RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
रास्ते में मैंने एक वियाग्रा की गोली खरीद कर खा ली। सानिया मुझे बता चुकी थी कि जमील हम दोनों की चुदाई देखने को रेडी है, और उसने सानिया की चूत पर चुम्मा भी लिया है। आज जब मैं जमील के घर जा रहा था तब तय कर चुका था कि जमील देखे या ना देखे उस हसीन लौन्डिया की चूत का बैन्ड आज देना था। बस अब सोच की दिशा यह थी कि कैसे यह काम हो। फ़िर मैंने अपने दिमाग को एक झटका दिया कि चुदाई के खेल में कोई नियम नहीं होता, बस जो होता है स्वमेव हीं होता है और वही सबसे शानदार सेक्स होता है। मेरा अपना अनुभव तो यही था। और मुझे पता था कि अब वियाग्रा के असर से अब मैं कम से कम तीन घन्टे लगातार बूर में लन्ड की पम्पिंग कर सकता था, चाहे जितनी बार भी झड़ुँ। इतने देर में तो मेरे जैसा अनुभवी कैसी भी औरत को पस्त कर देता, सानिया तो चाहे जितना भी चुदी हो आज तक जिन औरतों का बैन्ड मैंने आज तक बजाया था, उनके सामने तो एक गाय की बछिया की तरह हीं थी और था पुरा जवान साँढ़। मैं वियाग्रा कभी-कभी हीं इस्तेमाल करता था, और आज मुझे लगा कि ऐसा हीं एक दिन है। करीब ८ बजे मैं जमील के घर पहुँचा, तो उसके चेहरे पर रौनक दिखी। सानिया भी मुस्कुराते हुए मिली तो मैंने उसके होठ को चुम कर उसका अभिवादन किया और बोला-"ओ सानिया, पिछले पाँच दिन से तुम मुझे याद आ रही थी। आज मेरा बहुत मन है, तुम तैयार हो ना आज के लिए।" सानिया का जवाब था, "मैं तो हमेशा हीं तैयार हूँ चाचू आपके लिए, अभी खोलुँ कपड़े?" जमील बोला-"अरे आराम से, आज रात यहीं रुक जाओ हमारे साथ और साले आज तो मैं भी देखुँगा और अपना वादा पुरा कर दुँगा।" मैं बोला-"क्या बोला रे साले जमील, तु देखेगा, क्या सच में? सच कह रहा है?" जमील हँस कर बोला-"हाँ साले हरामी, पिछली बार तो सिर्फ़ झलकी देखी और सुना बहुत कुछ पर अबकि बार सब देखुँगा।" मैं चहक कर बोला-"वाह मजा आ जायेगा, बाप के सामने बेटी की चुदाई। वाह पहली बार ऐसा मौका मिलेगा मुझे। देख साले अब तु बीच में भागने मत लगना, जब मैं सानिया की बूर चोद रहा होऊँगा।" अब सानिया बोली-"अब नहीं भागेंगे अब्बू, अब उनको भी सब की तरह मैं एक सेक्सी माल दिखने लगी हूँ", कह कर सानिया ने अपने अब्बू को देखते हुए अपनी एक आँख दबा कर एक मस्त लौन्डिया की तरह आँख मारी। यह सब देख और आगे की बात सोच मेरी बाछें खिल गयी। फ़िर हम सब पास के एक ढ़ाबे में गए और हल्का खाना खाया। वियाग्रा खाए मुझे करीब एक घन्टा हो गया था और मेरा लन्ड टनटनाया हुआ था। घर लौटते समय हीं कार के भीतर हीं मैं सानिया के साथ चुहलबाजी करने लगा था। घर पहुँचते हीं मैं तुरन्त सानिया को दबोच लिया और उसको इधर-उधर चुमते हुए उसके कपड़े खोल्ने शुरु कर दिए। सानिया भी मुझे नंगा करने लगी। एक मिनट से भी कम समय में हम दोनों मादरजात नंगे थे। सानिया के चूत पर हल्की-हल्की झाँट उग आयी थी और उसकी गोरी चूत पर एक कालिमा बिखेर रही थी। साली चुदने को बेताब थी। और मेरे लन्ड को बार बार पकड़ कर अपने चूत से भिरा रही थी, जबकि अभी हम दोनों हीं खड़े थे। मैं जमील के आने के इंतजार में था। तभी जमील कार को गराज में लगा कर आ गया तो हम दोनों को नंगा देखा और मुस्कुराया, "बहुत बेताबी है दोस्त..."। मैं बोला-"साले, एक बार चोद ले तु भी सानिया की चूत फ़िर तु भी ऐसे हीं बेताब हुआ रहेगा अपने लन्ड को इसकी बूर के भीतर पार्क करने के लिए। अब बोलो कहाँ बैठ कर देखोगे अपनी बेटी की चुदाई?" सानिया बोली, "मेरे रुम में चलिए रात को नींद बाद में आप वहीं मेरे साथ सो जाईएगा।" हम सब सानिया के कमरे में आ गये। सानिया ने अपने रीडिंग टेबुल के साथ वाली कुर्सी को बेड के पास खींच दिया और जमील को बैठने का इशारा किया। जमील जब कुर्सी पर आराम से बैठ गया तब वो मेरे से लिपट गयी और बोली-"चाचू आओ और मुझे आज जन्नत की सैर करा दो।
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