RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैं उम्मीद कर रही थी कि शायद आज अब्बू मेरी छाती छुएँ। पर अब्बू ने मेरे हाथ से ग्लास ले लिया और खुद पीने लगे। मैं उनकी गोदी में बैठ कर हीं खुद से अपनी चुची सहलाई। चाचू यह देख बोले, "क्या जमील, बेटी को तड़पा रहे हो। दो मर्द के रहते इसे खुद से अपनी चुची मसलनी पर रही है", कहते हुए वो मुझे अपनी गोदी में खींच लिए और मेरी चुची को सहलाए। मैं उन्हें पुरा सहयोग दे रही थी। अब्बू के सामने शर्माने की कोई जरुरत थी नहीं, बल्कि मैं तो चाह रही थी कि अब्बू खुद बेशर्मी करने लगें। पर वो तो इधर उधर नजर कर रहे थे, और ऐसे कर रहे थे जैसे उन्हें मुझे देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं अब उन्हें भूल कर चाचू के साथ पर ध्यान लगा कर अपने चेहरे को थोड़ा उपर कर दिया और चाचू मेरे होठ चुमने लगे। फ़िर चाचू ने अपना हाथ मेरे जाँघ पर रखा और धीरे-धीरे मेरा स्कर्ट उपर करने लगे। जैसे हीं मेरा स्कर्ट पुरी तरह उपर हुआ और मेरी चूत नंगी हुई, अब्बू बोल पड़े-"छीः, बहुत गन्दे हो तुम दोनों। मैं यहाँ सामने बैठा हूँ और इस तरह की हरकत कर रहे हो।" मैं चाचू के सीने को सहला रही थी और वो मेरे बूर के आस-पास की चमड़ी छू रहे थे। चाचू बोले-"यार जमील ऐसे भड़को मत मेरे दोस्त। तुम बाजी हारे हुए हो, और शर्त के मुताबिक तो मुझे सानिया को कम से कम एक बार तो तुम्हारे सामने चोदना हीं है। सानिया को सब पता है और जब वो तुम्हारे सामने चुदवाने को तैयार है तो तुम भी आराम से बैठो और देखो आज एक दम लाईव शो। पुरी दुनिया कितने सारे पैसे खर्च करके देखती है चुदाई का लाईव शो, तुम्हें तो हम फ़्री में दिखा रहे हैं।" फ़िर वो मुझसे पुछे-"क्यों सानिया बेटा, तुम्हें कोई प्रोबलेम है जमील के सामने चुदाने में?" मैं तपाक से बोली-"मुझे कोई परेशानी नहीं, मुझे तो अपने खुद के मजे से मतलब है और आपके साथ बहुउउउउउउउउउउउउउत मज्जा आता है चाचा जान...।" मैंने अपनी आवाज में एक सेक्सी टोन पैदा किया और एक सेक्सी उह्ह्ह्ह्ह कर दी। चाचू मुझे गोदी से उतार कर खड़े हो गये और अपने जीन्स पैंट की जिप खोल दिए। मैं इशारा समझ गयी और उनके सामने घुटने पर बैठ कर अपना हाथ पैंट के खुले जिप के भीतर डाल उनके लन्ड को पकड़ कर बाहर खींच ली। मैंने अब्बू के तरफ़ देखा भी नहीं पर जिस ऐंगल से हम दोनो उनके सामने थे, मुझे पता था कि उनको सब एक दम साफ़ दिख रहा होगा। चाचू का लन्ड आधा कड़ा था, और मैं उसको अपनी मुट्ठी से हल्के-हल्के सहलाई तो चाचू बोले कि थोड़ा चुसो सानिया। और मैंने अपने होठों पर जीभ घुमा कर होठ को गीला किया और चाचू के लन्ड को मुँह में भर ली। चाचू मेरे सर को पकड़ कर अपना लन्ड मेरे मुँह में पेलने लगे और तब मैंने अपने अब्बू की तरफ़ तिरछी नजर से देखा। हमारी नजर मिली तो वो अचानक उठ गए-"छीः छीः..., हद हो गयी", उनके मुँह से निकला। वो वहाँ से चले गये। पर हम दोनों अब कहाँ रुकने वाले थे। आज पहली बार अपने घर पर अब्बू की मौजुदगी में मैं चुदाने जा रही थी। यही बात मुझे एक्स्ट्रा मजा दे रही थी। करीब १० मिनट एक-दुसरे को चुमने-चाटने के बाद चाचू ने मुझे जमीन पर ही लिटा दिया और उपर से चढ़ गए। अब तक मैं हल्की सिस्कारी भर रही थी पर अब जब मेरी मस्त चुदाई शुरु हुई तो मैं जोर-जोर से चीखने लगी। मैं बड़े गन्दे शब्द बोल रही थी। मुझे पता था कि अब्बू पास हीं हैं और वो सब सुन सकते हैं। मैं उन्हें सुनाने के लिए खुब मस्त हो कर कराह रही थी और अनाप-शनाप बक रही थी।
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