RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. अगले दिन मैंने सानिया को सब बात बताई और वो काफ़ी खुश हुई। उसे इस बात की खुशी थी कि मैं उसको उसके अब्बू के सामने चोदुँगा। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके अब तक के स्ट्रीक्ट अब्बू सामने बैठ कर अपनी बेटी को चुदाते देखने को राजी हो जाएँगे। शायद इस kinky situation ने उसे और उत्तेजित कर दिया था। और फ़िर वो दिन आ गया जब जमील को मेरे घर उस कुँवारी लड़की को चोदने आना था। मैंने सुबह हीं फ़ोन करके उसको याद दिलाया। वो एक बजे आने को कहा तो मैंने भी सुरी को समय बता दिया। मैंने आज की छुट्टी ले ली थी। सुरी करीब साढ़े बारह में उस लड़की जुली को ले कर आया। जुली का रंग सच में कुछ ज्यादा हीं काला था। दुबली-पतली, छोटी सी लड़की थी वो, शायद ५ फ़ीट भी लम्बी नहीं थी। बदन भी बहुत भरा हुआ नहीं था, शायद दुबली होने की वजह से। एक लम्बे से प्रीन्टेड फ़्रौक पहन कर वो आयी थी और अपने उमर से कम दिख रही थी। चुचियों का उभार तो दिख रहा था पर अभी ब्रा बिना ही फ़्रौक पहने होने से खास पता नहीं चल रहा था। उसकी माँ भी साथ थी। करीब १७ साल की जुली देखने में १५ से कुछ ऊपर दिख रही थी। जुली की नाक बैठी हुई थी जिस वजह से उसका चेहरा भद्दा लगता था। मैंने सुरी को १५०००० दे दिये और पूछा, "कुँवारी हैं न, चेक कर लिए हो?" तो सुरी से पहले उसकी माँ बोली-"हाँ साहेब, १००%. आप भी तसल्ली कर लीजिए न।" इसके बाद उसने अपनी बेटी को कहा, "जुली, साहेब को पैन्ट खोल के दिखाओ"। जुली भी तुरन्त जमीन पर बैठ गयी और अपने पैन्टी या कहिए ब्लूमर को उतार कर अपने जाँघ खोल दिये। लौन्डिया का चेहरा जैसा हो, जवान बूर मस्त हीं होती है। उसके इस अंदाज के बाद मैं भी झुक कर उसके बूर की पुत्तियों को खोल कर भीतर की गुलाबी झिल्ली के दर्शन किए। काली-काली झाँटों से घिरी हुई काली-कलुटी बूर के भीतर का भाग एक्दम से लाल था और चमक रहा था। मेरे उठने के बाद जुली भी खड़ी हो गयी और कपड़े पहन लिए। सुरी ने उसकी माँ शायद १२००० दिए और दोनों साथ हीं चले गये। मैंने जुली को पानी पिलाया और बताया कि मेरा एक दोस्त अभी आयेगा, और वही उसको चोदेगा। फ़िर मैं उसके साथ इधर-उधर की बात करने लगा और तब तक जमील आ गया। जमील उस कमसीन कली सी जुली को देख मस्त हो गया। साले को अनुभव कम था, उसे तो वो कोई स्कूल-जाती बच्ची दिखी। मैंने अब जमील से कहा कि अब तुम इसके साथ मस्ती करो दो घन्टे ज्यादा से ज्यादा। मैं चला सानिया की गीली पैन्टी लाने। मैं भी दो घन्टे में आता हूँ, तब तक निबट लो। जमील फ़िर पेशोपेश में पड़ गया, "यार, क्या सच में सानिया के पास जा रहे हो?" मैंने पुरी बेहयाई से कहा, "हाँ दोस्त, अब जब तुम्हें पता है कि उसको लन्ड का स्वाद मिल चुका है तो क्यों परेशान हो? तुम अपना मजा लो और उसको अलग मजा लेने दो। मेरे साथ करेगी तो तुम्हें तसल्ली तो होगी कि वो सेफ़ है, वर्ना बाहर पता नहीं किस-किस से चुदा लेगी।" जमील बोला-"असल में यार, मुझे यह बात पच नहीं रही कि मेरी बेटी ऐसी है, खैर...अब वो जो करे।" मैं उसकी परेशानी समझ कर बोला-"अब भूल जाओ यह सब और इस लौन्डिया की सील तोड़ कर मजे करो। पुरा पैसा वसूल कर लेना। और सानिया ऐसी है कि कैसी है वो मैं अब जब आऊँगा तब बताऊँगा।" और मैं निकल गया। सानिया आज फ़िर दरवाज खोल कर मेरे से लिपट गयी। शुक्र है कि आज वो एक नाईटी पहन कर दरवाजा खोली थी।
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