RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. लौन्डिया की यही मस्ती वो चीज है जिसकी वजह से मैं किसी भी लौन्डिया को चोदते समय उसके दर्द की परवाह नहीं करता। मुझे पता है कि लड़की जैसे हीं १३-१४ की उमर के करीब होती है, वो कैसा भी लन्ड अपने भीतर डलवा सकती है। उसके बदन की बनावट हीं ऐसी है। यहाँ तो यह कुतिया कम से कम १८ की जरुर थी। सो जल्द हीं मस्ती पा मस्त हो गई और फ़िर मजे ले कर अपना गाँड़ मरवाई।करीब १४-१५ मिनट की चुदाई या कहिए गांड़ मराई के बाद मैं उसकी गांड़ में हीं झड़ गया, और जब अपना लन्ड बाहर खींचा तो तो अपने गांड़ के छेद को भींची और तब उसकी गांद में से मेरा सफ़ेद माल बाहर बह निकला।साली के गांड़ का उदघाटन हो चुका था। रात के करीब १२ बज चुके थे, सो हम सब अब सो गए। सोते समय दिमाग में एक बात थी कि सानिया साली का क्या हो रहा है वहाँ, सोचा कि चलो सुबह सब पता चल जाएगा।सुबह सबसे पहले रागिनी की आँख खुली।उसने जब खिड़की का पर्दा हटाया तो रोशनी से हम सब जग गए। सब ऐसे हीं नंग-धड़ग सो गए थे।रंजिता उठी तो अपने हाथ से अपने बूर को कवर करते हुए उठी और बोली, बाप रे बहुत देर हो गया,अब घर जा कर जल्दी-जल्दी सब काम करना होगा। उसको अभी अपने छोटे भाई बहन को खाना बना कर ९ बजे तक स्कूल भेजना था।पता चला कि उसकी माँ नहीं है और बाप शराबी है। उसका बाप एक बोतल विदेशी शराब के बदले उसे रात भर के लिए मैनेजर के साथ भेजा था।ऐसा आज तीसरी बार हुआ था। रंजिता ने बताया कि उसको अब २००० रू० मिलेगा मैनेजर से, तो मुझे दया आ गई और मैंने उसे २००० और दिए, और अपने शेविंग किट से बोरोलिन दिया की वो उसे अपने गांद के छेद पर लगाया करे। मैंने देखा कि कल कि गाँड़ मराई के चक्कर में उसकी गाँड़ के छेद के फ़ोल्ड्स थोड़ा छिल गए थे। मैंने उसके गांड़ के छेद पर पहली बार अपने हाथ से बोरोलिन लगाया। साली इतना प्यार पा कर पिघल गयी, पर हम सब ने उसे विदा कर दिया। तभी जमील के फ़ोन पर सानिया का फ़ोन आया
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