RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. मै दो बार जान कर उनके सामने झुकी ताकि उनको मेरे चुची की गोरी चमड़ी का कुछ हिस्सा दिखे। पर मुझे पता नहीं चला कि उनके दिल में कुछ हुआ या नहीं। मैं खाली कप को ले कर लौटते हुए तय कर लिया कि शाम में लौन में चाय के वक्त उनके सामने बिना पैन्टी के स्कर्ट में बैठुँगी और थोड़ी झलक दिखाउँगी। अब मुझे शाम का इंतजार था। शाम को अब्बू करीब ५ बजे आराम करके उठे और फ़िर लौन में फ़ूलों को पानी देने के बाद वहीं कुर्सी पर बैठ गये। मैंने उनसे पूछा-"चाय लाउँ।" उनके हाँ कहने के बाद, मैंने एक बार फ़िर आईने के सामने कुर्सी पर बैठ कर सब चेक किया और समझ लिया कि अगर मैं अपना एक पै कुर्सी पर रखूँ तभी उनको सामने से मेरा चूत दिख सकेगा, वर्ना नौर्मल तरीके से बैठने पर भी जाँघ भले दिखे पर चूत नहीं दिखेगा क्योंकि मेरी स्कर्ट लम्बी थी। खैर मैं चाय ले कर गयी और अब्बो के सामने बैठ कर चाय बनायी और उन्हें दिया फ़िर अपना कप ले कर बैठ गयी। स्लीव-लेस टौप बदन पर था थोड़ा टाईट और मेरी नुकीली चुची और नन्हीं सी निप्पल की झलक उन्हें जरुर मिल रही थी। मैंने दो-चार बार अपने चुची और निप्पल को सहलाया भी टौप के उपर से हीं ताकि अब्बू का ध्यान उस तरफ़ जाए और वही हुआ भी। फ़िर ऐसे किया जैसे मेरे पैर में नीचे की तरफ़ मच्छर काटा है। पहले मै हल्का सा झुक कर उसे सहलाई फ़िर मच्छर की बात कहते हुए अपना पैर मोड़ कर कुर्सी पर रख ली और ऎड़ी के पास खुजलाने लगी। स्कर्ट उपर उठा तो पर ऐसे सेट हुआ की मेरी एक जाँघ पुरी नंगी हो गयी पर मेरी चूत पुरी तरह से ढ़्क गयी। मेरे अब्बू की नजर बार-बार मेरे नंगे जाँघ से फ़िसल कर मेरे चूर की तरफ़ जाती पर फ़िर हट जाती। मैंने अपने हाथ से हलके से रगड़ते हुए उसे थोड़ा किनारे किया ऐसे कि अब्बू को न लगे कि मैं जान-बुझ कर ऐसा कर रही हूँ। मुझे उम्मीद है कि ऐसे उनको मेरे चूत का पुरा नजारा तो नहीं मिला होगा पर एक साईड से मेरे चूत के पास की गोरी चमड़ी जरुर दिखी होगी और शायद मेरे चूत पर उग रही काली-काली झाँट भी १२-१५ दिन की दाढ़ी जितनी बड़ी दिखी होगी। अब्बू की नजर बार-बार उसी तरफ़ जा रही थी पर संकोच की वजह से वहाँ टिक नहीं रही थी। करीब २ घंटे बाद सात बजे बाबू चाचा आ गये, मैं खुश हो गयी। चाचू आज कई दिन बाद आए थे और साथ में एक जौनी वाकर व्हिस्की लाए थे। मेरे अब्बा से उन्होंने कहा कि वो तीन दिन के लिए नेपाल गये थे और वहीं से वो व्हीस्की लाएँ हैं। फ़िर उन्होंने मेरे चुतड़ पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और कहा कि जाओ कुछ लाओ खाने वास्ते। मैं जल्दी से सलाद और मिक्स्चर ले कर आयी। दोनों दोस्त घर के भीतर आ गये और तब चाचू ने कहा कि आज सानिया बेटा तुम हमें शराब पिलाओ तो ज्यादा और बेहतर नशा होगा। फ़िर मेरे अब्बा से कहा-"क्यों दोस्त, अगर जवान लड़की पिलाए तो मजा ज्यादा आता है, है ना?" मेरे अब्बू ने कहा-"हाँ, यार और मेरी ओर देखा।" मैं मुस्कुराते हुए उठी और पैग बना दिया फ़िर जब चाचू की तरफ़ बढ़ाया तो वो मुझे गोदी में खींच लिए। मेरे कपड़े के उपर से हीं मेरे छाती को मसला और जब उन्हें लगा कि सिर्फ़ एक कपड़ा है वहाँ तो वो बेशर्मी से बोले, "वाह आज तो तुम तैयार हो मेरे लिए, क्यो?" मैं बिना कुछ कहे उठ गयी और अब्बू की गोदी में खुद बैठ गयी और ग्लास उनके मुँह से लगाया। चाचू बोले-"यार जमील एक बार इसकी चुची तो छु कर देख, कैसी मस्त है और इसने ब्रा भी नहीं पहना है।" अब्बू की नजर मेरे चुची पर थी।
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