस कमरे में फैल गई थी 
एम का भी यही हाल था बस जाई थोड़ा सा अलग पड़ गया था वो भी कहाँ चुप रहने वाला था वो भी दौड़ कर मंदिरा पर टूट पड़ा था नीचे ही बैठ गया था और अपने हाथ उसकी जाँघो और पेट तक ले गया था लगता था कि किसी तरह से बस अपनी हवस को शांत कर लेना चाहते थे और कुछ नहीं बाहर की दुनिया के यह चेहरे जो कि धरम और नाटकीयता का पाठ पढ़ाने वालों की तरह के होंगे यह कोई नहीं जानता था आज यह कमरा शायद उनके नंगे पन का एक गवाह बन सकता था 


यह तो तय था कामया बैठी हुई गुरुजी के हाथों का मजा ले रही थी और सामने हो रहे खेल को बड़े मजे से देख रही थी उसके अंदर का शैतान अब धीरे-धीरे जाग उठा था हवस का वो खेल का हिस्सा बनने को तैयार थी वो एक अजीब सा एहसास उसके अंदर उठने लगा था गुरुजी के हाथों का स्पर्श उसके अंदर एक अजीब सी हलचल मचा रहा था सामने मंदिरा और रूपसा की साड़ी तो कब की हवा हो चुकी थी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउसमें वो दोनों उनकी गोद में बैठी हुई अपने होंठों का रस पान करा रही थी कोई उनकी जाँघो को किस कर रहा था तो कोई ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियां चूस रहा था कोई अपने लिंग को उनसे सटाने की कोशिश में था तो कोई, अपने हाथों में जितना हो सके उनके रूप को समेट लेना चाहता था 

कामया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसके सामने इस खेल को वो और नहीं देख पाई थी और एक झटके से उठ गई थी गुरुजी के हाथों से फिसल कर गुरुजी को कुछ कहती इससे पहले ही 

कामया- चलिए अब खाना खा लेते है गुरु लोग आप लोग तो अभी से ही उत्तावाले हो गये है अभी तो पूरी रात बाकी है और 
कहते हुए उसने अपनी बात आधी ही छोड़ दी और अपने सीने से आचाल हटा दिया और अपने रूप की एक झलक उन गुरु लोगों को दिखाकर मुस्कुराती हुई खड़ी रही रूपसा और मंदिरा को छोड़ सबसे पहले जाई उठा था और दौड़ कर कामया से चिपक गया था और अपनी हथेली को उसकी कमर पर रखते हुए उसकी नर्मी और कोमलता को महसूस करने लगा था एक-एक कर सभी अपने पास आई इस सुंदरता की देवी की ओर आग्रसर हो गये थे और कामया घेर कर उसके शरीर पर अपने हाथों को घुमाने लगे थे एक उत्तेजित करने वाली हँसी के साथ एक लंबी सी आह उस कमरे में गूँज गई थी कामया ने भी आगे हाथ बढ़ा कर पहले जाई फिर एक-एक करके सभी को अपने सीने से लगाया था और उनके होंठों पर अपने होंठों का रखकर उन्हें वो अमृत पान कराया था जिसकी जरूरत उनसे ज्यादा उसे थी 

कामया को इस तरह से करते देखकर गुरुजी भी एक बार स्तब्ध रह गये थे पर एक मुश्कान उनके चहरे पर भी दौड़ गई थी वो जानते थे कि कामया अब उनके हाथों की कठपुतली नहीं है वो अब इस अश्राम की मालकिन हो गई है और वो भी अब उसके इशारे पर ही चलेंगे हाँ क्यों नहीं आज तक तो वो सभी को आपने इशारे में छल्लते रहे है तो आज इस हसीना के सामने झुकने में क्या हर्ज है गुरु जी अपने सामने हो रहे इस खेल को देख रहे थे और उठकर इस खेल में शामिल होने लगे थे खड़े होकर वो भी आगे बढ़े थे और अपने सामने आए कौन था नहीं पता हटाकर अपना हाथ कामया के पेट पर रखते हुए उसे अपनी ओर घुमा लिया था उसके होंठों को झट से अपने होंठों में समेट लिया था और कस कर उसे पकड़कर, एक लंबा सा चुंबन उसके होंठों पर कर लिया था हान्फते हुए कामया उनसे अलग हुई थी तब तक उसे किसी और ने अपनी ओर खींच लिया था पर कामया हँसती हुई इठलाती हुई सभी को उनका हिस्सा देने में व्यस्त थी कौन कहाँ हाथ लगा रहा था उसे नहीं पता था पर एक साथ इतने सारे हाथ और हर एक का कुछ अलग अंदाज . मजे ही मजे हो गये थे कामया के तो आखें बंद किए कमाया उन लोगों का लुफ्त ले ही रही थी कि अचानक ही उसके हाथों में गरम-गरम लिंग का स्पर्श होने लगा था आँखे खोलने की जरूरत नहीं थी हाँ पर झट से हाथों में आए हुए लिंग को पकड़ जरूर लिया था गरम-गरम और कड़ा सा वो लिंग उसे अच्छा लगा था 


उसकी साड़ी का कही पता नहीं था नीचे भी शायद कोई बैठा था एक नहीं दो थे या पता नहीं वो नहीं जानती थी पर हाँ… दो जोड़ी हाथ उसके पेटीकोट के अंदर जरूर घूमते हुए उसकी योनि और जाँघो को छू रहे थे फिर होंठों ने भी साथ देना शुरू कर दिया था पैंटी के अंदर तक उंगलियां घूमने लगी थी थोड़ा सा जाँघो को खोला था कामया ने होंठों पर टूटे हुए किस को मना नहीं किया था पीठ की ओर से घूमे हुए हाथ उसकी चूचियां निचोड़ रहे थे कमर के नीचे से एक हलचल मचाने वाली उंगलियां और हर कही हाथ और गीला पन एक अजीब सी उत्तेजना से भरी हुई कामया हाथों में आए हुए लिंग को कुचल देना चाहती थी कि अचानक ही उसके हाथों को गीलाकरते हुए एक लिंग मुरझाने लगा था और फिर दूसरे लिंग की बारी आई थी फिर दोनों हाथों में एक-एक और नीचे की ओर से, एक के बाद एक करते हुए जीब से उसकी योनि को चाट-ते हुए उसकी अंदर की उत्तेजना को बढ़ाने लगे थे कामया होंठों को अलग करते हुए अजीब सी चीत्कार करती हुई अपने हाथों में आए हुए लिंग को निचोड़ देना चाहती थी और कर भी रही थी आगे पीछे करती हुई कामया अपनी जाँघो को पूरा खोलकर उनकी जीब को पूरा स्वाद देने को कोशिश करती जा रही थी और अपने हठो को आगे पीछे करती हुई उनके लिंग को भी पूरा सम्मान दे रही थी 

पीछे से हाथों ने उसकी चूचियां निचोड़ना जो शुरू कर दिया था और उसके कानों में कुछ कहने की भी आवाज आ रही थी पर ध्यान नहीं दिया था उसने वो ज़रूर उत्तेजना में ही कह रहा था वो जो भी था पीछे क्या फरक पड़ता है पड़ता है तो सिर्फ़ अपनी हवस को शांत करने की कोशिश बस थोड़ा सा और उसके हाथों में आए हुए लिंग भी धीरे-धीरे शांत हो गये थे और फिर उसकी चीत्कार उस कमरे में गूंजने लगी थी नीचे बैठे हुए लोग अब धीरे धीरे उसकी योनि को चाटते हुए आगे बढ़ते कि अचानक ही एक सक्स उठा और कामया को कसकर पकड़ लिया और उसे खींचने लगा पर नीचे बैठे हुए सक्स ने नहीं छोड़ा कामया खिंचते हुए नीचे की ओर बैठ गई थी 


वो सक्स ज्यादा बलवान था होंठों पर ऐसे टूट हुआ था कि अपनी उत्तेजना को शांत नही कर पा रहा था आखें खोला तो तो एस था दाढ़ी और बाल खुल गये थे पर था पूरा सांड़ जोर इतना था कि निचोड़ कर रख दे पर जैसे ही कामया की उंगलियां उसके लिंग पर कसी कि वो एकदम से शांत हो गया था एक झटके से उसके लिंग के अंदर से उठता हुआ ज्वार उसके बाहर आ गया था कामया कुछ करती इससे पहले ही वो कामया से लिपट कर झड़ने लगा था नीचे बैठा हुआ सक्स भी तब तक अपनी हवस को शांत करने की कोशिश करने लगा था अब तक चार जने शांत हो गये थे और शायद कही होंगे पर कामया की चीत्कार अब पूर जोश में थी जैसे ही उस सक्स ने उसे छोड़ा था कामया आतुर हो उठी थी और अपनी योनि को फिर से उसके होंठों पर रखने को लालायित हो उठी थी

मगर कामया कुछ कहती इससे पहले ही वो सक्स अपने लिंग को झूलाए हुए उसके सामने खड़ा हो गया था कामया ने भी कोई देर नहीं की झट से अपने होंठों के अंदर कर लिया था उसके लिंग को और जोर-जोर से अपनी जीब से उसे चूसने लगी थी तभी गुरुजी को अपनी ओर आते देखा था उसने और बिना कुछ कहे ही कामया ने बैठे ही अपनी जाँघो को खोल दिया था खड़े हुए गुरुजी को अपनी योनि के दर्शन देते हुए और आखों से उन्हें इशारा भी किया कि आओ और मुझे सुख दो बिना कुछ कहे सिर्फ़ मुख निमंत्रण में ही गुरुजी कामया की जाँघो को खोलकर धीरे से उसके अंदर समा गये थे एक लंबी सी आह भरती हुई कामया और आगे बढ़ी थी और एक झटके से अपने मुख में लिए हुए लिंग को अपने दाँतों से काट लिया था और हाथो को कस कर आँडकोष पर दबाते हुए अपनी जीब को इस तरह से उसके लिंग में फेरा था कि वो और नहीं रुक पाया झट से ढेर सारा वीर्य छोड़ कर हाँफने लगा था 

कामया मुँह घुमाकर गुरुजी की ओर देखने लगी थी गुरुजी जो कि उत्तेजित तो थे ही कामया का खेल देखकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो गये थे कामया की भी हां ही थी और जैसे ही गुरुजी का लिंग उसकी चूत के अंदर गया था एक बार भी उसने अपने आपको रोकने की कोशिस नहीं की थी और पूरे जोर से एक ही झटके में पूरा का पूरा लिंग अंदर समा लिया था और गुरुजी के हर धक्के का जवाब भी देने लगी थी हाथों में मुख में और शायद ब्लाउज के ऊपर बालों में हर कही वीर्य के कुछ निशान उसके ऊपर दिख रहे थे पर गुरुजी के साथ-साथ कामया भी कोई फरक नहीं पड़ता था वो तो बस अपनी अग्नि को शांत करना चाहते थे और उन्होंने वो किया भी एक साथ दो आवाज उस कमरे में फेल गई थी आअह्ह 
हाँफने की आवाज एक परम शांति की आवाज और एक शांत सा वातावरण हो गया था उस कमरे में
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RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू - by sexstories - 01-18-2019, 02:26 PM

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