Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
01-13-2019, 11:38 PM,
#9
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सलोनी राहुल के कन्धों को थाम धीरे से मुख आगे लाती है | राहुल के होंठ सूखने लगते हैं, दिल की धडकने तेज़ होने लगती हैं, सलोनी के होंठ बिलकुल राहुल के होंठो के सामने आ जाते हैं, मुश्किल से उन दोनों के होंठो के बीच एक इंच का फासला होगा | राहुल के सीने में उसका दिल ‘धम्म-धम्म’ धड़क रहा था | उसके चेहरे पर अपनी माँ की गर्म साँसे पड रही थी | पेंट में उसका लंड तम्बू बना देता है | सलोनी कुछ सेकंड्स के लिए राहुल की आँखों में आँखें डाल कर देखती है जब उसके होंठ राहुल के होंठो के साथ लगभग टच कर रहे होते हैं |

सलोनी धीमे से चेहरा दाईं और घुमाती है | उसके होंठ हल्के से राहुल के होंठो से रगड़ खाते हैं | वो राहुल के दायें गाल पर अपने तपते हुए होंठ लगा देती है | राहुल को अपना गाल जलता हुआ महसूस होता है | वो उत्तेजना में अपनी कमर थोड़ी सी आगे करता है तो पायजामे में उसका लंड अपनी माँ के नंगे पेट पर दबता है | सलोनी अपने पेट पर लंड की चुभन महसूस करके होंठो को राहुल के गाल पर दबाती है और अपनी जिव्हा राहुल के गाल पे फेरती है | फिर वो धीमे से अपने होंठ राहुल के गाल से हटाकर उसके कान के पास ले जाती है और सरगोशी करने के अंदाज़ में बोलती है |

“शुक्रिया बेटा, मैं तुम्हे बता नहीं सकती, तुमने मेरे दिल से कितना बड़ा बोझ उतार दिया है”, सलोनी एक पल के लिए चुप होती है फिर लगभग ना सुनने वाली आवाज़ में धीरे से फुसफुसाती है |

“मुझे तो मालूम भी नहीं था कि मेरा बेटा जवान हो गया है और इतना समझदार भी” सलोनी फिर से एक पल के लिए चुप होती है और फिर से फुसफुसाती है, “अगर ऐसे ही समझदारी दिखाओगे तो मैं वादा करती हूँ, तुम्हे छुट्टियों में बहुत मज़ा आने वाला है” | 

सलोनी राहुल के कंधे पकड अपना पेट उसके लंड पर दबाती है जो अब झटके मार रहा था और फिर से अपने बेटे के गाल पर एक भीगा चुम्बन देकर उससे चेहरा दूर हटा लेती है | राहुल का चेहरा लाल हो चूका था, उत्तेजना के मारे उसका बुरा हाल था | लंड पेंट में झटके पे झटके मार रहा था | सलोनी नज़र नीची करके उसकी पेंट में बुरी तरह झटके मार रहे लंड को देखती है तो उसकी कामरस से गीली चूत में सनसनी होने लगती है |

“तुम जाकर टीवी लगाओ, मैं अभी आती हूँ” सलोनी मुस्कराती हुई उसे बोलती है और पीछे को मुडकर वो खुद सिंक के पास चली जाती है | राहुल को कुछ लम्हे होश में आने को लगते हैं | फिर वो खुद को संभालता है और ड्राइंग रूम में चला जाता है |

राहुल टीवी ओन करता है और रिमोट लेकर चैनल चेंज करने लगता है | उसका एक हाथ अपने लंड को मसल रहा था | अभी भी उसे अपने गाल पर अपनी माँ के होंठो की तपिश महसूस हो रही थी | अभी भी वो अपने सीने पर अपनी माँ के मुम्मो का दवाब महसूस कर सकता था | अभी भी वो उसके उत्तेजना से कड़े निप्पलों को अपनी छाती में चुभते महसूस कर सकता था | उसका लंड अभी भी अपनी माँ के नर्म मुलायम पेट के स्पर्श को याद कर झटके मार रहा था | उस समय उसकी तीव्र इच्छा हो रही थी कि वो बाथरूम में जाकर मुट्ठ मारे | मगर उसकी माँ जल्द ही बर्तन साफ़ करके आने वाली थी | उसे ज्यादा समय नहीं लगने वाला था | इसीलिए वो किसी तरह हस्तमैथुन की अपनी ज़बरदस्त इच्छा को किसी प्रकार दबाने का प्रयत्न कर रहा था | एक बात से उसे राहत महसूस हो रही थी और ख़ुशी भी कि जब उसने अपना लंड अपनी माँ के पेट पर दबाया था तो उसने गुस्सा ज़ाहिर नहीं किया था | बल्कि उसने खुद अपना पेट उसके लंड पर दबाया था मतलब उसकी माँ उसे पूरी लाइन दे रही थी | वो फिर से उसके पेट पर अपना लंड दबा सकता था, या फिर शायद उसे इससे बढ़कर कोशिश करनी चाहिए | अगर मौका मिला तो वो उसकी चूत पर अपना लंड दबा कर देखेगा वो क्या प्रतिकिर्या करती है | क्या वो भी पहले की तरह वापिस अपनी चूत उसके लंड पर दबाएगी? उसकी माँ उसके लंड पर अपनी चूत दबाएगी इस सम्भावना मात्र से उसका लंड फिर से झटके मारने लगता है |

उधर सलोनी बर्तन साफ़ करती मुस्करा रही थी | आज नाजाने कितने दिनों, कितने महीनों बाद वो खुद को जिंदा महसूस कर रही थी | आज कितने समय बाद वो अपने बदन में उठती आनंद की उन लहरों को महसूस कर रही थी, अपने जिस्म में जोश और उत्तेजना के मिलन से पैदा होने वाली विघुत तरंगो का एहसास ले रही थी, उसे अपने अंग अंग में मस्ती छाती महसूस हो रही थी | उसे लग ही नहीं रहा था वो पहले वाली चिडचिडी ,उदास, हर वक़्त थकी रहने वाली सलोनी है | नहीं यह सलोनी और थी, जो जोश से भरपूर थी जो ज़िन्दगी में छिपे उस असीम आनंद को महसूस करना चाहती थी | जो अपनी ज़िन्दगी के हर पल को मज़ेदार बनाना चाहती थी | यह सलोनी औरत को मर्द से मिलने वाले चरम सुख को हासिल करना चाहती थी, हर दिन हर रात, और अगर उसका पति उसे वो सुख नहीं दे सकता था तो वो उसके लिए अपनी जवानी बर्बाद करने वाली नहीं थी, उसके पास उसका बेटा था, जवान तगड़ा मर्द, हाँ तगड़ा मर्द जिसके पास एक तगड़ा लंड था जो उसके बाप के लंड से लम्बा था, मोटा था, जो पत्थर की तरह अकड जाता था | हाँ वो अपने बेटे पर अपनी जवानी लुटाएगी | वो उसे हर दिन उस स्वर्गिक आनंद का एहसास करवाएगी जो इस दुनिया की कोई औरत नहीं करा सकती और उसका बेटा उसकी सारी इच्छायों की पूर्ती करेगा, उसकी सारी ख्वाहिशों को पूरा करेगा उसे अपने पति का इंतज़ार करने की कोई आवशयकता नहीं है, उसे अपना काम प्यारा है तो वो काम करे | उसके पास उसका बेटा है, उसका बेटा, मोटे तगड़े लंड वाला और उसका मोटा तगड़ा लंड अब हर रोज़ उसकी चूत में जाएगा, उसकी अपनी माँ की चूत में जाएगा, उसकी माँ खुद अपने हाथों से पकड़ कर उसका लंड अपनी चूत में लेगी |

सलोनी के सर पर फिर से काम चड़ा हुआ था मगर इस बार वो जानती थी कि अब उसका अपने बेटे से चुदना तय हो चूका है | यह उसका नसीब है और वो यह भी जानती थी कि अगर वो एक बार अपने बेटे से चुद गई तो फिर वो हर दिन उससे चुदेगी, बार बार चुदेगी और अब उसे गलत सही की कोई परवाह नहीं थी | वो उसकी माँ है और हर माँ का फ़र्ज़ होता है वो अपने बेटे को दिल खोल कर प्यार करे ,उसकी हर जरूरत पूरी करे | चाहे वो जरूरत कैसी भी क्यों ना हो | वो अपन बेटे की हर जरूरत पूरी करेगी, और वो भी उसकी हर जरूरत पूरी करेगा | उन दोनों को अब तरसने की कोई जरूरत नही थी और बिलकुल भी नहीं थी |

सलोनी ड्राइंग रूम में आती है तो राहुल सोफे पर बैठे बैठे टीवी के चैनल चेंज कर रहा था | उसकी माँ सोफे पर उसके पास धम्म से बैठ जाती है |
“वोही पुरानी घिसी पीटी फिल्मे आ रही है सभी चैनल्स पर” राहुल चैनल चेंज करते बिना अपनी माँ की और देखते बोलता है |

“कोई कॉमेडी लगी है क्या? मेरा कॉमेडी देखने का मूड है, प्लीज कोई एक्शन जा रोमांटिक मूवी मत लगाना” सलोनी बेटे से सटती हुई बोलती है |

“हुन्ह्ह्हह... जी सिनेमा पर ‘गोलमाल’ लगी है” | राहुल को अपनी बगल में अपनी माँ के जिस्म से निकलती तपिश महसूस होती है | पेंट में उसका थोडा सा नर्म पड चूका लंड एक ही झटके में फिर से अपने रूप में लौट आता है |

राहुल फिल्म लगाकर सोफे की पुश्त से सर टिका लेता है और अपनी टाँगे उठाकर अपने पाँव सामने पड़े टेबल पर रख देता है | शायद उसने पहले सोचा नहीं था मगर ऐसा करने से उसका अकड़ा हुआ लंड उभर कर सामने आ जाता है | उसकी पेंट में बना हुआ तम्बू जिसमे कुछ हिल डुल रहा था, सलोनी की नज़रों के सामने था | सलोनी थोडा सा घूम कर राहुल के कंधे पर सर रख देती है और अपनी टाँगे मोड़ कर अपना वजन राहुल के ऊपर डाल देती है | वो अपना एक हाथ पीठ पीछे घुमाकर राहुल के कंधे पर और दूसरा सामने उसकी गोद में उसके खड़े लंड से हलकी सी दूरी पर रख देती है | राहुल का लंड अपनी मम्मी के हाथ को इतने नजदीक पाकर सांप की तरह फन उठा फुफकारने लगता है जैसे किसी को डसने के लिए बिलकुल तैयार हो | यहाँ राहुल का लंड डसने के लिए तैयार था वहीँ उसकी माँ डसवाने के लिए बिलकुल तैयार थी |

दोनों माँ बेटे टीवी देख रहे थे | यहाँ राहुल का रुख सीधा टीवी की और था वहीँ सलोनी का रुख राहुल की और था | वो उसके कंधे पर सर टिकाए मुंह घुमाकर टीवी देख रही थी | दोनों टीवी देख रहे थे या फिर टीवी देखने का नाटक कर रहे थे | अगर टीवी देख भी रहे थे तो उनका ध्यान टीवी से ज्यादा एक दुसरे में था | राहुल अपने कंधे में अपनी मम्मी के भारी मुम्मो को गड़ता हुआ महसूस कर रहा था | वो मन ही मन में ख्वाइश कर रहा था कि उसकी माँ उसका लंड पकड़ ले | सलोनी ने उसका लंड तो नहीं पकड़ा मगर उसका हाथ थोडा निचे को जरूर हो गया और अब खतरनाक हद तक लंड के करीब था | राहुल को लगा जैसे उसकी माँ उसे तडपा रही है | उसका लंड और भी अकड़ रहा था जैसे वो सलोनी के हाथों में जाने के लिए तड़प रहा था | सलोनी धीरे धीरे से राहुल का पेट सहला रही थी | राहुल बैचेनी में धीरे धीरे जानबूझकर अपना कन्धा हिलाता तो वो सलोनी की छाती को दबाता, सहलाता | राहुल का दिल कर रहा था वो उसकी छाती को अपने हाथ में पकड़ कर उन्हें खूब सहलाए, दबाए,चूमे ,उन्हें मसल मसलकर लाल कर दे | मगर वो सीधे सीधे अपनी माँ पर हाथ डालने से डरता था | कुछ देर यूँ ही बैठे रहने के बाद राहुल ने अपना हाथ अपनी माँ के पेट पर रखा और टीशर्ट के छोटे होने के कारण उसका जो पेट नंगा था उसे धीरे से सहलाया | सलोनी के जिस्म में हल्का सा कम्पन हुआ जिसे राहुल ने भी महसूस किया | मगर उसने हाथ नहीं हटाया | वो अपनी माँ की नर्म मुलायम त्वचा को महसूस करता पहले की तरह सहलाता रहा | उधर राहुल की शुरुआत से सलोनी ने भी आगे बढ़ने का फैसला किया | उसका हाथ धीरे धीरे निचे जाने लगा | राहुल की धड़कने बढ़ने लगी | कुछ ही पलों में सलोनी की हथेली का पिछला भाग राहुल के लंड के सुपाड़े को छू रहा था | जैसे ही सलोनी की हथेली से राहुल का लंड टच हुआ, राहुल अपनी ऊँगली से अपनी माँ की नाभि कुरेदने लगा | दोनों की सांसें गहरी हो रही थी | यहाँ राहुल का लंड बुरी तरह से झटके खा रहा था वहीँ सलोनी की चूत रस से सरोबर हो चुकी थी और उसकी कच्छी और झांगें भीगती जा रही थी | उसके निप्पल अकड़ चुके थे और राहुल के कंधे पर चूभ रहे थे | सलोनी थोडा सा ऊपर को उठती है तो राहुल को उसकी गर्म सांस अपनी गर्दन पर महसूस होती है |

दोनों माँ बेटे बुरी तरह से उत्तेजित थे | माँ अपने होंठ राहुल की गर्दन से सटा देती है | बेटा सिसक उठता है उसकी एक ऊँगली माँ के पायजामे की इलास्टिक में कमर के एक सिरे से दुसरे सिरे तक पेंटी को टच करती घुमती है | इस बार माँ कराह उठती है | अपनी टांग मोड़ कर बेटे के लंड को अपने घुटने से रगड़ने लगती है | बेटा कच्छी के उपर से अपनी माँ की चुत से थोडा ऊपर उंगल से गोल गोल घेरे बनाता है और अपनी बाजु माँ की गर्दन के पीछे से घुमाकर उसके कंधे से उसके मुम्मे के बेहद करीब रख देता है | माँ अपने मुम्मो और चूत के इतने करीब बेटे की उँगलियाँ पाकर मदहोश होने लगती है | वो एक तरफ घुटने को आगे बढाती है और दूसरी तरफ से अपनी हथेली को और बेटे के लंड को दोनों के बीच दबा देती है | बेटा कराह उठता है | माँ बेटे की गर्दन को चूमती हुई उस पर अपनी जिव्हा रगडती है |

बेटे का हाथ सीने पर निचे होता है और मुम्मो की घाटी में उसकी उँगलियाँ दस्तक देने लगती है | माँ हथेली का दवाब देकर घुटने को धीरे धीरे ऊपर निचे करने लगती है | बेटा लगातार कराहने लगता है | वो पायजामे की इलास्टिक को हटाता है | उसकी उँगलियाँ अन्दर तक घुसती जाती हैं और वो अपनी माँ की जांघ को सहलाता है | दुसरे हाथ से मुम्मे के उपरी हिस्से पर उँगलियों से लकीरे खींचता है | माँ अपने होश गंवाने लगती है, ऊँचे ऊँचे सिसकते हुए अपने घुटने को तेज़ और तेज़ बेटे के लंड पर रगडती है | बेटा माँ के सीने उपर उँगलियाँ और नीचे लाता है | अब उसकी उँगलियाँ मुम्मो के गिर्द गुलाबी घेरे के पास तक पहुँच चुकी थी | कामौंध में डूबी माँ के निप्पल बेटे की उँगलियों को अपने इतने नज़दीक पाकर और भी अकड़ जाते हैं | इससे वो उसके हाथ में पहुँचने को बेताब हो बेटे का हाथ पायजामे के अन्दर जांघ के जोड़ से होता हुआ जांघ के मध्य तक जा रहा था और जब भी वो ऊपर आता तो हर बार उसका हाथ रस से भीगी कच्छी पर चूत के करीब और करीब होता जाता | माँ बेटे की गर्दन को हलके से दांतों से काटती है | बेटा होशो हवास खो कर माँ के मुम्मे को अपनी हथेली से ढक देता है मगर उसे दबाता नहीं है | माँ अपना सीना उभार अपने बेटे के हाथ में अपना मुम्मा धकेलती है जैसे उसे दबाने के लिए आमंत्रित कर रही हो | बेटा हथेली को कस कर दबा देता है | माँ उछल पडती है और हथेली को सीधा करके लंड को पकड़ लेती है और अपने हाथ को तेज़ी से आगे पीछे करने लगती है | बेटा मुम्मे को मसलता हुआ माँ के पायजामे के अन्दर अपने हाथ को माँ की चूत की तरफ लाता है जैसे ही बेटे का हाथ बुरी तरह भीगी हुई कच्छी के ऊपर से अपनी माँ की चूत को छूता है तो माँ बेटे को लगता है जैसे वो नंगी चूत को छू रहा हो |

“आह्ह्हह्ह्ह्ह......” माँ के मुख से चीख निकलती है और उसका बदन जोर जोर से हिलने लगता है | माँ सखलित हो रही थी वो चीखती हुई बेटे के लंड को जोर से पकड़ कर खींचती है, मसलती है, तो बेटा भी माँ के मुम्मे को मुट्ठी में भींच पूरी चूत को कच्छी के ऊपर से हथेली में समेट लेता है | माँ का बदन ऐंठने लगता है वो ऊपर को उठती है और अपने नम होंठ अपने बेटे के होंठो पर रख देती है |

“मम्मम्मम्ममम्मी.....” बेटा इस प्रहार को सहन नहीं कर पाता और पायजामे में उसका लंड वीर्य की फुहारे छोड़ने लगता है |

“बे.....टा.....” माँ बेटे के होंठो पर होंठ दबाती है, सिसकती है | माँ बेटा दोनों एक दुसरे को आलिंगन में भर लेते हैं | दोनों ने आज उस चरम सुख को प्राप्त किया था जिसके बारे में लोग सिर्फ सुनते हैं मगर उसे हासिल नहीं कर पाते |

सच में जैसा प्यार एक माँ अपने बेटे को दे सकती है वैसा प्यार एक बेटे को कोई और नहीं दे सकता |
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