RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. उसका लन्ड हल्का सा ढ़ीला हुआ और फ़िर जल्द हीं टनटना गया। इसबार आसिफ़ ने मुझे पलट दिया और जैसे कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर चोदता है, वैसे मुझे चोदा। हर धक्के पर मस्ती से मैं कराह उठती और वो आवाज सुन एक और धक्का और जोर से देता। ऐसे ही मैं थकने लगी और धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ झुकने लगी। जल्द ही मैं लगभग बिस्तर पर पेट के बल हो गयी, और आसिफ़ मेरे उपर लेट मेरी चुदाई करता रहा। मेरे नीचे हो जाने से उसको अब परेशानी हो रही थी धक्का लगाने में तो बोला-"चल अब पलट, सीधा हो। इसबार की ठुकाई में तेरे चूत को भर देता हूँ मणि से।" अब मुझे याद आया कि ऐसा तो मैंने सोचा न था, अब अगर इसके वीर्य से मुझे बच्चा रह गया तो। पर मैं कुछ बोलने की हालत में न थी। बस एक बार अल्लाह को याद किया और सीधी हो कर पैर खोल कर उपर उठा दी। आसिफ़ से अपने लन्ड को तीन बार मेरे चूत की उपर की घुन्डी पर पटका। उसकी चोट मुझे एक अजीब सी मस्ती दे रही थी कि तभी वो एक झटके में पुरा ९" भीतर पेल दिया। मैं अब आआह उउउउह इइइस्स्स हुम्म्म्म्म जैसी आवाज कर रही थी। मैं एक बार और झड़ चुकी थी पर आसिफ़ अपनी धुन में मुझे चोदे जा रहा था। फ़िर ५-६ तगड़े झटके के साथ उसके वीर्य ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी। आसिफ़ अपना लन्ड भीतर ही घुसा कर रखे था। थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शान्त पड़ रहे फ़िर वो अपना लन्ड निकाला और मेरे मुँह में दाल दिया, "साफ़ कर चाट कर इसे मेरी कुतिया" और प्रो० जमील अहमद खान की प्यारी इकलौती बेटी २०००० हज़ार ले कर एक रन्डी की तरह चुदाने के बाद अब लन्ड पर लगे हुए वीर्य को चाट रही थी। तभी बाहर से वकार ने आवाज लगाई-"अब खत्म करो भाई १ से ज्यादा बज गए, खाना आ जायेगा अब। थोड़ा आराम भी करो खाने से पहले।" करीब डेढ़ घंटे से मैं लगातार चुद रही थी। अब मुझे लगा कि हाँ, यह अनुभव हमेशा याद रखने वाला है। मैं उठी और सिर्फ़ सल्वार और समीज पहन ली। तभी रुम सर्वीस खाना ले आया। दोनों वेटरों के लिए ये सब देखना नयी बात नहीं थी। मेरे सल्वार और समीज के बीच के गैप से करीब ५" का सपाट पेट पर उन वेटरों की नज़र बार-बार जा रही थी। २०-२२ साल के नौजवान वेटरों को दिखा कर जमीन पर पड़ी हुई अपनी ब्रा और पैन्टी उठाई। मेरे झुकने से उनको मेरे सुन्दर से चुचियों की झलक मिल गयी। चूत में जो वीर्य भरा हुआ था अब हल्के-हल्के बाहर आने लगा था। मैंने सब को दिखा कर अपनी सल्वार की मियानी से अपनी चूत को पोछा, और फ़िर गीली हुई मियानी को देख कहा-"भीतर निकाल दिए, देख लीजिए, कपड़ा खराब हो गया"। वकार हँस दिया, "अरे बच्ची, अगर पेट से रह जायेगी पुरा ताजमहल बिगड़ जायेगा और तु कपड़े की चिन्ता कर रही है।" बेशर्म बुढ़ा मेरे फ़िगर की बात कर रहा था। मुझे अब उन दोनों के साथ मजा आ रहा था। आसिफ़ मेरे बदन की खुब तारीफ़ कर रहा था और उसका बाप मजे ले कर सुन रहा था, फ़िर पूछा "तुझे मजा आया ना बेटा इसको चोद कर।" आसिफ़ खुशी से बोला-"बहोत अब्बा, चूत तो बिल्कुल कसी हुई है। पर लौन्डिया मस्त है, आँख से आँसू निकल गया जब दो ही धक्के में पेल दिया पुरा भीतर। ये रान्ड साली इतनी सुन्दर है की मैं बेकाबू हो गया। पर क्या मस्त चुदी अब्बा, अम्मीजान की कसम मजा आ गया।"
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