RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सलोनी और राहुल सख्लन के बाद शांत पड गए थे | दोनों में से कोई भी हिलडुल नहीं रहा था | सख्लन के पश्चात् थकान और संतुष्टि से दोनों कुछ ही देर में ऊँघने लगे |
कोई एक घंटा बीत जाने के बाद सलोनी की आँख खुली | राहुल कुछ देर पहले ही जागा था | सलोनी अधमुंदी आँखें ऊपर उठाती है और राहुल की आँखों में देखती है | हालाँकि नींद के बाद वो थोडा सा सुस्त पड गया था मगर सलोनी उसकी आँखों में अपने लिए असीम प्यार के साथ साथ संतुष्टी की भावना को साफ़ साफ़ देख सकती थी | सलोनी उठने की कोशिश करती है तो उसे एहसास होता है उसके बेटे का हाथ अभी भी वहीँ हैं यहाँ वो उसके सख्लन के समय थे | सलोनी बेटे की आँखों में देखकर मुस्कराती है और धीमे से उसका हाथ जो उसके मुम्मे पर था उसको हटाती है और फिर अपने पायजामे में हाथ डाल राहुल के हाथ को जो उसकी चूत को भीगी कच्छी के ऊपर से दबाए हुए था, बाहर निकालती है |
“सॉरी मम्मी....” राहुल को लगा शायद उसे अपना हाथ वहां से पहले हटा लेना चाहिए था | मगर सलोनी उसकी बात की और कोई धयान नहीं देती | वो राहुल की उँगलियों को देखती है जो उसकी चूत के रस से भीगी हुई थीं | उसकी चूत ने कितना रस बहाया होगा उसका अंदाज़ा उसे अपने बेटे की उँगलियाँ देखकर हो रहा था जो कच्छी के ऊपर से इतनी बुरी तरह भीगी हुई थी जैसे उसकी चूत के भीतर समाई हुई हों | वो राहुल की और देखती है, राहुल उसे ही देख रहा था | सलोनी राहुल के हाथ पर अपने चेहरे को झुकाती है और गहरी सांस लेती है जैसे उसकी खुशबू को सूंघ रही हो फिर वो राहुल की और देखती है तो उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैल जाती है | वो राहुल की आँखों में देखते हुए अपनी जिव्हा बाहर निकालती है और उसकी उँगलियों को चाटने लगती है |
राहुल अपनी माँ को हैरत से देख रहा था और उधर उसके पयजामे में फिर से हलचल होने लगी थी | सलोनी की जिव्हा एक एक ऊँगली को चाटती जा रही थी वो तभी रूकती है जब राहुल का पूरा हाथ साफ़ हो चूका था मगर अब उसका लंड खड़ा हो चूका था | सलोनी की नज़र बेटे के तने लंड पर पडती है तो एक शरारती सी मुस्कान उसके होंठो पर फ़ैल जाती है | वो अपना एक हाथ लंड पर रखकर उसपे अपना वजन डालती ऊपर को उठती है और गहरी साँसे लेते राहुल के होंठो को चूमती है | राहुल भी अपने होंठ सलोनी के होंठो पर दबाकर उसके चुम्बन का जवाब देता है | सलोनी हल्के से चुम्बन के बाद अपने होंठ हटा लेती है और हँसते हुए राहुल की और देखती है जो अपने होंठो पर जीभ घुमाते हुए अपनी माँ की चूत के रस को चाटता है जो सलोनी के होंठो ने उसके होंठो पर छोड़ा था |
राहुल सलोनी की हंसी की आवाज़ सुनता है तो आँखें खोल देता है | सलोनी का चेहरा उसके चेहरे के सामने था, वो शर्मा जाता है |
“ओए होए, देखो तो साहब को अभी शर्म आ रही है” राहुल के गाल लाल होने लगते हैं | सलोनी और भी जोर से हंसती है “अभी उठो और जाकर थोडा समय पढाई कर लो, बाद में रात के खाने की तैयारी करनी है, मैं अभी कपडे धोने जा रही हूँ, तुम भी अपना अंडरवियर और पेंट उतार कर दे देना और कुछ न्यु पहन लेना” | इतना कह कर सलोनी उठती है और उठने के साथ राहुल के लंड को अपनी मुट्ठी में भर लेती है और कस कर मसल देती है |
“आह्ह्ह्ह...” राहुल सिसक उठता है | उसका लंड इस समय पूरे जोश में था, जंग लड़ने के लिए बिलकुल तैयार मगर अभी उसे इंतज़ार करना पड़ेगा | अपनी माँ को जाते हुए राहुल देखता है तो अपने लंड को बड़े प्यार से सहलाता है “बस थोडा सा सब्र कर जल्द ही तेरी मन की मुराद पूरे होने वाली है | लंड ने एक जोर का झटका मारा जैसे राहुल की बात से उसे अत्यंत ख़ुशी मिली हो |
राहुल अपनी पेंट और अंडरवियर उतारता है और एक इलास्टिक का पायजामा पहन लेता है | उसे बहुत शर्म आ रही थी अपनी माँ को अपने वीर्य से खराब कपडे देने में, इसीलिए वो उन्हें गोल करके इकठ्ठा कर देता है और अपनी माँ के कमरे में जाता है यहाँ सलोनी अपने कमरे से अटैच्ड बाथरूम में कपडे धो रही थी | राहुल जैसे ही बाथरूम में पाँव रखता है सामने का नज़ारा देखकर उसके होश गुम हो जाते हैं | सामने सलोनी राहुल की तरफ पीठ करके खड़ी थी | उसके बदन पर कपडे के नाम पर एक काली कच्छी थी | उसका पायजामा , टीशर्ट उसके पाँव के पास फर्श पर पड़े हुए थे | वो नल चलाकर बाल्टी में पानी भर रही थी | राहुल का ध्यान अपनी माँ की गर्दन से होता हुआ नीचे की और आता है | उसने अभी भी अपने बालों में रबड़ डाली हुई थी | उसकी माँ की पीठ पर बाल आसमान में बादल की तरह मंडरा रहे थे | ‘उफफ्फ्फ्फ़’ कितनी गोरी थी, एकदम दूध के जैसे , कहीं पर एक निशान तक नहीं था | राहुल पहली बार अपनी माँ को इस हालत में देख रहा था | उसके बाल उसकी कमर पर उसके नितम्बो से थोडा सा ऊपर तक आ रहे थे | कंधो से निचे को आते हुए उसकी कमर अन्दर को बल खाकर पतली हो रही थी और फिर थोडा निचे जाकर बाहर को बल खाते हुए उसके नितम्बो के रूप में फ़ैल जाती थी | कच्छी के अन्दर से झांकती उसकी उभरी गोल मटोल गांड राहुल को पुकार रही थी | उसके नितम्बो को चुमते हुए उसकी कच्छी नितम्बो पर खूब कसी हुई थी और नितम्बो की घाटी में थोडा सा अन्दर की और समाई हुई थी | राहुल का गला खुशक हो गया | उसके गले से आवाज़ नहीं निकल रही थी | उधर बाल्टी आधी पानी से भर जाती है | सलोनी निचे झुक जाती है, टांगों के बीच में से उसे कच्छी पर एक बहुत बड़ा गीला धब्बा दिखाई देता है | यहाँ उसकी कच्छी भीगी होने के कारण इस तरह चूत से चिपकी हुई थी कि राहुल चूत के होंठो को और उनके बीच हलकी सी दरार तक को देख सकता था | मगर जिस चीज़ ने सबसे जयादा उसका धयान अपनी और खींचा वो था सलोनी का मुम्मा जो कि झुकने और एक तरफ को मुडने के कारण निचे को झूलता हुआ राहुल की आँखों के सामने था, पूरा तरह से बेपर्दा |
“उन्न्नग्गग्ग्ग्गह्ह्ह्ह” ना चाहते हुए भी राहुल के होंठो से तेज़ सिसकी निकल जाती है |
“ओह्ह्ह्हह.... बेटा तुम हो, मुझे मालूम ही नहीं चला, इधर अपने कपडे डाल दो, मैं धो देती हूँ” सलोनी अनजान बनते हुए बोलती है जैसे राहुल के आने का पता ही ना चला हो | वो उठकर खड़ी हो जाती है |
राहुल अपनी माँ के करीब जाता है, इतना करीब कि उसकी गांड उसके अकड़े लंड से मात्र एक हाथ की दूरी पर थी | उस समय उसकी एक ही ख्वाइश थी अपनी माँ की कच्छी उतार कर उसको उसी तरह घोड़ी बनाने का जैसा वो अभी अभी बनी हुई थी और फिर उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोदने का | मगर वो उसे चोद नहीं सकता था, कम से कम अभी तो हरगिज़ नहीं | उसे अभी इंतज़ार करना होगा मगर वो अपनी माँ की नंगी गांड को एक बार छूना जरूर चाहता था | उसकी नंगी पीठ को सहलाना चाहता था | वो अपना हाथ अपनी माँ के गोल मटोल उभरे हुए दुधीआ नितम्ब की और बढाता है, उत्तेजना के मारे वो बुरी तरह से कांप रहा था, उसकी उँगलियाँ लगभग अपनी माँ के नितम्ब को छू रही थी |
“बेटा कहाँ खो गये, इधर डाल दो कपडे” सलोनी की आवाज़ से राहुल जैसे नींद से उठता है और अपना हाथ तुरंत वापिस खींच लेता है मगर घबराहट में उसकी उँगलियाँ धीरे से सलोनी के नितम्बो को सहला देती हैं |
“आँ......हाँ....हाँ मम्मी....” राहुल अपने कपडे फर्श पर फेंक देता है, सलोनी थोडा सा घूमती है और राहुल को देखती है जो उसके घूमने के कारण नज़र आ रहे मुम्मे को देखते हुए अपने होंठो पर जिव्हा फेर रहा था | डार्क गुलाबी रंग का निप्पल अकड़ कर कठोर हो चूका था, राहुल उसे होंठो में भरकर चुसना चाहता था, काटना चाहता था | इसी बीच सलोनी फर्श पर पड़े राहुल के कपडे उठाने के लिए फिर से झुकती है तो राहुल का लंड उसकी गांड में धंसता चला जाता है |
“अरे यह क्या.......” सलोनी चौंकने का नाटक करती है, “यह मेरे नितम्बो में क्या चुभ रहा है” कहकर सलोनी सीधी हो जाती है और राहुल की तरफ घूम जाती है | अब माँ बेटा आमने सामने थे | माँ अपने बेटे के सामने केवल एक कच्छी में थी और वो भी बुरी तरह से भीगी हुई उसकी चूत के होंठो को स्पष्ट दिखा रही थी | राहुल की नज़र पहली बार अपनी माँ के नगन मुम्मो पर पडती है | ‘उफफ्फ्फ्फ़’ क्या गोल मटोल भरी मुम्मे थे, सीधे तने और उन पर गुलाबी रंग के कड़क तीखे निप्पल, राहुल सांस लेना भूल गया था |
“अरे तूने इसे फिर से खड़ा कर दिया, मैंने तुझे पढने के लिए कहा था और तू इसे खड़ा करके मेरे पीछे चुभा रहा है” सलोनी झूठ मूठ का नाटक करती कहती है, जैसे बेटे का लंड खड़ा होना उसे पसंद नहीं आया हो |
“सॉरी मम्मी..... सॉरी...अभी जा कर पढता हूँ” राहुल बाहर को भागता है |
“अभी इसे मत छेड़ना सुबह से मेहनत कर रहा है, थोडा आराम करने दो, रात को बेचारे को फिर से मेहनत करनी पड़ेगी” राहुल के पीछे उसकी माँ चिल्ला कर कहती है | बेटे की हालत देख सलोनी की हंसी रोके नहीं रुक रही थी | वो आज कुछ ज्यादा ही शरारती बन रही थी | उसे बेटे को छेड़ने में , उकसाने में एक अल्ग ही लुत्फ प्राप्त हो रहा था |
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