RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"क्यों ना आज फिल्म देखने चलते हैं …. शाम का शो देखते हैं …. कितना टाइम हो गया है फिल्म देखे हुए …. और फिर खाना भी आज बाहर खाते हैं …. क्या कहते हो?" सलोनी गाड़ी को पार्किंग से निकालती बोलती है |
"मेरा बिल्कुल भी मूड नही है आज फिल्म देखने का .... फिर कभी जाएँगे फिल्म देखने मम्मी ... अभी तो घर चलते हैं" राहुल फट से बोल उठा |
"उउउम्म्म्ममम ..... सब समझती हूँ मैं ........ तुझे घर जाने की जल्दी क्यों है और तेरा मूड फिल्म देखने का क्यों नही है!"
"नही मम्मी, मैं तो ऐसे ही बोल रहा था .... आज सच मैं फिल्म देखने का दिल नही कर रहा"
"मुझे मालूम है तेरा दिल किस लिए मचल रहा है.......फिल्म देखने का दिल नही कर रहा......... वैसे तू हमेशा अपने डैडी का दिमाग़ ख़ाता है कि सिनेमा जाना है, सिनेमा जाना है और अब जब मैं तुझे लेकर जा रही हूँ तो तुझे नखरे आ रहे हैं...........तू तो बस चाहता है के जल्दी से जल्दी घर जाएँ और तू मेरा काम कर सके"
"ऊऊफफफफू मम्मी आप तो बात का बतंगड बना लेती हो. मैं ऐसा वैसा कुछ नही चाहता......... मैने सुबह से आराम नही किया , थक गया हूँ, मुझे नींद भी आ रही है"
"अभी थक गये हो ..... नींद भी आ रही है ...... और घर पहुँचते ही तुम्हारी नींद और थकान सब गायब हो जाएगी और तू सीधा मेरे कपड़े उतार कर मेरे उपर चढ़ जाएगा"
"मम्मी आप बहुत बुरी हो......"
"अच्छा सच में! अच्छा यह बता मैं झूठ बोल रही हूँ कि तू घर जाते ही मुझ पर टूट नही पड़ेगा और मुझे नंगी करके मेरे उपर नही चढ़ेगा"
"हाँ आप बिल्कुल झूठ बोल रही हैं ........ मैं .... मैं ...... आपके .... उपर नही .... नही चढ़ुंगा"
"यकीन नही होता .... मुझे लगता है तुम झूठ बोल रहे हों .... तुम बहुत चलाक हो राहुल ... अगर तुम मुझ पर नही चढ़ोगे तो ज़रूर तुम मुझे अपने ऊपर चढ़ा लोगे .... घर जाते ही अपने खड़े खंबे पर मुझे बैठाकर मुझसे उठक बैठक लगवाओगे ........ क्यों सच कह रही हूँ ना"
"आप सिनेमा ही चलिए ........ वैसे भी आपने फ़ैसला कर ही लिया है तो बदलेंगी थोड़े ना"
"नाराज़ क्यों होता है ....... अभी घर जाकर क्या करना है ...... और आज मेरा मूड भी नही है खाना बनाने का ...... पूरी रात पड़ी है जितना चाहे मज़ा लूट लेना मेरे बलमा ....... "
सलोनी राहुल को बलमा कह कर पुकरती है तो वो उसकी और देखता है | सलोनी भी उसकी और देख कर उसे आँख मारती है | राहुल के लाख रोकने पर भी उसके होंठो पर मुस्कराहट लौट आती है | वो अपना चेहरा घुमा कर कार की विंडो से बाहर देखने लग जाता है | सलोनी हंस पड़ती है |
"हायईई ........... क्या अदाएँ हैं जालिम की" सलोनी हँसती हुई कहती है |
जब सलोनी और राहुल सिनेमा पहुँचते हैं तो फिल्म स्टार्ट होने ही वाली थी | दोनो टिकेट्स लेकर बाल्कनी में जाते हैं | एक आक्षन फिल्म थी और उसका भी लास्ट वीक चल रहा था इसलिए सिनेमा में कुछ खास रश नही था | राहुल अपनी मम्मी के पीछे पीछे पोप कॉर्न पकड़े चल रहा था | रह रह कर उसका ध्यान अपनी मम्मी की गांड पर चला जाता जिसके उभरे होने के कारण सलोनी का कुर्ता पीछे से उपर को उठा हुआ था | सिनेमा में ज़्यादातर लोग बैठ चुके थे | ज़्यादातर जोड़े थे और सब एक दुसरे से दूर दूर ही बैठे थे | टिकेट चेकर ने उनसे कहा कि क्योंकि सिनेमा में रश नही है वो कहीं भी बैठ सकते हैं | सलोनी सर घूमा कर चारों और चेक करती है तो उसे एक तरफ़ कुछ सीट्स खाली दिखाई देती हैं | उन दोनो के बीच में बैठने के बाद भी दोनो तरफ की काफ़ी सीट्स खाली पड़ी थी | उनसे उपर की कतार में एक जोड़ा उनसे काफ़ी दूर दाएं और बैठा था जबकि उनसे दो कतार नीचे एक जोड़ा बाईं और को बैठा था और लगभग उनके सामने था |
हॉल में अंधेरा छा जाता है और फिल्म शुरू हो जाती है | कुछ ही पलों बाद जब सब कुछ सेट हो जाता है तो राहुल पोप कॉर्न का पैकेट खोल लेता है और उसे अपनी मम्मी की और बढ़ा देता है | दोनो माँ-बेटा पॉपकॉर्न खाते फिल्म देखने लगते हैं | फिल्म शुरू हुए अभी पाँच मिनिट ही बीते थे कि हॉल से कपड़ों की सरसराहट आने लगती है | चारों तरफ से, बिल्कुल धीमी धीमी आवाज़ें आनी लगती हैं | कुछ आवाज़ों को सुनकर राहुल को लगा जैसे कोई अपनी ज़िपर खोल रहा था | राहुल के दिल की धड़कने बढ़ने लगी थी | वो अच्छी तरह से जानता था कि हॉल सुरू कपड़ों के सरसराने, ज़िपर खुलने की आवाज़ों और फुसफुसाती आवाज़ों का क्या मतलब था | उसके जिस्म सुरू सिहरन सी दौड़ रही थी |
तभी अचानक स्क्रीन पर एक तेज़ रोशनी का सीन आता है और तेज़ रोशनी में अचानक राहुल का ध्यान अपने से नीचे बैठे जोड़े पर चला जाता है | लड़का अपना हाथ लड़की की गर्दन में लपेटे हुए था और उसका वो हाथ हल्का हल्का हिल रहा था | शायद वो उसके मुम्मे को मसल रहा होगा, राहुल सोचता है | उसकी पेंट में उसका लंड नाज़ाने कब का सख्त हो चुका था और उसकी गोद में बड़ा सा टेंट बना हुआ था |
राहुल ध्यान लगाकर अपने सामने बैठे लड़के लड़की को देखने लगता है | कुछ पलों तक तो उसे खास नज़र नही आता मगर जब उसकी आँखे अंधेरे में सेट हो जाती हैं तो वो उन्हे और उनकी हरकतों को बड़े अच्छे से देख और समझ सकता था | मगर इसके लिए अब उसे स्क्रीन से ध्यान हटाना था क्योंकि स्क्रीन पर नज़र मारने के बाद फिर से काफ़ी समय बाद जाकर उसकी आँखे अंधेरे में देखने काबिल होती थी |
राहुल का सारा ध्यान अपने सामने वाले जोड़े पर ही था | लड़का लड़की के मुँह को अपनी और खींच कर उसके होंठो को चूमने लगता है | कुछ देर बाद लड़की भी अपने आशिक़ के गले में बाहें डाल उसके चुंबन का ज्वाब ज़ोर शोर से देने लगती है | क्योंकि अब दोनो का रुख़ आमने सामने की और था इसलिए राहुल उनके बीच में देख सकता था | जब दोनो के मुँह अलग होते हैं तो राहुल साफ तौर पर लड़के को लड़की के दोनो मुम्मों को मसलते देख सकता था | जिस तरह वो दोनो किसी द्वारा देखे जाने की परवाह किए बगैर एक दूसरे को चूम चाट रहे थे लगता था वो काफ़ी समय से वहाँ आ रहे थे | बल्कि वहाँ लगभग सभी जोड़े ऐसे ही आपस में गुथमगुथा थे | शायद फिल्म देखना उनके लिए बहाना भर था | राहुल खुद भी उस जोड़े को बड़े गौर से देख रहा था, अंधेरे में उनकी एक एक हरकत को पड़ने की कोशिश कर रहा था |
लड़का लड़की काफ़ी देर ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे | जब भी उनके चेहरे अलग होते तो लड़का लड़की के मुम्मों को मसलने लगता | इस बार जब उनका चुंबन टूटा तो लड़के ने लड़की का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रख दिया | लड़की तुरन्त उसे पेंट के ऊपर से सहलाने लगी | दोनो के बीच इसी तरह चूमा चाटी और एक दूसरे के अंगो को सहलाने का दौर चालू था | तभी राहुल देखता है लड़का लड़की के सीने पर सर झुकाता है और उसके मुम्मों को कपड़े के ऊपर से चूसने लगता है | राहुल अपनी आँखो का पूरा ध्यान लगा देता है और वो लड़की की शर्ट में लड़के का हाथ घुसता देख लेता है | शायद वो उसके मुम्मे को बाहर निकालने वाला था, नही नही वो ऐसा नही कर सकता था जा फिर उसे उसकी ब्रा के अंदर मसलने वाला था जा फिर हो सकता है उसकी ब्रा हटाकर उसके मुम्मे को चूसने वाला था | इससे उसके होंठो और लड़की के मुम्मों के बीच सिर्फ उसकी शर्ट का ही परदा रह जाता | खैर इससे पहले कि राहुल देख पता कि आगे क्या होने वाला है और वो जोड़ा क्या गुल खिलाने वाला है, सस्पेंस फिल्म की तरह सिनेमा की लाइट्स जल उठती हैं, इंटर्वल हो गया था | लड़का लड़की झटके से अलग होकर सामने को मुँह करके बैठ जाते हैं | सिनेमा में शोर मचने लग जाता है | राहुल बहुत निराश हो जाता है | वो देखना चाहता था कि लड़का लड़की आगे क्या करते हैं |
उसे सब्र नही हो रहा था मगर अब उसे इंतेज़ार करना ही था, जब तक इंटरवल खत्म ना हो जाता और सिनेमा की बत्तियां फिर से बुझ ना जाती | राहुल ठंडी आह भरता अपना सर घूमाता है |
उसकी नज़र सीधी सलोनी के चेहरे पर पड़ती है | वो कुर्सी की पीठ पर अपनी कुहनी रखकर उसकी तरफ़ मूडी हुई थी और बड़े गौर से बिना पल्क झपकाए उसे ही देख रही थी | राहुल को झटका सा लगता है | वो उस जोड़े की हरकतों में इस कदर खो गया था कि उसे अपनी मम्मी की मौजूदगी का एहसास ही नही रहा था | उसे यकीन नही हो रहा था कि वो भूल गया कि वो अपनी माँ के साथ आया था | सलोनी राहुल को देखती अपनी भवें नचाती है जैसे पूछ रही थी कि क्या हो रहा है | राहुल को कोई ज्वाब नही सूझता | तभी सलोनी की नज़र उसके चेहरे से होते हुए नीचे उसकी गोद में जाती है और वो अपना सर हिलाती है | राहुल तुरन्त अपनी गोद में देखता है | उसकी आँखे फैल जाती हैं | उसने अपने हाथ में अपना लंड पकड़ा हुआ था और उसे पेंट के उपर से मसल रहा था | राहुल का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है | वो तुरन्त अपने लंड से अपना हाथ हटा लेता है |
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