RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. तुम्हारा माल अपने चूत में पैक कर के घर ले जाऊँगी।" मैंने कहा-"अगर बच्चा ठहर गया तो"। उसने बेशर्मी से कहा-"तुमसे निकाह कर लुँगी। तुम्हारा बच्चा पैदा करुँगी।" यह सुन कर मैं और मस्त हो गया और अपना सब माल उसकी गोरी-चिट्टी चूत के भीतर उड़ेल दिया। जब लन्ड बाहर निकला तो मेरा लसलसा सफ़ेद माल उसकी चूत से बाहर बह निकला तो वो उसको अपने हाथ से समेट कर वापस अपने चूत के भीतर डाल ली और फ़िर अपनी पैन्टी पहन ली। उसकी पुरी पैन्टी गीली हो गयी पर वो उस गीली पैन्टी के उपर से ही सल्वार पहन ली। फ़िर मेरे होठ चुम कर बाहर निकल गयी।...इसके बाद की कहानी एक बार फ़िर सानिया की जुबानी पेश है...। मैं जब घर आयी तो अब्बू शायद मेरा हीं इंतजार कर रहे थे। उन्होंने पूछा, "कहाँ गयी थी दोपहर में बेटी?" मैंने देखा कि उनका मूड बहुत अच्छा है तो मैंने सच कह दिया-"बाबू चाचा के घर"। एक क्षण रुक कर उन्होंने आगे पूछा-"क्यों?" और मैंने फ़िर सच कह दिया-"आपको पता है अब सब। चाचा ने बताया है आपको।" अब अब्बू प्यार से बोले-"हाँ पता तो है पर देखो बेटी यह सब ऐसे ठीक नहीं है। अभी तुम इस सब के लिए बच्ची हो।" मैंने गौर किया कि अब्बू की नजर मेरे बदन पर उपर से नीचे तक फ़िसल रही है। मुझे यह देख अच्छा लगा और मैंने जवाब दिया-"आप को जो लगता हो अब्बू पर अब मैं बच्ची नहीं हूँ, जवान लड़की हूँ और मुझे यह सब अच्छा लगता है इसीलिए करती हूँ। अब तो सप्ताह में एक बार कम से कम करना जरुरी लगता है वर्ना बेचैनी होने लगती है पुरे बदन में। आपका तो पता होगा कि जब तक यह मजा नहीं मिले तब तक तो फ़िर भी ठीक है पर एक बार अगर जिस्म का सच्चा मजा मिल जाए तो फ़िर उसकी याद बार-बार आती है।" अब्बू फ़िर बोले-"वो सब ठीक है बेटी पर थोड़ा रुक जाओ, तुम्हारी निकाह पढ़ा दुँगा फ़िर करना यह सब कोई कुछ नहीं कहेगा।" मैं हँसते हुए बोली-"वो तो अभी भी कोई कुछ नहीं कहता। बस अब आपको पता है तो आप इतना बोल रहें है। अगर आपको यह सब पता नहीं होता और तब भी मैं यह सब करती तो। वो तो चाचा के साथ मैंने कर लिया कि अगर एक बार उनसे कर ली तो फ़िर बाहर के गैर लड़कों से नहीं करना होगा और तब सीक्रेसी ज्यादा रहेगी। अब्बू आप फ़िक्र ना करें, मैं आपका और आपकी इज्जत का ख्याल रखुँगीं।" अब अब्बू बोले-"जैसी तुम्हारी मर्जी सानिया बेटी, पर मुझे अब भी यह ठीक नहीं लगता कि तुम यह सब किसी के साथ करो।" अब्बू बात तो कर रहे थे पर शब्दों को बहुत संभाल कर बोल रहे थे और मेरे बदन को घुर-घुर कर बातें कर रहे थे तो मैंने सोचा कि एक ट्राई ले लेती हूँ। मैंने कहा-"अब्बू आप भी तो उनके घर पर लड़कियों के साथ सोए हैं। जब आप इतने साल बाद सेक्स का मजा ले सकते हैं तो फ़िर सोचिए कि मैं तो अभी-अभी जवान हुई हूँ, दो महिने से यह सब मजा लेना जाना है तो मेरी क्या हालत होती होगी जब मन करता होगा। और अब्बू आप तो देख रहे हैं मैं बच्ची नहीं हूँ (कहते हुए मैंने एक हल्की अंगराई ली)। आप तो मेरी पैन्टी भी देख चुके।" अब्बू के चेहरे का रंग उड़ने लगा यह सब सुन कर। मुझे यह देख मजा आया और मैंने आगे कहा, "आज फ़िर दिखाऊँ आपको?"। यह कहते हुए मैंने अपना हाथ अपने स्कर्ट की भीतर घुसाया और एक झटके से अपनी पैन्टी उतार दी। मैंने इतनी तेजी से यह किया कि उनको शायद हीं मेरी चूत दिखी होगी। फ़िर मैंने पैन्टी को अब्बू की गोदी में डाल दिया। वो पैन्टी अभी भी मेरी चूत के रस और चाचा के लन्ड के रस से गीली थी। मैंने एक भरपुर नजर अब्बू पर डाली, और फ़िर पैन्टी को देखा जो उनकी गोदी में था, फ़िर अपने चुतड़ को बड़े सेक्सी अंदाज में मतकाते हुई सामने से हट गयी। मैं सोच रही थी कि क्या अब्बू मेरी चूत के बारे में सोच रहे हैं या नहीं? इसके बाद मैं अब्बू के सामने जान-बुझ कर इठला कर चलती ताकि उनको मेरे बदन के उभारों का अहसास हो। दो-तीन दिन बाद मुझे लगने लगा कि अब वो मुझे कुछ अलग नज़र से देखते हैं। फ़िर मेरे पीरियड शुरु हो गये और तब मैं खुद थोड़ा सिकुड़ गयी अपने में हीं, पर मुझे अपना लक्ष्य याद था। चार दिन बाद जब मैं अपने पीरियड से फ़ारिग हुई तब मेरे भीतर एक अलग आग लगी हुई थी। उस दिन शाम को नहाते हुए मुझे आईडिया आया कि अब घर पर मैं अपने अंडर्गार्मेन्ट्स नहीं पहनूँ तो मेरी चुचियों की झलक ज्यादा मिलेगी अब्बू को, और अगर वो कोशिश करें तो मेरे चूत के भी दर्शन होगें और मुझे पता चल जायेगा कि वो मेरी चूत को देखना पसंद करते हैं कि नहीं। अगर मुझे लगा कि वो मेरे चूत को देखने में इच्छुक हैं तब मैं थोड़ा और आगे बढ़ुँगी। उस रात तो खैर कुछ न हुआ पर अगले सुबह मैं पैजामे और कुर्ते में उनके सामने सुबह की चाय ले कर गयी। उनके बिस्तर पर मैं भी बैठ गयी और मैं जब भी हिलती मेरी चुचियाँ कुरते में हिलती और अब्बू के नजर दो-एक बार चुची पर अँटकी।
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