RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
करीब १० मिनट बाद नंगे हीं लौटा तो देखा कि सानिया अपने बूर को जमीन पर बैठ कर अपनी हीं पैन्टी से पोछ रही है और जमील से कुछ बात कर रही है। मुझे ऐसे आते देख जमील बोला, "कपड़ा क्यों नहीं पहने?" मैंने मजाक किया, "अभी तेरी बेटी चोदनी है दो-बार कम से कम और निकालुँगा उसकी चूत के भीतर तब जाकर मेरा लन्ड मानेगा।" सानिया अब सच में डरी हुई आवाज में बोली-"बाप रे, अब नहीं चाचू प्लीज" और हाथ जोड़ दी, "फ़िर कभी दो क्या चार बार निकल लेना मेरी बूर में पर आज प्लीज माफ़ कर दीजिए।" मैंने उसको दिलासा दिया कि मैं तो मजाक कर रहा था। उसे भी राहत महसूस हुई और वो बिस्तर पर एक साफ़ चादर बिछाने लगी। मैं अब आराम से उसी बिस्तर पर नंगे हीं लेट गया तो जमील वहाँ से उठा और अपना एक पैजामा लाकर मुझे दिया। असल में मैं वहाँ रात गुजारने की नीयत से आया नहीं था। मैं जमील का पैजामा ले कर अपनी साईड में रख लिया और उसको गुड-नाईट बोला। वो समझ गया कि अब उसको वहाँ से जाना चाहिए। मैं आज सारी रात सानिया से नंगे चिपक कर सोना चाहता था। जब तक सानिया नहीं आई, मैं अपने शानदार किस्मत के लिए भगवान को धन्यवाद देता रहा कि आज मेरी वर्षों की शाध पूरी हुई थी। आज मैंने सानिया को उसके बाप के सामने चोदा था। मैं तो सानिया के बारे में तरह-तरह की बातें सोच-सोच कर कई सालों से मूठ मारता रहा था, ऐसा तब से मैं करता रहा था जब से सानिया १५ साल के करीब हुई थी और उसकी चूची के उभार उसकी शर्ट में से दिखने लगे थे। पर तब की सोच में भी कभी यह नहीं सोचा था की जमील की बेटी को एक दिन ऐसे चोदुँगा और साला जमील सामने बैठ कर अपनी बेटी को मुझसे चुदाते देख कर ऐसे खुश होगा और मजा लेगा। अब तो मैं सोचने लगा था कि कैसे जमील को अपनी बेटी चोदते हुए देखूँ। करीब १५ मिनट बाद सानिया कमरे में आई। वो एक सफ़ेद साटन की हल्के बेल-बूटे की कढ़ाई वाली नाईटी पहने थी। मुझे नंगा देख कर उसे आश्चर्य हुआ और उसे लगा की कहीं मैं फ़िर से उस पर न चढ़ जाऊँ। वो मुझे ऐसे देख कर थोड़ा ठिठकी तो मैंने उसे कहा कि असल में मैं आज उसके साथ नंगे ही चिपक कर सोना चाहता हूँ। वो मुस्कुरा कर पूछी-"क्यो?" तो मैंने कहा, "असल में आज का दिन स्पेशल है। आज पहली बार जामील के सामने मैं तुम्हें चोदा हूँ। उसकी मर्जी से मैं आज उसकी बेटी के बेडरुम में हूँ और सारी रात उसकी जानकारी में मैं उसकी बेटी के साथ सोऊँगा। तो आज को पुरी तरह से यादगार बनाने के लिए जरुरी है कि हम दोनों हीं सारी रात नंगे रहे। पर तुम डरो मत तुम थक गयी हो, मुझे पता है इसलिए मैं तुम्हें परेशान नहीं करुँगा", कहते हुए मैंने उसकी नाईटी उतार दी। नाईटी के भीतर तो सानिया को कुछ पहनना नहीं था और न वो पहनी थी। मैंने उसको एक भरपुर चुम्मा लिया और फ़िर बाहों में समेट लिया और हम दोनों सो गए।
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