RE: bahan ki chudai बहन का दर्द
अलका बेसूध सी होकर रवि के लंड के उपर चढ़ि हुई थी और रवि का लंड अलका की मोटी गान्ड के नीचे दबा हुआ था जिसकी चुभन शायद अलका को भी महसूस हो रही थी रवि अलका को अपनी गोद मे बैठाए-बैठाए अपनी पीठ को तकिये पर रख कर टिक जाता है और अलका उसके उपर चढ़ि हुई लेट जाती है और रवि अलका को अपने सीने से चिपका लेता है, रवि अलका की पीठ को सहलाता हुआ एक हाथ से उसके बालो के उपर फेरता हुआ उसके सर को सहला रहा था और अलका अपनी दोनो टाँगे रवि के आसपास करके उसके उपर अपनी आँखे बंद किए पड़ी हुई थी,
कुछ देर इसी तरह पड़े रहने के बाद अलका अचानक उसके उपर से उठकर उतरने लगती है तो रवि उसको रोकते हुए
रवि- दीदी कहाँ जा रही हो,
अलका- रवि हट मुझे उतरने दे
रवि- दीदी ऐसे ही बैठी रहो ना तुम्हे अपने उपर चढ़ाने पर मुझे बहुत अच्छा लगता है,
अलका- नही रवि ये सब ठीक नही है,
रवि- अलका का हाथ जबरन पकड़ कर उसे अपनी ओर खिचता हुआ, क्यो ठीक नही है, मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हारे बिना नही रह सकता हूँ
अलका- नही रवि ये सब ठीक नही है और हमे यह सब यही रोक देना चाहिए
रवि- दीदी अब मैं पीछे नही हट सकता और अलका के दूध को पकड़ लेता है
अलका रवि का हाथ हटा कर झटके से उसके उपर से उतर जाती है रवि फिर से उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खिचता है, अलका अपना हाथ छुड़ाते हुए, रवि छोड़ मेरा हाथ और जा अपने रूम मे,
रवि खड़ा होकर अलका के मूह को पकड़ कर---
रवि-दीदी तुम बहुत नखरा करती हो आज मैं तुम्हे चोदे बिना नही जाउन्गा और अलका को पकड़ कर बेड पर गिरा देता है,
अलका रवि को धकेलते हुए, गुस्से से रवि अब बहुत हो गया, अब अगर तूने मुझे छुआ भी तो मुझसे बुरा कोई नही होगा,
रवि- उसका हाथ छोड़ते हुए, दीदी बहुत हुई ये आँख मिचोली, क्या तुम मुझे प्यार नही करती हो जो इस तरह बिहेव कर रही हो,
अलका- हाँ नही करती, और ना कभी करूँगी
रवि- तो फिर वह क्या था जो इतने दिनो से चल रहा था
अलका- मैं वो सब नही जानती और तू जा यहाँ से
रवि- अच्छा तुम नही जानती, तो फिर चलो मेरे साथ और अलका का हाथ पकड़ के भगवान के घर मे बने छोटे से मंदिर की मूर्ति के सामने लेजा कर अलका का हाथ पकड़ कर मूर्ति पर रखते हुए, तो खाओ कसम की तुम मुझसे प्यार नही करती, और मैं तुम्हारा हाथ इस मूर्ति से तब तक नही हटाने दूँगा जब तक तुम कसम खाकर ना कह दो कि तुम मुझसे प्यार नही करती
अलका चुपचाप खड़ी रहती है और रवि उसको देखता रहता है, रवि का मूड बहुत खराब हो चुका था और वह काफ़ी गुस्से मे आ चुका था या यू समझ ले कि उसके प्यार पर एक वॉर हो चुका था जिसकी वजह से वह तिलमिला गया था और इस समय वह खुद के काबू मे नही था,
अलका- मुझे नही खाना कोई कसम वसम, मैं जा रही हूँ और वह जाने के लिए पलटती है तभी रवि उसका हाथ ज़ोर से पकड़ कर अपनी ओर खिचते हुए
रवि- दीदी तुम तो नही कह सकती ना कि तुम मुझसे प्यार नही करती और यह भी नही कर सकती कि मुझसे इज़हार कर दो कि रवि मैं तुझसे प्यार करती हूँ, लेकिन मैं यह जनता हूँ कि तुम मुझसे प्यार करती हो
अलका- गुस्से से रवि को देखते हुए अगर मैं कह भी दूं कि मैं तुझसे प्यार करती हूँ तो उससे क्या होगा, हाँ ले मैं कहती हूँ कि मैं तुझसे प्यार करती हूँ, तो क्या तू मुझे सारी जिंदगी के लिए अपना बना लेगा,
रवि- दीदी तुमने दिल से तो नही कहा कि मैं तुझसे प्यार करती हूँ लेकिन तुम जानना चाहती हो कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ कि नही तो आज मैं तुम्हे दिखा देता हूँ कि मैं तुमसे कितनी मोहब्बत करता हूँ और मैं तुम्हे अपना बना कर ही रहुगा, और इस बात के लिए मुझे दुनिया की कोई ताक़त नही रोक सकती,
रवि अलका का हाथ पकड़ कर भगवान की ओर करता है और कहता है, आज इस भगवान को साक्षी मान कर मैं तुम्हे अपनी बीबी मानता हूँ और वही भगवान के पास एक डिब्बी मे रखा सिंदूर चुटकी मे भरता है और एक झटके मे अलका की माँग मे भर देता है,
अलका उसकी इस हरकत को अपनी आँखे फाडे हुए देखती रह जाती है और गुस्से मे आकर रवि को एक तमाचा खेंच कर उसके मूह पर मारती है और अपना हाथ छुड़ा कर चल देती है, रवि वही खड़ा-खड़ा दीदी रुक जाओ ई लोवे उ, दीदी प्लीज़ रुक जाओ मई तुम्हारे बिना नही जी सकता, दीदी प्लीज़ रुक जाओ और रवि अपने घुटनो के बाल बेत कर, दीदी रुक जाओ मई सचमुच तुम्हारे बिना नही जी सकता, मई सचमुच तुमसे बहुत प्यार करता हू..और रवि की आँखो मई आँसू आ जाते है.
अलका अपने रूम मे जाकर पेट के बल लेट जाती है और उसकी आँखे एक तक दीवार को निहारती रहती है जैसे की पथरा गई हो,
लगभग एक घंटे तक अलका उसी अवस्था मे लेटी-लेटी रवि के द्वारा की गई हरकत को सोचती रहती है और उसकी पलके
झपकने का नाम नही लेती है, फिर अलका फ्लेश बॅक मे जाती है और रवि के साथ बीते उसके सभी लम्हे उसे बारी-बारी
से नज़र आने लगते है, धीरे-धीरे उसका माइंड वापस अपने मुकाम पर आने लगता है,
इधर रवि अपने बिस्तेर पर लेटा-लेटा सिर्फ़ अलका को ना पाने के गम मे उदास रहता है, अलका लगभग रात को 12 बजे के आस पास अपने बेड से उठती है और पानी पीने के लिए किचन मे जाती है तब उसकी नज़र रवि के रूम की ओर जाती है जहा लाइट ऑन थी, अलका अपने कदम को अचानक रवि के रूम की ओर ले जाती है और खिड़की से अंदर झाँक कर देखती है, रवि के हाथो मे अलका की तस्वीर थी और वह उसे बड़े गौर से देख रहा था, अलका रवि को अपनी तस्वीर को इस तरह देखने पर उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है और वह अपने रूम मे आ जाती है,
अलका का रिक्षन रवि को देख कर मुस्कुराने का इसलिए हो रहा था क्यो कि उन दो घंटो मे उसके दिल और दिमाग़ के बीच बहुत ही भयंकर लड़ाई हुई और अंत मे उसके दिल की जीत हो गई, और अलका अपने दिल के हाथो मजबूर हो गई,
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