Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:12 PM,
#91
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
आखों में एक मस्ती थी और एक नशा था अपनी आखों को खोलकर बंद करने का तरीका चाहे उसे कैसा भी लगा हो पर अगर कोई देखता होता तो निश्चय ही गश खाकर गिर जाता या फिर झट से कामया को खींचकर अपनी बाहों में भर कर चूमने लगता एक नशीली आखों की मालकिन आज अपने ही नौकर को दिखाना चाहती थी कि वो क्या है और कितनी सुंदर दिखती है ब्लैक कलर की पैंटी पहनते समये एक बार कमर से थोड़ा सा पीछे की ओर भी होकर देखा था उसने नितंबों पर कैसे कसा हुआ था देखने के लिए मस्त सी शटीं कपड़े का बना वो पैंटी में सिर्फ़ पतली सी पट्टी भर थी हर तरफ और सामने से दो पट्टी उठ-ती हुई कमर के ऊपर की ओर जाती थी हड्डी के थोड़ा सा ऊपर एक छोटा सा ट्राइंगल की तरह और पीछे गदराए हुए मास के अंदर गुम हो जाती थी ब्रा भी ठीक वैसा ही सिर्फ़ सपोर्ट के लिए था जो कि नीचे भर से सपोर्ट कर रहा था और सिंथेटिक, रोप से बल्कि कहिए पट्टी से उसे सपोर्ट कर रहा था पीछे से हुक लगते ही एक बार फिर से अपने शरीर पर अपनी हाथों को फेर कर अपने आपको देखा था कामया ने और फिर बड़े ही कान्फिडेन्स के साथ मिरर की ओर देखते हुए पेटीकोट भी उठाया था शटीं का चमकीला पेटीकोट को जैसे ही उसने अपनी टांगों के साथ-साथ ऊपर की ओर उठाया उसका गोरा रंग धीरे-धीरे ढँकता चला गया था और उसकी गोरी गोरी मसल टाँगें भी उसके अंदर कही खो गई थी एक बार फिर से पलटकर और घूमकर अपने आपको देखती हुई आखों से आखें मिलाकर अपने ब्लाउसकी ओर घूमी की फोन बज उठा था 

कामया- हाँ… 

कामेश-क्या हो रहा है 

कामया- कुछ नहीं तैयार हो रही हूँ 

कामेश - हाँ… रीना और उसके पति के साथ डिनर पर जा रही हो 

कामया- हाँ… तुम्हें कैसे पता 

कामेश- वो धर्मपाल ने बताया था रीना का फोन आया था कह रही थी भाभी बहुत अच्छी है 

कामया- अच्छा और आपका क्या हुआ आज आने वाले थे 

अपने हाथों में ब्लाउसको उठाए हुए कामया बार-बार पलटकर अपने आपको ही देखती जा रही थी उसमे में कही भी कोई खामी तो नही थी या फिर एक दो बार बात करते हुए मिरर के पास जाके अपने बालों को भी ठीक किया था और आखों में भी कुछ आईब्रो में कुछ ठीक किया था 

तभी कामेश का फ़ोन आया
कामेश- यार क्या करू शायद कल निकलूंगा लंच तक पहुँच जाऊँगा ठीक है हाँ… और मंडे को बैंक के पेपर्स साइन करके ही निकलना क्योंकी गुरुवार तक गुरुजी पहुँच रहे है कहते है कि बहू से काम है 

कामया- मुझसे क्या काम है 

कामेश- यार पता नहीं वो तो वही जाने पर तुम किसी भी तरह फ्री हो जाना थर्स्डे तक 

कामया- अरे यार में तो अभी भी फ्री हूँ 

कामेश- हाँ… यार लगता है जबरदस्ती तुम्हें फँसा दिया मैंने घर पर थी ठीक थी है ना 

कामया- अरे छोड़ो में ठीक हूँ आप अपना ध्यान रखिए और सुनिए प्लीज कल आ जाना बहुत बोर लगता है अकेले में 

कामेश- हाँ… यार में भी बोर हो गया हूँ वो साला झल्ला कहाँ है 

कामया- कौन ऋषि कमरे में होगा 

कामेश- क्या कर रहा है फिल्म देख रहा होगा छोड़ो ठीक है रखता हूँ कल फोन करूँगा एंजाय युवर डिनर 

कामया- गुड नाइट 
और फिर कमाया अपने आपको सवारने में लगा गई थी ब्लाउस पहनते समय बड़े ही नजाकत से उसने एक-एक करके हुक लगाए थे और थोड़ा सा अपनी चुचियों को खींचकर बाहर की ओर भी निकाला था ब्लाउस कसा हुआ था और उसके शरीर पर एकदम फिट था साथ में गोरे रंग में वो मखमली सा ब्लाउस कोई कयामत की तरह दिख रहा था अपने आपको देखकर एक बार वो मुस्कुराई थी और नीचे देखती हुई साड़ी भी उठा ली थी उसकी साड़ी ब्लैक कलर की जिसमे सिल्वर कलर के बहुत ही छोटे छोटे डॉट थे और कही कही हल्के सिल्वर कलर के डिजाइन भी थे जो कि पार दर्शी थे शिफॉन की साड़ी हल्की और मखमली सी उसके हाथों में एक सुखद सा एहसास दे रही थी अंदर दबी हुई चिंगारी धीरे-धीरे आग पकड़ती जा रही थी कुछ दिनों से अपने शरीर की आग से लड़ते हुए कामया थक गई थी कोई नहीं मिला था उसे ना कामेश ना ही भीमा और नहीं लाखा काका 


और यह जो जानवर जिसे लिए घूम रही थी बस आग को लगाकर छोड़ देता था आज देखती हूँ क्या कहता है एक ही झटके में साड़ी को खोलकर अपने पेटीकोट पर बाँधने लगी थी नाभि के बहुत नीचे से जब उसने अपनी साड़ी को बढ़ाते हुए ऊपर की ओर उठी तो एक कयामत सी नजर आ रही थी और जब आखिरी वक़्त पर उसने आँचल को हिलाकर अपनी चूचीयों को ढका था और एक नजर मिरर पर डाला था जो सच में गजब का नजारा था उसके सामने जिस तरह का मेकप उस तरह का सजना सवरना और उसी तरह का ड्रेसिंग सेन्स कमाल का दिख रही थी कामया सच में एक कामया का रूप देख कर कोई भी बहक जाता उसे पाने को बड़ी-बड़ी आखें जब किसी पर पड़ जाए तो कोई तीर सा चल जाता था चाहे कोई मरे या घायल हो कामया तो वैसे ही खड़ी है अब सिर्फ़ इंतजार था उसे रीना से मिलने का देखे आज वो क्या पहनती है या कैसी लगती है उसे पता था कि उसके सामने रीना कही नहीं टिकेगी 


पर कब तक इंतजार करना था पता नहीं और हुआ भी ठीक ऐसा ही तैयार होते में उसने टाइम तो देखा नहीं था ऋषि की आवाज आई थी उसे कमरे के बाहर से 

ऋषि- भाभी तैयार हो गई रीना दीदी लोग निकल गये है 

कामया- हाँ हो गई 
और एक बार फिर से एक नजर अपने आप पर डाला और एक बार घूमकर भी देखा पीछे से उसकी पीठ कितनी सुंदर दिख रही थी गोरी गोरी पीठ कितनी साफ और कोमल सी और काले रंग के ब्लाउसपर से दिखता हुआ बिल्कुल कया मत वो मुस्कुराती हुई वो अपने पर्स में मोबाइल डाला और डोर की ओर बढ़ी थी 

ड्राइंग रूम में ऋषि और भोला खड़े हुए उसका ही इंतजार कर रहे थे जैसे ही डोर खुला भोला और ऋषि एक साथ मुड़े और बस दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया था कामया के देखते ही खुले हुए बालों को झटकते हुए हाइ हील को चटकाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी आखों को उन दोनों पर डालती हुई वो थोड़ा सा मचलकर चल रही थी उसकी चाल में एक मादकता थी एक कसक थी एक बला की मदहोश करने वाली अदा थी ऋषि और भोला की नज़रें एक बार जो उठी तो उठी ही रह गई थी ना कुछ ऋषि के मुख से कुछ निकला और नहीं भोला के भोला तो खेर नौकर था उससे उम्मीद भी नहीं करना चाहिए पर ऋषि की तो आँखे फटी की फटी ही रह गई थी तारीफ करने के लिए मुख तो खोला पर कहे क्या सोच नहीं पाया पर भोला की आखें उसके शरीर के हर कोने का जायजा लेती जा रही थी वाकई साड़ी में मेमसाहब गजब की लगती है अगर ऋषि नहीं होता तो शायद वो आज अपनी नौकरी की फिकर नहीं करता और नहीं अपने नौकर होने का और नहीं मेमसाहब के बुलाने का इंतजार 

कामया- चले ऋषि 
कामया अपनी तरफ उठी नज़रों को समझती हुई एक बार उसके पास आते ही बोल उठी थी उसके शरीर से उठने वाली खुशबू तो मदहोश करने के लिए ही थी जलवा और ऊपर से मदहोश करने वाली खुशबू के चलते दोनों ऋषि और भोला की आवाज तो जैसे गले में ही फस कर रह गई थी पर कामया के बोलते ही होश में आए और भोला आगे की ओर बढ़ते हुए डोर खोलकर खड़ा हो गया था और ऋषि कामया के साथ ही बाहर निकल गया था जब तक भोला डोर लॉक करके आया ऋषि और कामया गाड़ी मे बैठ गये थे भोला दौड़ कर आया और सामने की सीट पर बैठ गया था और गाड़ी सड़क पर दौड़ गई थी अंदर सभी चुपचाप थे और एक मदहोश करने वाली खुशबू में डूबे हुए अपने मुकाम की ओर बढ़े चले जा रहे थे होटेल पर पहुँचकर भी कुछ ख़ास नहीं पर हाँ… रीना का पति बड़ा ही मजेदार था थुलथुला मोटा सा खाने पीने का सौकीन था हँसता रहता था उसे कामया बहुत पसंद आई थी इसलिए नहीं की वो सुंदर थी पर इसलिए कि बड़ी ही शालीनता से उससे प्रेज़ेंट हुई थी और उसे वो इज्ज़त दी थी जैसे एक दामाद को मिलना चाहिए सो खाने के बाद जब वो वापस चले तो होटेल के मेन गेट पर 
रीना- भाभी में ऋषि को ले जाऊ एक दिन के लिए 

कामया- हाँ… हाँ… क्यों नहीं 

ऋषि- नहीं दीदी भाभी अकेली रह जाएगी ना 

रीना- अरे घर पर अकेले क्या क्यों भाभी कोई दिक्कत है कल जल्दी आ जाएगा 

कामया- नहीं नहीं कोई परेशानी नहीं भोला है ना कोई दिक्कत नहीं जाओ 

रीना- असल में भाभी ऋषि बहुत दिनों बाद मिला है ना इसलिए बस थोड़ा सा बातें करेंगे और कुछ नहीं 
और यह तय हो गया कि ऋषि रीना के साथ ही चला जाएगा और कामया अपने हुश्न का जलवा बिखेरती हुई वापस गाड़ी में बैठ गई थी और वापस अपने घर की ओर चल दी थी 


गाड़ी में अब सिर्फ़ ड्राइवर था और भोला और कामया एक अजीब सा सन्नाटा था और बाहर की ओर देखने की होड़ थी ड्राइवर तो जैसे गाड़ी चलाने में व्यस्त था पर भोला और कामया शायद एक दूसरे की ओर देखते हुए भी अंजान से बने बैठे थे भोला ने वापस आते समय भी नहीं पूछा था कि ऋषि कहाँ है या कुछ और जब कामया बैठी थी तो खुद भी बैठ गया था कामया ने ही ड्राइवर से कहा था कि गाड़ी घर ले चले ऋषि नहीं आएगा ड्राइवर और भोला ने खाना खाया कि नहीं यह भी पूछा था फिर शांति हो गई थी गाड़ी के अंदर सिर्फ़ बाहर की आवाजें आ रही थी 


गाड़ी जब तक घर पहुँचती एक अजीब तरह का सन्नाटा और एक अजीब तरह का आवेश सा बन उठा था कामया और भोला के अंदर भोला भी जानता था कि ऋषि नहीं है और कामया भी जानती थी कि ऋषि नहीं है और तो और आज तो कामया ने जान लेने वाली साड़ी पहनी थी जो कि भोला के अंदर तक उतरगई थी खाने के बाद का और घर तक का सफ़र तो कट गया पर अब एक अजीब सी कसक जाग गई थी दोनों के अंदर जैसे कि दोनों ही एक दूसरे का इंतजार में थे कि कौन आगे बढ़े भोला अपने को रोके हुए था और कामया उसके आगे बढ़ने का इंतजार करती हुई पीछे बैठी हुई थी 


पर जैसे ही गाड़ी रुकी और भोला जल्दी से उतर कर पीछे का डोर खोलकर खड़ा हुआ उसकी नजर कामया के सीने पर पड़ी बैठी हुई कामया के सीने से आँचल जो ढलका हुआ था उसके अंदर का पूरा हिस्सा जो कि खुला हुआ था उसकी नजर के सामने चमक उठा था वो अपनी नजर नहीं हटा पाया था उस सुंदरी से उसकाम की देवी से उस सुंदरता से जिसे वो कई दिनों से अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता था पर आज का माहौल ठीक उसके आनुरूप था घर पर वो अकेली थी और उसे रोकने वाला कोई नहीं था और तो और आज कामया ने जो साड़ी पहनी थी वो शायद उसे ही दिखाने के लिए ही पहनी थी ना जाने क्या-क्या सोचते हुए भोला अपनी नजर को मेमसाहब पर टिकाए हुए उसकी मादकता को अपने अंदर समेटने की कोशिश करता जा रहा था उसके गोरे गोरे पेट और फिर उसके नीचे उसकी नाभि और टाइट से बँधी हुई साड़ी में उसकी नग्नता को और भी उजागर कर रहे थे 
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RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू - by sexstories - 01-18-2019, 02:12 PM

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