RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल कमरे में जाकर अपना पयज़ामा पहनता है | कंप्यूटर टेबल पर चेहरा हाथों में लिए बैठा वो कुछ समय तक सोचता रहता है | अंत में वो चेहरे से हाथ हटाता है और वो ठंडी आह भरकर अपनी बुक्स खोलने लग जाता है | राहुल को खड़े लंड के साथ पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में बहुत परेशानी हो रही थी | आख़िरकार कोई पँद्रह मिनिट बाद उसका लंड नीचे बैठने लग जाता है और वो अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा पता है |
सलोनी के लिए आज बहुत सारा काम था | घर में झाड़ू पोंछा करना था | कपड़े धोने थे और दोपहर का खाना भी बनाना था और उपर से किचन में खाना बनाने के समान की खरीदारी करने के लिए बाज़ार भी जाना था |
सलोनी ने जैसे राहुल से कहा था वो वाकई घर के काम करती हर आधे पौने घंटे बाद उसके कमरे में जाती थी | उसने राहुल को सख्ती से कहा था कि वो अपना दरवाजा खुला रखे ताकि वो कभी भी आकर चेक कर सके कि वो क्या कर रहा है | हर बार जब भी सलोनी राहुल के कमरे में आती तो उसके हाथ में कुछ ना कुछ होता | कभी दूध कभी चाय तो कभी जूस | सलोनी जब भी राहुल के कमरे में जाती तो उसे पाँच मिनिट का ब्रेक मिल जाता और वहाँ से आने से पहले वो राहुल को चेता देती कि वो कभी भी आकर उसे चेक कर सकती है और अगर उसने उसे पढ़ाई के इलावा कुछ और करते पाया तो वो उसे अपनी चूत नही मारने देगी | खैर राहुल के लिए मुश्किल ज़रूर था मगर वो पढ़ाई में मन लगा लेता है | उसे बाद में मिलने वाले बड़े इनाम का लालच था | अपनी माँ की चूत मारने से हाथ धो बैठना उसे कतई गंवारा नही था | लेकिन स्लोनी के हर आधे पोने घंटे के बाद चक्कर मारने के कारण उसके लिए वक़त काटना बहुत आसान हो गया | वो पढ़ाई करता वेट करता कि कब उसकी मम्मी आए और देखे कि उसने कितना काम कर लिया है | धीरे धीरे उसे इसमे भी मज़ा आने लगा था | आख़िरकार तीन बज गये थे | सलोनी अबकी बार पिछले एक घंटे से उसके कमरे में नही आई थी | किचन से आती आवाज़ से वो जान गया था कि उसकी मम्मी खाना बनाने में व्यस्त है | जिस तरह घड़ी की सूईयां तीन बजने के करीब होती जा रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी |
आख़िरकार घड़ी पर तीन बज गये | राहुल के होंठो पर मुस्कान दौड जाती है | अब उसकी सख्त मेहनत का फल मिलने का वक़्त आ गया था | अब कल सुबह तक उसे सिर्फ एक ही काम था, मौका मिलते ही मम्मी को चोद देना | उसकी पेंट में उसका लंड सुखद कल्पनायों से खड़ा होने लगा था | राहुल कमरे से बाहर निकल सीढ़ियां उतरने लगता है |
उसकी उम्मीद के मुताबिक सलोनी उसे किचन में नही मिलती | किचन से ताज़ा खाने की महक आ रही थी | लगता था वो अभी अभी खाना तैयार करके किचन से निकली थी |
राहुल अपने पेरेंट्स के बेडरूम में जाता है | वो धीरे से हैंडल घुमा कर दरवाजा खोलता है | सामने स्लोनी तकिये पर सर रखे पेट के बल बेड पर उल्टी लेटी हुई थी | उसने सर दूसरी तरफ को मोड रखा था और उसके बदन पर एक पतली सी चादर थी जो उसके घुटनो से लेकर कंधो के नीचे तक उसके बदन को ढँके हुए थी | उसके कंधे पूरी तरह नंगे थे और उन्हे देखकर लगता था जैसे उसने नीचे कुछ भी नही पहना था | शायद उसने कुछ पहना हो मगर वो चादर के नीचे हो | मगर उसकी कोई ऐसी ड्रेस नही थी जिसमे उसके कंधे नंगे रहते थे | उसकी टांगों को देखकर भी ऐसा ही आभास हो रहा था | उसकी एक टांग सीधी थी और दूसरी उसने घुटने से मोडकर उपर को उठाई हुई थी | शायद उसने ब्रा और कच्छी पहनी हुई थी | मगर जिस तरह चादर उसके नितंबो पर चिपकी हुई थी और वो उनके अकार को सहजता से देख पा रहा था उसे नही लगता था कि उसने कोई कच्छी पहनी हुई थी | कच्छी की कोई भी बाहरी लाइन वो नही देख पा रहा था | इसी तरह उसकी पीठ पर चादर से कोई भी ब्रा का स्ट्रेप नज़र नही आ रहा था |
राहुल सोच में पड़ जाता है | उसे अपनी मम्मी को जगाना चाहिए जा नही | आख़िर वो अपने खड़े लंड की सुनता है और आगे बढ़ता है | वो धीमे से बेड पर चडता है | वो सलोनी की टांगों के पास बैठ धीरे से उसे छूता है | अपनी मम्मी की नग्न त्वचा को छूने पर से उसके अंदर सनसनी सी दौड़ जाती है | पयज़ामे में उसका लंड ज़ोरदार झटका मारता है | वो सलोनी की टांग पर कोमलता से हाथ फेरता उसे सहलाता है और उसके चेहरे पर नज़र डालता है | सलोनी आँखे खोले उसे ही देख रही थी |
राहुल वहीं जड़ हो जाता है | सलोनी की टांग पर उसका हाथ जहाँ का तहाँ ठहर जाता है | वो कुछ बोल नही पाता | बस अपनी मम्मी की आँखो में देखता है | सलोनी शांति से लेटी उसकी और देख रही थी | उसके चेहरे से थकान और नींद का एहसास होता था |
"मैं अभी अभी आई थी.... सोचा तुम्हे आने में कुछ वक़्त लगेगा तब तक मैं थोडा सा आराम कर लेती हूँ" सलोनी सुस्त स्वर में बोलती है, "उउउफफफफफ्फ़ पूरा बदन दर्द कर रहा है.... मगर मेरी टाँगे कुछ ज्यादा ही दर्द कर रही हैं.... सुबह से आठ दस बार सीडियाँ चढ़ कर उपर तुम्हारे रूम में गयी, पुरे घर की सफाई और फिर खाना बनाया..... बहुत थक गयी हूँ बेटा.... तुम जब मेरी टाँगे सहला रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था..... सच में" |
"तुम्हे किसने कहा था, बार बार सीढ़ियाँ चढ़कर मेरे कमरे में आने के लिए.... मैं पढ़ तो रहा था.... अब भुगतो" राहुल अपनी मम्मी को सख्त स्वर में बोलता है मगर उसका हाथ फिर से बहुत कोमलता से अपनी मम्मी की टांगों पर घूमने लग जाता है |
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