RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
फ़िर हम एक फ़िल्म की मैटिनी शो देखने चले गए। शाम को करीब ७.३० में वापस कौटेज में आए और तब मैंने ही कहा कि एक बार सानिया से पूछता हूँ कि क्या सब हुआ, कैसा रहा दिन। फ़ोन मिला कर मैंने स्पीकर औन कर दिया। सानिया ने जो बताया, सब सुन रहे थे। उसने कहा कि करीब १ बजे तक तीनों ने उसे बारी-बारी से चोदा। हरेक ने अलग-अलग उसके बेड पर उसे मसला और कुल मिला कर लगातार करीब तीन घंटे उसे अपना बदन उन सब को सौंपना पड़ा। फ़िर सब लंच करके दिन में सो गए। अभी करीब आधे घंटे पहले हीं वो उठी है, और अब आज रात को सब मिल कर एक साथ उसके साथ सेक्स करेंगे। उन लोगों ने उसे कहा है कि वो भारी खाना न खाए, आज रात वो उसकी जम कर चुदाई करेंगे और गाँड़ भी मारेंगे। जमील अब बोला-"नहीं बेटा, यह मत करने देना, तुम्हें तकलीफ़ होगी, अभी बच्ची हो तुम।" अब सानिया सीधे अपने अब्बू से बोली-"अब्बू आप अब मुझे बच्ची कहना बंद कीजिए, इत्ना देख रहे है आप मुझे, खुद भी चोदे और आपको अभी तक मैं जवान नहीं दिख रही। वैसे भी, मैं इन लोगों से कुछ के लिए ना नहीं कहने वाली। ये सब सेक्स में एक्सपर्ट हैं, पता है सिर्फ़ मेरी चूत को चाट चूस कर इन लोगों ने मुझे दो बार मजा दिया। मेरे सामने एक ने अपनी गर्लफ़्रेन्ड की गांड़ मारी, पर इसके पहले सिर्फ़ गांड़ चाट चाट कर उसका ढ़ीला कर दिया और बड़े प्यार से उसमें घुसा दिया, लगा जैसे ये तो कई तकलीफ़ की बात हीं नहीं है।" जमील बोला-"पर बेटा, ये सब..."। सानिया-’बस अब्बू अब रहने दो, अच्छा न है, तुम्हारे लिए। तुमसे तो अपनी बेटी की गांड़ मारी नहीं जाएगी, सो अगर ये लोग मेरी गांड़ मार-मार कर उसे थोड़ा खोल देंगे तो तुम्हें भी आसानी होगी, मेरी गांड़ मारने में। ठीक है, अब कल सुबह बात करना, फ़िर बताऊँगी सब।", और फ़ोन कट गया।मुझे समझ आ गया कि सानिया ने अच्छी ऐक्टिंग की और ऐसे जताया कि उसकी गांड़ कोरी है, जबकि मुझे और रागिनी को पता है कि मैं उसकी गांड़ में पहले ही अपना लन्ड पेल चुका हूँ। साला बेवकूफ़ जमील अभी तक यह अंदाजा नहीं लगा पाया था कि उसकी बेटी की सील मैंने हीं खोला वर्ना वो समझ जाता कि मेरे जैसा गांडू उसकी ऐसी मस्त बेटी की गांड़ को कुँवारी तो आज तक नहीं हीं रहने देता। सच, मुझे अब उसकी बेवकूफ़ी पर तरस आ रहा था। मेरे दिमाग में तभी एक बात आई कि अब जब उसकी बेटी को रंडी बनाने का काम पूरा हो गया तो अब क्यों नहीं उसकी मस्त बीवी को एक बार शीशे में उतारा जाए। मैं अब लगातार इसी लाईन पर सोंच रहा था। जमील की बेटी सानिया एक दम एकहरे-छरहरे बदन की लौन्डिया थी तो उसकी बीवी दोहरे बदन की पूरी खीली हुई औरत। उसकी चूची भी बड़ी-बड़ी थी ३८ साईज की और उसकी कमर पर दो रेखाएँ भी बनी थी उसकी चूची की भार की वजह से। माँ भी बेटी जैसी हीं गोरी-चिट्टी थी। पर मस्ती उसमें कितनी थी, पता नहीं। सानिया की मस्ती हीं उसे जल्द हीं मेरी राह पर ले आई, पर उसकी अम्मी...., मैं यही सब सोच रहा था।
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