RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
फ़िर मैंने उसको समझाया कि कैसे मर्द के लौंडे को चुसा जाता है। बच्ची समझदार थी, जल्दी हीं समझ गई और मेरे लन्ड में सुरसुरी पैदा करने लगी। जल्दी हीं मैं छूट गया, उसकी मुँह में हीं। उसने मुँह बिचकाया, पर मेरे समझाने से सब पी गयी। उसके होठ पर मेरे लन्ड का जूस थोड़ा सा चमक रहा था। बड़ी प्यारी से सुरत लग रही थी साली की। अब मैंने उसको खड़ा किया और फ़िर एक-एक कर उसके कपड़े उतार दिए। कुर्ता, फ़िर सल्वार, फ़िर समीज, फ़िर ब्रा और अंत में पैन्टी। साली का नंगा बदन मस्त था। हल्की-हल्की काली-काली झाँटों से घिरी हुई उसकी बूर एकदम ठ्स्स टाईट दिख रही थी। मैंने जब सकी झाँटों पर उँगली चलाई को उसके बदन की थड़थड़ाहट मुझे महसूस हुई। उसकी झाँटों के आकार और लम्बाई ने मुझे बता दिया कि अभी इस लौन्डिया की झाँट अनछुई है, कभी कैंची तक नहीं चली इस पर। मैंने पूछा-"कितने दिन से झाँट साफ़ नहीं की हो जान?" वो बोली-"शुरुआत में हीं दो बार की थी फ़िर नहीं साफ़ की कभी।" मैंने देखा कि अब वो थोड़ा खुलने लगी है तो फ़िर पूछा-"किस उम्र में झाँट निकलनी शुरु हुई तुम्हें ? झाँट पहले आई या माहवारी?" रंजिता ने कहा-"१५ में कुछ महिना कम था जब माहवारी शुरु हुई, झाँट उससे करीब तीन-चार महिने पहले से निकलना शुरु हुई। माहवारी के पहले हीं दो बार साफ़ की थी कैंची से।" मैंने अब तक उसे बिस्तर पे लिटा दिया था और उसकी चुचियों को चुसना, मसलना शुरु कर दिया था। जल्दी हीं रंजिता कसमसाने लगी। मेरे जैसा अनुभवी रसिया के लिए तो वो नौसिखुआ थी। उसे बेचैन करने के बाद, मैं उसकी बूर की तरफ़ ध्यान देना शुरु किया। बूर की चटाई उसके लिए अनोखा अनुभव था। उसकी बूर मुझे एकदम कुँवारी बूर का मजा दे रही थी। उससे निकल रही खुश्बू मेरे लन्ड को टनटना चुकी थी। मैंने उसको जब पूरी तरह से तड़फ़ड़ाते हुए देखा तो उसके उपर चढ़ गया। उसके जाँघ खोले और फ़िर अपना लन्ड हौले-हौले साली के बूर में पेल दिया। उसके जवानी के रस से सराबोर बूर में लन्ड घुसाने के लिए किसी चिकनाई की भी जरुरत नहीं थी। साली को मचलने से फ़ुर्सत कहाँ थी कि उसको पता चलता कि कब उसकी बूर चुदनी शुरु हुई। वो जब मैंने उपर से हुमच-हुमच कर उसको चोदना शुरु किया तब उसने आँख खोल कर मुझे देखा। मैंने अपने होठ उसके होठ पर रख दिये और उसका रस-पान करते हुए उसके बूर की चुदाई करने लगा। करीब १० मिनट चोदने के बाद मैंने उसको कहा कि अब वो पलट जाए। पर उसमें जान कहाँ बाकि था। मैंने हीं उसको पलटा और फ़िर उसको ठीक से पोजीशन किया और फ़िर पीछे से उसकी चुदाई शुरु कर दी, "चुद साली कुतिया, बोल साली मजा आ रहा है कि नहीं तुम्हें। पाई थी कभी ऐसा मजा मेरी बुल्बुल।" उसे ऊँह-आह-इइइस्स्स्स्स्स्स्स से फ़ुर्सत हीं कहाँ था। साली बस अपनी चुदाई का मजा ले रही थी और मैं था कि उसे आज उसकी जवानी का भरपुर मजा दिला रहा था। ७-८ मिनट बाद फ़िर मैंने उसको चित लिटा दिया और उसके जाँघों के बीच उँकड़ू बैठ खुब तेजी से उसकी चुदाई कर दी।तभी वो दर्द या मजे की अधिकता से हल्के-हल्के चीखने जैसी आवाज निकालने लगी। उसके बूर की थड़थड़ाहट ने मुझे बता दिया कि साली झड़ गयी है, तभी मेरे लन्ड ने भी अपनी पिचकारी छॊड़ी और मेरा माल उसकी बूर में जड़ तक गिरने लगा। मेरे दिमाग में आया को चलो, आज एक और बूर को मेरे लन्ड ने अपना रस पिला दिया। वो भी अब थक गयी थी और मैं भी। हम दोनों थोड़ी देर शान्त पड़े रहे और फ़िर मैं कपड़े पहनने लगा। वो भी अपने कपड़े पहनी और फ़िर हम दोनों बाहर आ गये, देखा कि जमील और रागिनी आपस में बातें कर रह्ये हैं और जमील अब थोड़ा नौर्मल दिख रहा था। चेहरे पर का तनाव कम हो गया था।
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