RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
अगले दिन सुबह चाय पीते हुए मैंने कहा-"सानिया बेटा, अब आज का दिन मेरा कैसे अच्छा बीतेगा, आज तो ३० ग्राम ही मुझे मिलेगा।" वो मुस्कुराई और बोई-"सब ठीक हो जायेगा, फ़िक्र नोट ।" जब वो जाने लगी तो मुझे बोली-"चाचु, जरा अपने रुम में चलिए, एक बात है।" मुझे लगा कि वोह शायद कुछ कहेगी। पर वो रुम में मुझे लाई और मुझे बेड पे बिठा दिया, फ़िर एक झटके में अपने जीन्स के बटन खोल कर उसे घुटने तक नीचे कर दिया, बोली-"देख कर आज दिन ठीक कर लीजिए।" उसके बदन पर वही सेक्सी वाली सफ़ेद पैन्टी थी। उसके त्रिभुजाकार सफ़ेद पट्टी से उसकी बूर एक्दम से ढ़्की हुई थी, पर सिर्फ़ बूर हीं। बाकी उस पैन्टी में कुछ था ही नहीं सिवाय डोरी के। उसकी जाँघ, चुतड़ सब बिल्कुल खुला हुआ था। एकदम साफ़ गोरा दमकता हुआ। झाँट की झलक तक नहीं थी। मेरा गला सुख रहा था। वो २०-२५ सेकेन्ड वैसे रही फ़िर अपना जीन्स उपर कर ली, और मुस्कुराते हुए बाय कह बाहर निकल गई। मैंने वहीं बिस्तर पर बैठे-बैठे मुठ मारी, यह भी भूल गया कि मैरी घर में है। उस दिन बाथरुम में मुझे पता चला कि आज मेरे हीं रेजर से सानिया झाँट साफ़ की थी, और अपने झाँट को वाश बेसिन पे ही रख छोड़ा है। २-२" की उसकी झाँट के कई बाल मुझे मिल गये, जिन्हें मैंने कागज में समेट कर रख लिया। मैनें फ़िर मुठ मारी। शाम की चाय पीते हुए मैने बात शुरु किया-"बेटा आज मेरे लिए पैन्टी नहीं था तो तुमने मेरे लिए रेजर साफ़ करने का काम छोड़ दिया।" मेरे चेहरे पर हल्की हँसी थी। वो शर्मा गई। तब मैंने कहा-"किस स्टाईल का शेव की हो?" उसके चेहरे के भाव बदले, बोली-"मतलब?" मैंने आगे कहा-"मतलब किस स्टाईल में अपने बाल साफ़ की हो?" उसे समझ नहीं आया तो बोली-"अब इसमें स्टाईल की क्या बात है, बस साफ़ कर दी।" मैंने अब आँख मारी-"पुरा साफ़ कर दी?" वो अब थोड़ा बोल्ड बन कर बोली-"और नहीं तो क्या, आधा करती? कैसा गन्दा लगता।" मैंने सब समझ गया, कहा-"अरे नहीं बाबा, तुम समझ नहीं रही हो, लड़कियाँ अपने इन बालों को कई तरीके से सजा कर साफ़ करती हैं।" उसके लिए यह एक नई बात थी, पुछी-"कैसे?"तब मैंने उसको बताया कि झाँटों को कैसे अलग अलग स्टाईल मे बनाया जाता है, जैसे लैंडिन्ग स्ट्रीप, ट्रायन्गल, हिटलर मुश्टैश, बाल्ड, थ्रेड, हार्ट... आदि। उसके लिए ये सब बात अजुबा था-"बोली, मुझे नहीं पता ये सब"। मैं तो हमेशा ऐसे ही पुरा साफ़ करती रही हूँ, जब भी की हूँ। अभी, दो महिने बाद की हूँ, तभी इतनी बड़ी-बड़ी हो गयी थी। अम्मी को पता चल जाए तो मुझे बहुत डाँटेंगी, वो तो जबर्दस्ती बचपन में मेरा १५-१७ दिन पर साफ़ कर देती थी। वो तो खुद सप्ताह में दो दिन साफ़ करती हैं अभी भी।" मैंने भी हाँ में हाँ मिलाई-"हाँ, सच बहुत बड़ी थी, २" तो मैं अपना नहीं होने देता, जबकि मैं मर्द हूँ।" मैं महिने में दो-एक बार कौल-गर्ल घर लाता था। इसके लिए मैं एक दलाल राजेन्दर सुरी की मदद लेता। उसके साथ मेरा ५-६ साल पुराना रिश्ता था। वो हमेशा मुझे मेरे पसन्द की लड़की भेज देता। अब तो वो भी मेरी पसन्द जान गया था, और जब भी कोई नई लड़की मेरे टेस्ट की उसे मिलती, वो मुझे बता देता। ऐसे ही उस दिन शाम को हुआ। सुरी का फ़ोन आया करीब ८ बजे, तब मैं और सानिया खाना खा रहे थे। सुरी बताया कि एक माल आई है नई उसके पास, १७-१८ साल की। ज्यादा नहीं गई है, घरेलू टाईप है। आज उसकी ब्लड टेस्ट रिपोर्ट सही आने के बाद वो सुबह मुझे बतायेगा, अगर मैं कहूँ तो वो कल उसकी पहली बूकिंग मेरे साथ कर देगा। सानिया को हमारी बात ठीक से समझ में नहीं आई, और जब उसने पुछा तो मैंने सोचा कि अब इस लौन्डिया से सब कह देने से शायद मेरा रास्ता खुले, सो मैंने उसको सब कह दिया कि मैं कभी-कभी दलाल के मार्फ़त कौल-गर्ल लाता हूँ घर पर, आज उसी दलाल का फ़ोन आया था, एक नई लड़की के बारे में। उसका चेहरा लाल हो गया। वो चुप-चाप खाई, फ़िर हम टीवी देखने लगे, वो एक फ़िल्म लगा कर बैठ गई। मुझे लगा कि शायद कौल-गर्ल वाली बात उसे अच्छी नहीं लगी। पर मैंने उसे अब नहीं छेड़ा, सोचा देखें अब वो खुद कैसे मुझे मौका देती है। अगली सुबह फ़िर सुरी का फ़ोन आया। मुझे लगा कि ये शायद ज्यादा हो रहा है, सो मैंने सुरी को मना कर दिया। सानिया फ़ोन पर मेरी जो बात हो रही थी, वो सुन रही थी। मेरे फ़ोन काटने पर उसने सब कुछ ठीक से जानना चाहा। एक बार फ़िर उस्की इच्छा देख मुझे लगा कि बात फ़िर पटरी पर आने लगी है। मैं चाहता था कि कैसे भी अब आगे का रास्ता खुले जिससे मैं सानिया मे मक्खन बदन का मजा लूँ। पाँच दिन बीत गया था, और दो-तीन दिन में उसके अम्मी-अब्बू आ जाने वाले थे। मैने गंभीर बनने की ऐक्टींग करते हुए कहा-"बुरा मत मानना सानिया बेटा पर तुम्हें पता है कि मैं अकेला हूँ, इसलिए अपने जिस्म की जरूरत के लिए एक दलाल सेट किया हुआ है, वो हर महिने ५ और २५ तारिख को मुझे फ़ोन पर कौन्टैक्ट करता है।
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