RE: bahan ki chudai बहन का दर्द
रवि- अलका की पीठ को अपने हाथो से सहलाता हुआ उसकी गर्दन को पकड़ कर उस पर अपने होंठो से चूमता है और
अलका के रोए खड़े हो जाते है और उसके दूध के निप्पल कड़े हो जाते है और उसकी चूत मे एक हलचल सी मचने लगती
है,
रवि- अलका के कान के पास अपने मूह को लाकर दीदी इस दर्द को पाने के लिए तो लड़किया तड़पति रहती है, तुम जानती हो इस दर्द को सहने मे लड़कियो को कितना मज़ा आता है,
अलका- रवि मुझे बहुत डर लग रहा है, तूने सुबह ही कितना दर्द दिया है मेरी नथ मे.....
रवि- दीदी मैं हूँ तो फिर डर किस बात का
अलका- मुस्कुरा कर मुझे तुझसे ही तो डर लग रहा है
रवि- मुस्कुराते हुए, दीदी मैं तुम्हारा डर दूर कर देता हूँ तुम आराम से लेट जाओ और अलका को वही बेड पर लेटा देता है
और उसके करीब जाकर लेट जाता है, दोनो के बीच एक बीते का फासला रहता है और अलका और रवि की आँखे एक दूसरे को देखती रहती है और दोनो के होंठो पर एक बहुत ही हल्की मगर कामुक मुस्कान बिखर जाती है
रवि- दीदी मेरी आँखो मे देखो और कहो अब कुछ तुम्हारा डर कम हुआ
अलका- रवि को मुस्कुरा कर देखते हुए कुछ-कुछ
रवि- दीदी अगर तुम्हे पूरा डर ख़तम करना है तो तुम मुझ से चिपक कर लेट जाओ तो तुम्हे बिल्कुल भी डर नही लगेगा,
अलका- रवि को मुस्कुरा कर देखती है उसके चेहरे पर एक कामुक सी कसक नज़र आती है और वह रवि को कहती है
रवि तू ही आजा ना मेरे पास,
रवि अलका के बिल्कुल करीब आ जाता है और अलका की कमर पर हाथ रख कर उसकी मोटी गान्ड को सहलाता हुआ दीदी तुम बहुत सुंदर हो, और अलका के रसीले होंठो को कैसे ही अपने मूह मे भरता है अलका रवि से कस कर चिपक जाती है और रवि भी अपनी दीदी की मोटी गान्ड को कस कर दबाते हुए उसको अपनी ओर खींच कर ज़ोर से अपने बदन से चिपका लेता है,
अलका की गोरी-गोरी जांघे उसकी स्कर्ट से झलकने लगती है और रवि उसकी मोटी-मोटी जाँघो पर अपना हाथ फेरते हुए अपनी दीदी के होंठो को चूमने लगता है,
रवि अलका के होंठ उसके चेहरे को देख -देख कर रुक-रुक कर बहुत प्यार से चूस रहा था और अलका अपनी आँखे बंद
किए हुए अपने भाई से चिपकी हुई थी उसकी मोटी-मोटी चुचियाँ उसकी गहरी सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी, रवि
उसका चेहरा देखता और अपनी दीदी के हुस्न पर मुग्ध होकर उसके रसीले लबों को खूब गहराई के साथ चूमता और फिर उसके चेहरे को देखता और फिर उसके लबों को खूब गहराई के साथ चूमता, रवि द्वारा इस तरह रुक-रुक कर खूब गहराई के
साथ अपने रसीले होंठ चूसे जाने से अलका की चूत से पानी बह निकला और अलका अपनी नशीली आँखे खोल कर रवि को
देखने लगी, रवि ने अलका के कसे हुए दूध को अपने हाथो से मसलते हुए अपनी दीदी के लबों को फिर चूम कर उसकी
आँखो मे देखने लगा, रवि अपनी दीदी के लाजवाब हुस्न को देख कर अपने मन मे सोचता है कि दीदी जब तुम्हारा
मादक रूप इतना नशीला है तो तुम्हारी चूत कितनी नशीली होगी,
रवि- दीदी अपनी जीभ दिखाओ ना
अलका अपने मूह को रवि के सीने से छुपाते हुए नही
रवि उसके दूध को कस कर मरोड़ता हुआ, दिखाओ ना मेरी जान और अलका का चेहरा उपर उठा लेता है, अलका के चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ जाती है और रवि की आँखो मे देखने लगती है,
रवि अलका के होंठो को चूम कर दीदी दिखाओ ना और अलका रवि को अपने कामुक चेहरे को थोड़ा समेटती हुई अपने लबों
को धीरे से खोल कर अपनी रसीली जीभ को थोड़ा सा बाहर करती है कि रवि लपक कर अपनी दीदी की जीभ को अपने होंठो से पकड़ लेता है और अलका की जीभ को खीच कर अपने मूह मे भर कर उसका रस पीने लगता है और अलका तड़प कर अपनी चूत को रवि के लंड से दबाती हुई उसके बदन को अपने बदन से कस लेती है और फिर रवि अपनी दीदी की रसीली जीभ को उसके मोटे-मोटे दूध को दबाते हुए इस कदर पीता है कि अपना मूह पूरा अपनी दीदी के मूह मे भर कर पागलो की तरह उसकी रसीली जीभ को चूसने लगता है और अलका की पूरी पेंटी उसके चूत रस से भीग जाती है,
रात के 12 बज चुके थे और रवि अपनी दीदी के मस्ताने कसे हुए दूध को मसल -मसल कर लाल कर देता है और उसके
रसीले होंठो को इस कदर चूस्ता है कि उसके होंठ भी पूरे लाल हो जाते है, अलका रवि से चिपकी हुई गहरी-गहरी साँसे लेती
रहती है, बाहर जबरदस्त बारिश शुरू हो जाती है..... अंदर भी तूफान बाहर भी तूफान वाली स्थिति बनी हुई थी.....
रवि- दीदी
अलका- अपनी आँखे खोल कर ---हूँ
रवि- मुस्कुरा कर दीदी अब तुमको डर लग रहा है क्या
अलका- ना मे अपनी गर्दन हिलाते हुए मुस्कुरा देती है
रवि- दीदी काफ़ी गर्मी हो रही है ना
अलका- हूँ
रवि- मैं अपनी शर्ट उतार देता हूँ और रवि अपनी शर्ट उतार कर सेंड़ो बनियान मे आ जाता है और अलका उसके कसरती
बदन को एक टक देखती रहती है,
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