RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
उसकी मुस्कुराहट में कोई फ़िक्र नहीं दिख रही थी कि कोई सड़क पर से उसको इस तरह देख लेगा। मुझे अवाक देख, वो वहीं मुझसे लिपट गयी और मुझे होठ पर चुम लिया। मैंने अब जल्दी से उसे धक्का दे कर घर के भीतर किया और दरवाजा बंद कर दिया और पूछा-"तुम्हें डर नहीं लगा, कि कोई देख लेगा, ऐसे एकदम नंगी दरवाजे पर खड़ी हो गयी।" मेरी घबड़ाहट देख वो खुश हुई और पुरे इत्मिनान से बोली-"अरे नहीं चाचू, तुम्हारा स्वागत करने के लिए ये कुछ नहीं है। इतने दिन बाद तुम आये हो मेरे पास।" मैं अब थोड़ा नौर्मल हो रहा था-"फ़िर भी, सड़क से कोई देख भी सकता था। ये तो बेशर्मी की हद कर दी तुम।" अब सानिया मस्त आवाज में बोली-"कितना मजा आता है, ऐसे बेशर्म हो कर कुछ करने में, आज तो अब्बू भी इसी समय लड़की चोद रहें है। काश मैं देख पाती कि वो कैसे चोदे रागिनी को।" मैंने हँसते हुए कहा-"कल सब रागिनी से पता चल जायेगा, फ़िर मैं बता दुँगा तुम्हें।" और मैंने उसे अपनी बाहों में भर चुमने लगा। करीब दस मिनट बाद मैंने कहा-"अब बोल, कहाँ चुदेगी, अपने बेड पर या अपने बाप के बेड पर?" उसकी साँस तेज चल रही थी, बहुत सेक्सी अंदाज में बुदबुदाई, "आपके साथ तो अपने बेड पर, अपने बाप के बेड पर तो अपने बाप से चुदाउँगी।" उसकी यह ख्वाइश सुन मेरे भीतर का कमीना फ़िर जाग गया। उसकी बात सुन मेरा लन्ड एक झटका मार दिया-"क्या बोली तू, क्या बोली? जमील से चुदाएगी तू?" वो बोली-"हाँ, अगर मौका मिला। चाचू, आप एक बार सेटिंग कर दो ना फ़िर मुझे कोई रोक-टोक नहीं रहेगा। खुब मस्ती करुँगी।" मैं उसके इरादे सुन मस्त हो गया-"ठीक है, पर पहले जरा जमील को अपना शराफ़त का चोला तो ढ़ीला करने दो। और जब तक बाप न मिलता है, तब तक यह चाचा तो है ना, चुदो खुब मेरे से हीं जब तक तुम्हें पुरी आजादी नहीं मिलती।" और अब मैं उसको बेड पर ठीक से सेट करने लगा। फ़िर उसके उपर आ गया। पहला राऊन्ड करीब ४५ मिनट चला और मैं उसके मुँह में झड़ गया। दुसरे राउन्ड के लिए वो मेरा लन्ड चुस रही थी कि मैंने जमील के सेल्फ़ोन पर कौल किया। करीब ८ रिन्ग बाद वो उठाया। मेरे पुछने पर कि कैसा चल रहा है, बोला-"सब ठीक-ठाक है, अब एक फ़ाईनल खेल होगा, रागिनी बोली है, अब वो करेगी।" मैंने आगे पूछा-"और सनिया की उमर की लड़की चोदने में परेशानी नहीं हुई ना?" मैं बार-बार सानिया का नाम ले रहा था कि वह अपनी बेटी की बात शुरु करे। जमील खुश था, बोला-"नहीं यार, बेटी के जवान होने के बाद ये सब सोचना गलत मानकर जवान लड़की का स्वाद मैं भूल गया था, थैक्स यार रागिनी बह्त अच्छी है।" उसने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ?" मैंने कहा-"एक जवान लड़की से लन्ड चुसा रहा हूँ, फ़िर उसको पीछे से चोदुँगा।" वो पूछा-"कौन है, कैसी है?" मैंने कहा-"कौन-कैसी क्या कहूँ यार। बहुत मस्त माल है, समझ ले कि सानिया है?" सानिया यह सुन एक झटके से अपना सर उपर की, तो मैंने इशारा किया कि सब ठीक है, वो चुसती रहे। जमील सपने में भी सोच नहीं सकता था कि मैं उसकी बेटी सानिया के साथ ये सब कर रहा हूँ। वो हँस दिया, और फ़ोन बन्द कर दिया। मैंने सानिया को पेट के बल पलट दिया और पीछे से उसको थोड़ा उपर उठा उसकी बूर में लन्ड घुसा कर चुदाई शुरु कर दी। वो मस्ती से कराह रही थी, और चुदवाए जा रही थी। सानिया का ध्यान जमील और रागिनी पर था, बोली-"चाचू, पूछे क्यों नहीं कि वो लोग कैसे कर रहे हैं। हम दोनों भी वैसे हीं करते।" मैंने कहा कि जमील अपना मजा कर चुका, अब शायद रागिनी उसके उपर चढ़ कर चोदेगी।
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