RE: मेरी मौसी और उसकी बेटी सिमरन
वह मेरे पास आ गयी तो मैंने उसे अपनी बगल मे बिठा लिया. इस बार मैं चुप बैठा टीवी देखता रहा. 5 मिनट बाद वह बार बार पहलू बदलती और मुझे देखती. मैं समझ गया कि अब सही मौका है. तब मैंने उसके गले मे हाथ डाला और बोला, “बहुत अच्छी मूवी है.”
“जी भैया.”
फिर उसे अपनी गोद मे धीरे से झुकाया तो वह मेरी गोद की तरफ झुक गयी. तब मैंने उसे अपनी गोद पर ठीक से झुकाते कहा, “सिमरन आराम से देखो टीवी मौसी तो किचन मे होगी?”
“जी भैया ठीक से बैठी हूँ.” सिमरन यह कहते हुए मेरी गोद मे सर रख लेट गयी.
वह टीवी देख रही थी और मैं उसके मम्मे. तभी उसने मुझे देखा तो मैं ललचाई नज़रों से उसके मम्मों को देखता रहा. वह मुस्काई और फिर टीवी की तरफ देखने लगी. अब वह शरमा नही रही थी. तब मैंने उसकी कमीज़ को नीचे से पकड़ा और नीचे की तरफ खींचा. वह कुछ ना बोली. मैं थोड़ा सा और खींचा तो उसके मम्मे ऊपर से झाँकने लगी. अब मैं उसकी गदराए कसे मम्मों को देखता एक हाथ को उसके पेट पर रख चुका था. हमलोग 3-4 मिनट तक इसी तरह रहे.
फिर वह मेरा हाथ अपने पेट से हटाती उठी तो मैंने कहा, “क्या हुआ सिमरन?”
“कुछ नही भैया अभी आती हूँ.”
“कहाँ जा रही हो?’
"भैया पेशाब लग आई है अभी आती हूँ करके.”
वह चली गयी और मैं उसकी पेशाब करती चूत के बारे मे सोचने लगा.
तबी वह वापस आई तो उसे देख मैं खुश हो गया. उसने अपनी कमीज़ का ऊपर का बटन खोल दिया था. मैं समझ गया कि अब वह मेरी किसी हरकत का बुरा नही मानेगी. वह आई और पहले की तरह मेरी गोद मे सर रख टीवी देखने लगी. मैंने फिर चुपके से हाथ से उसकी कमीज़ नीचे करी और फिर धीरे से उसके खुले बटन के पास हाथ लगा कमीज़ को दोनो ओर फैला दिया. मैं जानता था कि वह सब समझ रही है पर वह अंजान बनी लेटी रही. जब कमीज़ को इधर उधर किया तो उसकी आधे मम्मे दिखने लगे. वह अंदर बहुत छोटी सी ब्रा पहने थी जिससे उसके निपल ढके थे.
मैं समझ गया कि मैं अब कुछ भी कर सकता हूँ वह बुरा नही मानेगी. फिर भी मैंने पहली बार की वजह से एकदम से कुछ भी करने के बजाए धीरे धीरे ही शुरुआत करना ठीक समझा. फिर एक हाथ को उसकी रान पर रखा और 4-5 बार सहलाया. वह चुप रही तब मैंने उसकी कमीज़ के दो बटन और खोल दिए और अब उसकी ब्रा मे कसे पूरे मम्मे मेरी आँखों के सामने थी. अब मेरी गोद मे मेरी 15 साल की बहन सिमरन लेटी थी और मैं उसके मम्मों को ब्रा मे देख रहा था. ब्रा का हुक नीचे था जिसे अब मैं खोलना चाह रहा था.
मैंने दो तीन बार उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर टटोला तो मेरे मंन की बात समझ गयी और उसने करवट ले ली. तब मैंने उसकी ब्रा का हुक अलग किया. फिर उसका कंधा पकड़ हल्का सा दबाया तो वह फिर सीधी हो गयी और टीवी की तरफ देखती रही. मैं कुछ देर उसे देखता रहा फिर ब्रा को उसके मम्मों से हटाया तो उसने शरमा कर अपनी आँखे बंद कर ली.
उसके दोनो मम्मों को देखा तो देखता ही रह गया. गुलाबी रंग के बहुत टाइट थे दोनो मम्मे और निपल एकदम लाल लाल बहुत प्यारा लग रहा था. मैं उसके मम्मों को देख सोच रहा था कि सच इतने प्यारे और खूबसूरत मम्मे शायद कभी और नही देख पाउन्गा. वह आँखें बंद किए तेज़ी से साँसे ले रही थी. मैंने अभी उसके मम्मों को छुआ नही था केवल उनका ऊपर नीचे होना देख रहा था. मम्मों का साइज़ बहुत अच्छा था, आराम से पूरे हाथ मे आ सकते थे. मौसी की मम्मों के लिए तो दोनो हाथो को लगाना पड़ता था.
मैंने उससे कहा, “सिमरन.”
वह चुप रही तो फिर बोला, “सिमरन ए सिमरन क्या हुआ? तू टीवी नही देख रही. देखो ना कितना प्यारा सीन है.”
वह फिर भी चुप आँखें बंद किए रही तो मैं फिर बोला, “सिमरन देखो ना.”
“ज्ज्ज्ज्ज ज्ज जी भैया देख तो रही हूँ.”
“कहाँ देख रही हो. देखो कितनी अच्छी फिल्म है.”
तब उसने धीरे से ज़रा सी आँखे खोली और टीवी की तरफ देखने लगी. कुछ देर मे उसने फिर आँखे बंद कर ली तो मैंने उसके गालों को पकड़ उसके चेहरे को अपनी ओर करते कहा, “क्या हुआ सिमरन तुम टीवी नही देखोगी क्या?”
वह चुप रही तो उसके गालों को दो तीन बार सहला कर बोला, “कोई बात नही अगर तुम नही देखना चाहती तो जाओ किचन मे मौसी की हेल्प करो जाकर.”
उसने मेरी बात सुन अपनी आँखे खोल मुझे देखा फिर टीवी की ओर देखते बोली, “देख तो रही हूँ भैया.”
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