RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. जमील भी मेरे इस जोश को देख चकित था। सानिया की बूर कई बार थड़थड़ाई, वो भी चरम सुख पा चुकी है, मुझे पता चल गया पर अभी रुकने का नाम भी नहीं लेने वाला था मैं। सानिया अब थोड़ा शान्त हुई थी, पर जल्द हीं मैं उसको पलटा और घोड़ी बनने को कहा। वो पोजिशन ले ली तो मैं उसकी चूत को चुसना शुरु कर दिया। खुब चुस-चुस कर उसके चूत के नमकीन लिसलिसे पानी को मजा लिया। उसकी बूर की खट्टी महक में अब उसके बदन के पसीने की महक भी थी। पर जब मेरे जैसे मर्द पर चुदासी चढ़ी हो तो ऐसी महक सिर्फ़ और सिर्फ़ खुश्बू हीं लगती है। फ़िर मुझे एक बात सुझी, मैंने जमील को कहा-"आओ एक बार सुँघ कर देखो अपनी बेटी की बूर। कैसी मस्त खुश्बू निकल रही है इस छेद से। अभी-अभी झड़ी है।" जमील बेशर्म हो कर पूछा-"क्या सच में तुम झड़ी हो बेटा?" सानिया हाँफ़ते हुए बोली-"हाँ अब्बू, चाचू बेजोड़ हैं।" जमील पास आया और झुक कर सानिया की बूर सुँघा। मैंने कहा-"साले एक बार टेस्ट को कर", तो वो अपने जीभ को सानिया की खुली हुई बूर पर नीचे से उपर तक दो बार चलाया। मैंने कहा-"अब हट साली घोड़ी बनी हुई है, पहले सवारी करने दे। मैं पीछे से उस पर चढ़ गया और अपना टनटनाया हुआ लन्ड गच्च से उसकी बूर में पेल दिया। मैंने उसके बाल को पकड़ कर पीछे खींचते हुए एक बार फ़िर से उसकी चुदाई शुरु कर दी। बाल खींचने से उसका चेहरा उपर उठ गया और उसका लाल भभुका चेहरा उसके बाप के सामने था। आँख बन्द था, औए मुँह खुला हुआ। साली को हल्का सा दर्द देने के लिए मैंने बाल को जोर से खींच दिया और वोह करह उठी, पर अब तो उसको इन दर्दों की परवाह हीं नहीं थी। जमील को उसका दर्द महसूस हुआ और वो बोल पड़ा-"बाबू धीरे से खींचो, बेचारी को दर्द हो रहा होगा।" मैंने अपनी पकड़ अब तक वैसे भी ढ़ीली कर दी थी। पर सानिया बोल पड़ी-"आह चाचू ऐसे हीं करो, कोई दर्द नहीं हो रहा मेरी चूत में आग लगी हुई है, जल्दी उसको बुझाओ। चोदो खुब चोदो मेरी चूत। आपको मजा दे रही है कि नहीं मेरी चूत। फ़ाड़ दो आज इसको चोद कर, आप भी आज बहुत जोश में हैं। अब्बू के सामने चूत फ़ट भी जाए तो कोई गम नहीं। आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चोद साले मादरचोद साले हरामी, साले हरामजादे, चोद मादरचोद खुब चोद जोर से चोद देखती हूँ कितना दम है साले।" मैं अब उसकी कमर को पकड़ कर तेज धक्के लगाने लगा और दुसरी बार उसकी चूत थड़थड़ाई, वो फ़िर से झड़ी थी और यह सोचते हीं मेरी भी पिचकारी छुट गयी, पर इस बार मैं नहीं रुका। जब मेरा सफ़ेद सा लिसलिसा माल उसकी बूर से हल्का सा बाहर की तरफ़ आया तो जमील उठ खड़ा हो गया-"यह क्या किया यार, इसके भीतर निकाल दिए, अगर कुछ गड़बड़ हुई तो मैं तो कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहुँगा।" मैं अभी भी वैसे हीं पम्प किए जा रहा था। जोश में बोल उठा-"साले आज जब बाप के सामने बेटी चुदे तो मैं क्यों डरूँ, इतने दिन बाद आज एक बार इस रन्डी की बूर में माल निकालने तो दे। अब इसको भीतर दूर तक पहुँचाना है। चल साली सीधा लेट हरामजादी, अब उपर से पेलुँगा तब यह सब माल तुम्हारी बच्चादानी तक पहुँचेगा।" सानिया तुरन्त पलट गई और अपने अब्बू की तरफ़ चेहरा करके बोली-"आप की बदनामी नहीं होगी अब्बू, आप परेशान नहीं होईए।" जमील हकलाते हुए बोला-"पर अगर बेटी कोई बच्चा रह गया तब क्या होगा। अब तुम बच्ची नहीं हो जान।" मैं उपर से सानिया के बूर के बाहर निकल रहे अपने सफ़ेद वीर्य को अपने लन्ड से समेट कर सब को उसकी बूर के भीतर ठेलते हुए अपना लौंड़ा भीतर घुसा कर उसके चुचियों को मसलते हुए बोला-"हाँ रे जमील तेरी बेटी बच्ची नहीं है। इसीलिए तो इसको चोद रहा हूँ। मस्त लौन्डिया है साली। चुद साली चुद।" और सानिया बोली-"अब्बू आप चिन्ता नहीं कीजिए। अभी एक दिन पहले हीं मेरी पीरियड्स खत्म हुई है, इसीलिए तो मैं आराम से चाचू को अपना माल भीतर गिराने दी। मुझे जब उनका लन्ड धुक-धुकाया था तो पता चल गया था कि अब ये छुटेन्गे। चोदो चाचू, आराम से चोद कर भोगो मेरे चूत को।" मैं ने कहा, "हाँ रे साली, लगातार ४५ मिनट से ठुकाई हो रही है तुम्हारे चूत की पता है तुम्हें।" कहते हुए मैंने उसको बाँए करवट कर दिय और फ़िर उसकी कमर पकड़ कर पम्पिन्ग शुरु कर दी।" थोड़ी देर बाद मैंने कहा, "अब बन कुतिया साली।" सानिया अब थोड़े कातर स्वर में बोली, "चाचू अब आज छोड़ दो, बहुत थक गयी हूँ आज। बहुत दुख रही है मेरी चूत अब।" जमील भी उसका पक्ष लिया। पर मेरे जोश में कोई कमी नहीं थी, सब वियाग्रा का कमाल था। मुझे पता था कि ऐसी मेहनत के बाद अगले दो दिन तक मेरा लन्ड दुखेगा। पर अभी तो मुझे अपना मर्दाना जौहर दिखाना था जमील को उसकी बेटी को पस्त होने तक चोद कर। मैंने सानिया को अपने हाथों से पलटा। वो तकिए के सहारे सिर टिका ली तो मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत को बिस्तर से थोड़ा उपर उठाया। वो थकी-थकी से मुवमेन्ट के साथ मेरा साथ देने की कोशिश कर रही थी।
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