RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सलोनी निचे जाकर अपने कपडे पहनती है और फिर बैडरूम की हालत सुधारती है. पूरा बैडरूम उनकी काम क्रीड़ा की सुगंध में डुबा हुआ था. वो बेड की चादर बदलती है और कमरे की खिड़कियाँ खोल देती है. एक पल के लिए उसे यकीन नहीं होता के वो अभी चंद मिनट पहले उस बेड पर अपने बेटे से चुद रही थी, पिछली आधी रात तक जिस तरह उसके बेटे ने उसे चोदा था उसके बाद वो उसकी बात पे ऐसे गुस्सा करेगा उसने सपने में भी नहीं सोचा था. वो बेड की चादर और कुछ कपडे वाशिंग मशीन में धुलने के लिए डाल देती है और फिर घर की थोड़ी बहुत सफाई करने लगी है. अखिरकार वो फ्री होकर बाथरूम जाती है और ब्रश करके हाथ मुंह धोती है और फिर किचन का रुख करती है.
सलोनी राहुल के लिए स्पेशल आलू के परांठे बनाती है जो उसका सबसे फेवरेट नाश्ता था. पराठे और फिर एक फ्लास्क में चाय डालकर वो ऊपर लेकर जाती है. राहुल का दरवाजा अभी भी बंद था. दो घंटे गुज़र चुके थे
राहुल अपनी मम्मी के जाने के काफी समय बाद तक रोता रहा. मगर अंत-तहा उसके आंसू सुख गये. उसके दिल का उबाल निकल गया. अखिरकार फर्श पर बैठे बैठे वो इतना थक गया की उसे उठना पड़ा. उसके पूरे जिस्म पर रात की जबरदस्त चुदाई के सबूत थे, उसके और उसकी मम्मी के कामरस के सबूत. और फिर सुबह की चुदाई और फिर उसके बाद इतना रोने से उसका पूरा हुलिया बिगड़ा हुआ था. वो उठकर बाथरूम में जाता है और नहाने लगता है. नहा धोकर वो कपडे पहनता है और अपने बेड पर लेट जाता है. अब वो दुःखी नहीं था मगर अभी भी उसके दिल में अपनी मम्मी के लिए जबरदस्त गुस्सा था. वो आखिर ऐसी बात सोच भी कैसे सकती है. वो यह स्वीकार नहीं कर पा रहा था की सलोनी ने उसके साथ मज़ाक़ किया था.
राहुल टीवी लगाता है मगर फिर बंद कर देता है. वो उठ कर कमरे में टहलने लगता है. उसका दिल किसी काम में नहीं लग रहा था. असल में उसे बेहद्द तेज़ भूख लगी थी. रात की जबरदस्त चुदाई और फिर सुबह के किस्से के बाद उसका नाश्ता वैसे ही बहुत लेट हो चुका था मगर अब उसकी माँ को गए भी तो कितना समय हो चुका था. वो कह कर गयी थी की वो उसके लिए नाश्ता बनाकर ला रही है फिर अभी तक आई क्यों नही, यह सोचकर राहुल को हैरानी हो रही थी. उसका दिल किसी अनहोनी के लिए भी धड़क रहा था. आज उसने अपनी मम्मी के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था. वो कैसे बार बार उसकी मिन्नतें कर रही थी. मालूम नहीं उसकी कैसी हालत होगी. राहुल को सलोनी की चिंता भी हो रही थी और उसका दिल कह रहा है की वो जाकर एक बार उसे देख कर आये मगर वो खुद को अपनी मम्मी के सामने कमज़ोर भी साबित नहीं करना चाहता था. लेकिन वो कर क्या रही थी, नाश्ता बनाने में कोई दो घंटे थोड़े न लगते है. राहुल की चिंता बढ़ती जा रही थी, ऊपर से उसे भूख सता रही थी. बैचैनी से वो कमरे में इधर से उधर चक्कर काट रहा था और फैसला करने की कोशिश कर रहा था की उसे निचे जाना चाहिए या नहि. कहीं न कहीं उसका गर्व उसे निचे जाने से रोक रहा था मगर अपनी मम्मी की चिंता भी उसके मन को अशांत किये हुए थी.
तभी उसे सीढ़ियों पर कदमो की आहट सुनायी देती है. उसके दिल में सुकून की लहर दौड जाती है. वो दरवाजा खोलकर देखना चाहता था मगर किसी तरह वो खुद पर काबू रखता है.
"राहुल......बेटा...." आखिरकार राहुल के कानो में उसकी मम्मी की आवाज़ गूँजती है और वो चैन की लम्बी सांस लेता है. सलोनी की आवाज़ से मालूम चल रहा था के वो एकदम ठीक थी.
"बेटा में तुम्हारे लिए नाश्ता लायी हुं......यहां बाहर रखा है.........मुझे मालूम है तुम मुझसे बहुत नराज़ हो........अगर तुम मुझसे बात नहीं करना चाहते तो ठीक है में निचे जा रही हु मगर प्लीज खाना खा लो........." सलोनी इतना बोलकर खाने की थाली और चाय की फ्लास्क डोर के सामने मगर उससे काफी दूर रख देती है. फिर वो जानबूझकर अपनी सैंडल्स की ऐड़ियों से ऊँची आवाज करती निचे जाने लगती है. सिढ़ियों के निचे पहुंचकर वो अपनी सैंडल्स उतरती है और वापस ऊपर जाती है. वो पंजो के बल हलके हलके पैर रखती बिना कोई आवाज़ किये गेस्ट बैडरूम में जाती है और धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर घुस जाती है. अपने पीछे वो दरवाजा बंद नहीं करती बल्कि उसमे हल्का सा ग्याप रखती है. मगर उस ग्याप से वो राहुल के कमरे के सामने फर्श पर रखी थाली देख सकती थी.
|