RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
खैर रात का खाना वाना खाने के बाद जमील ने वियाग्रा खा लिया, और बोला-"बाबू, आज रंजिता का गांड़ भी मारूँगा। जब वहाँ सानिया की गाँड़ वे लोग मारेंगे हीं तो यहाँ जो मिली है उसकी गाँड़ क्यों छोड़ दूँ?" रागिने ने अब चुटकी ली-"अंकल, वहाँ तो दीदी को इसका पैसा मिला है, यहाँ यह बेचारी तो फ़्री में मिली है आपको।" जमील भी अब धीरे-धीरे बदल रहा था, "फ़्री में नहीं मिली है ये लौन्डिया, मेरी बेटी वहाँ जा कर उन विदेशियों से चुदा रही है, इसके एवज में मैनेजर इसे यहाँ लाया है।" मैंने अब बात को लपका और अब तक की सबसे गंदी बात कह गया, "हाँ यार जामील, साले बेटीचोद, तुम इस हरामजादी रंजिता से पूरा पैसा वसूलो आज। तेरी बेटी तो वहाँ अपने बूर और गाँड़ में गोरे-गोरे लन्ड पेलवा-पेलवा कर लौन्डिया की कीमत चुका रही है। अब अगर तुम साली को पूरा नहीं निचोड़े को लानत है तुम पर की तेरी बेटी को तो सब चोदें और तू किसी की बेटी को ठीक से ना निचोड़े तो। समझ ले कि इस रंजिता को अल्लाह ने तेरे लिए हीं भेजा है, साली को फ़ाड़ देना आज। और वियाग्रा है मेरे पास अगर एक और लेना हो तो...।" जमील ने नहीं में सर हिलाया और फ़िर रंजिता को अपनी गोदी में खींच लिया और हमें बोला की अब हम वहाँ से हट जाएँ। मैने भी रागिनी का हाथ पकड़ा और फ़िर बगल के रूम में चला गया।बिस्तर पर आने के बाद रागिनी अपने कपड़े खोलने लगी। वो बहुत हीं मुग्ध हो कर मुझे नंगा होते हुए देख रही थी। फ़िर वो बोली-"आज आप भी एक वियाग्रा खा लीजिए न अंकल। सच्ची, आप सब की बात से मुझे लग रहा है कि आज की रात मेरे लिए भी अनोखी हो तो मजा आ जाए।" यह सुन मैंने भी एक गोली खाली ली, और सोच लिया की साली रागिनी की बूर और गांड़ दोनों जब तक पड़पड़ाने नहीं लगेगी, उस छिनाल को नहीं छोड़ूँगा। जल्दी हीं मैं उस साली के उपर था और हरामजादी को भरपुर गालियाँ देते हुए चोद रहा था। शुरुआत मैंने उसको हरामजादी कह कर किया और फ़िर जल्द हीं रंडी, कुतिया, बप्चोदी, भाईचोदी, भोसड़ीवाली छिनाल, रंडी और न जाने क्या-क्या कह रहा था। वो मेरे जोए के धक्के खा रही थी और कराह रही थी। तभी बगल की रूम से लगा की रंजिता को जमील खुब जोर से चोद रहा है क्योंकि उसकी कराह्ट में रागिनी की कराहट वाली बात नहीं थी, उसे शायद दर्द हो रहा था। मैं रागिने पर से उतर गया, और बाहर की तरफ़ झांका, तो जो देखा रागिनी को इशारा किया कि वो भी देखे। जमील उसे पलट कर उसके गाँड़ में अपना लन्ड ठाँशने की कोशिश कर रहा था, और बेचारी की कोरी गाँड़ उस मादरचोद जमील का काला मोटा लंड भीतर ले नहीं पा रही थी।
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