RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. अगली सुबह जब सानिया चाय ले कर जमील के कमरे में गयी तब वो बिल्कुल नंग-धड़ंग थी। सुबह-सुबह जमील हुस्न की हसीन मल्लिका का यह रुप देख चकरा गया फ़िर संभल कर बोला, "सानिया बेटा ऐसे मेरे सामने मत आया करो, बड़ा अजीब लगता है। वैसे भी अभी थोड़ी देर में कामवाली बाई आएगी और तुम ऐसे बनी हुई हो।" सानिया ने कहा, "असल मे मैं अपने अब्बू की सुबह हसीन बनाना चाहती थी इसीलिए आपको अपना बदन ऐसे दिखाई। अब कपड़ा पहन लुँगी" कहते हुए उसने जमील का एक शर्ट उसी कमरे के वार्ड्रोब से ले कर पहने ली, जो उसकी आधी जाँघ तक पहुँच कर खड़े रहने पर उसकी चूत को ढ़क रहा था। फ़िर वो जब चाय पीने के लिए जमील के बिस्तर पर उसके सामने पालथी मार कर बैठ रही थी तो उसने देखा की जमील की नजर उसकी दोनों जाँघ के बीच फ़िक्स थी। वह अब अपनी जवान बेटी की बूर के दर्शन करना चाह रहा था। सानिया को खुशी हुई कि उसके अब कामयाबी मिल रही थी। उसका बाप अब उसके जवान बदन में दिलचस्पी लेने लगा था। वह चाय पीते हुए अपने एक पैर को अपने छाती की ओर मोड़ लिया, दुसरा अभी भी बिस्तर पर वैसे हीं था जैसे पालथी मार कर बैठते समय था। इस तरह से जमील को लगातार अपनी बेटी की चूत दिख रही थी। जमील की नजर अपनी चूत पर फ़िक्स देख सानिया बोली, "ऐसे अगर आप दिन की शुरुआत करेंगे हो तो दिन अच्छा गुजरेगा।" जमील अपनी बेटी की बात सुन कर हँसा और कहा, "कब तक, जब तुम्हारी अम्मी आ जाएगी तब कैसे ऐसे दिन की शुरुआत करा पाओगी।" सानिया समझ गयी की अब उसके अब्बू रोज़ अपने दिन की शुरुआत ऐसे हीं करने की चाह रखते हैं। वह बोली, "वही तो, इसीलिए तो कह रहीं हूँ जब तक अम्मी घर पर नहीं हैं तब तक हम दोनों जितना मस्ती कर सकते है, कर लें। वैसे अम्मी के रहने पर भी इतना दर्शन तो मैं अपने बदन का आपको करवा हीं दुँगी रोज़, आप देख लेना। और फ़िर जब मन हो तो के लिए चाचू का घर है ना। वहाँ तो हम दोनों अकेले-अकेले जा कर मजा कर हीं सकते है और अगर आपका मन हो तो हम आपस में भी मजा कर सकते है चाचू कभी भी बुरा नहीं मानेंगे। अच्छा अब्बू एक बात बताईए-क्या आप कभी मुझे चोदेंगे या बस ऐसे ही?"जमील अब सानिया के चेहरे को देखते हुए बोला-"असल में सानिया, कल रात सोने के पहले मैं बहुत सोचा। यह तो बिल्कुल सच है कि तुम बहुत-बहुत ज्यादा हसीन हो और मैं हमेशा हीं अपने को खुश-किस्मत समझता रहा कि तुम्हारे लिए बढ़िया रिश्ता तय करते समय मुझे परेशानी नहीं होगी। मैं तो तुम्हारे ग्रैजुएशन के इंतजार में था, वर्ना कई अच्छे रिश्ते आ रहे है तुम्हारी अम्मी की रिश्तेदारी से, पर अभी तक तुम्हारी अम्मी हीं ना बोल रही हैं। फ़िर पिछले कुछ समय में जो हुआ, मुझे पता चला कि तुम सेक्सुअली ऐक्टीव हो और मैं भी कई लड़्कियों के साथ बाबू के घर पर वह सब किया, तो अब मुझे लगता है कि अगर तुम्हारा निकाह आज तक टला तो इसकी वजह शायद यही थी कि मुझे अपनी बेटी का नंगा जिस्म देखना था। उसको अपने दोस्त से चुदवाते देखना था। अगर अल्लाह की मर्जी इसमें ना होती तो कब का तुम्हारा निकाह हो गया होता १६-१७ की थी तब से तुम्हारे लिए रिश्ते आ रहे है। कल रात यही सोचते सोचते जब मुझे यह लगा कि सब ऊपरवाले की मर्जी से हुआ है तब मुझे नींद आ गयी। सो अब देखो आगे क्या होता है। तुम बताओ, तुम कब से यह सब कर रही हो और हमें कुछ भनक भी ना लगी। जिस तरह से कल तुम बाबू के साथ कर रही थी और जैसे बेलौस बोल रही थी, लगता नहीं कि तुम नई हो इस खेल में। इतनी उमर हो गयी मेरी पर मैं ऐसा नहीं बोल सकता जैसा तुम बोल रही थी और बाबू के एक-एक बात का बड़ी बेहयाई से जवाब दे रही थी। तुम दोनों एक-दुसरे के साथ मजा कर रहे हो यह जान कर भी मैं शायद घर पर रुकता पर तुम दोनों की बात सुनकर मन में अजब सा कुछ होने लगा और घर पर रुकना मुस्किल हो गया।" सानिया मुस्कुरा दी और बोली-"तब फ़िर आप वहीं रुम में आ कर देखे क्यों नहीं हमलोग को वह सब करते, इस तरह से आपने जो चाचू को वादा किया था वो भी पुरा हो जाता। आपको तो एक बार देखना हीं है कि कैसे हम लोग चुदाई का खेल खेलते हैं।" जमील का जवाब था-"हाँ सो तो है, एक बार तो मुझे देखना हीं होगा। पर उसके लिए हिम्मत जुटा रहा हूँ। अपनी बेटी तो उसके शौहर से चुदवाते देखने की तो किसी की हिम्मत नहीं होती, यहाँ तो मुझे अपनी बेटी को एक गैर से चुदवाते देखना होगा।"
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