RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. जब मैं सानिया के मुँह में झड़ रहा था तभी जमील घर के भीतर से बोला-"अब जल्दी खत्म करो तुम लोग, मुझे जरा बाहर जाना है, एक काम है।" उसके आवाज में अब वैसी नाराजगी नहीं थी जैसी नाराजगी देखा कर वह वहाँ से हटा था। असल में हम बाहर वाले कमरे में ही चुदाई का खेल खेल रहे थे और घर के बाहर जाने के लिए उस रुम में आना ही होता। मैं सानिया की मुँह में पिचकारी छोड़ते हुए कहा, "खत्म हो गया है यार, पिचकारी छुट गयी। जाना चाहते हो तो जाओ, रुम में थोड़ा नजर फ़ेर लेना अगर अधनंगा बदन न देखना हो तो।" सानिया अपना हाथ अपने कपड़े की तरफ़ बढ़ाई, तो मैंने उसका हाथ थाम लिया और इशारे से कहा की वो मेरा लन्ड अपने मुँह से साफ़ करे। सानिया समझ गयी और फ़िर से अपना चेहरा मेरे लन्ड की तरफ़ कर दी। मैं अब खड़ा हो गया था, और अपनी कमर पर हाथ रखे था। सानिया जमीन पर घुटने के बल बैठी थी। दोनों बिल्कुल नंग-धड़ंग थे। तभी जमील कमरे में आया। सानिया अपने दाहिने हाथ से मेरे फ़ुले हुए मर्दाने गोलों को सहला रही थी और अपने जीभ से मेरे लन्ड से लिपसे सफ़ेद माल को चाट रही थी। मैं आराम से कमर पर हाथ रख कर उससे लन्ड चटवा रहा था। अपने अब्बा को सामने देख कर वो लन्ड मुँह के भीतर ले ली, और फ़िर हाथ बढ़ा कर अपने कपड़े से अपने चूत को ढ़क लिया। जमील ने भरपुर नजरों से हमें देखा और हल्के से कहा-"बेहया लड़की..."। मैं हँस दिया और अपना लन्ड सानिया की मुँह से खींच लिया और झुक कर सानिया के होठ पर अपने होठ रख दिए। उसके होठों पर मेरे लन्ड का माल लिपसा हुआ था, पर मुझे इसकी परवाह अब नहीं थी। जमील एक पल सब देखा और फ़िर घर से बाहर निकल गया। सानिया नंगे ही उठी और पानी लाने चली गयी। पानी पीने के बाद हमने कपड़े पहन लिए। फ़िर मैंने मोबाईल पर जमील को फ़ोन किया कि वो कहाँ है। तब उसने कहा की उसका मन बहुत बेचैन हो गया था मेरे और सानिया की करतुत देख कर और इसीलिए वो ऐसे हीं टहलने निकल गया है। मैंने उसको कहा कि अब वो आ जाए, मैं अपने घर जा रहा हूँ। एक और ग्लास पानी पी कर मैं निकल गया। बाद में सानिया ने मुझे बताया कि जमील करीब १५ मिनट बाद आया, वो चुप-चाप था।
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