Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
01-13-2019, 11:39 PM,
#14
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सलोनी अपने कमरे में जाती है और सीधे बाथरूम में घुस जाती है | कुछ देर नहाने के बाद बदन पोंछती है | अपने वार्डरोब से एक पेंटी और एक सिल्क की नाईटी निकालती है | अपनी देह को शीशे में निहारती वो अपने चेहरे को देखती है | उसके चेहरे पर कैसे अजीब से भाव थे | वो एक तरफ को हट जाती है | वो ड्रायर से कोई परफ्यूम निकालती है और उसे बदन पर लगाती है | फिर वो अपनी पेंटी और नाईटी पहनती है | अपने बालों का जुड़ा बनाती है | चेहरे पे हल्का सा मेकअप करती है, अंत में दोबारा शीशे में खुद पर एक निगाह डालती है | उसके सामने शीशे में सलोनी नहीं कयामत थी | उसकी सिल्क की नाईटी से हालाँकि उसके अंग तो नहीं दिख रहे थे मगर सिल्क की वो नाईटी उसके बदन के कटावों और उभारों को इस तरह से चूमती, सहलाती थी और उन्हें इस प्रकार अलींगनबध करती थी कि वो किसी पारदर्शी नाईटी से बढ़कर उत्तेजनात्मक दृश्य पैदा करती थी | संतुष्ट होकर सलोनी बेडरूम में चली जाती है |

राहुल बेड पर एक तरफ टांगें लटका कर बैठा हुआ था | सलोनी दूसरी तरफ से बेड के ऊपर चड़ती है |

“बेटा ऐसे क्यों बैठे हो? ऊपर आराम से बैठो ना” सलोनी उसे प्यार से कहती है और कमरे की लाइट बुझा देती है और नाईट बल्ब को जला देती है | कमरे में काफी अँधेरा था, मगर कुछ समय बाद जब उनकी आँखें अँधेरे में एडजस्ट होती हैं तो दोनों एक दुसरे को बाखूबी देख सकते थे, एक दुसरे के चेहरे को बाखूबी पढ़ सकते थे |

“राहुल ऊपर आओ ना बेड पर, इस तरह क्यों बैठे हो” राहुल पहले की तरह ही बेड के सिरहाने टाँगे नीचे लटका कर बैठा रहता है और वो अपनी माँ की और देखता है तो सलोनी उसके चेहरे पर नाराज़गी साफ़ देख सकती थी |

“मुझसे नाराज़ हो” सलोनी धीमे से पूछती है |

“नहीं मैं भला क्यों नाराज़ होने लगा आपसे”, आखिरकार राहुल मुंह से कुछ फूटता है और अपनी टाँगे उठाकर बेड पर रख लेता है और तकिए पर सर रखकर बेड पर लेट जाता है |

“देखो बेटा अगर तुम इस बात के लिए नाराज़ हो कि ...”

“मैंने कहा ना मम्मी, मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ, आप खामखाह परेशान हो रही हैं”, सलोनी जैसे ही अपनी बात कहनी चालू करती है, राहुल उसे एकदम से काट देता है | उसके खुशक स्वर से मालूम चलता था वो थोडा नहीं बहुत नाराज़ था | राहुल छत की और घूर रहा था जबकि सलोनी पिल्लो पर कोहनी के सहारे ऊपर उठी हुई थी और राहुल की और देख रही थी |

कमरे में चुप्पी छा जाती है | सलोनी को समझ नहीं आता वो उसे कैसे मनाये? कमरे का माहोल कुछ ऐसा बन चूका था कि वो सीधे जाकर राहुल से लिपट नहीं सकती थी | वो बहुत ही अटपटा होता |

सलोनी उसी तरह लेटे हुए कोहनी के बल अपना सर उठाए राहुल को घूर रही थी जो अपने माथे पर अपनी बांह रखे छत को घूर रहा था | उसका लंड अब पूरी तरह से नर्म पड़ चूका था |

बेटे को घूरती सलोनी अचानक महसूस करती है कि उनके रिश्ते ने एक दिन में क्या से क्या मोड़ ले लिया था | कहाँ वो एक माँ थी, एक पवित्र माँ, जिसके लिए बेटे से बढ़कर कुछ भी नहीं था | शायद अब भी उसकी ममता में कुछ फर्क नहीं पड़ा था, बस अब उनके रिश्ते में वो पवित्रता नहीं रही थी |

सुबह की उस छोटी सी घटना के बाद सब कुछ जैसे एकदम से बिखर गया था | वो उसके लंड को सहलाती किस तरह अपने पर काबू खो देती है और उसके लंड को चुस्ती है और उसके वीर्य को पी जाती है | ‘उफ्फ्फ’ जबकि उसे वीर्य पीना कभी अच्छा नहीं लगता था | वो कभी कभी अपने पति की ख़ुशी के लिए उसके वीर्य को पीती थी | मगर उसे यह कतई पसंद नही था | मगर आज तो वो किस तरह अपने बेटे के लंड से वीर्य पी गई थी, उसने एक पल के लिए भी नहीं सोचा था कि इस सबका नतीजा क्या होगा?

नहीं बाद में अपने कमरे की तन्हाई में उसने यह जरूर सोचा था बल्कि फैसला किया था कि वो फिर कभी भी इस तरह की वाहियात हरकत नहीं करेगी | मगर उसका फैसला ‘रेत का महल’ साबित हुआ था जो हवा का पहला झोंका आते ही ढह गया था | उसने खुद दोपहर को अपने बेटे के साथ ड्राइंग रूम में क्या किया था? किस तरह वो उसके लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर सहलाने लगी थी और जब उसके बेटे ने उसके मुम्मे को टीशर्ट के ऊपर से मसलना चालू किया था तो उसने खुद उसको बढ़ावा दिया था | किस तरह राहुल ने उसके पायजामे में हाथ डालकर उसकी चूत को कच्छी के ऊपर से सहलाया था और जब उसने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरा था | वो खुद अपनी चूत उसके हाथ में उछाल रही थी और फिर उसका सख्लन हो गया था | यह शायद जिंदगी में पहली बार हुआ था कि सलोनी ने बिना चुदवाए सख्लन हासिल कर लिया था मात्र अपने बेटे के स्पर्श से और वो भी कच्छी के ऊपर से |

और फिर......... और फिर बाथरूम में वो कैसी बेशर्म बन गई थी | सलोनी को बाथरूम की याद आती है जब उसका बेटा उसे कपड़े देने आया था तो उसे मात्र एक भीगी हुई कच्छी में देखकर उसकी क्या हालत हो गई थी, सलोनी के होंठो पर मुस्कराहट फ़ैल जाती है | किस तरह वो उसकी गांड में अपना लंड ठोक देता है और जब सलोनी उसकी और घूमी थी तो किस तरह उसका मुंह खुला रह गया था | बेचारा पलक भी ना झपका रहा था अपनी माँ को अपने सामने एक कच्छी में देखकर उसकी क्या हालत हो गई थी? किस तरह वो उसके नंगे मुम्मो को घूर रहा था, जैसे अभी आगे बढ़कर उन्हें मुंह में भर लेगा | सलोनी दिन की घटनाओं को याद करती करती गर्म हो रही थी | उसकी चूत से रस बहना चालू हो गया था 

और अब उसने क्या किया था, किस तरह तपाक से उसके लंड पर जाकर बैठ गई थी | किस तरह उसके लंड को अपनी गांड से मसल रही थी और जब राहुल की उँगलियाँ अंडरवियर के होल से उसकी चूत से टकराई थीं ...... हाएएएएएए .. और फिर उसने अपना हाथ ही उसके अंडरवियर में घुसाकर पहली बार उसकी नंगी चूत को अपनी हथेली में भर लिया था...... ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़.... वो फिर से सख्लन के करीब पहुँच गई थी ...... वो महसूस कर सकती थी..... उसके बेटे के स्पर्श में जादू था.... या शायद उनके रिश्ते की पवित्रता उनके इस पाप से हासिल होने वाले आनंद को कई गुणा बढ़ा रही थी कि वो अपने बेटे के हल्के से स्पर्श से ही भड़क उठती थी... और यही हालत शायद राहुल की भी थी.... वो भी शायद अपनी माँ के स्पर्श से बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाता था..... शायद मेरे जैसे वो भी खुद पर काबू खो देता है.... और इसीलिए मैंने उसे वहीँ रोक दिया था.... जिस तरह उसका लंड मेरी गांड के निचे झटके मार रहा था और वो जिस तरह सिसक रहा था वो ज्यादा देर टिकने वाला नहीं था..... वो जल्द ही सखलित हो जाता .. फिर मेरा क्या होता... अगर वो इतना उत्तेजित ना होता तो मैं उसे ना रोकती.. उससे वहीँ चुदवा लेती.. मगर वो उस समय शायद ही मेंरी चूत में लंड घुसा पाता.. हो सकता है वो यह सब पहली बार कर रहा हो.. नहीं लगभग तै था कि वो पहली बार किसी औरत के साथ का आनंद प्राप्त कर रहा था .........

मगर अब क्या... अब वो उससे नाराज़ हो गया था.. अब वो उसे मनाए कैसे .. सलोनी सोचती है.... उसे समझ नहीं आ रहा था वो अपनी बात की शुरुआत कहाँ से करे... 

अचानक बेड की पुश्त पर रखे मोबाइल की घंटी बज उठी, सलोनी और राहुल दोनों एकदम से चौंक उठते हैं | राहुल अपना बाजू अपनी आँखों से हटाकर अपनी माँ की और मुख घुमाकर देखता है | सलोनी बेड की पुश्त से मोबाइल उठाती है और जैसी उसने उम्मीद की थी , फ़ोन उसके घरवाले का ही था | सलोनी ओके का स्विच दबाकर मोबाइल को कान से लगाती है | वो अब भी पहले की तरह सिरहाने पर कोहनी के बल उचककर राहुल की और देख रही थी और अब राहुल भी उसकी और देख रहा था |

“हेल्लो.... हाँ जान कैसे हो?” सलोनी राहुल की आँखों में झांकती मोबाइल के माइक्रोफोन में बोलती है |

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“हाँ हम ठीक हैं, राहुल भी ठीक है, पूरी मस्ती कर रहा है, बहुत शरारती बन गया है आजकल, ऐसी ऐसी शरारतें करता है कि क्या बतायुं आपको, आप सुनाइए आप कैसे हैं? आपकी तबीअत तो ठीक है ना”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“और काम काज कैसा चल रहा है?” सलोनी राहुल की और घूर रही थी | जिसने फिर से अपना चेहरा मोड़कर ऊपर की और कर लिया था और अपनी आँखों पर फिर से बांह रख ली थी |

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“मैं क्या करूंगी वही कर रही थी जो पूरा दिन करती हूँ, बस आपको याद कर रही थी”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“नींद किसे आती है जान, यहाँ तो पूरी पूरी रात करवटें बदलते बदलते निकल जाती है, ना दिन को चैन, ना रात को, बस किसी तरह दिन काट रहे हैं आपकी राह देखते”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………


“इतनी याद आती है तो फिर छोड़ कर क्यों गए थे.... यह भी नही सोचा मैं किसके सहारे दिन काटूँगी.... इतनी लम्बी लम्बी रातें बिना आपके कैसे काटूं” 

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“राहुल? वो अपने कमरे में सोया हुआ है उसकी आप चिंता मत कीजिये , जो भी बात करनी है, खुल कर कीजिये”, सलोनी थोडा ऊँचे स्वर में बोलती है |

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“उफफ्फ्फ्फ़.... मेरी कौन सी हालत आपसे कम बुरी है, आपको कैसे बताऊं, सारा दिन गीली रहती है बेचारी, हर पल आपके लंड के लिए तरसती है”, सलोनी का स्वर कामुक होता जा रहा था |

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“आपका खड़ा है तो मेरी चूत भी रस टपका रही है, मेरी कच्छी पूरी भीग गई है”’ सलोनी की नज़र राहुल के चेहरे से बदलकर अब उसकी पेंट पर थी | यहाँ जिपर के स्थान पर एक तम्बू बनना शुरू हो गया था |

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“हाए जानू, क्या बतायुं जितना मैं तुम्हे याद करती हूँ, उससे बढ़कर मेरी चूत तुम्हारे लंड को याद करती है, इसीलिए सारा दिन मेरी कच्छी भीगी रहती है”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“मुझे तो आपकी हर बात याद आती है, जब आप मेरे मुम्मे निचोड़- निचोड़ कर चूसते थे.. जब आप मेरी चूत चाटते थे.. उफफ्फ्फ्फ़.. जब भी आपकी जीभ की याद आती है तो चूत में सनसनी होने लगती है.... किस तरह आप अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा कर अन्दर तक चाटते थे.... और जब आप उसे मेरे दाने पे रगड़ते थे.... जब आप पूरी-पूरी रात मुझे चोदते थे.... हाए..... जब आप अपने मोटे लम्बे मुसल से मेरी चूत को पेलते थे.... आआह्ह्ह्ह.... कभी घोड़ी बनाकर .. कभी डौगी स्टाइल में..... उफ्फ्फ्फ़” सलोनी एक हाथ सर के निचे टिकाए और दुसरे हाथ से मोबाइल कान को लगाए बेटे की पेंट में मचल रहे तूफ़ान को देख रही थी | 

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“उफफ्फ्फ्फ़.. मैं भी चूत में ऊँगली कर रही हूँ, जान.... तुमने मेरी चूत में आग लगा दी है .... हाए मेरी चूत.... मेरा मुंह.... मेरी गांड... आपके लंड के लिए तड़प रही है”, सलोनी सिसकियाँ भरकर बोल रही थी |

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“हाए आपको मेरी चूत की याद में दिन में एक बार मुट्ठ मारनी पड़ती है, मगर मैं नाजाने कितनी बार आपके लंड को याद करके चूत में ऊँगली करती हूँ”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“हाएएए... मुझे भी आपके जाने से पहले बाली रात का एक एक पल याद है.. हाए... पूरी रात आपने सोने नही दिया था, जैसे दो महीने की कसर एक ही रात में पूरी करनी हो...... किस तरह आपने आधे घंटे तक मेरी चूत चाट चाट कर झाड़ी थी, फिर आपने जब मेरे मुंह को चोदा था...... उफ्फ्फ्फ़... मेरी तो सांस ही बंद हो गई थी... गले तक घुसा दिया था आपने ... एक एक पल याद है मुझे, उस रात का... आपने जब मुझे खड़े खड़े अपनी गोद में उठा लिया था और फिर अपने लंड पर उछाल उछाल कर पूरे कमरे में घूमते हुए मुझे चोदा था.. इस कोने से उस कोने तक... और फिर सुबह जब आपने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड मारी थी..... हाए आपने मेरी तंग गांड में अपना मुसल पेल पेल कर मेरी गांड सुझा दी थी.. मुझसे दो दिन ठीक से चला नहीं गया था..” सलोनी अब बोल नहीं रही थी केवल सिसकियाँ भर रही थी |

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“मैं भी तड़प रही हूँ जान, कुछ कीजिए ना जान, प्लीज कुछ कीजिये”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“हाँ हाँ मुझे भी आपसे चुदवाना है जान.... प्लीज चोद दीजिये ना...”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“हाए क्यों तरसा रहे हो, डाल दो ना अन्दर.... पेल दो अपना लंड मेरी चूत में”

“आआईईईईए .. हाए रे जालिम, एक ही झटके में पूरा घुसा दिया..... उफफ्फ्फ्फ़ मेरी जान निकाल दी”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“पेलते रहे जान .. पेलते रहो..... बस ऐसे ही ... उफफ्फ्फ्फ़... आह्ह्हह्ह .. जड़ तक पेलते रहो...”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“हाँ... हाँ... ऐसे ही.... ऐसे ही... चोदो अपनी जान को... उफ्फ्फ्फ़.... एक मिनट ... एक मिनट.. रुकिए मेरी टाँगे उठाकर अपने कंधे पर रखिये.. हाँ अब चोदो मुझे ... अब मेरी चूत में पेलो.....”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“मारो..... मारो.... और जोर से ... और जोर से .. उफ्फ्फ... मेरे मुम्मे पकड़ो... मेरे मुम्मे मसल मसलकर अपना लंड पेलो मेरी चूत में......”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह..... हाए....... आअह्ह्ह्ह.... चोद दीजिये.. जोर से ... पेलो ... और जोर से ... उफफ्फ्फ्फ़ मेरा भी निकलने वाला है... हाए मारिये मेरी चूत .......... मार मार कर सुजा दीजिये ... आगे से भी और पीछे से भी... ऐसे ही.... ऐसे ही हाँ मार मार कर आगे पीछे से सुजा दीजिये....”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………


“आआआअह्हह्हह्हह्ह्ह्हह्ह्हह..... मेरा भी निकल रहा है... मेरा भी निकल रहा है...... हे भगवान..... इसे मेरे मुंह में डाल दीजिये ... मुझे आपकी मलाई खानी है”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“लीजिये आपका लंड बिलकुल साफ़ कर दिया है..... देखिये कैसे चमक रहा है.....”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“उफफ्फ्फ्फ़.... मैं आपको क्या बतायुं मुझे कितना मज़ा आया, आपने तो फ़ोन पर ही मेरी ऐसी हालत कर दी, घर आकर क्या करेंगे...”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“मैं इंतज़ार करुँगी बेसब्री से “

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“राहुल की आप चिंता मत कीजिये, मैं उसका पूरा ख्याल रख रही हूँ, बल्कि अब तो वो मेरा ख्याल रखने लगा है”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………

“फिर बतायुंगी, अब मुझे नहाने जाना है, आपने मेरी हालत ख़राब कर दी है, पूरी पसीने से भीग गई हूँ”

दूसरी तरफ से : ……………………………………………………


“आप भी अपना ख्याल रखना घर की चिंता मत कीजिये, आपने काम और सेहत का ध्यान रखना, अच्छा रखती हूँ, ओके बाये ... स्वीट ड्रीम्स जान.. मुवाआआआअह्ह्ह्हह”
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