RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. हम सब साथ खाना खाए और वकार ने कहा कि मैं दो घन्टे आराम कर लूँ। क्योंकि शाम की चाय के पहले वह मुझे चोदेगा और फ़िर रात में तो मुझे लगातार चुदना है। मैं भी आराम से बेड पर जा कर आराम करने लगी और मुझे नीं लग गयी। करीब ४.३० बजे मुझे लगा कि कोई मेरा चेहरा सहला रहा है, तो हड़बड़ा कर उठी। वकार बिलकुल नंगा मेरे बगल में लेटा हुआ था। मुझे जगा हुआ देख वो मेरे मुँह को चुमने लगा और फ़िर अपने मुँह से ढ़ेर सारा थुक मेरे मुँह में गिरा दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी, पर वो मेरी अक्बकाहट देख खुश हुआ और बोला निगल ले मेरी थुक, जब मेरा मणि खा सकती हो तो मेरे थुक से क्या परेशानी। मौझे अब समझ आ या कि मैं तो उसके लिए एक रन्डी थी, और मुझे वही करना था जो वो कहें। मैं जब थुक निगल गई तो वो मेरे उपर चढ़ कर लेट गया मुझे अपने बदन से पुरी तरह से दबा कर और फ़िर से मेरे होठ चुसने शुरु कर दिए। फ़िर पलट गया और वो नीचे मैं था मैं उपर होठ से होठ मिले हुए। तभी वो मेरी चुतड़ सहलाने लगा और फ़िर अचानक मेरी सल्वार की मियानी पकड़ कर उसे एक झटके से करीब ४" फ़ाड़ दिया। मैं चौंक गई-"हाय अल्लाह, अब मैं घर कैसे जाउँगी।" मैं एक दम से परेशान हो गयी और बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी। वकार मेरी बेचैनी देख हँस पड़ा, बोला-"क्यों फ़टी सलवार पहन कर जाना, अम्मा खुश होएगी। इतना सज धज के आई है तो तेरी अम्मी को पता तो चले कि बेटी सही से चुदी, क्यों?" उस हरामी को कहाँ पता थी की मेरे अम्मीजान को जरा भी अंदाजा न था कि बेटी रन्डी बन चुद रही है। पर ऐसी मजबूरी में मेरी आँख फ़िर नम होने लगी, तभी वह बोला-"अरे खुश हो जा, तुझे नये कपड़े में विदा कर देंगे। आसिफ़ को भेजा है, तेरे लिए नये कपड़े लेने। इससे अच्छे कपड़े में घर जाना। मेरे चेहरे को अपने हाथ में पकड़ बड़े प्यार से पूछा-"अब तो खुश है तु। देख अगर तु दुखी होएगी तो चोदने का मजा कम हो जाएगा। अरे तु इतनी हसीन है, जवान है कि तेरे साथ शरारत करने का मन बन गया। अब हँस भी दे"। उसके ऐसे मनाने से म्झे दिल से खुशी हुई और मैं मुस्कुरा दी।
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