RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. मैंने कहा-"अभी थोड़ा और चुसो आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह, सानिया तुम तो सब बहुत जल्दी सीख गई"। उसने नजर मिला कर कहा-"मेरा प्यारा चाचु सिखाए और मैं ना सीखू, ऐसा कैसे होगा?" मैं-"आय हाय, बड़ी मस्त लौन्डिया हो रे तुम चाचा की भतीजी"। उसने मुझसे हँसते हुए पूछा-"मैं लौन्डिया हूँ?" मैंने जवाब दिया-"हाँ तुम लौन्डिया हो लौन्डिया, मेरी लौन्डिया, मेरी लौन्डी हो।" वो बोली-"अच्छा और क्या हूँ मैं?" और मेरे लन्ड को हल्के हल्के चुसती जा रही थी। मै मस्ती की मूड में आ गया-"दिखने में तो तुम माल हो माल, वो भी टौप क्लास का। आआआअह्ह्ह्ह्ह, मक्खन हो साली तुम। खिलती हुई गुलाब की कली हो जान। वाह बहुत अच्छा चुस रही हो, इइइइस्स्स्स्स,मजा आ रहा है। और चुस मेरी लौन्डी। कैसा लग रहा है, जरा बता ना साली। थोड़ा खेल भी हाथ में ले कर।" सानिया ने लन्ड को अब हाथ से सहलाना शुरु किया, "बहुत बढ़ीया है आपका लवड़ा।" मैंने सुधारा-"लवड़ा नहीं लौंड़ा बोल इसे। चुदाते समय रन्डियों की तरह बोलना सीख"। वो मचल कर बोली-"तो सिखाओ ना कैसी रन्डी बोलती है, मुझे थोड़े न पता है। मैं तो सीधी-साधी लड़की हूँ, अम्मी-अब्बू ने इतने प्यार से पाला और अब आप मुझे ये सब कह रहे हो, कैसे होगा?" मैं बोला-"तुझे लड़की कौन बेवकुफ़ कहेगा। मैंने बताया न, तुम माल हो वो भी एक दम टंच माल। एक चुदाई के बाद जैसे लन्ड खा रही है, लगता है कि अम्मी-अब्बू के घर जाने तक तू पुरी रन्डी बन जाएगी।" सानिया मेरी बात सुन कर बोली-"हाँ चाचु, मुझे सब सीखना है, जल्दी-जल्दी सीखाओ न अब, एक सप्ताह तो तुम बर्बाद कर दिए मेरा उदघाटन करने में। वो भी हुआ तब, जब मैं कौलगर्ल लाने को बोली, वर्ना तुम तो मुझे ऐसे ही अपने घर से विदा कर देते। मैं जब आई थी तब से यह सब सोच कर आयी थी। शुरु से तुमको लाईन दे रही थी और तुम साधु बने हुए थे। पहले दिन से ही मैंने तुम्हारे बाथरुम में अपना अन्डरगार्मेन्ट छोड़ना शुरु किया पर तुम थे कि आगे बढ़ ही नहीं रहे थे।" मैं सब सुना और कहा-"हाँ बेटा, तुम सही कह रही हो। असल में मुझ लग रहा था कि थोड़ी-बहुत छेड़-छाड़ तो ठीक है, पर शायद तुम सेक्स के लिए ना कह दोगी तो मुझे बहुत शर्म आयेगी फ़िर तुमसे। यही सब सोच मैं आगे नहीं बढ़ रहा था। पर मैंने भी धीरे-धीरे ही सही पर तुम्हारी तरफ़ आगे बढ़ रहा था ये तो मानोगी। और पता है, रोज मास्टरबेट करके तुम्हारी पैन्टी पर अपना लन्ड का रस डाल देता था, तुम्हें पता चला कुछ?" वो मुस्कुराई-"सब पता है, सुखने पर भी थोड़ा तो अलग लगता है। अब ऐसे अपना क्रीम मत फ़ेंकना, मैं हूँ ना, सब खा जाऊँगी। कहीं पढ़ा है कि, मर्द के उस रस में बहुत पौष्टिक मैटेरीयल होता है।" मेरा लन्ड अब जैसे माल निकालने की स्थिति में आ गया था। मैंने समय लेने के लिए कहा-"अब बात बन्द कर और चल बिस्तर पर लेट। तेरे चूत का स्वाद लेना है अब मुझे।
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