Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:26 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
कामया उन कपड़ों को देखकर एक बार अपने पुरानी जिंदगी में डूब गई थी वही उत्तेजना और वही सजना सवरना उसे याद आ गया था काफी दिनों से उसने अपने आपको संवारा नहीं था और नहीं कोई मेकप ही किया था आश्राम की जिंदगी में उसे जो दिया था वो उसने किया था और जो कुछ भी पहनाया गया था वो उसने पहना था पर आज इस तरह के कपड़े देखकर वो एक बार फिर से लालायित हो उठी थी बड़े ही चुन कर खरीदे थे उसने वो सारी और मचिंग ब्लाउस सूट वग़ैरह आज जब उसके घर का पूरा समान यहां शिफ्ट हो रहा था तो शायद उसके कपड़े भी मम्मी जी ने या घर के किसी ने उसे भेजे थे 

कामया उन कपड़ों में अपने आपको ढालने को तैयार थी रूपसा और मंदिरा भी उन कपड़ों को उठाकर अपने हाथों से छूते हुए उन कपड़ों को एक-एक कर देख रही थी कामया ने उसके पास जाकर कहा
कामया- तुम्हें पहनने है यह कपड़े … 

रूपसा- अरेनहीं नहीं रानी साहिबा यह आपके लिए है हम तो ऐसे ही ठीक है 

कामया- क्यों क्या हुआ तुम चाहो तो पहन सकती हो यह कपड़े जो चाहे लेलो 

मंदिरा- नहीं रानी साहिबा हमें इजाज़त नहीं है 

कामया- हाँ… पर कल से तो में इस आश्राम की मालकिन हूँ चाहू तो में कुछ चेंजस तो ला सकती हूँ और अगर में कहूँ तो तुम लोग यह कपड़े पहन सकती हो क्यों 

रूपसा और मंदिरा के चहरे पर एक चमक आ गई थी हाँ यह तो ठीक बात है अगर कामयणी देवी कहेंगी तो नियम बदल सकते है हाँ यह ठीक है एक उम्मीद की लहर दौड़ गई थी उनके मन में कामया के सामने एक सारी उसके साथ मचिंग ब्लाउस निकलकर उन्होंने सामने रख दिया था कामया एक मुश्कान बिखेरती हुई उसके पास से हट गई थी चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ और मुझे भी तैयार करो गुरुजी ने बुलाया है वो धरम गुरुजी के साथ मीटिंग मे है 

सभी दासिया जल्दी से कामया को तैयार करने में जुट गई थी ब्लैक लिंगरी के साथ बड़े ही सफाई से उसने ब्लाउस पहना था लो कट ब्लाउस जो कि अब थोड़ा सा कसा हुआ लगता था छोटा हो गया था बहुत ही टाइट फिट हो रहा था हुक भी बड़े मुश्किल से लगे थे मालिश और उबटान और कुछ दिनों से अपने शरीर को फ्री रखा हुआ था इसकारण यह कपड़े उसे तंग से लग रहे थे नाभि के नीचे सारी पहनते वक़्त उसने एक बार अपनी नाभि को भी देखा था बहुत ही गहरी हो चली थी और कुछ मास भर गया था उसके शरीर में कुछ ज्यादा ही कपड़े में कसे अपने शरीर को बाहर निकलने से नहीं रोक पाई थी उसने 
साड़ी पहनने मे उसने बहुत टाइम लिया था बहुत ही तरीके से और सलीके से एक-एक प्लेट जमाई थी नाभि के नीचे बहुत नीचे पहनी थी उसने साड़ी नजाने क्यों उसे आज यह सब करते समय एक अजीब सी उत्तेजना हो रही थी दिल धड़क रहा था बहुत जोर-जोर से एक अजीब सी खुशी उसके अंदर उठ रही थी 

एक अंजानी खुशी के चलते वो थोड़ा-थोड़ामुस्कुरा भी उठ-ती थी पास खड़ी दासिया उसकी ओर देखती हुई उसकी खुशी में शामिल थी रूपसा और मंदिरा भी अपने आपको सवारने में लगी थी पर कामया की बात कुछ और थी ब्लाउस और पेटीकोट पहनते ही एक बार उसने अपने आपको मिरर में देखा था लाजवाब लग रही थी सबकुछ कसा हुआ था ईवन पेटीकोट भी शेप लिए हुए था उसके शरीर का घुटनों के थोड़ा सा नीचे तक था वो पेटीकोट लंबा नहीं था पूरी साड़ी उसके शरीर पर लगते ही एक अजीब सी सनसनाहट दौड़ गई थी उसके शरीर में 


दासिया की ओर देखते हुए थोड़ा सा मुस्कुरा उठी थी वो पलटकर मंदिरा और रूपसा की ओर देखा था वो लोग भी अपने आपको सवारने में लगी थी 

कमरे में एक अजीब सा महाल था दासिया और सभी कोई अपने हाथों में आए हुए हुश्न को सजाने लगे थे और वो भी बड़े तरीके से पूरा आश्रम तो वैसे ही सजा धजा था हर कोई अपनी तरह से सजाने में लगे थे पर इस कमरे के अंदर का माहौल कुछ अलग ही था सबकुछ सजा सजा और उत्तेजना से भरा हुआ कामया की उत्तेजना तो देखते ही बनती थी और उससे ज्यादा रूपसा और मंदिरा की तो अलग ही बात थी शायद ही उन्होंने कभी सोचा होगा कि इस तरह के कपड़े भी वो पहन सकती है कुछ ज्यादा ही उत्सुक थी वो दोनों बड़े उत्तावाले ढंग से एक-एक प्लेट्स को जमाते हुए वो साड़ी को पहन रही थी कमर के नीचे नाभि के नीचे शायद साड़ी पहनते वक़्त अपने शरीर को दिखाने की कोशिश ज्यादा थी उन्हें शरीर का हर अंग साड़ी और ब्लाउससे बाहर की ओर दिख रहा था बल्कि कहिए दिखाने की ज्यादा कोशिश थी रूप और रंग की मिसाल थी वो दोनों और कामया तो थी ही खूबसुरात चलिए समझ में तो आ ही गया होगा कि किस तरह से तैयार हो रही थी सभी 


इसी तरह तैयार होकर तीनों गुरुजी के कमरे की ओर चल दी थी कामया जानती थी कि आज वो बला की खूबसूरत लग रही है उत्तेजना और एक नये अनुभव की और चल दी थी कामया अपने दोनों साइड में रूपसा और मंदिरा को लिए हुए पीछे कुछ और दासिया भी चल रही थी गुरुजी के कमरे की ओर

कमरे में पहुँचकर वो सभी एक माडेल की तरह डोर के पास खड़ी हो गई थी बीच में कामया और आजू बाजू मंदिरा और रूपसा अंदर बैठे लोगों की नजर जैसे ही डोर पर पड़ी एकदम से सन्नाटा छा गया था उस रूम में एक मादक हँसी और कटु मुश्कान लिए कामया और रूपसा मंदिरा ने एक बार बरी बारी से सभी लोगों की ओर देखा था जैसे निमंत्रण था उसकी ओर आने का और देखने का अंदर बैठे पाँचो धरम गुरु की तो सांसें रुक सी गई थी इन परम सुंदरियो को देखकर पर गुरुजी नार्मल थे 


गुरुजी- अरे आओ सखी आओ आज तो कमाल की लग रही हो और तुम लोग भी रूपसा और मंदिरा आज से पहले तो भाई हमने तुम लोगों को साड़ी में नहीं देखा आओ


गुरुजी उठकर खड़े हो गये थे कामया और दोनों के स्वागत के लिए धरम गुरुओं की तो जैसे सांसें ही रुक गई थी अपने सामने इन रूप की देवियो को देखकर तालुओं में जबान चिपक गई थी और एकटक उनको देखते हुए खड़े भर हो पाए थे 
कामया आगे की ओर बढ़ी थी गुरुजी के साथ लग कर खड़ी हो गई थी वही अदा वही नजाकत वही अंगड़ाई लेते हुए रूपसा और मंदिरा भी गुरुजी के पास आके खड़ी हो गई थी थोड़ा सा दूर गुरुजी ने अपने आगोश में कामया को समा लिया था और धीरे से अपने गले लगाकर उसके नितंबों को और पीठ पर हाथ फेरते हुए 

गुरुजी- कयामत लग रही हो सखी आज तो और इन दोनों को भी क्या बना दिया है तुमने मेरा निर्णय सही था तुम ही इस अश्राम की असल मालकिन हो आओ तुम्हें इन लोगों से मिलवाऊ और गुरुजी ने कामया की कमर को कस कर जकड़ लिया था और धीरे-धीरे उसकी कमर को सहलाते हुए उन धरम गुरुओं की ओर बढ़े थे गुरु लोग एकटक सखी की ओर देख रहे थे आखें फटी की फटी रह गई थी उनकी गुरुजी के साथ सटने की वजह से कामया के सीने से साड़ी हट गई और बस एक ओपचारिकता भर रह गई थी और कंधे पर पड़ा हुआ पल्लू आखिरी सांसें भर रहा था उसका अस्तित्व खतम था क्योंकी ब्लाउज के अंदर से उसकी चुचियों की शेप और ब्रा की रंगत साफ-साफ दिखने लगी थी कामया की सांसों के साथ साथ उसके सीने का उठना और बैठना उन धरम गुरुओं की हालत खराब कर रहा था गुरुजी के हाथों का अनुसरण करने से तो और भी गुरुजी के हाथ जिस तरह से कामया की कोमल और मुलायम कमर पर घूम रहे थे वो एक अजीब तरह की उत्तेजना भर रहा था उन गुरु लोगों के अंदर 

गुरुजी- आइए आपलोगों को हमारी सखी से मिलवाए यही कल से हमारी इस आश्रम की सर्वे सर्वा होंगी और अब आप लोगों कीदेख भाल और जरूरतो का ध्यान रखेंगी यह है कामयानी देवी 

और कहते हुए गुरुजी ने अपने हाथों जो कि उसकी कमर के चारो ओर घेरा बना हुआ था धीरे से उठकर कामया की चूचियां पर आ गई थे और उन गुरु लोगों के सामने ही कामया की चूचियां धीरे से मसल दी थी उन्होंने कामया ने एक मुश्कान बिखेरते हुए उन गुरु लोगों की ओर देखा था गुरुजी आगे बढ़े थे 

एक- (एम नाम रखते है )- वाह गुरु जी आपने तो कमाल कर दिया यह कहाँ से लाए है आप वाह क्या उत्तराधिकारी चुना है आपने 

दो- (एच नाम रखते उनका )- गजब कर दिया गुरु जी आपने 
और कहते हुए वो दोनों आगे बढ़े थे और आगे बढ़ कर कामया देवी के हाथों को अपने हाथों में लेकर थोड़ा सा दबाते रहे और एक ललचाई हुई नजर से गुरुजी के हाथों को देखने लगे थे जो कि कामया के चुचियों पर थे 

कामया मुस्कुराती हुई बोली 
कामया- जी बैठिए गुरु लोग आपका स्वागत है इस अश्राम में 
कहते हुए कामया की नजर उनपर एक बार घूम गई थी बड़ी ही कातिल नजर से जो कामया ने उन्हें देखा था वो उन लोगों के दिल को भेद गई थी 

एम और एच ने आगे बढ़ कर एक बार कामया को छूने की कोशिश भी की थी पर गुरुजी ने आगे बढ़ कर एस और क्राइ और जाई के पास खींच लिया था कामया को . कामया गुरुजी के साथ खिचते हुए उन बाकी के लोगों से मिलने लगी थी उनका भी यही हाल था पीछे से कामया को अपने नितंबों में एक या दो हाथ महसूस हुए थे शायद 
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