01-17-2019, 02:28 AM,
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sexstories
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RE: behen sex kahani मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें
कल दिन जब मैं स्कूल से वापस आया तो सीधे दीदी के रूम में गया लेकिन वो बाथरूम में थी।
"दीदीइइइइइइ।।।" मैंने उसे पुकारा।
"क्या बात है राज, क्यों बुला रहे हो" दीदी ने पूछा।
"दीदी जल्दी से दरवाजा खोलो मुझे आपसे काम है" मैं बोला।
"थोडी देर रुको मैं बस आती ही हूँ" दीदी बोली।
"नही दीदी जल्दी दरवाजा खोलो प्लीज" मैं बेसब्री से बोला।
मेरी इतनी बेसब्री से दीदी घबरा गई की मुझे कुछ हुआ तो नहीं है और बोली "दरवाजा खुला है अंदर आ जाओ"।
जैसे ही मैं अंदर गया सामने का नजारा देख कर मेरे होश उड़ गए सामने दीदी सुसु कर रही थी लेकिन मेरे आने की वजह से उसने अपनी कुर्ती का सामने वाला हिस्सा नीचे कर लिया था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
मैन दीदी के पास गया और उसके सामने बैठ गया।
"क्या बात है इतने घबराये हुए क्यों थे तुम्" दीदी ने पूछा।
"दीदी ओ।।।।व।।।।।" कहते हुए मैंने दीदी की कुर्ती का सामने वाला हिस्सा जो उसकी चूत को छुपाये हुए था की उठा दिया और दीदी की चूत को देख कर बोला "में ये देखने आया था"।
"शर्म कर मेरे भाई, चल अब बाहर निकल कहीं कोई आ न जाए" दीदी हँस कर बोली।
मै उठा और बाहर आने लगा तो देखा की रूम में मेरी छोटी बहन रानी खड़ी थी तो मैं जल्दी से वापस बाथरूम में आया और दीदी को इशारा किया की वो चुप रहै।
दीदी समझ गई और इशारे से कहा देखा जिसका डर था वही हुआ खैर दीदी उठि और सलवार पहन ली की तभी रानी ने आवाज दी।
"दीदी आप कहाँ हो" रानी बोली।
"मैं बाथरूम में नहा रही हूँ अभी आती हूँ" दीदी बोली।
"ओके मैं वेट कर रही हूँ आप जल्दी आओ" रानी बोली।
"बस अब तो हो गया काम वो वहीँ बैठ गई है अब क्या करे" रीमा दीदी बोली वो बहुत घबरा गई थी।
"दीदी आप जाओ मैं यहीं रुकता हूँ" मैं भी घबराते हुए बोला।
"नही पागल अगर वो कहीं यहाँ आगई तो।।।।।" दीदी बोली।
"हाँ ऐसा तो हो सकता है, अच्छा उसे वेट करने दो हो सकता है वैसे ही चली जाए" मैं बोला।
"तु भी न जरा भी सबर नहीं हुआ तुझसे, रात को देख लेता जो देखना था।।।।आ गया यहीं मुँह उठा कर हे भगवान अब क्या करूँ में" दीदी थरथराते हुए बोली।
"अच्छा चलो अब कुछ नहीं होता आप इधर आजाओ" कहते हुए मैंने दीदी को दीवार से चिपका दिया और खुद उसके साथ चिपक गया।
दीदी से चिपकते ही मैं उसे किस्स करने लगा लेकिन वो डरी हुई थी लेकिन धीरे धीरे उसे भी मजा आने लगा तो उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और किसिंग में मेरा साथ देने लगी।
मैने अपने पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया और दीदी से बोला "दीदी प्लीज इसे अपने हाथ में पकड़ो ना"।
मेरी बात सुनकर दीदी ने मेरा लंड अपने नरम हाथ में पकड़ लिया जो आधा खड़ा था और दीदी के हाथ लगते ही फुल हार्ड हो गया था।
"दीदी प्लीज आप मेरी तरफ बैक कर लो मैं आपकी गांड पर अपना लंड रगडना चाहता हूँ" मैं बोला।
दीदी भी फुल मजे में थी वो झट से घूम गई और उसकी मस्त गांड मेरे सामने आगई।
मैने जल्दी से दीदी की इलास्टिक वाली सलवार दीदी के घुटनो तक नीचे कर दी। अंदर दीदी ने चड्ढी तो पहनी नहीं थी जिससे उसके गोल गोल चूतड़ मेरी आँखों के सामने नंगे थे।
मेरे ऐसा करते हो दीदी ने झट से पलट कर मुझे देखा और बोली "पागल हो गए हो क्या, अभी नहीं फिर कभी कर लेंगे प्लीज अभी मौका नहीं है तुम भी ना।।।।।।"।
"दीदी लंड अंदर थोड़े ही ना डाल रहा हूँ बस ऊपर ऊपर से रगडना है चोदना थोड़े ही है" मैं बोला।
"अच्छा ठीक है लेकिन धीरे धीरे बगैर आवाज किये समझे" दीदी बोली वो मेरी बात समझ गई और वापस घूम गई।
मैने लंड पकड़ कर दीदी की गांड की दरार में रखा और धीरे धीरे मूव करने लगा दीदी को लंड टच हुआ तो बहुत अच्छा फील हुआ और उसने अपनी गांड सिकोड़ ली।
" दीदी प्लीज अपनी गांड टाइट मत करो लाइन में तो जाने दो वहीँ मजा आएगा" मैं बोला।
"मैं कहाँ कर रही हूँ वो खुद ही हो रही है क्योंकि तुम्हारा लंड गरम है ना, चलो ट्राय करती हूँ की अब ना हो" दीदी मजे से बोली।
दीदी फिर वैसे ही खड़ी हो गई तो मैंने लंड पर थूक लगाया और थोड़ी थूक दीदी की गांड की दरार पर भी लगा दी।
"अब ये क्या कर रहे हो? उफ्फ्फफ्फ्फ्।।।।।।तुम भी ना।।।।रोज नए नए तरीके क्या होगा मेरा" दीदी बोली।
"दीदी बस स्लिप होगा थूक से इसलिए लगाया है अब प्लीज चुप करके खड़ी रहो मजा ख़राब मत करो" कह कर मैंने लंड दीदी की क्रैक में रखा और हिलने लगा मुझे बहुत अच्छा लगने लगा।
"दीदी अब कैसा लग रहा है" मैंने पूछा।
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