RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
जरुरत हुई तो यहाँ साफ़ कर लेंगे।" और फ़ोन बंद कर दिया। इसके तुरंत बाद जमील का फ़ोन आया कि उन्हें अभी वहाँ १० दिन और रुकना होगा, जब तक औपरेशन नहीं हो जाता, सानिया के नाना का। मेरे लिए यह अच्छा शगुन था। मेरे लिए रागिनी लकी साबित हुई थी। मैं देख रहा था कि सानिया भी यह सब सुन खुश हो रही है। सानिया सब चुप-चाप सुन रही थी। मैने उसके जाँघ पे अपना हाथ फ़ेरा और कहा-"अब तो खुश हो सानिया बेटी, तुम्हारे मन की ही हो गई।" वो बिना बोले बस मुस्कुरा रही थी। मैने कहा, "आने दो रागिनी को, आज उसकी लैंडिग स्ट्रीप स्टाईल में बना के बताउँगा। वो भी नई है, थोड़ा सीखेगी मेरे एक्स्पीरियेंस से"। वो बोली-"अब खाना बना लेते हैं, दो घन्टें में तो वो आ जायेगी"। सानिया किचेन में गई, मैं टीवी में बीजी हो गया। करीब ७.३० तक हमने डिनर कर लिया, और बैठ कर रागिनी का इंतजार करने लगे। ८.१० पे कौल-बेल बजी, तो सानिया तुरंत कुद कर दरवाजे तक पहूँच उसे खोला। मैंने देखा कि एक छरहरे बदन की थोड़ी सांवली लगभग सानिया की लम्बाई की ही लड़की सामने थी। सानिया ने उसका नाम पूछा और भीतर ले आई। मैंने रागिनी को बैठने को कहा तो वो सामने सोफ़े पे बैठ गई। सानिया अभी भी खड़े हो कर उसको घुर रही थी। रागिनी ने चटख पीले रंग का सूती सलवार सुट पहना हुआ था, जो उसके फ़िगर पे सही फ़िट था। लौन्डिया १७-१८ की थी, ३४-२६-३६। मेरी अनुभवी नजरों ने उसका माप ले लिया। मैं अपनी किस्मत पे खुद हैरान था। मेरे पास दो-दो जवान लौन्डिया थी, और दोनो २० बरस से भी कम। रागिनी तो सानिया से भी उमर में छोटी थी, सानिया ने दो साल पहले इंटर किया था जबकि रागिनी ने इसी साल किया। हाँ, उसका बदन थोड़ा सानिया से ज्यादा भरा था। पर फ़र्क सिर्फ़ उन्नीस-बीस का ही था। मैंने रागिनी से कहा-"ये सानिया है, यही साथ में रहेगी रूम में और सब देखेगी।" रागिनी ने अब एक पुरे नजर से सानिया को घूरा उपर से नीचे तक। मैंने पूछा-"डिनर करके आई हो या करोगी?" उसने कहा की नहीं वो जिस दिन बूकिंग कराती है, रात में नहीं खाती। रागिनी ने बताया कि वो सिर्फ़ शनिवार को ही सुरी से बूकिंग कराती है और यह सब वो थोड़ा मजा और थोड़ा पैसे के लिए करती है। इजी मनी, यू नो। मैंने उसको ५००० दे दिये और कहा कि ये जो सुरी से बात थी, अर फ़िर २००० उसको दिए और कहा कि ये उसका पर्सनल हैं मेरे रीक्वेस्ट को मानने के लिए। वो संतुष्ट थी, बोली, "एक बार सर मैं बाथरूम जाना चाहुँगी"। मैंने कहा-"ठीक है थोड़ा साफ़ कर लेना साबून से, आगे पीछे सब" और मैंने उसको आँख मारी, ताकि पहली बार की झिझक कम हो। मुझे उसके चेहरे से लग रहा था कि वो सही में नई थी। मैंने सानिया को उसे पानी पिलाने को कहा, और वो चली गयी। पानी पी कर रागिनी ने अपना दुप्पटा सोफ़े पे डाला और सानिया से पूछा-"बाथरूम"...। करीब दस मिनट बाद वो आयी और कहा कि वो तैयार है, किस रूम में चलें? हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब रागिनी ने पूछा-"मैं खुद कपड़े उतारूँ या आप दोनों में से कोई?" मैं सानिया की तरफ़ देख रहा था, कि उसका क्या मिजाज है। उसे लगा कि मैं शायद उसको कह रहा हूँ कि वो कपड़े उतारे, इसलिए वो रागिनी की तरफ़ बढ़ गई। रागिनी ने उसकी तरफ़ अपनी पीठ कर दी। जब सानिया उसके कुर्ते की जीप नीचे कर रही थी, रागिनी ने सानिया से हल्के से पूछा-"ये आपके पापा है?" सानिया सिटपिटा गई। उसे परेशानी से बचाने के लिए मैंने कहा-"नहीं सानिया मेरे दोस्त की बेटी है, अभी मेरे साथ रहेगी। उसे हीं मन था कि वो एक बार ये सब देखे।" रागिनी के मुँह से एक हल्का सा सौरी निकला। सानिया ने उसकी कुर्ते को खोलने के बाद उसकी समीज (स्लीप) भी निकल दी। रागिनी काले रंग की एक साटन ब्रा पहने थी। रागिनी की सपाट पेट देख मैं मस्त हो रहा था। चुचियाँ भी मस्त थी, एक दम ठ्स्स। १८ साल की लड़की की जैसी होनी चाहिए। मैं उसकी गदराई जवानी को घुर रहा था। सानिया ने उसके सलवार की डोरी खींची, और उसको नीचे कर दिया। उसने काले रंग की जाली-दार लेस वाली पैन्टी पहनी हुई थी। पैन्टी में से भी उसकी चुत अपने फ़ुले होने का आभास दे रही थी। सुन्दर सी लम्बी टाँगे, एक दम हल्के हल्के रोएँ थे जाँघों पे। उसके जवान बदन को मस्त निगाह से देखते हुए मैंने कहा-"अब रहने दो सानिया, तुम आराम से देखो बैठ कर, बाकि मैं कर लूँगा।"
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