RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैंने उसे याद दिलाया कि आज वो एक पैन्टी पहन ले पहले फ़िर मेरा लन्ड चुसे ताकि अगर उसकी बूर गीली हो जाए तो उसका गीलापन उसकी पैन्टी में महसुस हो। उसने तुरंत नाईटी उपर करके मुझे दिखाया कि वो एक सेक्सी पैन्टी पहने हुए है। वो सफ़ेद रंग की एक छोटी से पैन्टी पहने हुए थी और शायद अपनी बूर से खेल-खेल कर उसको हल्का गीला भी कर चुकी थी। मैं यह सब देख मस्त हो गया। सानिया सच में अपने अब्बू के साथ के लिए सब करने को तैयार थी। मैंने आधे घंटे तक लगातार उसकी बूर चाटी और फ़िर उसको ऊँगली से खुब चोदा। उसकी बूर इतनी गीली कर दी की मुझे पानी उसके बूर के बाहरी होठों तक दिखने लगा और तब मैंने उसको पैन्टी पहना कर सामने से पैन्टी को साईड में करके चोदा ताकि जब मेरा लन्ड उसके बूर को मथे तो जो मक्खन-मलाई भीतर से निकल सब पैन्टी के सम्पर्क में जरुर आए। करीब सवा घंटे के खेल के बाद मैं और वो दोनों लगभग साथ-साथ झड़े। मैंने अपना माल उसकी मुँह में निकाला और वो हमेशा की तरह उसको निगल गयी। मैं उसकी उस गीली पैन्टी को उसके बदन से उतार कर एक पौलिथीन में डाल उसके घर से अपने घर की तरफ़ चल दिया। मैं जब घर पहुँचा तब जमील टीवी देख रहा था। मैंने उससे पूछा कि जुली किधर है तो उसने जवाब दिया कि बाथरुम में गयी है, सब साफ़ करने। वह मुस्कुरा रहा था। मैं समझ गया कि उसने जुली की सील तोड़ी है और खुश है। मैंने आगे पूछा-"माल कैसा था?" वो खुश हो कर बोला-"बहुत मस्त। बहुत मजा आया।" मैंने पूछा, "साली नखरे भी की थी क्या?" जमील बोला, "नहीं यार, ये तो जैसे बेचैन थी कि कोई उसकी सील तोड़े। मेरे से ज्यादा तो उसे हड़बड़ी थी। साली अपने हाथ से पकड़ कर लगा कर करायी मेरे से। खुब मजा आया। दर्द भी हँसते-हँसते सह गयी। सील टुटने के बाद खुद मुझे पीछे ढ़केल कर अपनी ऊँगली से खुद चेक भी की। इसके बाद एक बार धो कर आयी और तब जम के मजा दी। थैंक्स यार, तेरी वजह से यह सब मजा मिला।" मैंने उसके कंधे पर एक हल्का चपत लगाया, "जियो मेरे शेर, आज एक दम मस्त दिख रहे हो साले। उमर १० साल कम दिख रही है। अब भाभी जी से मिलोगे तो उसका क्या हाल करोगे, मुझे सब अब दिख रहा है।" अपनी बीवी की बात सुन कर जमील का चेहरा लाल हो गया। तभी जुली आ गयी, और मुझे देख कर मुस्कुराई। मैंने देखा कि उसके चेहरे पर कोई हिचक नहीं थी। मैंने उसको कहा-"क्यों मजा आया मेरे दोस्त के साथ?" जुली ने कहा-"हाँ, जैसा सोची थी उससे ज्यादा मजा लगा। दर्द तो हुआ पर मजा आया।" मैंने उसको कहा कि क्या वह अपना बूर एक बार और दिखाएगी, जैसे उसने पहले मुझे अपनी सील दिखाई थी। जुली तुरन्त वही जमीन पर बैठ गयी। वो अब बिना पैन्टी के ही थी। फ़िर से पहले की तरह ही अपने जाँघ खोल कर मुझे अपना बूर दिखाई, और मैंने भी उसकी बूर की पुत्ती खोल कर उसके बूर के भीतर की लाली देखी। चुदने के बाद उसकी बूर ज्यादा ही लाल दिख रही थी पर अब उसके बूर के भीतर की झिल्ली फ़टी हुई दिखी। हल्का-हल्का अवशेष उसका अभी भी था, जो शायद तीन-चार चुदाई के बाद पुरी तरह से गायब हो जाने वाला था। पर जुली लड़की से औरत बन कर बहुत खुश दिखी। मैंने उसको अपने ड्रावर से एक पैन्टी निकाल कर दी। सच तो यह है कि मैं घर पर ३०/७५ साईज से ३४/८५ साईज की दो-चार पैन्टी रखता था ऐसे मौके के लिए। आज कल जिस उमर की लड़कियों को मैं चोदता था, उनकी साईज इन्हीं में से कुछ होती थी। जुली तो नयी पैन्टी पा और खुश हो गयी। जामील यह सब देख बोला-"यार बाबू, तो तो साले घर पर पुरी तैयारी रखता है। कमाल है यार।" मैंने कहा-"साले जमील, एक बार अपने घर पर लड़की ला कर चोदना शुरु करो, तुम भी यह सब रखने लगोगे। वैसे तुम्हें बहुत परेशानी नहीं होगी, घर पर सानिया है हीं, उसकी पैन्टी काम आयेगी ऐसे समय में जब लड़की को पैन्टी की जरुरत पड़ेगी।" अब मुझे असल बात याद आयी। मैंने कहा-"हाँ, यह लो सानिया की पैन्टी।" और मैंने हाथ के पौलिथिन से सानिया की जो पैन्टी मैं लाया था निकाल कर जमील की तरफ़ उछाल दिया जिसे उसने कैच कर लिया। उसे मुठ्ठी में लेने के बाद बोला-"गीली है यार", तो मैंने कहा-"हाँ, जब मैंने सानिया को चोदा तब भी यही पैन्टी उसके बदन पर था। मैंने इसे एक साईड करके उसकी चूत चोदी और फ़िर उसकी पनिआई हुई चूत पे इसको खुब रगड़ा और इसे खुब गिला करके तेरे लिए लाया हूँ यार। एक बार सुँघ कर तो देख।" जमील हिचक रहा था। जुली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हम क्या बात कर रहें हैं। मैंने फ़िर से जमील को कहा-"यार एक बार देख तो सुँघ कर, कैसी खुश्बू है सानिया के बूर की। अब मेरे से कैसी शर्म। तेरे लिए हीं लाया हूँ और मैंने उसके हाथ से पैन्टी ले कर खुद एक लम्बी साँस खीं कर उसको सुँघा। पैन्टी से अभी भी सानिया के बूर की खट्टी-कसैली बू आ रही थी!
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