RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
सुरी ने मुझसे पूछा पैसे तुम रखोगी? मैंने ना में सर हिला दिया, तो वो सब पैसे अपने साथ ले कर निकल गया कि वो अब कल ७ बजे आ जायेगा। सुरी के जाने के बाद वकार ने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने अपना असली नाम सानिया खान बता दिया। उन्होने फ़िर पूछा-"पठान हो?" मैंने हाँ मे सर हिलाया तो वो पहले बार मुझे छुए। मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर बोले "डरो मत, इस तरह चुप मत रहो। बात करो तुम तो चुदा चुकी हो, तुम्हें सब पता है। तुम्हारी मर्जी हैं ना, इस काम की या सुरी किसी मजबूरी में पकड़ लाया है?" मैंने कहा कि ऐसी बात नहीं है। मुझे ये सब करने में मजा भी बहुत आता है। अब आसिफ़ पहली बार बोला-"कुछ खाओगी, मँगाऊ?" तो मैंने कहा कि नाश्ता कर के आई हूँ। वकार अब बोले-"आसिफ़ बेटा, ले जाओ इसको बेड पर और तुम्हीं पहले चोद लो इसको, जवान हो तुम बार बार चोद सकते हो। मैं शाम में एक बार चोदुंगा। ११.३० बज गए हैं। १.३० बजे के लिए लंच और्डर कर देता हूँ।" ओके अब्बू कहते हुए असिफ़ उठ गया। वकार रुम सर्विस को और्डर किया-"४ बौटल बीयर अभी और खाना १.३० बजे"। आसिफ़ बेड्रुम के दरवाजे पर पहुँच कर मुझे बोला-"आ जाओ सानिया डार्लिंग" और मैं भी उठ कर पीछे पीछे चल दी। वकार हँसते हुए पास आया और मेरा दुपट्टा मेरे बदन से खींच लिया, कहा-"पहले बुजुर्ग से इजाजत लो बेटी" मैं सिटपिटा गयी, तो वो हँसा और मेरे चेहरे पर नजर गड़ा कर कहा जाओ और मेरे बेटे को अपने बदन का पुरा मजा लुटाओ"। आसिफ़ अब बोला-"अब्बुज़ान, आप इसको ठीक से चेक कर लो ना पहले। तब तक मैं जरा फ़ारिग हो हीं लूँ फ़िर जरा जम के लूटुँगा इसे। ऐसी मस्त हूर जैसी चीज हरदम नहीं मिलती", और उसने पेट पर हाथ फ़ेरा कि उसे टट्टी जाना है। मुझे कहा "जाओ अब्बूज़ानी का एक बार चुस कर खाली कर दो।" मुझे समझ आ गया कि ये दोनों बाप-बेटे मिल कर आज मुझे एक बार की बुकिंग में हीं रन्डीपने की डिग्री देने लायक पढ़ा देंगे। मेरी चूत गीली होने लगी आसिफ़ बाथरुम चला गया और वकार इशारे से मुझे पास बुलाया और अपने पैजामा के डोरी को ढ़ीला कर दिया। साफ़ था कि मुझे अब उसका लन्ड चुसना था। मैंने पैजामा नीचे खींच दिया। उसका लन्ड लगभग सिकुड़ा हुआ था, करीब ५"। थैली भी ढ़ीली थी, पर बड़ी थी और उसके भीतर का दोनों गोटी साफ़ दिख रहा था फ़ुला हुआ। लन्ड के चारों तरफ़ बड़ी-बड़ी झाँटे थी और उसमें से कई बाल सफ़ेद थे। लन्ड का सुपाड़ा भी थोड़ा सफ़ेद रंगत लिए था। मैंने लन्ड हाथ में लिया और मुँह में डाल चुसने लगी। वकार का वो इलाका हल्के पसीने की खुश्बू या बदबू से भरा था, पर मुझे तो ये सब कहना नहीं था। धीरे-धीरे लन्ड में ताव आने लगा। जब वो ६" का हो गया तब वकार बोला-"बेटा अब तुम भी कपड़े हल्के कर लो। तुम्हारे तराशे हुए बदन को देख ये साला जल्दी निपट जायेगा" मैं उठी और कुर्ते के उपर के दो बटन खोल कर उसको अपने सर के उपर से निकाल दिया। फ़िर मैंने अपनी सल्वार को खोला और अपने पैरों से बाहर कर दिया। वकार सब देख रहा था। मैंने अब अपनी सफ़ेद समीज भी उतार दी। फ़िर पहली बार वकार से नज़र मिलाई। अभी मेरे बदन पर एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी थी। मैंने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक टच हीं किया क्कि वकार बोला-"अब रहने दो, कुछ आसिफ़ के सामने खोलना"। मैं रुक गई और एक बार फ़िर उसका लन्ड चुसने लगी। वो अब मेरे पीठ और चुचियों पर अपने हाथ घुमा रहा था।
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