Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:21 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
थोड़ी देर में ही सबकुछ नार्मल होता चला गया था पर वो कमरा एक गवाह था एक उत्तेजना के शांत होने का और, गुरु जी के इंसान बनने का रूपसा तो थी ही औरत पर गुरु जी का रूप कुछ वैसा ही था वो एक फुर्टूने टेललरर थे और अपने भाग्य से लड़ते हुए इस मुकाम तक पहुँचे थे 

पहले पहले वो सिर्फ़ कुंडली देखते थे और लोगों के भाग्य बताते थे पर उनका जीवन यापन सही से नहीं होता था पर जैसे ही वो कुछ ऐसे लोगों से मिले जो इस समझ में एक पोजीशन रखते थे तो वो अपने रास्ते से भटक गये और एक पैसे कमाने वाले इंसान बन गये थे उनके लिए पैसा और पोजीशन सबसे पहले था लोग जुड़ते गये 

और वो अपना काम करते गये फिर इसकाम में सबसे आगे और पहले आने वाली होती है महिलाए गुरु जी ने पहले एक फिर दो और ना जाने कितनी महिलाओं के साथ अपना समय बिताया होगा वो तो शायद आज उन्हें याद नहीं पर नारी के शरीर का इश्तेमाल उन्होंने खूब किया अपने लिए और अपनी पोजीशन बनवाने के लिए भी गुरु जी असल में एक भूखे और मतलबी इंसान थे हर कही उन्हें अपने रुपये पैसे की ही चिंता रहती थी हर काम जो भी वो करते थे उसमें उनका क्या फायेदा है वो जरूर देखते थे इसके लिए उन्हें किसे और कहाँ इश्तेमाल करना है वो करते थे चाहे वो औरत हो या आदमी लड़की हो या लड़का . 

बस उनका मतलब साल्व होना चाहिए वही खेल खेलते खेलते आज वो इस पोजीशन में पहुँचे थे (खेर वो कभी बाद में लिखूंगा आज नहीं बस यह तो सिर्फ़ इसलिए लिखा था कि आपको यह अंदाज हो जाए कि गुरु जी आखिर है क्या )


रूपसा अपने कपड़े संभालती हुई गुरु जी के कपड़े भी ठीक करने लगी थी और बड़ी ही आत्मीयता से गुरु जी के पास खड़ी होकर उनको सहलाती हुई बोली 
रूपसा- गुरु जी क्या आदेश है 

गुरु जी - बस अपना काम करती रहो और मंदिरा के साथ मिलकर आज से सखी को तैयार करो जो बात उसमें नहीं है वो करो हर तरीका उसे समझाओ अदाएँ भंगिमा और शरीर का हर अंग उसका इतना निखार दो कि इंसान पागल हो जाए उसके नाम की मालाएँ जपने को एक झलक पाने को चाहे वो कोई भी हो बस तैयार करो 

रूपसा- जैसी आपकी मर्ज़ी गुरुजी आप देखना कोई कसर नहीं छोड़ेंगे हम आज से हम अपने काम में लग जाएँगे पर इस्केलिए आपको थोड़ा इंतजार करना होगा 

गुरु जी- नहीं नहीं हमारे पास इतना वक़्त नहीं है बस जल्दी करना है और फिर हम यह देश छोड़कर चले जाएँगे यहां का काम सखी ही संभालेंगी बस उनका आना जाना लगा रहेगा हमारे पास बस तुम अपना काम याद रखो इतना तैयार करो कि हमें भी लगे कि हमने कुछ किया है इतना मालिश करो कि उसके रोम-रोम खिल उठे संगमरमर की मूर्ति जैसी निखर जाए इतना नहालाओ कि उसके रोम-रोम में खुशबू भर जाए इतना पेय पिलाओ कि सेक्स उसकी आखों से लेकर उसके रोमो में बस जाए बस इतना हो गया तो काम बन गया समझो फिर तो यह दुनियां उसके कदमो में होगी और हम उसपर राज करेंगे यह जान लो कि सखी ही हमें इस दुनियां में राज करने के लाएक बना सख्ती है और कोई नहीं बस तुम अपना काम ठीक से करो 

रूपसा अपने हाथों से गुरु जी को अब भी सहला रही थी और बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रही थी एक ईर्ष्या उसके मन में उठी थी पर बोली कुछ नहीं हाँ… वो जरूर सखी को तैयार कर देगी और वो भी इतना कि सखी मर्द के लिए तरस जाए एक के बाद एक मर्द भी उसे खुश नहीं कर सके वो जानती थी कि उसे क्या करना है वो तैयार थी मंदिरा भी उसके साथ थी वो एक ऐसी आग उसके तन में जगा देंगे कि वो खुद को नहीं रोक पाएँगी फिर देखते है कि सखी क्या गुल खिलाएँगी 


तभी गुरु जी ने उसकी कमर पर एक थपकी दी और जाने का इशारा किया रूपसा अपनी हथेलियों को बड़े ही तरीके से उनके शरीर पर से खींचते हुए बड़े ही नाटकीय अंदाज में उनको देखते हुए कमरे से बाहर की ओर चल दी उसे पता था कि अब उसका काम क्या था वो जल्दी में थी बाहर आते ही उसकी नजर सीढ़ियो की ओर उठ गई थी जहां सखी का कमरा था 

(रूपसा और मंदिरा ने उसे क्या कहा और कैसे तैयार किया वो रहने देते है वो सब आगे स्टोरी में आ जाएगा लेट अस नोट काउंट दा ट्रीस लेट अस ईट दा फ्रूट्स )

शाम को कामया नहा धोकर तैयार थी उसे गुरु जी के पास जाना था मंदिरा और रूपसा उसके पास थी बहुत कुछ बताया था उसे बस एक झिझक थी उसके अंदर और एक डर था गुरु जी का सबके साथ और अकेले में गुरु जी का रूप वो देख चुकी थी पर उसे तो मजा ही आया था वो तो चाहती ही थी कि उसका शरीर को सुख मिले पर इस सुख की कल्पना उसने नहीं की थी हाँ और गुरु जी से तो बिल्कुल नहीं की थी कैसे गुरु जी ने उसे नीचा दिखाया था जैसे उसके पास कुछ है ही नहीं कितने लोग उसके दीवाने थे क्या उसका शरीर गुरु जी को उत्तेजित नहीं करता होगा क्या वो दिखने में इतनी बुरी है उसे तो बड़ा घमंड था अपने ऊपर कितनी सुंदर दिखती थी वो हर कुछ तो ठीक था उसका फिगर से लेकर रंग तक क्या कमी है उसमें जो कुछ मंदिरा ने और रूपसा ने उसे बताया था क्या वो जरूरी है एक औरत के लिए उसका शरीर काफी नहीं है, , किसी को उत्तेजित करने को 


शायद नहीं वो यह काम तो गुरु जी के साथ नहीं कर पाई थी बल्कि गुरु जी ने तो एक बार भी ऐसा कुछ नहीं किया था कि उसे लगे कि वो उत्तेजित थे बस उनके छोटे ही वो खुद पागल हो उठी थी रूपसा और मंदिरा ने कितनी कोशिश की थी उनका लिंग को खेलते हुए उत्तेजित करने का पर हुआ तो कुछ नहीं तो क्या है इस लीला का अंत और क्या चाहते है गुरु जी उससे कामया खुद सोचते हुए और मंदिरा और रूपसा के साथ गुरु के रूम की ओर बढ़ रही थी उसी फ्लोर में ही वो कही बैठे थे यह मंदिरा और रूपसा को ही मालूम था आज का ड्रेस उसका वैसा ही था कुछ अलग नहीं था वही महीन सा कपड़ा दोनों कंधे से नीचे घुटनों तक आता था कमर में गोल्डन करधनी थी और कपड़े को गोलडेन चैन से साइड और आगे पीछे की और आपस में जोड़ा गया था कामया को आज अपने कपड़ों से कोई दिक्कत नहीं था हर कोई ऐसा ही कपड़ा आश्राम में पहेंटा त और इससे भी खुला हुआ था रूपसा और मंदिरा तो साइड में पिन अप भी नहीं करती थी बस सामने से ही थोड़ा सा अटका रखा था उनका तो पूरा शरीर ही कपड़े से बाहर झाँक रहा था गोरा रंग और उसपर कयामत को भी मात देने वाला शरीर था दोनों का शायद ही कोई मर्द इन दोनों महिलाओं को देखकर अपने आपको रोक पाए कामया के दिल में भी एक ईर्ष्या ने जनम ले लिया था गुरु जी को भी यह दोनों पसंद थी और हो भी क्यों ना गजब का शरीर था उनका एकदम साँचे में ढला हुआ हर अंग कुछ कहता था हर एक अंग खिला हुआ था एक आमंत्रण देता हुआ चलने का ढंग इतना मादक था कि देखते ही बनता था कामया तो डरी हुई सी चल रही थी पर उन दोनों का हर स्टेप इतना सटीक था की शायद जमीन भी उनको अपने ऊपर चलने से रोक ना पाती जाँघो की झलक से कामया भी मंत्रमुग्ध हो उठी थी चलते में भी वो दोनों कामया को कुछ ना कुछ समझाती हुई ही आगे बढ़ रही थी 


मंदिरा - ध्यान रखना रानी साहिबा आज गुरु जी को चित कर देना जैसा वो चाहते है और जैसा हमने आपको सिखाया है करना कोई शरम वरम मत करना फिर देखना गुरु जी आपके अलावा कुछ नहीं सोचेंगे बस एक बार उनका मन भर जाए फिर देखना क्या-क्या सिखाते है आपको वैसे भी आप बहुत खूबसूरत है 

रूपसा- हाँ वो तो है तभी तो गुरु जी का दिल आया है आप पर नहीं तो कौन अपनी पूरी संपत्ति किसी को दे देता है और तो और आपको तो उनका पूरा ध्यान रखना भी चाहिए नहीं तो उनको कैसा लगेगा, 

मंदिरा बिल्कुल बस जैसा हमने आपको बताया है वो करती जाना बिल्कुल नहीं सोचना कि गुरु जी को क्या लगेगा 

रूपसा- ठीक है ना कि कुछ और करेंगी ना 
और दोनों हाथों से कामया के चहरे को अपने पास खींचकर एक हल्का सा चुंबन उसके गालों पर कर दिया था 

कामया ने देखा था कि वो लोग एक बंद दरवाजे के सामने खड़े थे और फिर मंदिरा ने भी वही किया उसे एक हल्का सा चुंबन दिया और दरवाजा खोलने लगी थी 

कामया का पूरा शरीर सनसना रहा था एक अजीब सी खुशी और एक घबराहट ने उसके पूरे शरीर को जकड़ रखा था अंदर घुसते समय उसे एक बार अपने पुराने दिनों की बात याद आ गई थी जब उसे इसी तरह से कामेश के कमरे में सजाकर रखा गया था उसके लिए आज भी कुछ वैसा ही रोमचित सा था कामया का मन और शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना ने घर कर लिया था पर शरम के मारे कुछ ना कह पाई थी वो दरवाजा खुलते ही वो लोग एक बहुत बड़े कमरे में दाखिल हुए दूर एक कोने में गुरु जी एक बड़े से पलंग पर बैठे हुए थे वही सफेद रंग की धोती और अंगरखा डाल रखा था उन्होंने कामया और दोनों महिलाओं को देखकर गुरु जी कुछ सम्भल कर बैठ गये थे और एकटक कामया की ओर देखते रहे कामया पहले तो थोड़ा सा घबराई हुई थी पर जैसे ही रूपसा ने उसके कमर पर एक चिकोटी काटी वो अकड़कर चलने लगी थी जैसे कोई मॉडल चलती है अपनी टाँगो को बहुत ही तरीके से रखते हुए गर्दन एकदम सीधी किए हुए आखों में एक नशा सा लिए हुए एक मंद सी मुश्कान बिखेरती हुई कामया एक-एक पग रखती हुई गुरु जी की ओर एकटक देखती हुई आगे बढ़ती रही चाल ऐसी थी कि हिरनी भी घायल हो जाए अदा ऐसी थी कि कोई भी वेश्या भी मात खा जाए शरीर के घूमने की अदा ऐसी थी कि सपा भी मात खा जाए 


गुरु जी एकटक कामया को देखते रहे और एक मंद सी मन को मोहने वाली मुश्कान को बिखेरते हुए कामया के साथ-साथ चलती हुई रूपसा और मंदिरा की ओर देखते रहे पास आते ही रूपसा और मंदिरा ने आगे बढ़ कर गुरु जी को प्रणाम किया पर कामया अपनी जगह पर ही खड़ी रही अपनी एक टाँग को थोड़ा सा आगे करते हुए ताकि उसकी जाँघो का आकार गुरु जी को साफ-साफ दिखाई दे 

गुरु जी ने हँसते हुए 
गुरु जी- आओ सखी कैसी हो बहुत चेंज आ गया है तुममे हाँ… 

कामया- जी 

गुरुजी- गजब कर दिया भाई रूपसा और मंदिरा तुमने तुम्हें तो इनाम मिलना
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