RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. वो भी मुस्कुराया-"जवान लौन्डिया को कपड़े फ़ाड़ कर चोदने में जो मजा है वो किसी चीज में नहीं है", और मेरे छाती पर हाथ रख मेरे समीज को भी चीर दिया। मेरे दोनों चुचियों को देख हल्के से उन पर चपत लगाया तो वो हल्के से हिल गए। उनके हिलते देख वो खुशी से बोला-"देख कैसे ये कबूतर मचल रहे हैं और ३-४ चपत और लगा दिया। इसके बाद वो मुझे पुरी तरह से नंगा कर दिया और मेरी चूत चुसने लगा। धीरे-धीरे मुझमें मस्ती छाने लगी और तब मुझे मस्त देख बुढ़्ढ़ा मेरे पैरों के बीच आ अपना लन्ड मेरी चूत में घुसा कर धक्के लगाने लगा। बीच-बीच में चुची पर चपत भी लगा रहा था और मैं मस्त थी। थोड़ी देर बाद वो लेट गया और मुझे उपर से उसके लन्ड की सवारी करनी पड़ी। २-३ मिनट बाद वो फ़िर मुझे नीचे लिटा दिया और उपर से मुझे चोदने लगा। वो अब तेजी से धक्के लगा रहा था और मैं मस्त हो गयी थी। तभी लगा वो झड़ रहा है। ४-५ झटके के बाद उसका माल मेरे चूत में निकल गया। वो मेरे उपर लेट मुझे चुमने लगा फ़िर उठा और बोला जाओ अब हाथ मुँह धो लो। खा कर सो गयी थी सो, मुँह से हलकी बास आ रही है। मुझे याद आया कि मुझे उठने के बाद मौका ही नहीं दिया था साला हरामी। तभी आसिफ़ लौट आया एक बड़ा सा पैकेट ले कर और हम दोनों को नंगा देख पूछा-"चोद लिए अब्बू?" वकार बोला-"हाँ बच्चे, गीली खेत में बीज डाल दिया इसबार"। यह सुन मैं मस्त हो गयी, और थोड़ी चिंतित भी। मैं बाथरुम में चली गयी। और सानिया मेरे पास करीब १० बजे आयी, सुरी उसको मेरे घर छोड़ कर गया। उसके चेहरे पर थकान थी पर उस पर शर्म और पहली बार की उत्तेजना की लाली भी थी। मैंने उससे पूछा-"कैसा रहा तुम्हारा रंडी बनने का सफ़र, मजा आया?" उसके मुँह से एक "धत्त" की आवाज निकली और उसके चेहरी की लाली और बढ़ गयी। इसके बाद करीब एक हफ़्ते रोज मैं सानिया की चुदाई करता खुद को भाग्यशाली मानता कि ऐसी हसीन लड़की चोदने को मिली, और वो भी खुब मजे ले कर अब चुदवाती। इसके बाद सानिया के डैडी और मेरे दोस्त प्रोफ़ेसर जमील वापस आ गए। उसकी अम्मी अभी नहीं लौटी थी, उनको करीब एक महिने के लिए जामील वहीं छोड़ आया था। सानिया थोड़ा दुखी हो गयी कि अब उसको मेरे घर से जाना होगा। मेरे से अकेले में मौका देख कर बोल हीं दी-"क्या चाचू, अभी तो मजा आना शुरु हुआ, और अब फ़िर से रोक लग जायेगा, मेरी किस्मत हीं खराब है।" मैंने उसे दिलासा दिया कि मैं जल्द हीं कोई तरकीब निकालुँगा।" फ़िर मैंने कहा कि अगर जमील को भी नयी-नयी लड़की चोदने का शौक लगा दिजाए तो फ़िर कोई परेशानी नहीं होगी"। सानिया यह सुन खुश हो गयी और बोली-"यह सबसे सही तरकीब है। मैं भी इसमें मदद करुँगी। आप कहें तो किसी तरह अब्बू को अपना बदन दिखाऊँ?" मैंने कहा-"अभी ऐसे जल्दीबाजी नहीं करो। कभीं जमील बिगड़ कर तुम पर सख्त न हो जाए। तब तो सब चौपट हो जायेगा।
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