RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.मैंने पहले उसके चेहरे को पकड़ा और फ़िर उसके गुलाबी होठों का रस पीने लगा। उसका बदन हल्का सा गर्म हो रहा था, जैसे बुखार सा चढ रहा हो। बन्द आँखों के साथ वो हसीना अब टौपलेस मेरे बाहों में थी। मैंने रागिनी की तरफ़ देखा। वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी, और चाय की चुस्की ले रही थी, जब मैंने सानिया को अपने बदन से थोड़ा हटाया और फ़िर उसकी दाहिनी चुची की निप्पल मुँह में ले उसे चुभलाने लगा। सानिया आँख बंद करके सिसकी भर रही थी, और मैं मस्त हो कर उसके चुचियों से खेल रहा था, चुस रहा था। वो भी मस्त हो रही थी। मैंने अपने हाथ थोड़ा आगे कर उसके कैप्री के बटन खोले और फ़िर उसको अपने सामने बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। भीतर काली पैन्टी की झलक मुझे मिल रही थी। प्यार से पहले मैंने कैप्री उत्तार दी। फ़िर मक्खन जैसी जाँघों को सहलाते हुए भीतर की तरफ़ जाँघ पर २-४ चुम्बन लिया। उसका बदन अब हल्के से काँप गया था। और जब मैं उसकी पैन्टी नीचे कर रहा था तब उसने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढ़क लिया। इस तरह से उसका शर्माना गजब ढ़ा गया। चूत को उसने एक दिन पहले ही साफ़ किया था, सो उसकी गोरी चूत बग-बग चमक रही थी। मैंने उसके चूत को पुरा अपने मुट्ठी में पकड़ कर हल्के से दबा दिया, तो वो आआह्ह्ह्ह कर दी। मैंने अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया और वो चुसाई की, वो चुसाई की गोरी-गोरी चूत की कि वो एक दम लाल हो गई जैसे अब खून उतर जाएगा। वो अब चुदास से भर कर कसमसा रही थी, कराह रही थी। उसकी हालत देख मैंने रागिनी की तरफ़ आँख मारी और कहा-"सानिया बेटा, अब जरा तुम भी मेरा चुसो, अच्छा लगेगा"। वो काँपते आवाज में बोली-"नहीं चाचु, अब कुछ नहीं अब बस आप घुसा दो मेरे भीतर अब बर्दास्त नहीं होगा, प्लीज..." मैंने उसको छेड़ा-"क्या घुसा दूँ, जरा ठीक से बोलो ना।" रागिनी मेरे बदमाशी पर हँस दी, बोली-"अंकल, क्यों दीदी को तड़पा रहे हो, कर दो जल्दी।" सानिया लगातार प्लीज घुसाओ प्लीज कर रही थी। मैंने फ़िर कहा-"बोलो भी अब क्या घुसा दूँ, कहाँ घुसा दूँ, मुझे समझाओ भी जरा।" सानिया सच अब गिड़गिराने लगी, बोली-"चाचा, प्लीज..." वो अपने हाथ से अपना चूत सहला रही थी। मैंने भी कहा-"एक बार कह दो साफ़ साफ़ डार्लिंग, उसके बाद देखो, जन्न्त की सैर करा दुँगा, बस तुम्हारे मुँह से एक बार सुनना चाहता हूँ पहले।" अब सानिया बोल दी-"मेरे अच्छे चाचु, प्लीज अपने लन्ड को मेरे चूत में दाल कर मुझे चोद दो एक बार, अब रहा नहीं जा रहा।" मेरा लन्ड जैसे फ़टने को तैयार हो गया था ये सब सुन कर। वषों से यही सोच सोच कर मैंने मुठ मारी थी सैकड़ों बार। मैं जोश में भर कह उठा-"ओके, मेरे से चुदाना चाहती हो, ठीक है खोलो जाँघ"। और मैं उसके जाँघों के बीच बैठ कर लन्ड को उसकी लाल भभुका चूत की छेद से भिरा दिया। मैंने कहा-"डालूँ अब भीतर?" सानिया चिढ़ गई-"ओह, अब चोद साले बात मत कर आह"। इस तरह जब वो बोल पड़ी तो मैं समझ गया कि अब साली को रन्डी बन जाने में देर ना लगेगी।
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