RE: Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न
जब राहुल की छोटी दीदी (सुमन) आयी शाम में तो मुझे लग गया जैसे की आज रात ही ये लोग सब फैसला कर देंगे। मैं बगल वाले कमरे में ही था जब भाभी के घर वाले उन्हें समझा रहे थे। भाभी बिलकुल कुछ नहीं बोल रही थी और थोड़ी-थोड़ी देर पे रोने भी लगती थी। सुमन ने भाभी से कहा की वैसे भी तुम्हे सुनील (मेरा नाम) के साथ ही जीवन भर रहना होगा, बेहतर होगा यदि तुम दोनों शादी कर लो। तभी राहुल ने बोला की सुनील इस बात के लिए राजी है। तब मैंने भाभी की आवाज़ सुनी वो बोली की सुनील को इस बात की समझ नहीं है वो तो अभी बच्चा है। (ये मुझे उनके तरफ से हाँ जैसे लगी)। राहुल के पिता ने मेरी तारीफ करते हुए कहा की वो कमाता है, इतना जिम्मेवार है खुद ही कह रहा था भाभी को शहर ले जा के साथ रखूँगा। बिलकुल शादी का प्रस्ताव मैंने और राहुल ने रखा था पर वो तुम्हारी जिम्मेवारी के लिए तो वैसे भी तैयार था। वैसे भी उसे तुम्हारी इतनी खूबसूरत बीवी कहाँ मिलेगी सो वो तुरंत मान गया। मैं समझ रहा था राहुल और उनके पिता की चाल वो शादी को बस एक मजह फॉर्मेलिटी की तरह पेश कर रहे थे। ये करीब घंटे भर चला पर मैं तब तक सो गया था।
सुबह सब ने खाना खाया और फिर मुझे भाभी के कमरे में बुलाया गया, भाभी नहा करके बहुत दिनों के बाद काफी फ्रेश लग रही थीं। भाभी के बगल में उनकी बहन सुमन बैठी थी। और मुझे राहुल के माता -पिता ने अपने बीच में सोफे के दूसरी तरफ बैठाया था । उनके पिताजी ने बात की शुरुवात की। मैं एक-टक भाभी को देख रहा था उनके चेहरे पे निरंतर रोने की वजह से थोड़ी उदासी आ गयी थी पर बदन वैसा ही कसा हुआ था। भाभी काफी सीरियस दीख रही थी। जैसा मैं समझ पा रहा था वो इसे बस एक फॉर्मेलिटी के रूप में देख रही थी उन्होंने पति-पत्नी के बीच के संबंधों के बारे में शायद सोचा नहीं था वरना वो मुझपे भी शक करती। वो शर्मिंदगी तो महसूस कर रही थी लेकिन उनकी शर्मिंदगी मुझे इस बात में फसाने को ले के थी। वो शर्मिंदा थीं की उनके पिता और भाई ने मुझे उनसे शादी करने की बात कही थी। राहुल के पिता ने मुझे पूछा की क्या मुझे कोई आपत्ति है इस शादी को लेकर तो मैंने कहा की मैं भाभी माँ को हमेशा खुश रखूँगा और भाभी माँ जैसा चाहेंगी वैसे ही करूँगा। राहुल की माँ ने तुरंत कहा की मैं उन्हें मधु बुलाऊँ और न की भाभी माँ। मैंने कहा माँ जी मैं अपनी मधु को हमेशा खुश रखूँगा| मैं देख सकता था की भाभी की आँखों से आंसूं छलक आये। फिर राहुल के पिताजी ने भाभी से कहा की क्या उन्हें कोई आपत्ति है तो भाभी ने भी अपने सर को ना में इशारे से घुमाया। फिर क्या था राहुल और सुमन दोनों ने मुझे जीजाजी कह के congratulate किया और भाभी की और देख के मुझसे कहा की जीजाजी हमारी दीदी का पूरा ख्याल रखना ।
अगले ही दिन हमारी कोर्ट में शादी हुई और फिर मंदिर होके हम सब लोग शाम को घर पे वापस लौट आये । हमने किसी भी दूसरे जन को पता नहीं चलने दिया था यहाँ तक की हमारे मकान-मालिक भी अनभिज्ञ थे इस बात से। भाभी के कमरे को सुमन ने सजा दिया था और रात में मुझे भाभी के कमरे में ही सोना था । मेरी तो हालत काफी ख़राब थी। उत्तेजना से परिपूर्ण मैं बैचैन था की रात कब आएगी पर मुझे ये भी नहीं पता था की भाभी कैसे रियेक्ट करेगी। मेरे दिमाग में शहर वापस जाने को लेकर काफी ख़ुशी थी क्यूंकि यहाँ तो काफी लोग थे लेकिन शहर में बस मैं और मेरी गदराई गाय होगी फिर तो मैं उन्हें दिन-भर चोदूँगा। रात आ गयी और जब मैं अंदर कमरे में जाने लगा तो सुमन और राहुल ने मुझे thumps up का सिग्नल दिया। सुमन ने मेरे हाथ में दूध का गिलास दिया और बोला की भाभी मेरा इंतज़ार कर रही है।
जब मैं अंदर आया तो भाभी मुझे देख के रोने लगी, मैंने उन्हें समझाते हुए कहा की भाभी माँ अगर आप नहीं चाहेंगी तो मैं कुछ नहीं करूँगा। मैंने तो आपके हित के लिए ही शादी के लिए हाँ कर दिया था। पर वो रोती रहीं। मैंने बहुत समझाया पर वो बिलकुल एक बेसुध औरत की तरह रोती ही रहीं। वैसे मैं इतने करीब था अपनी काम-इच्छा की तृप्ति के लिए लेकिन मैंने संयम से काम लेना जरुरी समझा और उनके पास बैठ के उनके
गालों से आसुओं को हाथ से पूछने लगा फिर मैंने उनके माथे पे एक चुम्बन दी। पहली बार मैं उनके शरीर को स्पर्श कर रहा था। जब मैंने उनके गालों पे हाथ रखा तो मुझे अजीब सुख की अनुभूति हुई। इतनी मुलायम थी उनकी त्वचा। फिर मैंने धीरे से उनके दोनों कन्धों पे हाथ रख के उन्हें लिटा दिया। मैंने उनसे पूछा की अगर वो साड़ी चेंज करना चाहती हैं तो मैं हेल्प कर देता हूँ। उन्होंने कुछ बोला नहीं। मैं बगल में लेट गया और उनके गालों पे आंसू पोछते हुए हाथ फेरने लगा।
मेरे अंदर असीम उत्तेजना का संचार हो रहा था । मैंने हिम्मत करके अपने हाथ को उनके होठों के बीच ले जा करके होठों को एक-दूसरे से अलग किया और फिर अपने होठों को उनके करीब ले जाने लगा। भाभी ने जैसे फुर्ती से अपने चेहरे को दूसरे तरफ कर लिया पर कुछ बोला नहीं। मैंने भी जिद नहीं की। मैं अपने हाथ को भाभी के विशाल स्तनों के ऊपर फेरने लगा और उनके ब्लाउज के हुक को खोलने लगा तभी भाभी दूसरी तरफ मुँह करके रोने लगी। उनके स्तन इतने बड़े थें की मैं रुक नहीं पाया और उनके रोते हुए भी मैंने उनके स्तनों को ब्लाउज से बाहर कर दिया और उन्हें अपनी तरफ घुमा के बोला की भाभी आप रो क्यों रही हैं।मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। मैंने अपने हाथों से उनके स्तनों को धीरे धीरे सहला रहा था। वो शायद सोच रही थी की ये अभी बोल रहा था बिना उनकी मर्ज़ी के कुछ नहीं करेगा और अभी उनके स्तनों को सहला रहा है जबकि भाभी नहीं चाहती थी। सो मैंने तुरंत उन्हें सॉरी बोल उनके ब्लाउज को दुबारा लगा दिया, पर वो स्तन इतने बड़े थे की दुबारा ब्लाउज लगाने में बड़ी दिक्कत आयी। मैंने फिर भाभी से माफ़ी मांगते हुए कहा की आपका बदन ही ऐसा है की मैं फिसल गया और फिर मैं दूसरी तरफ मुँह करके सो गया।
अगली सुबह सभी अपने-अपने घर वापस जाने की तैयारी में थे। उन सबको पता थी की भाभी बिलकुल भी खुश नहीं हैं पर उन्हें इसके अलावा कोई और उपाय भी नहीं दिख रहा था। शाम में मैं और भाभी फ्लाइट से दिल्ली आ गए। राहुल ने घर को खाली करने और सारे सामान को ट्रांसपोर्ट करने की जिम्मेवारी ले ली। जब भाभी के घर के लोग जाने लगे तो मुझे बुलाकर थैंक यू कहा और बोला की मधु थोड़ी उदास है पर धीरे धीरे खुश हो जाएगी और फिर हमारे जीवन में बहुत ख़ुशी आएगी ।
रात तक हम दिल्ली (जहाँ मैं जॉब करता था) में थे, मैंने अपने मकान-मालिक को बता दिया था की भाभी भी मेरे साथ रहने आ रहे हैं। मैंने 2bhk फ्लैट ले रखा था लेकिन मुझे इस बात का डर था की कहीं भाभी और मेरी शादी की बात सबको न पता चल जाए। पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था की लोग इसे सही नहीं मानेंगे। मेड ने रात का खाना बना दिया था और मैं और भाभी खा के दूसरे कमरे में सोने के लिए आ गए।
भाभी ने nighty चेंज कर ली और मैंने बॉक्सर डाल लिया। भाभी के बदन की विशालता को उनकी nighty बिलकुल नहीं संभाल पा रही थी। मैंने भाभी को पहली बार इस nighty में देखा था| nighty पूरी खींची हुई लग रही थी । एक तरफ को उनके स्तनों के उभार की वजह से वो काफी आगे तक आयी हुई थी और फिर उनके नितम्बों के विकास के वजह से काफी पीछे तक खींची हुई थी। वो एक विशाल चुड़क्कड़ औरत की तरह लग रही थी उस nighty में । मैंने उनसे पूछा की उनके पास और nighty है की नहीं- तो उन्होंने ना में सर हिलाया । मैंने कहाँ की कहीं ये फट न जाए पूरा खिंच गया है आपके बदन के फैलाव की वजह से। उन्होंने सर झुकाते हुए कहा की सूरज (मेरे भैया) ने जान-बूझ कर ऐसा लिया था। (भाभी अभी भी मेरे भावनाओं को समझ नहीं रही थी तभी तो उन्होंने ऐसा कहा!)। मुझे ये बात बेहद उत्तेजित कर गयी और मैंने बिना समय गवाएं तुरंत कहा की भाभी माँ किसी भी मर्द को आपके जैसी एक गदराई औरत ऐसे ही तंग कपडे में चाहिए होगी (पहली बार मैंने भाभी के मुँह पे गदराई शब्द का इस्तेमाल किया था!)| भाभी झेप गयी और मैंने भी बात आगे नहीं बढ़ाई। भाभी ने लाइट बंद करने को कहा, मैं हालाँकि लाइट बंद नहीं करना चाहता था क्यूंकि मुझे भाभी के बदन को देखने का मैं कर रहा था। पर मेरे सामने पूरा जीवन पड़ा था और मैं जल्दी-बाज़ी नहीं करना चाहता था।कल की तरह ही मैं और भाभी दूसरी तरफ मुँह करके सो गए। पर मैंने एक तरकीब निकाली की धीरे धीरे मैं भाभी से पति-पत्नी वाली बातें किया करूँगा कुछ दिनों में तो हमें पूरा पति-पत्नी बनना ही है। वैसे भी भाभी ने जब इस रिश्ते के लिए हाँ किया था तो उन्हें ये अपेक्षित भी होगा की हम साथ में सब कुछ करेंगे। सुबह मैंने उन्हें मधु बुलाया वो थोड़ी शर्मायी लेकिन फिर मैंने उनसे कहा की भाभी माँ बुलाना सही नहीं है क्यूंकि हमारा रिश्ता पति-पत्नी का है। पर मैंने उन्हें प्रॉमिस किया की मैं दूसरों के सामने उन्हें भाभी माँ ही बुलाया करूँगा। उन्होंने कुछ कहा नहीं पर उन्हें इस बात पे आपत्ति नहीं दिखी।
8 बजे सुबह नौकरानी आयी और मैंने उसे भाभी माँ से मिलाया और कहाँ की ये अब यहीं रहेंगी। नौकरानी थोड़ी डर गयी क्यूंकि उसे लगा कहीं उसकी जॉब न चली जाए फिर मैंने उसे कह दिया की खाना वो ही बनाएगी, भाभी माँ बस उसे गाइड कर देंगी। और उसे भाभी माँ का पर्सनल काम भी करना है झाड़ू-पोछा के सिवा। मैंने भाभी माँ को अलग बुला कर कह दिया की आप अपने शरीर की मालिश-वालिश भी करवा लिया करना इससे। ब्रेकफास्ट करके मैं ऑफिस के लिए चला गया, पूरे दिन ऑफिस में मैं उत्तेजित रहा। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था की भाभी जैसी गदराई औरत अब मेरी बीवी थी। मैंने ऑफिस में किसी को भी नहीं बताया था मेरी शादी के बारे में लेकिन उन्हें मैंने ये बता दिया था की भाभी मेरे साथ दिल्ली रहने को आ गयीं थीं|
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