RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
करीब बीस मिनट बीता होगा, तब मैं रागिनी को पीछे से चोदने के लिए अपना पोजीशन ठीक कर रहा था कि तभी बगल के रुम से सानिया की आवाज आई-"आओ साले हरामी बेटीचोद, पेल अपना लन्ड अपनी बेती की चूत में साले मादरचोद..."। यह इशारा था हमारे लिए और मैं रागिनी की चुतड़ पर चपत लगाते हुए बिस्तर से कुदा-"आओ रागिनी अब देखें साले गांडू को", और हम दोनों अगले पल दुसरे वाले रुम के भीतर थे। जबतक जमील समझे, मैंने लाईट औन कर दी। सानिया बिस्तर पर चित लेटी थी, जाँघ खोल कर टाँगे हवा में उठा कर और जमील उसके उपर चढ़ा हुआ था। साले का पुरा लन्ड सानिया की गोरी-चिट्टी बूर के भीतर घुस हुआ था। हमें देख वह हड़बड़ा कर उठने लगा, पर सानिया को तो अब तक मैंने सब दाँव-पेंच सिखा कर पुरा रंडी बना चुका था सो जब जमील उठना चाहा तो सानिया ने उसके कमर को अपने पैरों से और उसकी पीठ को अपने हाथों से जकड़ लिया और जमील के उठने के साथ अपने कमर को भी उपर उठाने लगी। नतीजा जमील का लन्ड अभी भी सानिया की चूत में फ़ँसा हुआ था और सानिया की गाँड हवा में करीब ६" उपर उठी हुई थी। जमील अब किसी तरह अपना लन्ड उसकी बूर से निकालना चाह रहा था, पर सानिया की पकड़ ऐसी जबर्दस्त थी कि वो अपना लन्ड निकाल नहीं पा रहा था। बार-बार वह अपना कमर उपर नीचे कर रहा था और साथ साथ सानिया भी अपना कमर चिपका कर उपर नीचे कर रही थी। नतीजा यह हुआ कि न चाहते हुए भी जमील का लन्ड सानिया की बूर को चोद रहा था। सानिया बोली-"अब आपको नहीं छोड़ुंगी अब्बू, बिना अपनी गर्मी शान्त करवाये हुए। चोदिए जम कर आज। बहुत दिनों से इस दिन का इंतजार था मुझे।" जमील बेचारा हमारे सामने थोड़ा बेबस दिख रहा था। मैंने कहा-"अबे साले चुतिया, अब जब जवान बेटी को गर्म कर दिए हो तो बेचारी को क्यों तड़पा रहे हो। चोद दो ठीक से। भूल जाओ कि हम दोनों यहाँ हैं"। सानिया फ़िर बोली-"चोदो ना अब्बू, अब रहा नहीं जा रहा। आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, अरे हरामी साले, बेटी को तड़पा रहा है। साले कुत्ते, आज जो तुम अपना बाहर खींचे तो माँ-कसम बीच सड़क पर नंगी लेट जाऊँगी जा कर और तेरे इज्जत का फ़ालुदा कर दुँगी, समझ लेना।" मैं देख रहा था कि साली सानिया कितनी जल्दी एकदम से छिनाल बन गई थी। अभी तीन महिने भी नहीं हुए उसको अपने बूर का उदघाटन करवाए हुए, पर साली कैसे अपने बाप को गाली दे रही थी। इसकी तुलना में रागिनी जो पेशेवर कौलगर्ल थी ज्यादा शरीफ़ थी बात-चित में। वात्सायन ने सच कहा है - लड़की में चार-गुणा काम होता है, आज साफ़ देख रहा था कि जब लड़की चुदाने पर आती है तो कैसे और क्या बन जाती है। रागिनी ने भी जमील से कहा कि वो हमारी फ़िक्र छोड़ कर सानिया के प्यास बुझाए। जमील के पास कोई चारा नहीं था, सो साला अब अपनी बेटी को अपने बाहों में लिपटा लिया और फ़िर उपर से लगा धकाधक चोदने। जल्द ही उन दोनों की सिस्की से रुम गर्म हो गया। सानिया मस्त हो कर आह-उह-इइस्स्स कर रही थी और उसकी हर आवाज पर जमील अपने धक्के के साथ "ताल से ताल मिला" कर रहा था। जल्द हीं वह हाँफ़ने लगा, तो सानिया ने उसको पलट दिया और उसके उपर आ गई। इस क्रम में जमील का लन्ड बाहर निकल गया था। सानिया अब उसके उपर बैठ कर अपने हाथ से अपने अब्बू का लन्ड अपने बूर में घुसा दी, और लगी उपर से उछल-उछल कर, कमर नचा नचा कर अपने खुब की बूर को अपने बाप के लन्ड से चोदने।
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