RE: Indian Sex Story खूबसूरत चाची का दीवाना र�...
तभी अचानक घर की दूर बेल बजती है और दोनों चौंक जाते हैं…
राज : नहीं यार…. ये कौन साला कबाब में हड्डी बनने चला आया…
रजनी मुस्कुराते हुए दरवाजा खोलने चली जाती है…
घर का दरवाजा खोलते ही वो चौंक जाती है…
घर का दरवाजा खुलते ही रजनी चौंक जाती है… बाहर और कोई नहीं उसका पति अनिल खड़ा है…
अनिल : वाउ मेरी जान आज तो तुम एक दम कयामत लग रही हो…
अनिल की बात सुन के रजनी शरमाते लगती है…
फिर इस से पहले की रजनी कुछ कहती राज वहाँ आ जाता है…
राज : कौन है आंटी…?
रजनी : तुम्हारे अंकल…
राज : अरे अंकल आप बाहर क्यों खड़े हैं अंदर आइये ना… ये आप ही का घर है…
अपने भतीजे की बात सुन के रजनी मुस्कुराते हुए कहती है…
रजनी : वेरी फन्नी…
अनिल : मुझे पता है की ये मेरा घर है… लेकिन इस वक्त हम तीनों बाहर जा रहे हैं…
राज : बाहर… लेकिन कहाँ…?
अनिल : हमारे फार्म हाउस पे… वहाँ कोरीया से क्लाइंट आए हुए हैं…
राज : तो क्लाइंट से मिलने के लिए आप हम को क्यों ले जा रहे हैं… वहाँ हमारा क्या काम… क्यों आंटी मैं ठीक कह रहा हूँ ना… और वैसे भी अंकल… मैं और आंटी अभी शॉपिंग पे जा रहे हैं… उन क्लाइंट्स से आप ही मिल लो…
अनिल : जी नहीं ये पॉसिबल नहीं है… तुम दोनों को मेरे साथ वहाँ चलना ही पड़ेगा… क्यों की मुझे कोरियन भाषा नहीं आती… राज : तो मुझे कौन सी आती है…
अनिल : रजनी को आती है… वो उन क्लाइंट्स से बारे आराम से बात कर सकती है… और रही बात शॉपिंग की तो… मीटिंग के बाद तुम दोनों आराम से और जी भर के शॉपिंग कर लेना…
राज और रजनी उदास मन से हाँ कह देते हैं…
अनिल : तो फिर चलो…
तीनों कार के पास जाते हैं… राज कार में भरे समान को देख के चौंक जाता है…
राज : अंकल ये क्या है…?
अनिल : ये सॅंपल्स हैं जो क्लाइंट को दिखाना है…
राज : पर अंकल हम कहाँ बैठें… कार में तो पूरा समान भरा है… मेरे और आंटी के लिए जगह है ही कहाँ…
अनिल : पीछे वाली सीट पे है ना जगह… तुम दोनों वहाँ बैठ जाना…
राज : अंकल पीछे वाली सीट पे तो एक ही आदमी के बैठने की जगह है… आंटी और मैं वहाँ कैसे बैठेंगे…?
राज : आप कुछ सॅंपल्स निकाल दो ताकि हम आराम से बैठ के जा सके…
अनिल : नहीं मैं इन में से एक भी सॅंपल नहीं निकाल सकता…
राज : तो फिर आप ही बताओ की हम क्या करे…
अनिल : एक रास्ता है अगर तुम्हें ठीक लगे तो…
रजनी : और वो क्या है…?
अनिल : वो ये की अगर राज कार में बैठ के तुम्हें अपनी गोद में बैठा ले तो बात बन सकती है…
रजनी : पर अनिल यहाँ से फार्म हाउस का सफ़र 5 से 6 घंटे का है…
अनिल : हाँ मुझे पता है… लेकिन तुम इतनी भारी नहीं हो की राज तुम्हें अपनी गोद में ना बैठा सके… क्यों राज क्या कहते हो… क्या तुम अपनी आंटी को फार्म हाउस तक अपनी गोद में बैठा सकते हो…
राज : हाँ हाँ…. क्यों नहीं… अगर आंटी को मेरी गोद में बैठने में कोई प्राब्लम ना हो तो… क्यों आंटी क्या कहती हो…
रजनी : अगर तुम्हें मुझे अपनी गोद में बैठाने में कोई प्राब्लम नहीं है… तो मुझे क्यों प्राब्लम हो गी…
अनिल : चलो… अब जल्दी से बैठ जाओ… हम को पहले ही बहुत देर हो गई है…
राज और अनिल दोनों कार में बैठ गये… अनिल ड्राइविंग सीट पे और राज बेक सीट पे…
रजनी : मैं अभी आई…
ये कह के रजनी घर के अंदर अपने रूम में जाती है और जल्दी से अपनी पैंटी पहन के एक कोट हाथ में ले के बाहर आ जाती है…
राज : आंटी ये कोट किस लिए…?
रजनी : मीटिंग के लिए…
अनिल : रजनी अब जल्दी करो… हम लेट हो रहे हैं…
रजनी : हाँ हाँ चलो…
राज अपनी आंटी को अपनी गोद में बैठने का इशारा करता है… और रजनी शरमाते हुए अपने भतीजे की गोद पे बैठ जाती है…
अपने भतीजे की गोद में बैठ के जब रजनी ने नीचे देखा तो उसे ये एहसास हुआ की उसकी स्कर्ट काफी ऊपर उठ गई है… और उसकी गोरी चिकनी जाँघ साफ नज़र आ रही है…
राज इस वक्त टी-शर्ट और लूस शॉर्ट्स में है… रजनी शरमाते हुए कार का दरवाजा बंद कर देती है…
रजनी के नंगे चिकने पैर अपने भतीजे के पैरों से पूरी तरह से चिपके हुए हैं…
रजनी शरमाते हुए अपने भतीजे से पूछती है…
रजनी : राज तुम्हें कोई प्राब्लम तो नहीं हो रही है ना…
राज : नहीं आंटी… मुझे कोई प्राब्लम नहीं है… बल्कि मुझे तो बहुत मजा आ रहा है…
तभी अनिल कहता है…
अनिल : अब चलें…
रजनी : हाँ चलो…
कार में इतना समान भरा हुआ है की… ना ही अनिल पिछली सीट पे बैठी अपनी बीवी और राज को देख पा रहा है… और ना ही इन दोनों आंटी राज को अनिल नज़र आ रहा है… इन हे कुछ दिखाई दे रहा है तो वो है एक दूसरे के सर के बाल… और कुछ नहीं…
अनिल : रजनी तुम अपने भतीजे की गोद में ठीक से तो बैठी हो ना… तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है ना…
रजनी ने अपने चूतड़ को अपने भतीजे की गोद में एडजस्ट करते हुए कहा…
रजनी : तुम फिक्र मत करो मैं अपने भतीजे की गोद में बड़े मजे से… मतलब आराम से बैठी हूँ… तुम एक काम करो रेडियो ऑन कर दो ताकि गाने सुनते सुनते वक्त आराम से कट जाए…
अनिल ने रेडियो ऑन कर दिया… तीनों गाने का मजा लेने लगे…
तभी अचानक रजनी को अपने चूतड़ के बीच में कुछ कड़क सा महसूस होने लगा… उसने फौरन अपने चूतड़ को हिला के अपने भतीजे की गोद में खुद को एडजस्ट किया… लेकिन उस कड़क पन का एहसास कम होने के बजाए और बढ़ने लगा… तभी उसे ये एहसास हुआ की जो कड़क चीज़ इस वक्त उसके चूतड़ के बीच में चुभ रही है वो और कुछ नहीं बल्कि उसके अपने भतीजे का लंड है… जो की हर पल के साथ खड़ा हो रहा है… रजनी मस्ती और डर के मारे सिहर उठी…
वो ये सोचने लगी की है कहीं ऐसा ना हो की मेरे चूतड़ की गर्मी अपने लंड पे महसूस कर के राज जोश में आ जाए और यहाँ कार में अंकल के सामने ही कुछ उल्टी सीधी हरकत करने लगे… मुझे उसे ऐसा करने से रोकना होगा… पर वो चाह के भी अपने भतीजे से कुछ कह नहीं पा रही है..
राज का लंड खड़ा हो के रजनी के चूतड़ के बीच से होता हुआ उसकी गांड की छेद में घुसने की कोशिश करने लगा…
रजनी की चूत अपने भतीजे लंड के एहसास से मस्ती में रस छोड़ ने लगी…
रजनी ने झुक के नीचे देखा तो उसे ये एहसास हुआ की इस वक्त उसकी स्कर्ट ऊपर उठी हुई है और उसकी छोटी सी पैंटी साफ नज़र आ रही है… और नज़र आ रहा है पैंटी में चूत के पास का गीलापन…
उसने देखा की राज के हाथ उसकी बगल में सीट पे दोनों साइड पे हैं… वो ये सोचने लगी की कहीं राज ने उसकी चूत रस से भीगी पैंटी देख ली तो क्या होगा… कहीं ऐसा ना हो की वो जोश में आ के मुझे यहीं ना चोदने लगे…
उसे धीरे धीरे इन सब में मजा आने लगा… उसके जिस्म में मस्ती की ल़हर दौरने लगी… आज अपने पति के सामने मैं अपने भतीजे की गोद में बैठी हूँ और मेरे राज का लंड मस्ती में आ के खड़ा हो रहा है… और इस एहसास से मेरी चूत गीली होने लगी है… अभी हम को ट्रॅवेलिंग में सिर्फ़ आधा घंटा हुआ है और अभी से हम आंटी राज का मस्ती में ये हाल है… अभी तो करीब 5 घंटे का सफ़र और बाकी है…
ना जाने आगे क्या होने वाला है…
रजनी की आखों में मस्ती की लाली है और उसकी चूत में मस्ती का पानी है…
वो ये जानती है की उसका पति उसकी ऊपर खिसकी स्कर्ट और गीली पैंटी नहीं देख सकता है… दोनों आंटी राज कार में रखे सामान की आड़ में छुपे हुए हैं…
वो ये सोच ही रही थी की तभी राज थोड़ा शिफ्ट हुआ जिस से उसका लंड रजनी की गांड के छेद में घुसने लगा… लेकिन इस से पहले की राज का लंड रजनी की गांड में घुसता… रजनी फौरन पीछे खिसक गयी… अब राज का लंड रजनी की गांड से निकल के उसकी चूत में घुसने की कोशिश करने लगा…
रजनी ने मस्ती में सिसकते हुए अपने भतीजे से पूछा…
म्म्म्ममम… राज तुम्हें कोई तकलीफ तो नहीं हो रही है ना बेटा…
राज : नहीं आंटी… मैं ठीक हूँ… तुम बताओ तुम्हें कैसा लग रहा है…?
रजनी : मुझे जो महसूस हो रहा है वो लाजवाब है… मुझे बेहद मजा आ रहा है… आज पहली बार मुझे कार में सफ़र करने में इतना मजा आ रहा है…
रजनी : राज मुझे लगता है की सीट पे रखे रखे तुम्हारे हाथ दर्द करने लगे होंगे…
राज : हाँ आंटी…
रजनी : तुम ऐसा क्यों नहीं करते की अपना हाथ आगे कर ताकि तुम्हें थोड़ा आराम मिल सके…
ये कह के रजनी ने राज के दोनों हाथ उठा के अपनी जाँघ पे रख दिया…
रजनी : अब ठीक है… इस तरह से तुम्हें कोई तकलीफ नहीं हो गी…
राज : हाँ आंटी तुम ठीक कहती हो… ऐसे मुझे बड़ा आराम मिल रहा है…
ये कह के राज अपना हाथ अपनी आंटी की चिकनी जाँघ पे फिराने लगा… धीरे धीरे उसकी उंगलियाँ रजनी की पैंटी की तरफ बढ़ने लगी… रजनी का दिल चाहने लगा की उसका भतीजा जल्द से जल्द उसकी चूत को अपने हाथ में ले के मसलने लगे… अपने पति की मौजूदगी में वो चाह के भी अपने भतीजे को अपनी चूत में उंगली करने के लिए नहीं कह पा रही है..
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