RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैं कुछ और बोलता कि सानिया चाय ले कर आ गई। हम सब चाय पी रहे थे कि मैंने जमील से पूछा, "तब प्रो० जमील अहमद खान, अब आप बताईए कि आप अपने लन्ड से अपनी बेटी की बूर को कब चोदने का प्लान कर रहे हैं। मुझे पहले से पता रहेगा तो तैयार हो कर बैठुँगा। बेटी को बाप से चुदाते देखने का मौका बार-बार थोड़े न आता है।" सानिया सब सुन मुस्कुरा दी और जमील थोड़ा हिचकते हुए कहा-"सोच रहा हूँ कि जब पहली बार सानिया के साथ करुँ तो ऐसा कुछ हो कि यह यादगार बन जाए। पर यार यह सब तुम्हारे सामने मुझसे नहीं होगा। मैं तो बल्कि पहली बार बत्ती बुझा कर अँधेरे में ही सानिया की छेद में घुसा सकुँगा। सौरी दोस्त, पर किसी के सामने सानिया के साथ मेरे से यह सब नहीं होगा। सामने बैठ कर देखना अलग बात है पर खुद अपनी बेटी की बूर में लन्ड पेलना अलग बात।" सानिया यह सुन कर बोली-"मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मुझे चुदाने में मजा आता है, इसलिए मैं मर्द से चुदवाती हूँ। लन्ड जब तक मेरी बूर की जोरदार मालिश करता रहे मुझे मजा आता है और लन्ड किसी का हो क्या फ़र्क पड़ता है।" ऐसी हीम बातों के बीच तय हुआ कि अगले वीकेन्ड पर हम सब किसी रीसौर्ट पर चलेंगे और वहीं सानिया जमील से चुदेगी। रिसौर्ट बूकिंग का जिम्मा मुझे मिला। मैंने सुरी की मदद से शिमला के पास एक रिसौर्ट बुक किया। दो रुम वाले एक कौटेज को चुना। वहाँ ऐसे ५ कौटेज थे और अक्सर वहाँ विदेशी सैलानी आते रहते थे। पीछे व्यास नदी बहती थी। बह्त हीं शान्त माहौल था वहाँ, एक दम एकान्त। मैंने फ़िर रागिनी से बात की। मुझे लगा कि उसको साथ ले जाने से मेरा मजा पक्का हो जाएगा। मुझे शक था कि वहाँ कहीं जमील अगर सानिया पे फ़िदा हो गया तो मुझे सानिया को चोदने का मौका कम हीं मिलेगा। वैसे भी मेरा इरादा ऐसे शान्त महौल में सिर्फ़ और सिर्फ़ लड़की चोदने का हीं था। रागिनी को जैसे मेरे कौल का इंतजार था। तुरन्त तैयार हो गयी। रागिनी से मैं वैसे भी करीब एक महिने से मिला नहीं था। खैर मैंने जाने से एक दिन पहले अपने झाँट बिल्कुल साफ़ कर दिए। रागिनी और सानिया दोनों के लिए मेरा बिना झाँट वाला लन्ड बिल्कुल नया दिखने वाला था। सीने के बाल भी साफ़ कर लिए। करीब ७ बजे सुबह हम निकले और रास्ते से हीं रागिनी को पिक-अप कर लिया। उसे मैंने बताया नहीं था कि सानिया और जमील भी साथ हैं, पर गाड़ी में उन दोनों को देख कर वो चकित रह गई। उसे आश्चर्य हो रहा था उस बाप-बेटी को एक साथ देख कर। फ़िर जब मैंने कहा कि यह ट्रीप उन्हीं दोनों के लिए है। दोनों बाप-बेटी पहली बार एक-दुसरे के साथ सेक्स करेंगे वहाँ, तो रागिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी। सच कहूँ तो मुझे या किसी को भी जो जमील को जनता था यकिन नहीं होता कि जमील अपनी बेटी को चोद लेगा। रागिनी के मुँह से कुछ समय के बाद निकला-"दीदी, क्या सच में?" सानिया चहकते हुए बोली-"हाँ रागिनी, आखिर मेरा सेक्सी बदन अब्बू के भीतर आग लगा हीं दिया। खुब मजा आएगा उनके साथ। मैंने इस बात की कल्पना कई बार की है, अब जाकर यह सच होगा। मैं तो अब्बू को बोली एक दिन जब चाचू के साथ सेक्स किया कि वो भी आ जाएँ, पर अब्बू नहीं तैयार थे कि वो चाचू के सामने मेरे साथ करें। अभी-अभी उनका इरादा अकेले में एक बन्द कमरे में मेरे साथ सेक्स करने का है।" जमील सब सुन रहा था पर खिड़की की तरफ़ चेहरा घुमा कर बाहर का नजारा देख रहा था।
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