RE: Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न
मैंने भाभी को उठा के अपनी गोदी में करके उनके नंगे जाँघों पर अपना हाथ फेरते हुए अपने गालों को उनके गालों से सटाते हुए कहा: भाभी थोड़ी शर्माती हैं, शायद हमारे उम्र के अंतर की वजह से। (मैंने भाभी कहा था उनकी माँ के सामने, उनकी माँ ने कुछ बोला नहीं पर वो भी धीरे धीरे असहज हो रही थी। उनकी 38 साल की बेटी को 23 साल का लड़का उनके सामना अनुपयुक्त तरीके से छु रहा था।) भाभी ने खुद को मेरे बाहों से निकलने की कोशिश की। मैंने उनकी माँ को देखते हुए बोला: देखा माँ, ऐसे ही करती हैं।
राहुल की माँ: बैठी रह बेटी, सुनीलजी तुझे प्यार कर रहे हैं, और तू नखरे दिखा रही है।
मैंने भाभी पे अपनी गिरफ्त बढ़ा दी, और उन्हें गालों पे धीरे-धीरे चूमने लगा। राहुल की माँ उठ-कर अंदर जाने लगीं और बोलीं- सुनीलजी आप प्यार कर लीजिये अगर मधु फिर तंग करे तो बताइयेगा। उनके जाते मैंने बोला- राहुल को माँ जी बहार भेजिएगा थोड़ी देर में।
उनके जाते ही भाभी ने गुस्से में दबा के आवाज़ से बोला- ये क्या है, दो मिनट शान्ति से नहीं बैठ सकते क्या, और मुझे भाभी क्यों बुला रहो हो उनके सामने? दिन भर चोदते रहते हो, और माँ को ऐसे बता रहे हो जैसे मैं तुम्हे बदन छूने भी नहीं देती। भरोसेमंद नहीं हो तुम, सुनील। गन्दगी भरी है तुम्हारी सोच में।
मैं: माँ तुम नाराज़ मत हो, वो तो मैं उतेज्जित हो गया था इसलिए।
भाभी: माँ? तब भाभी? आदमी नहीं हो तुम! केवल हवस सूझता है तुम्हे (भाभी अब वकाई गुस्से में थी, पर मुझे अच्छा लग रहा था क्यूंकि आज वो खुल के बोल रही थीं)
तभी वहाँ राहुल आ गया, और वो उसकी माँ जहां बैठी थी वहीं बैठ गया। मैं उससे पूछा: और राहुल जी, मैडमजी को क्यों नहीं ले आये? (मैं बेशर्मी से राहुल के सामने ही भाभी के स्तनों को धीरे धीरे मसलने लगा, भाभी गुस्से से जल रहीं थी पर वो सहज बने रहना चाहती थीं)।
राहुल: (भाभी की और देखा और फिर मेरी और देखते हुए बोला) दरअसल वो प्रेग्नेंट हैं तो मैंने उन्हें मायके भेज दिया है।
मैं: अरे वाह congratulations । भाभी तुम भी congrats करो राहुल को।
भाभी: Congrats राहुल
राहुल: (हैरान था की मैं उसकी दीदी को भाभी बुला रहा था और उन्हें अध्नंगी किये अपनी गोदी में बिठाये उनके स्तनों को मसल रहा था।) थैंक्स मधु दीदी एंड सुनील जी।
भाभी के विशाल स्तनों पे हाथ रखे मैंने राहुल से पूछा: आपकी मधु दीदी आपको खूब याद करती हैं!
तभी राहुल के पापा भी बाहर आ गए। भाभी बड़े गुस्से में दबे आवाज़ से बोलीं छोडो, मैंने उनके स्तनों पे अपने बाहों की पकड़ और बढ़ा दी। वो जिद कर सकती थीं पर उन्हें पता था की मैं किस भी हद तक जा सकता था वासना के लिए। वो चुपचाप बैठी रहीं मेरे लंड पे।
भाभी से स्तनों को हाथों में भर के मसलते हुए मैंने भाभी के पापा से बोला: नमस्ते डैड, आप अच्छे तो हैं!
राहुल के पापा: नीचे देखते हुए, हाँ ठीक हूँ, बेटे।
भाभी: पापा, आप सब की बहुत याद आती थी, अच्छा किया आप सब आ गए।
राहुल: जीजाजी आपको ऑफिस नहीं जाना क्या?
मैं: हाँ , मुझे आज ऑफिस जाना है, आज तो जरुरी काम है।
फिर मैंने भाभी को वहीँ सोफे पे छोड़ के तैयार होने लगा, अपने कमरे में भाभी के कपड़ों को almirah के लॉकिंग सेक्शन में बंद करके मैं ऑफिस चला गया।
वो जिद कर सकती थीं पर उन्हें पता था की मैं किस भी हद तक जा सकता था वासना के लिए। वो चुपचाप बैठी रहीं मेरे लंड पे।
भाभी से स्तनों को हाथों में भर के मसलते हुए मैंने भाभी के पापा से बोला: नमस्ते डैड, आप अच्छे तो हैं!
राहुल के पापा: नीचे देखते हुए, हाँ ठीक हूँ, बेटे।
भाभी: पापा, आप सब की बहुत याद आती थी, अच्छा किया आप सब आ गए।
राहुल: जीजाजी आपको ऑफिस नहीं जाना क्या?
मैं: हाँ , मुझे आज ऑफिस जाना है, आज तो जरुरी काम है।
फिर मैंने भाभी को वहीँ सोफे पे छोड़ के तैयार होने लगा, अपने कमरे में भाभी के कपड़ों को almirah के लॉकिंग सेक्शन में बंद करके मैं ऑफिस चला गया।
राहुल तब तक वैसे ही उतेज्जित हो चूका था। उसके माँ, बाप समझ रहे थे की मैं थोड़ा मॉडर्न था और मुझे इस बात की कोई शर्म नहीं थी, पर राहुल को पता था की बात क्या है। उसने भाभी के बदन के फैलाव को भी नोटिस किया होगा। मेरे जाने के बाद भाभी मेरे कमरे में आ गयी और वो तीनो दुसरे कमरे में। थोड़ी देर में आभा आयी और भाभी के कमरे में चली गयी और भाभी से बोली- माँ जी, आपके घर वाले आने वाले थे न?
भाभी: हाँ, आभा! माँ, छोटा भाई और बाबूजी आये हैं। उन्होंने सारे कपड़े almirah में बंद कर दिया है, इन कपड़ों में शर्म आती है इसलिए नहीं जाती।
आभा: माँ जी, अपनों से क्या शर्माना। मैं बुला लाती हूँ, और फिर तुरंत जा के राहुल को बुला लायी और बोली- आप माँ जी के छोटे भाई हैं।
राहुल: माँ जी ? (राहुल के साथ-साथ भाभी भी आश्चर्यचकित थीं। माँ जी तो बस आभा को उनके और मेरे होते हुए बोलना था पर आभा ने ये जान-बूझकर किया था दरअसल मैंने जाते हुए आभा को फ़ोन कर दिया था की वो राहुल और भाभी को करीब लाये)
आभा: हाँ, सुनील भैया की माँ ही तो हैं ये। आप इनके भाई तो सुनील भैया के मामा। नहीं? (और फिर आभा हसने लगी)
राहुल: (अचरज से भाभी को देखते हुए) ये क्या कह रही है दीदी?
भाभी: दरअसल हमें मकान मिलने में दिक्कत होती है इसलिए हम यहां माँ-बेटे बता के रहते हैं। (ये तो मजाक कर रही है इसे बता रखा है)
आभा: सुनील भैया बच्चे से भी लगते हैं न! अगर राहुल भैया आप होते सुनील भैया की जगह तो ऐसे बताने की जरुरत नहीं पड़ती।
राहुल ने अपने सर नीचे कर लिया और कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया।
आभा: (भाभी के पीछे जा के उनके बदन को अपने बाहों में जोर से करके राहुल से बोली) और करीब आ जाओ भैया, आप बड़े दूर-दूर से बैठे हो। माँ जी काटेंगी नहीं।
फिर आभा धीरे-धीरे भाभी के स्तनों और जाँघों पर हाथ फेरने लगी। ) दरअसल सुनील भैया माँ जी से बहुत प्यार करते हैं, वो चाहते हैं की मैं इनकी खूब मालिश किया करूँ।आप-लोग माँ जी की मालिश नहीं करते थे न! इन्हे मालिश की कमी लगती है।
राहुल: (उतेजना से भर रहा था, उसके सामने उसकी गदराई बहिन को पहले मैं फिर आभा मसल रही थी) हाँ, पर अब भाभी अच्छी लगती हैं। लगता है आप दोनों के मसलने की वजह से ही है (राहुल अब सीधे खुल गया था, भाभी के चेहरे पे डर था राहुल को देख के)
आभा ने मौका नहीं गवांते हुए बोला- राहुल भैया जरा अपनी दीदी को संभालना मैं किचन में खाना चढ़ा के आती हूँ।
भाभी थोड़ी हिलीं, पर तब तक राहुल ने उन्हें अपने बाहों में जकड लिया। अनजान बनता हुआ वो बोला- दीदी, ऐसे ही बैठे रहो, हिलो मत, मैं धीरे धीरे ही मसलूंगा तुम्हे।
भाभी: बिना खुले हुए) नहीं राहुल तुम रहने दो, जरुरत नहीं है।
राहुल: (पूरे नशे में था) नहीं दीदी, जीजाजी चाहते हैं।
भाभी: मैं कह रहीं हूँ न, छोड़ दे मुझे, राहुल।
राहुल: (अपनी जकड और बढ़ाते हुए) माँ जी प्लीज। (भाभी को माँ जी सुनते हुए ही लग गया की अब राहुल नहीं छोड़ने वाला था)
राहुल ने फिर खुद को दीवाल के सहारे करके भाभी के स्तनों को रगड़-रगड़ के मसलने लगा और उनके गालों और होठों को पीछे से चाटने लगा।
राहुल: दीदी, क्या औरत हो तुम! इतनी गरम, सुनील ने तो तुझे एक पूरी चुदासी औरत बना दिया है।
भाभी: गन्दी बातें मत कर राहुल, छोड़ दे मुझे
राहुल ने फिर भाभी के टॉप और पैंटी को खोल दिया और उनको पेट के बल लिटा के उनके नितम्बों में अपना लंड घुसाते हुए बोला- मादरजात, क्या औरत है तू! तुझे खुद के ही पास रखता मैं। मत मारी गयी थी जो मैंने तुझे सुनील को दे दिया। अहह.. जोर से फिर राहुल भाभी के नितम्बों में अपना लंड पेलने लगा।
आभा गेट पे आयी और भाभी को छुड़ता देख-कर बोली- हाय ये दइया रे दइया क्या औरत है माँ जी आप! अपने भाई को ही चढ़ा लिया अपने ऊपर (राहुल ये सुन के और उतेज्जित हो गया और बोला- मेरी दीदी हैं, मेरा तो पहला अधिकार है)
आभा- हाँ भैया, आपकी दीदी है, कुछ दिन के लिए ले जाओ इन्हे अपने घर।
भाभी: खुद को छुड़ाना चाह रही थीं पर बगल वाले कमरे में उसके माँ-पिता थे सो वो दबी जुबान में बोल रही थी वो राहुल अनसुना कर रहा था। आभा अंदर आ गयी और गेट अंदर से बंद कर दिया। फिर वो राहुल के पास आके उसके पीठ को सहलाते हुए बोली- इतने धीरे धीरे तो ये घोड़ी नहीं चुदेगी थोड़ी रफ़्तार बढ़ाओ भैया। राहुल ने तुरंत जोर-जोर से भाभी के नितम्बों पर उछलने लगा। पूरे कमरे में जोर-जोर से आवाज़ें आने लगीं- भाभी भी सीसिया रहीं थीं और साथ में छोड़ो राहुल छोड़ो राहुल बोल रहीं थीं।
राहुल: तू मेरी माँ होती तो तुझे नहीं छोड़ता अभी कैसे छोड़ दूँ मधु दीदी।
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